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मंगलवार, 19 सितंबर 2023

Jain Dharam का पर्वाधिराज 'पर्युषण' शुरू

सबसे पहले जो क्षमा करता है, वो सबसे शक्तिशाली 

  • जिसके पास क्षमा रूपी तलवार है उसका दुर्जन कुछ नहीं कर सकते




Varanasi (dil India live).19.09.2023. भारतीय संस्कृति के पर्वो में जैन धर्म के पर्युषण (दशलक्षण) महापर्व का विशेष महत्व है. श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में आयोजित 14 दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार 19 सितंबर को प्रातः से ही नगर के जैन मन्दिरो भेलूपुर, सारनाथ, मैदागिन, खोजंवा, नरिया, ग्वाल दास साहू लेन, चन्द्रपुरी, भदैनी में दशलक्षण पूजन-एवं विविध धार्मिक आयोजन के साथ शुरू हुआ. जैन धर्मावलम्बीयो के लिए यह बहुत ही कठिन आत्मा की आराधना का पर्व है. इन दिनों सभी छोटे बडे व्रत- उपवास, संयम, सामायिक, जप, स्वाध्याय में तल्लीन रहते है. मंगलवार को सभी जैन मंदिरो में तीर्थंकरो का अभिषेक-पूजन प्रक्षाल के साथ पूजन प्रारंभ हुई. भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलूपुर में प्रातः विधानाचार्य डा:पं: अशोक जैन के निर्देशन में संगीतमय दशलक्षण विधान का शुभारंभ हुआ-वही ग्वाल दास लेन स्थित मन्दिर में भी 10 दिवसीय विधान का विधि-विधान से शुभारंभ हुआ.

सायंकाल भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जन्म स्थली पर शास्त्र प्रवचन प्रोः फूल चन्द्र प्रेमी ने दशलक्षण पर्व के प्रथम अध्याय "उत्तम क्षमा धर्म " का अर्थ सहित व्याख्यान करते हुए कहा कि जिसके पास क्षमा रूपी तलवार है उसका दुर्जन भी कुछ नहीं कर सकते. जिस दिन आपके जीवन में क्षमा का आगमन होगा उस दिन आपका जीवन 'पार्श्वनाथ 'के समान हो जायेगा. उन्होंने कहां-जो  पहले क्षमा मांगता है वह सबसे ज्यादा बहादुर है और जो सबसे पहले क्षमा करता है वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली है. 

खोजंवा स्थित जैन मन्दिर में शास्त्र प्रवचन करते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां की जीवन की मिठास का स्वाद लेने के लिए आपके पास अतीत को भूलने की और  दूसरो को क्षमा करने की शक्ति होना चाहिए. 

आत्मविश्वास, आत्म ज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीनों जीवन को परम शक्ति सम्पन्न बना देते है. उन्होंने कहां की समस्त बुराईयो को पी जाने की क्षमता प्रगट होना ही क्षमा धर्म है. क्षमा वही कर सकता है जिसके अंदर निर्मल ज्ञान का सागर है और वह तप तपस्या से ही संभव है. सायंकाल जैन मंदिरो में शास्त्र प्रवचन, जिनवाणी पूजन, तीर्थंकरो, क्षेत्रपाल बाबा, देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की गई. आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, अजीत जैन, विनोद जैन चांदी वाले, सौरभ जैन उपस्थित थे.

बुधवार, 23 अगस्त 2023

Jain samaj काशी ने चन्द्रयान-3 की सफलता के लिए ने की विशेष पूजा

जैन समाज काशी ने 1008 पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया




Varanasi (dil India live). 23.08.2023. श्रावण मास शुक्ल सप्तमी पर जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर देवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में बुधवार को प्रातः से अपराहन तक भगवान पार्श्वनाथ की जन्म कल्याणक स्थली भेलूपुर में चन्द्रयान-3 की सफलता, वैज्ञानिको के अथक प्रयास, हमारे राष्ट्र का नाम स्वर्ण अक्षरों मे लिखा जाए, चांद पर तिरंगा लहराए के लिए विशेष पूजा में भक्तामबर बिधान कर सैकड़ो भक्तो ने भेलूपुर स्थित दिगम्बर जैन मन्दिर मे किया एवं भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याणक पर अभिषेक, शान्तिधारा, मंगल आरती कर निर्वाण लाडू (लड्डू) भक्तो ने चढाया। 

काशी में जन्मे भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष शिखर में स्वर्ण भद्र कूट पर हुआ था। आज ही के दिन प्रातः बेला विशाखा नक्षत्र मे 36 मुनिराजों के साथ मोक्ष पद को प्राप्त किया था। काशी में जन्मे प्रभु पार्श्वनाथ की जन्म स्थल का पूरी दुनिया में प्रमुख तीर्थ क्षेत्र में नाम है, इसीलिए बुधवार को मोक्ष कल्याणक में शामिल होने के लिए देश के विभिन्न प्रांतो से श्रावक जन्म स्थली पहुंच कर आयोजन में शामिल हुए। भक्तामबर स्त्रोत बिधान का वृहद आयोजन हुआ।

माणने पर श्री जी को विराजमान कर अभिषेक

पूरी भक्ति और चन्द्र यान-3 की सफलता की मंगल कामना के साथ श्रावको ने मंगल दीपक हाथो में लेकर निर्वाण लाडू चढाया और धार्मिक माणने पर 1008 श्री फल (नारियल) बादाम और सामग्री मंत्रोच्चारण के साथ सफलता की भावना के साथ चढाया। आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, महामंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, सौरभ जैन, विजय जैन, विनोद जैन, सुधीर पोद्दार सहित काफी संख्या में महिलाए-पुरूष उपस्थित थे। 

