नौशाद आज़मी बोल हज के लिए जारी रहेगा संघर्ष
वाराणसी 13 जून2021(दिल इंडिया लाइव)। काशी से काबा की उड़ान वर्ष 2018 में बंद होने के बाद आज सेंट्रल हज कमेटी के पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद आज़मी ने ऐलान किया है कि जब तक काशी से काबा की उड़ान नहीं शुरु होती है तब तक वो संघर्ष जारी रखेंगे। कोरोना काल खत्म होने पर वो इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलायेंगे।
उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी से दो बार निर्वाचित सदस्य व केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व सदस्य और लंबे समय से हज यात्रियों के लिए संघर्ष करने वाले हाफिज नौशाद अहमद आजमी ने कहा कि कोविड के चलते हज यात्री 2020 व इस बार 2021 में भी हज यात्रियों के हज पर जाने की उम्मीद खत्म हो गई है। अल्लाह सउदी अरब सहित इस दुनिया को इस संकट से बचाए, ताकि भारतीय मुसलमान भी हज और उमराह के लिए जा सकें।
एक सवाल के उत्तर में नौशाद आजमी ने कहा कि हमने बहुत संघर्ष के बाद 2007 में वाराणसी से हज की उड़ान शुरू की थी जिसमें 6 मई 2006 को मोहम्मदाबाद गोहना में प्रांत का एक ऐतिहासिक हज सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 25000 से अधिक हज प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। उसके बाद श्री प्रफुल पटेल ने हमसे मुलाकात की और वादा किया कि पूर्वांचल के हजयात्री 2007 में वाराणसी से काबा की उड़ान भरेंगे।
18,8,2006 को, लोकसभा में सांसद श्री रामजी लाल सुमन ने लोकसभा में मांग की कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के यात्रियों को बनारस से यात्रा करने की अनुमति दी जाए। श्री इकबाल सरावगी व हाफिज नौशाद आज़मी 9 मार्च, 2007 को तत्कालीन प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह से उनके संसद कार्यालय में मुलाकात की और वाराणसी से हज यात्रियों की उड़ान की मांग की और प्रधान मंत्री ने आश्वासन दिया कि 2007 से उत्तर प्रदेश के वाराणसी से हजयात्री यात्रा करेंगे। 2007 से पहले वाराणसी हवाई अड्डा एक छोटा हवाई अड्डा था। हज की उड़ान के बाद, वाराणसी हवाई अड्डा एक प्रमुख हवाई अड्डा बन गया। नौशाद आज़मी ने कहा कि 2008 में, 5,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने हज और एक प्रमुख सऊदी एयरलाइंस की उड़ान के लिए यात्रा की। लेकिन आज यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने .2018 में जो हज नीति तैयार की उसमें केवल 9 जगहों को ही हज के लिए चयन किया गया। जबकि 21 इम्बारकेशन प्वाइंट पहले थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वाराणसी में हज समिति के एक सदस्य भी थे, और वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी था लेकिन ये लोग वाराणसी से काबा की उड़ान को नहीं बचा सके।
उन्होने कहा कि हज का पहला काफिला 2007 में हवाई अड्डे से निकल रहा था। जब उद्घाटन समारोह हुआ, तो एक कांग्रेसी सांसद ने पूरे वाराणसी और हवाई अड्डे के रास्ते में अपना नाम यह कहते हुए फहराया कि उन्होंने अपना वादा पूरा किया, जो पूरी तरह से झूठ था। काफिला चला गया, मीडिया के बाहर खड़े लोगों ने पूछा, "आपने पूरी मेहनत की है। आपको आमंत्रित नहीं किया गया है। मीडिया के लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। इंडिया टुडे ने इस इशू को प्रमुखता से प्रकाशित भी किया।, हाफिज नौशाद आज़मी को नाराज़गी है कि बनारस शहर के बुद्धिजीवियों और मुस्लिम सामाजिक संगठनों से उन्होंने सांसद की निंदा नहीं की और उनकी सेवाओं को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया।
बनारस में हज हाउस भी नहीं बना
बनारस हज उड़ान शुरू हुए 13 साल बाद भी बनारस में हज हाउस क्यों नहीं बनाया गया? इस पर आज़मी ने सबूत के साथ सवाल का जवाब दिया उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम श्री मुलायम सिंह, के कार्यालय को एक पत्र 16,11,2006 को वाराणसी में हज हाउस के निर्माण के लिए भेजा था जिस पर मुलायम सिंह यादव ने विशेष सचिव श्री जग देव बुलाया गया था, लेकिन 2007 में मायावती सरकार के सत्ता में आने पर बनारस हज हाउस पर केवल सियासत हुई। उन्होने कहा कि वर्ष 2017 से प्रदेश में भाजपा की योगी सरकार है। लगभग चार साल से राज्य में कोई हज कमेटी नहीं है और लगभग एक साल से कोई सेंट्रल हज कमेटी नहीं है। मैं दो साल से बीमार हूं लेकिन अल्लाह ने मुझे स्वास्थ्य देना शुरू कर दिया है और अल्लाह के मेहमानों की खिदमत करने की भावना मेरे खून की एक-एक बूंद में है। कोरोना कॉल के खत्म होने के बाद, मैं हज की उड़ान और हज हाउस के लिए संघर्ष करूंगा।