प्रार्थना और दुआएं एक साथ 

वाराणसी भारत माता मंदिर के प्रांगण में  विद्यापीठ के छात्र छात्रों द्वारा चंद्रयान-3 के सकुशल लैंडिंग होने को लेकर प्रार्थना और दुआएं मांगी। इस दौरान हिंदू -मुसलिम दोनों वर्गों के लोगों ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पाठ एवं दुआखवानी में शामिल होकर देश की एकजुटता का पैगाम भी दिया।

रविवार, 11 सितंबर 2022

Jain dharam news: क्षमा कायरों का नहीं वीरों का धर्म

भगवान पार्श्वनाथ जन्मस्थली पर बही मैत्री, प्रेम  की गंगा 

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर पूरे विश्व के लिए दिया गया प्रेम का सन्देश 





Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर रविवार को क्षमावाणी पूजन, तीर्थंकरो का प्रक्षाल नमन, विद्वत जनो का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर भारी संख्या में लोगों ने एक दूसरे से क्षमायाचना व क्षमा का सन्देश पूरे विश्व के लिए हुआ। प्रारंभ में अपराह्न 1 बजे से क्षमावाणी पूजन एवंदेवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ का अभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ सायं तक चला। 
विश्व शांति के लिए शान्ती धारा की गई। 

राजेश जैन ने बताया कि यह वो दिन है जिस दिन बैर विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव प्रकट किया जाता है। शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत एवं निरबैर बनाने का प्रयत्न करते हैं। अनजाने में बिन चाहे भी भूल किसी से हो सकती है, ऐसे उन अंजान पलों की भूल हमारी माफ करें। 

क्षमावाणी पर्व पर हमें क्षमा का दान करे, मुझे गले से लगाकर मेरे ऊपर उपकार करें ,कलुष ह्रदय को साफ करें । तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय भूमि क्षेत्र में विश्व का यह अनूठा कार्यक्रम वाराणसी के भेलूपुर स्थित जैन मन्दिर में आयोजित हुआ। जहां बहती रही सिर्फ प्रेम, मैत्री एवं क्षमा की गंगा। इस पर्व पर सभी छोटे- बडे का भेदभाव मिटाकर महिलाए, बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले से गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे। 

तन-मन एवं आत्मा की शुद्धी पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश देता है। 

परस्परोप ग्रहो जीवानाम् की भावना एक -दूसरे के प्रति सभी के ह्रदय में प्रेम गहरा और प्रगाढ होता रहे। यही मैत्री के क्षमावाणी पर्व का मुख्य उद्देश्य है। यही सन्देश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है।क्षमावाणी सन्देश में प्रोः अशोक जैन ने कहां क्षमा अमृत है, क्षमा ज्योति पुंज है, आत्मनुभव का वास्तविक रूप है। प्रोः कमलेश जैन ने कहां-क्षमा श्रमण जो होता है विष को अमृत करता है। 

ब्रह्मचारी आकाश जैन ने कहां - क्षमा कायरो का नहीं वीरों का धर्म है। क्षमाशील आत्म पुरूषार्थ करते है। 

डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - क्षमा प्राणी मात्र का धर्म है। इसे किसी जाति, सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा जा सकता। 

पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- क्षमा आत्मा का स्वभाविक गुण है। क्षमा मोक्ष महल की आधार शिला है। 

धर्म प्रचारक राजेश जैन ने कहां-संस्कृत में पृथ्वी का एक नाम क्षमा, अचला, स्थिरा भी है, विवेकी व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के समान अचल और आचरण में हमेशा स्थिर होना चाहिए। इसलिए कहां गया है क्षमा वीरसय् भूषणम् ।यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व मे गुंजायमान करता है। 

यह पर्व प्रेम, करूणा, वात्सल्य और नैतिकता के भाव जागृत करता है। 

विद्वानो ने क्षमावाणी पर्व को विश्व मैत्री बताते हुए इसकी तुलना अंहिसा दिवस से की। पर्व पर जैन साधको ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों ,इष्ट मित्र, व्यापारी, शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ई मेल, एस एम एस द्वारा सन्देश देकर शुभकामना दी। 

विद्वानो में प्रोः अशोक जैन, प्रोः कमलेश जैन, डाः मुन्नी पुष्पा जैन, ब्रह्मचारी आकाश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री, पं मनीष जैन एवं 16 दिन से 3 दिनो का निर्जला व्रत करने वालो में श्री मति मोना काला (16)दिन, आलोक जैन (10)दिन, अर्पित जैन (10)दिन श्रीमति मंजू जैन (10)दिन, किशोर जैन (10)दिन, रजनी जैन, संध्या जैन, शोभा जैन, श्वेता जैन, नीति जैन, मनीषा जैन, इन सभी व्रत तपस्वीयों का सम्मान समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मन्त्री अरूण जैन, विनय जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, प्रमिला सांवरिया, शोभारानी जैन ने किया। 

आयोजन में प्रमुख रूप से आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, रत्नेश जैन, सौरभ जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

Ananta chaturdashi पर निर्जला व्रत कर किया नमन पाठ

अनंतनाथ एवं पार्श्वनाथ का हुआ 108 रजत कलशों से महामस्तकाभिषेक 

दर्शन-पूजन को मन्दिरों में उमड़ी भीड़

 




Varanasi (dil india live)।अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर शुक्रवार को श्री 1008 अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ का 108 रजत कलशों से महामस्तकाभिषेक भक्तो ने किया। पर्युषण महापर्व के अन्तिम दिन जैन मंदिरो में दर्शन करने वाले भक्तो की भारी भीड़ देखने को मिली। इस दौरान मुख्य आयोजन ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर में सकल समाज की उपस्थिति में सांय 4 बजे व्रतधारी शुध्द केशरिया वस्त्रों में इन्द्र के रूप में वाद्य यन्त्रो एवं शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच सैकडों धर्मावलम्बीयों ने मंत्रोच्चार के साथ रजत पाण्डुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का पंचाभिषेक से महा मस्तकाभिषेक किया। 

जैन मतावलंबियों ने निर्जला व्रत रखकर नमन पाठ पढकर इच्छुक रसधारा, दुग्ध धारा, घृत धारा, केशर एवं शुध्द गंगा जल के 108 रजत कलशो से तीर्थंकरों का प्रक्षाल किया।इस नयनाभिराम दृश्य को देखने के लिए जैन धर्मावलम्बीयों की भारी संख्या मंदिरों में देखने को मिली। 

भाद्र शुक्ल पंचमी से चतुर्दशी तक दस दिवसीय पर्युषण पर्व पर प्राचीन परम्परा के अनुसार अंनत चतुर्दशी पर विभिन्न मन्दिरों मे जाकर पार्श्वनाथ जन्म भूमी भेलूपुर, सुपार्श्वनाथ कि जन्म स्थली भदैनी, श्रेयांस नाथ जन्म स्थली सारनाथ, चन्दा प्रभु जन्म स्थली चन्द्रपुरी चौबेपुर, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, मझवा, भदैनी, भाट की गली एवं चैत्यालयों में जाकर दर्शन-पूजन किया। धर्मावलम्बी अलग अलग समूह में परिक्रमा भी किया। 

तत्पश्चात मन्दिरों की वन्दना के बाद सायं श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर ग्वाल दास लेन पहुंचने पर महामस्तकाभिषेक मे शामिल हुए प्रातः से ही पंचायती मन्दिर में चौबीसी पूजन, देव शास्त्र, गुरु पूजा, विनय पाठ, अंनत नाथ पूजा, जिनेन्द्र पूजा, शांति पाठ आदि शहनाई ढोल की मंगल ध्वनि के बीच भक्तों ने किया। धर्मावलम्बी भादो मास में पड़ने वाले पर्युषण पर्व पर दस वृत्तियों का व्रत लेकर मन, वाणी एवं शरीर आत्मा को शुद्ध करते हुए कठिन तपस्या व साधना से मन शुध्दि, आत्म शुध्दि, उपवास, जपमाला, ध्यान, स्तुति, वन्दना इत्यादि अपने आत्मबल को जगाने के लिए करते है। 

अंनत चतुर्दशी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओ ने पंचामृत में भिगोकर अंनत सूत्र को अपनी बांहो में बांधा। भगवान बांसपुजय जी का मोक्ष कल्याणक भी मनाया गया। अभिषेक के उपरांत शास्त्र प्रवचन एवं भगवनतों की आरती की गई। 

आयोजन में प्रमुख रूप से समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, विनोद जैन, संजय जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, समाज मंत्री तरूण जैन, रत्नेश जैन, राजेश भूषण जैन, सौमित्र जैन उपस्थित थे।

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

Ananta chaturdashi पर्व पर होगा 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक




Varanasi (dil india live)। नगर के विभिन्न जैन मंदिरो में शुक्रवार 9 सितम्बर को विविध धार्मिक आयोजन होगे। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शुक्रवार 9-9-2022 को दशलक्षण (पर्युषण महापर्व) के अन्तिम दिन नगर के सभी जैन मंदिरो मे परिक्रमा पूजन, अभिषेक, प्रभात फेरी कर धर्मावलम्बी प्रातः बेला से ही करेंगे। 

मुख्य आयोजन-:अनंत चतुर्दशी पर्व पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर जी में पूजन के साथ सकल जैन समाज की उपस्थिती में (केंद्रीय कार्यक्रम)ठीक सायं 4 बजे से श्री 1008 अनंत नाथ भगवान एवं चिंतामणि पार्श्वनाथ जी (मूलनायक) पद्मासन विशाल बडी प्रतिमा जी का 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक का आयोजन होगा। भगवंतो की आरती के उपरांत प्रवचन का कार्यक्रम होगा।

Jain dharam news:जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन-पूजन

जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म 

पर्युषण पर्व का नौवां दिन-अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार को




Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में गुरुवार को प्रातः जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन एवं पूजन किया गया। पर्व के नौवें दिन मंदिरो मे रत्नत्रय स्थापना, नन्दीशवर दीप पूजन, दशलक्षण बिधान पूजन, सोलह कारण व्रत पूजन, स्वयंभू स्त्रोत पूजा प्रारंभ हुई। 

प्रातः भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर मे ब्रह्मचारी आकाश जैन जी के कुशल निर्देशन में संगीतमय क्षमावाणी महामंडल विधान मे भक्तो ने बढ चढ कर हिस्सा लेकर पूरी श्रद्धा के साथ भाग लिया। गुरुवार को जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर की जन्म स्थली चन्द्रवती, चौबेपुर भगवान के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक भूमि मे चन्द्रप्रभु स्वामी का प्रक्षाल पूजन किया गया। 

पर्युषण पर्व के नौवे अध्याय "उत्तम आकिंचन धर्म "पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे सायंकाल पं सुरेंद्र शास्त्री ने व्याख्यान देते हुए कहा-आकिंचन का अर्थ है-मेरा कुछ भी, किंचित भी नहीं है। 'मै का अर्थ है-आत्मा और मेरा अर्थात आत्मा का क्या?कुछ भी तो नहीं ।

आत्मा तो शरीर को छोड़कर चली जाती है ।शरीर ही जब मेरा नहीं है, तो कुछ मेरा कैसे हो सकता है। यदि आप उत्तम आकिंचन धर्म अपनाना चाहते है, तो धन के लिए धर्म को नहीं ,धर्म के लिए धन को छोडना प्रारंभ कर दो। बाहरी परिग्रह को त्याग कर आत्म-स्वभाव में रमण करना सीख जाओ। सभी का कल्याण हो, सभी धर्म मार्ग पर चलना सीख जाए। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां आकिंचन धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है  किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग परिग्रह न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म। 

सायंकाल सभी जैन मंदिरो मे-भजन, जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, तीर्थंकरो की आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। 

आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, अजित जैन, राज कुमार बागडा उपस्थित थे। 

बुधवार, 7 सितंबर 2022

Jain news: जीवन का उद्धार संग्रह से नही त्याग से

पर्युषण पर्व का अष्टम दिन- रत्नत्रय व्रत पूजा प्रारंभ 



Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व पर बुधवार को सुबह सभी जैन मंदिरो में तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई ।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर सोलह कारण के 32/16 उपवास, दशलक्षण व्रत के 10 उपवास, अठाई के 8 उपवास, रत्नत्रय के 3 उपवास, एकासन एवं किसी भी प्रकार से त्याग-तपस्या कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वियों के उत्कृष्ट साधना के लिए जैन समाज ने कृत कारित अनुमोदना की। यह पर्युषण पर्व सबके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें, ऐसी मंगल कामना की गई। 

बुधवार को जैन मंदिरो में रत्नत्रय व्रत पूजा, भगवनतो की पूजा, अरिहंतो की पूजा एवं अभिषेक व क्षमावाणी महामंडल विधान पूरी भक्ति के साथ संगीतमय वातावरण मे मंत्रोच्चार के साथ किया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है इस दौरान श्रावक भक्तो के मन मे सहज ही त्याग- तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है। 

बुधवार को प्रातः भदैनी स्थित भगवान सुपारस नाथ जी की जन्म स्थली (जैन घाट) मे तीर्थंकर का प्रक्षाल पूजन किया गया। थोडा सा त्याग वीजारोपण की तरह हमेशा करते रहना चाहिए, जिससे भविष्य में पुण्य की फसल लहलहायेगी। उक्त बाते खोजंवा स्थित जैन मंदिर मे पर्व के आठवे दिन "उत्तम त्याग धर्म " पर व्याख्यान देते हुए-डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां- उन्होंने कहा जो समस्त द्रव्यो में मोह छोड़कर संसार शरीर और भोगो से विरक्त होता है, वही सच्चा त्याग धर्म है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर मे व्याख्यान देते हुए प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- समस्त संसार में उत्तम त्याग धर्म श्रेष्ठ कहा गया है। औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, आहार दान-ये तो व्यवहार त्याग के रूप में है। राग और द्वेष का निवारण करना (त्यागना) निश्चय त्याग है। बुद्धिमान लोग दोनों दान (व्यवहार और निश्चय) करते है, दिगम्बर जैन साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते है। 

जिस प्रकार मेघा जल का त्याग, नदी स्वयं का जल नही पीती, पेड़ स्वयं फल नही खाते। इसी प्रकार अधिक धन या वस्तु का संग्रह नही करना चाहिए त्यागने से ही मन एवं चित्त प्रसन्न रहता है। 

सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, प्रतियोगिताए, धर्म पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। 

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, संजय जैन, अरूण जैन, जय कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, सौरभ जैन उपस्थित रहे। 

मंगलवार, 6 सितंबर 2022

Jain dharam news:तप के बिना आत्म शुद्धि नही

पर्युषण पर्व का सातंवा दिन- उत्तम तप धर्म 


Varanasi (dil india live)। दशलक्षण ( पर्युषण पर्व) जैन संस्कृति का महान, पवित्र, आध्यात्मिक पर्व है। आत्मशोधन, पर्यालोचन और आत्म निरिक्षण करके अपने अतित के परित्याग करने में ही इस पर्व की सार्थकता है। मंगलवार को प्रातः से नगर की सभी जैन मंदिरो में पूजन-अर्चन पाठ प्रारंभ हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चन्द्रपुरी चौबेपुर स्थित गंगा किनारे भगवान चन्दा प्रभु का प्रातः सविधि पूजन एवं अभिषेक किया गया। भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक पूजन किया गया। साथ में चल रहे दस दिवसीय क्षमावाणी महामंडल विधान में काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष जोड़ों ने हिस्सा लेकर संस्कृत के श्लोक पढकर श्री जी भगवान को श्री फल अर्पित कर धर्म में सराबोर रहे। वही- सारनाथ, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, भदैनी,एवं ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिरों में पूजन- पाठ अभिषेक व शांति धारा की गई। 

मंगलवार की सायंकाल ग्वालदास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में पर्व के सातंवे अध्याय " उत्तम तप धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- तप के बिना आत्म शुद्धि भी नहीं हो सकती। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपना पड़ेगा। तप से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में व्याख्यान देते हुए- डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक 'निश्चय तप है। जिस प्रकार अग्नि के माध्यम से पाषाण में से स्वर्ण पृथक किया जाता है वैसे ही हम तप रूपी अग्नि के माध्यम से शरीर से आत्मा को पृथक कर सकते है। 

सायंकाल जैन मंदिरो में जिनवाणी स्तुति, ग्रन्थ पूजन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, क्षेत्रपाल बाबा एवं देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की ग ई।  

आयोजन मे प्रमुख रूप से श्री दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, ध्रुव कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, विजय जैन उपस्थित थे। 

सोमवार, 5 सितंबर 2022

Jain dharam : पर्युषण पर्व का छठवा दिन

उत्तम सयमं पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता...

जैन मन्दिरो में सुगन्ध दशमी आस्थापूर्वक मनाई गई



Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में सोमवार को जैन मंदिरो में पर्व के छठवे दिन भक्तो ने श्रीफल, चंदन, अक्षत, पुष्प चढाकर तीर्थंकरो का प्रक्षालन किया। सुगन्ध दशमी पर्व पर धूप चढ़ाकर चौबीसी पूजन एवं शान्ति धारा की। 
भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलूपुर में चल रहे दस लक्षण महामंडल विधान के छठवें दिन प्रातः भक्ति संगीत के साथ माढ़ने पर श्रीफल अर्पित किया। 

सोमवार को नगर की सभी जैन मन्दिरों में सुगन्ध दशमी पर ये धूप अनल में खेने से, कर्मो को नही जलायेगी।निज मे निज की शक्ति ज्वाला, जो राग- द्वेष नशायेगी। जय जिनेन्द्र भवतु सवव मंगलमय का पाठ किया। पर्युषण पर्व के छठवे दिन सोमवार को सायंकाल ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर मे "उत्तम संयम धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पंडित सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- उत्तम संयम पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता। मन चंचल है, गलत दिशा में जल्द प्रवृत्त होता है। इन्द्रियां यानी स्पर्श न, जीभ, नाक, आंखे और कान अपने मन को गलत विषयो में लगा देते है। मन को सही दिशा में रखने के लिए संयम रूपी ब्रेक रखना जरुरी है। संयम, नियम, मर्यादा, अनुशासन से जीवन महान बनता है और लक्ष्य हासिल होता है। अतः संयम रत्न की भांति संभाल कर रखना चाहिए। उत्तम संयम धर्म हमें आज यही सन्देश देता है। 

खोजवां स्थित जैन मंदिर में डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- संयम के बिना मोक्ष मार्ग पाना कठिन है।  हिंसा आदि पापो से अगर बचना है तो, संयम का सहारा लेना ही पड़गा। बिना संयम के ये जीवन अधूरा है। सम्यक प्रकार के विकृत संस्कारो को मिटा देना मन और संस्कारो को स्वस्थ रखकर इन्द्रियों को शांत रखकर अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे। अपने क्रोध का त्याग कर पांचो इन्द्रियो के विषय को जीत कर संयम धर्म अपनाया जा सकता है। 

सायंकाल जैन मन्दिरो में तीर्थस्थलीयो पर प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिनवाणी पूजन एवं तीर्थंकरों की महाआरती की गई। आयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, ललित पोद्दार, आलोक जैन, कमलेश चन्द जैन, आदीश जैन, विनोद जैन आदि उपस्थित थे।

रविवार, 4 सितंबर 2022

Jain news : असत्य को उपयोग में नही लाना ही Satya Dharm

 




Varanasi (dil india live). यह पर्युषण पर्व आपके लिए सुख-समृद्धि लेकर आए। हम सभी आत्म शुद्धि और उत्थान प्राप्त करे। अपने व्यावहारिक जीवन में दस सार्वभौमिक गुणो का सफलतापूर्वक पालन करे, पर्युषण पर्व मंगलमय हो ऐसी कामना के साथ भक्तो ने कठिन उपवास रखकर मन्दिरों में पूजन-अर्चन प्रारम्भ किया। रविवार को प्रातः से ही जैन मंदिरो मे पूरे भक्ति भाव के साथ भक्तों का विभिन्न धार्मिक आयोजनो मे सम्मलित होना शुरु हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में रविवार को पुष्पदतं भगवान के मोक्ष कल्याण के अवसर पर उनका जहां अभिषेक पूजन किया गया वहीं खोजवां स्थित जैन मन्दिर में तीर्थंकरो का प्रक्षाल किया गया। 

भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि भेलूपुर में चल रहे 10 दिवसीय दशलक्षण विधान के पांचवे दिन संगीतमय बिधान बह्मचारी आकाश जी के निर्देशन में सम्पन्न हुआ 

विधान के माणने पर भक्तों द्वारा श्री फल चढाया गया। नृत्य, संगीत के साथ भगवान को चवर डोला कर पूरी भक्ति से सराबोर रहे भक्तगण। सायंकाल खोजवां जैन मंदिर मे पांचवे अध्याय " उत्तम सत्य धर्म " पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - सत्य बोलने का नाम सत्य व्रत नहीं है, बल्कि झूठ बोलने के त्याग का नाम सत्य व्रत है। असत्य को उपयोग में नही लाना ही सत्य धर्म है। जिसकी वाणी व जीवन मे सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, उसकी संसार से मुक्ति निश्चित है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- सत्य बोले बिना काम चल सकता है, लेकिन सत्य जाने बिना काम नही चल सकता। अपने अतरं में विद्यमान ज्ञानदं स्वभाव से उत्पन्न हुआ ज्ञान, श्रध्दान एवं वीतराग परिणति ही उत्तम धर्म है और वही मोक्ष का कारण है। 

सायंकाल जिनवाणी, ग्रन्थ, शास्त्र पूजन, भगवनतो की आरती, प्रश्नोत्तरी अनेक कार्यक्रम हुए। आयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विनय जैन, आलोक जैन, चन्दा जैन, किशोर जैन, मनोज जैन, तरूण जैन, रत्नेश जैन, प्रमिला सांवरिया, शकुन्तला जैन उपस्थित रही।

शनिवार, 3 सितंबर 2022

Jain dharam news: उत्तम शौच धर्म में प्रवेश के जानिए कौन हैं तीन द्वार

जैन मंदिरों में दान, प्रेम और करुणा पर हुई चर्चा 

  • जैन धर्म के पर्युषण पर्व का चौथा दिन 






Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे चल रहे दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को धर्मावलम्बी दस वृत्तियो का व्रत लेकर- उपवास, साधना, पूजा इत्यादि में रहकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने मे तल्लीन है। इस परवाधिराज पर्व मे सभी जैन श्रावक-श्राविकाए अत्यंत भक्ति पूर्वक जिनेन्द्र प्रभु की आराधना में लीन है।

प्रातः नरिया स्थित जैन मन्दिर में भगवान महावीर की दिव्य पद्मासन प्रतिमा का आज भक्तो ने जलाभिषेक एवं सविधि पूजन व पाठ किया तो वहीं भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि पावन तीर्थ क्षेत्र मे वृहद क्षमावाणी विधान में पूरे भक्ति संगीत भजन के साथ महिलाओं एवं पुरुषों ने पूरी भक्ति से आयोजन में भाग लेकर माढने में श्री फल अर्पित विभिन्न धार्मिक आयोजन किये।

सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पर्व के चौथे अध्याय "उत्तम शौच धर्म "पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- शौच शौच धर्म मे प्रवेश करने के तीन द्वार है- दान, प्रेम और करुणा। दान की कुंजी से ही शौच धर्म मे प्रवेश करने का ताला खोल सकते है। मन पवित्र हो तो शरीर पवित्र हो ही जाता है। ब्रह्म अशुचिता सागर के जल से भी धोओ तो भी कोई महत्व नही, भीतरी शुचिता के अभाव में। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर में प. सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- चित्त की मलीनता का मूल कारण लोभ लालच है। प्रत्येक आत्मा में निर्मल होने की शक्ति है। लोभ का आभाव ही पवित्रता है।

सायंकाल सभी जैन मन्दिरो मे जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जिनेन्द्र भगवान की आरती की गईआयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विजय कुमार जैन, निशांत जैन, आनंद जैन, तरूण जैन, डा: जे के सांवरिया उपस्थित थे।

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

Jain dharam: निर्मल स्वभाव से होते है सारे काम

पर्युषण पर्व का दूसरा दिन- उत्तम मारदव धर्म 


Varanasi (dil india live). जैन धर्म का पर्युषण पर्व क्या है- संसार के सभी जीवो में इन्सान सर्वश्रेष्ठ जीव है। उसे अपनी श्रेष्ठता बनाये रखने के लिए पर्युषण पर्व तोहफे के रूप मे मिला है। दुनिया भर के जैन लोग इन दिनों भादो मास में अपनी इन्द्रियो एवं प्राणी संयम रखते है। विशेष रूप से समस्त संसारिक क्रियाए छोड़कर त्याग, आत्मभावना, धर्म ग्रंथो का अध्ययन और सभी प्राणियो की सुख शान्ति की कामना करते है। क्षमा, मृदुता, सरलता, सत्य, संयम, तप,त्याग और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपने मन को पवित्र व निर्मल करते है जिससे तन- मन स्वस्थ रहे।

इसी के अन्तर्गत पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को प्रातः से श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली तीर्थ क्षेत्र भेलूपुर मे क्षमावाणी विधान किया जा रहा है जिसमें काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष भक्त भाग ले रहे है। प्रातः तीर्थंकर पार्श्वनाथ का प्रक्षाल एवं पूजन किया गया।

नगर के अन्य मन्दिरो मे प्रातः से श्रद्धालु भक्तो द्वारा पूजन-पाठ-अभिषेक व अन्य धार्मिक आयोजन किये जा रहे है। गुरुवार को प्रातः ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर मे भक्तो द्वारा प्रक्षाल के उपरांत दैविक आपदाओ को रोकने की कामना से वृहद शान्ति धारा की गई।

सायंकाल पर्व के दूसरे अध्याय-उत्तम मारदव पर व्याख्यान करते हुए -पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- जो अज्ञानी होता है वह मान में जीता है, जो ज्ञानी होता है वह मारदव (विनय भाव) में जीता है।

इसलिए जीवन मे पीछे देखो तो अनुभव मिलेगा। आगे देखो तो "आशा " मिलेगी। बाये-दाये देखो तो "सत्य " मिलेगा! स्वयम के अन्दर देखो तो "परमात्मा " और आत्म विश्वास मिलेगा। मारदव का अर्थ है मृदुता, कोमलता, विनम्रता, झुकना, नमस्कार करना ही धर्म है। जय जिनेन्द्र करने का धर्म है। मान का मर्दन करने वाला वीर माना जाता है, वही बाद मे हमारे सामने महावीर बनके आता है! 

सायंकाल जैन मंदिरो मे चौबीसो तीर्थंकरो की आरती, शास्त्र पूजन एवं स्तुति की गई। आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, रतनेश जैन, विनोद जैन चांदी वाले, सौरभ जैन आदि शामिल थेl

बुधवार, 31 अगस्त 2022

Jain dharam का महापर्व पर्युषण शुरू

9 सितंबर जैन मंदिरों में होंगे अनेक आयोजन

जैन घरों में 10 सितंबर से 18 सितंबर तक मनाया जाएगा खास उत्सव


Varanasi (dil india live)। भारतीय संस्कृति के पर्वों में जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण दसलक्षण महापर्व का आज विधिवत शुभारंभ हो गया। यह महापर्व 18 सितंबर तक आस्था के साथ मनाया जाएगा।

श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में आयोजित 18 दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार को प्रातः बेला से ही नगर की जैन मंदिरों में भेलूपुर , सारनाथ , मैदागिन ,  खोजवा , नरिया , चंद्रपुरी एवं ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में व्रत, पूजन, अभिषेक के साथ दसलक्षण पर्व का प्रारंभ हो गया। जैन समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि भेलूपुर स्थित मंदिर में प्रातः काल 7:45 से अभिषेक किया गया। संध्या 7:00 बजे आरती तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा। 

पंचायती मंदिर ग्वालदास साहुलेन में सामूहिक अभिषेक प्रातः  8:30 बजे हुआ। संध्या आरती रात्रि 8:00 बजे से होगी।भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मस्थली सारनाथ में श्रेयांश वाटिका में बड़ी प्रतिमा का अभिषेक प्रातः 7:00 बजे एवं मंदिर में अभिषेक पूजन प्रातः 7:30 बजे से होगा। नरिया स्थित मंदिर जी में सामूहिक अभिषेक प्रातः 7:30 बजे से होगा । खोजवा में स्थित जैन मंदिर जी में अभिषेक पूजन प्रातः 7:00 बजे से , संध्या आरती 7:30 बजे से तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा । समस्त मंदिरों में यह कार्यक्रम 31 अगस्त से 9 सितंबर तक चलेगा। अष्टमी पूजन  रविवार ४/९/२०२२ को मनाई जाएगी , सुगंध दशमी ५/९/२०२२ सोमवार को प्रातः से समस्त जैन मंदिरों में मनाई जाएगी। 

अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर ग्वालदास साहूलेने स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में 9 सितंबर शुक्रवार को शाम 4:00 बजे अनंतनाथ भगवान एवं भगवान पार्श्वनाथ जी की बड़ी मूलनायक प्रतिमा जी का सामूहिक महा मस्तकाभिषेक वृहद् आयोजन होगा । १० सितम्बर शनिवार को पंचायती जैन मंदिर ग्वालदास साहुलेन में  सायंकाल भजन संध्या आयोजित है। 

 ११ सितम्बर रविवार को भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्तलि श्री दिगंबर जैन मंदिर भेलुपूर में दोपहर १ बजे से पूजन- अभिषेक , जयमाल , धार्मिक कृत्य के पश्यात सायं ५ बजे से विश्वमैत्री  क्षमावाणी का कार्यक्रम आयोजित है । १२ सितम्बर सोमवार को मैदागिन स्थित श्री बिहारी लाल दिगम्बर जैन  मंदिर में रात्रि ८ बजे से भजन संध्या जागरण आयोजित है । १३ सितम्बर से १७ सितम्बर तक भिन्न जैन मंदिरो में महिलाओं द्वारा कई धार्मिक , सांस्कृत कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। १८ सितम्बर रविवार को ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में प्रातः ८ बजे से सायं ५ बजे तक नमोकर महामंत्र का पाठ कर आयोजन सम्पन्न होगा।

गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

भगवान महावीर जयंती पर काशी में जश्न

तीर्थंकर महावीर के जन्म कल्याणक पर निकली भव्य शोभायात्रा



वाराणसी १४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। जियो और जीने दो एवं अहिंसा का संदेश देने वाले तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक पर गुरुवार को भव्य शोभायात्रा निकाली गई । भगवान महावीर चांदी के रथ पर विराजमान हुए । कहीं चैती तो कहीं सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति हुई । मंगल ध्वनि के बीच हुआ रजत कलशो से अभिषेक । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी की 2621 वी जयंती पर मैदागिन स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर से प्रातः 9:00 बजे पुष्प वर्षा एवं मंगल ध्वनियों के साथ भव्य रथ यात्रा निकाली गई । रथ यात्रा मैदागिन से प्रारंभ होकर बुलानाला , नीचीबाग , आसभैरव , चौक , ठठेरी बाजार होते हुए सोरा कुआँ पहुंची । चैत्र शुक्ल तेरस को पढ़ने वाली तीर्थंकर जयंती पर चैती “ धन-धन चैत की तेरस रामा भय महावीरा “ एवं भजनों की प्रस्तुति हुई ।जिस  सुसज्जित विशाल रथ पर आराध्य देव विराजमान थे ,उसे श्रद्धालु जन  स्वयं खींच रहे थे। यात्रा में गूंज रही राजस्थान से आई भजन मंडली एवं महिलाओं द्वारा प्रस्तुत धार्मिक भजनों की । शोभायात्रा में ध्वज पताका , अहिंसा , परमो धर्म का बैनर , समाज का बैनर चल रहा था । बैंड पार्टीयां धार्मिक  धुने बजाकर माहौल को भक्तिमय बना रही थी । बच्चे घोड़ों पर सवार होकर चल रहे थे । भारी संख्या में महिलाएं संगठित होकर सजे परिधानों में सामूहिक एवं भक्ति नृत्य कर अपनी आस्था प्रकट कर रही थी । रथयात्रा में बड़ा रजत हाथी , चंवर गाड़ी , धूप गाड़ी , झंडी गाड़ी रजत नालकी सभी को आकर्षित कर रही थी । इंद्रगण  भगवान को चंवर डोला रहे थे । पुरुष पारंपरिक वेश में केसरिया दुपट्टा ओढ़े भगवान महावीर के संदेशों का गुणगान कर उद्घोष कर नगर को गुंजायमान कर रहे थे । रास्ते में लोग पुष्प वर्षा के साथ तीर्थंकर की आरती एवं शोभायात्रा का स्वागत कर रहे थे । कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा शोभायात्रा का स्वागत रास्ते में किया गया । सोरा कुआँ पर आयोजित चैती के बाद तीर्थंकर महावीर के विग्रह को इंद्रो ने बड़े रजत रथ परसे उतार कर रजत नालकी पर विराजमान कराकर नालकी को कंधे से उठाकर ,”जय जय जिनेन्द्र देवकी , भवसागर नाव खेवकी”  का उद्घोष करते हुए ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर पहुँचे । वहाँ जन्मोत्सव की ख़ुशी में प्राचीन परंपराओं के साथ बधाई गीतों की प्रस्तुती हुई । शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच घंटा घड़ियाल , ढोल , मंजीरे के साथ रजत पाण्डुक शिला पर भगवान को विराजमान कर इंद्रो ने 108 रजत कलशों से  अभिषेक एवं विशेष पूजन किया । 

शोभा यात्रा में प्रमुख रूप से समाज के अध्यक्ष श्री दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर.सी. जैन , विनोद जैन, संजय जैन, प्रधान मंत्री अरुण जैन , विनय जैन , समाज मंत्री तरुण जैन सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे । संयोजन रत्नेश जैन राजेश जैन आदि मौजूद थे 

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

विश्वमैत्री क्षमावाणी पर विशेष


साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से कर देते हैं नष्ट

  • राजेश जैन 

वाराणसी 21 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। “कषायभाव हमारे जीवन से समाप्त हो जावें , इसीलिए यह क्षमावाणी का त्योहार  मनाया जा रहा है - राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं - क्षमाभाव को आत्मसात करने का आनंद अद्भुत ही हुआ करता है । आप लोग क्षमा धर्म का अभ्यास करो | “  साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से नष्ट कर देते हैं | क्षमा कल्पवृक्ष के समान है, क्षमा के समान कोई धर्म नहीं है |“ क्षमा ऐसी वस्तु है जिससे सारी जलन शीलता समाप्त हो जाती है एवं चारों ओर हरियाली का वातावरण दिखाई देने लगता है “ क्रोध में उपयोग नहीं रहता और उपयोग क्रोध में नहीं रहता| इसका तात्पर्य यह है कि क्रोध के समय उपयोग क्रोध रूपी परिणत हो जाता है  | “ कषायों के वातावरण के साथ तो अनंत समय बिताया है , अब आत्मीयता के (वातावरण के)  साथ जियो | “


“ मतभेद और मनभेद को समाप्त करके एक हो जाओ , भगवान के मत की ओर आ जाओ फिर सारे संघर्ष समाप्त हो जाएंगे |” “ जो क्षमा के अवतार होते हैं , उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है |”

क्षमा और प्रतिक्रमण के आंसू से साधु अपना सारा अपराध बहा देता है , धो लेता है फिर स्वयं क्षमा की मूर्ति बन जाता है | 

“ क्षमा मांगना नहीं क्षमामय बनना चाहिए | “

जिसके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है, वह पूज्य बन जाता है | 

“ क्षमा मांगने जैसा पवित्र भाव और दुनिया में कोई भाव नहीं हो सकता |” 

सोमवार, 20 सितंबर 2021

10 दिनों का कठिन व्रत पूरा

व्रत करने वालों के सम्मान में निकली शोभायात्रा



सायंकाल हुई भक्ति संगीत, मनाया गया पारणा उत्सव



वाराणसी 20 सितंबर (दिल इंडिया लाइव) । 10 दिनों की कठिन तपस्या, त्याग एवं व्रत के उपरांत सोमवार को प्रातः दसलक्षण पर्व पर 10 दिनों का निर्जला व्रत करने वाले, रत्नत्रय व्रत एवं एकासना व्रत करने वालों के सम्मान में ग्वालदास साहूलेने स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में तीर्थंकरों के अभिषेक के उपरांत गाजे-बाजे, जयकारे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। अहिंसा परमोधर्म, जय-जय जिनेंद्र देव की भवसागर नाव खेवकी के उदघोष के साथ भक्तजन भजन भी गा रहे थे। श्री कमल बागड़ा, श्रीमती कमल बागड़ा एवं अन्य व्रतियों का समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन एवं मंत्री विशाल जैन ने तिलक, चंदन एवं माल्यार्पण कर स्वागत अभिनंदन किया । 


शोभायात्रा ग्वालदास सहुलेन से प्रारंभ होकर बुलानाला होते हुए मैदागिन स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर पहुंची। मंदिर में भक्तों का स्वागत पुष्प वर्षा एवं माल्यार्पण वहां के प्रबंधक भूपेंद्र जैन ने किया। भक्तों ने तीर्थंकरों का दर्शन-पूजन कर अपना आहार ग्रहण कर “ पारणा उत्सव ” मनाया। उधर भेलूपुर स्थित जैन मंदिर जी  से व्रत करने वालों की शोभायात्रा मंदिर जी से निकलकर खड़ग सेन उदय राज मंदिर गई , वहां भक्तों ने दर्शन-पूजन किया। पुन: भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर कठिन 10 दिनों का व्रत किए श्री विनोद जैन चांदी वाले , श्रीमती मंजू जैन , छाया जैन , रजनी जैन , आकृति जैन , किशोर जैन , अर्चना जैन , श्वेता जैन , आलोक जैन , निधि जैन एवं संध्या जैन अन्य सभी व्रत करने वालों ने परम पूज्य आचार्य श्री 108 विशद सागर से आशीर्वाद प्राप्त कर मंदिर जी में पूजन अर्चन किया । जहां समाज के पदाधिकारियों ने चंदन माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया एवं उनके कठिन तप-व्रत की अनुमोदना किया। 


सोमवार को ही सायंकाल दसलक्षण पर्व की खुशी में ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में भक्ति संगीत का आयोजन किया गया । जिसमें प्रसिद्ध जैन भजन गायक श्री विजय सिंह जैन एंड ग्रुप ने कई मनोहारी भजनों में-“ मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे महावीर सांवरिया तेरे” “भगवान मुझे अपना बना लोगे तो क्या होगा “ की प्रस्तुति की । राकेश सिंह जैन ने-“तुझसेलागी लगन ले लो अपनी शरण” प्रस्तुत कर माहौल को भक्ति रस से सराबोर कर दिया । समाज की कई महिलाओं -पुरुषों ने भी कई भजन प्रस्तुत कर भक्ति नृत्य प्रस्तुत कर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा समर्पित की । संचालन विशाल जैन एवं आभार रत्नेश जैन ने किया ।

आयोजन में प्रमुख रूप से समाज के सभापति दीपक जैन , उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधानमंत्री अरुण जैन, प्रताप चंद जैन , राजकुमार बागड़ा, तरुण जैन, अरुण पोद्दार उपस्थित थे । 

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...