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मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

Ramadan Mubarak -12

Ramadan में तरावीह हर मोमिन को अदा करना ज़रुरी


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमजान इबादतों और नेकी का महीना है। इस पूरे महीने जिस तरह से मोमिन को रोज़ा रखना ज़रूरी है वैसे ही उसे तरावीह की नमाज़ भी अदा करना ज़रुरी होता है। रोज़ा फर्ज़ है और तरावीह सुन्नत। इसके बावजूद तरावीह अदा करना इस्लाम में बेहद ज़रूरी करार दिया गया है, इसलिए कि तरावीह नबी-ए-करीम को बेहद पसंद थी। 

रमज़ान को इबादत का महीना माना जाता है और इस महीने की बहुत अहमियत है। इस  मुकददस महीने में मुसलमान महीने भर रोजे (व्रत) रखता है। पांच वक्त की नमाज और नमाजे-तरावीह अदा करता हैं। कुछ मस्जिदों में तरावीह 4 दिन कि तो कहीं 6 दिन तो कहीं 15 दिन में अदा की जाती है। उलेमा कहते हैं कि अगर किसी ने 4 दिन की तरावीह या 15 दिन की तरावीह मुकम्मल कर ली तो वो ये न सोचे कि तरावीह उसकी हो गई। उलेमा कहते है कि तरावीह पूरे महीने अदा करना ज़रूरी है। तरावीह चांद देखकर शुरू होती है और चांद देखकर ही खत्म होती है। तरावीह में पाक कुरान सुना जाता है। अगर किसी ने 4 दिन, 7 दिन या 15 दिन या जितने भी दिन की तरावीह मुकम्मल की हो उसे सुरे तरावीह महीने भर यानी ईद का चांद होने तक अदा करना चाहिए।

दुआएं होती है कुबुल  

रमज़ान में देश दुनिया में अमन के लिए दुआएं व तरक्की के लिए दुआएं मांगी जाती है। 

दरअसल रमजान का पाक महीना इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस पाक महीने में लोग इबादत करके अपने रब का जहां शुक्रिया अदा करते हैं वहीं इस महीने में दुआएं कुबुल होती है।

क्या होती है तरावीह

 रमजान में मोमिन दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में तरावीह की नमाज़ अदा करते है। यह नमाज़ बीस रिकात सामूहिक रुप से अदा की जाती है। इस नमाज को कम से कम 3 दिन ज्यादा से ज्यादा 30 दिन में पढ़ा जाता है जिसमें एक कुरान मुकम्मल की जाती है। खुद पैगंबर हुजूर अकरम सल्लललाहो अलैह वसल्लम ने भी नमाज तरावीह अदा फरमाई और इसे पसंद फरमाया।

     सरफराज अहमद

(युवा पत्रकार, वाराणसी)

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

तरावीह में गूंजती रही कुरान की आयतें

तरावीह करायी मुकम्मल तो हुआ हाफ़िज़ साहब का खैरमक़दम



वाराणसी ०६ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। लाठ सरैया और मखदूम शाह बाबा मस्जिद में तीन दिन की तरावीह की नमाज बीती रात मुकम्मल हुई। इस दौरान सैकड़ों लोगो ने तराबी की नमाज अदा किया।  इन दोनों मस्जिद में तरावीह की नमाज बुनकर बिरादराना तंजीम चौदहों के सरदार हाजी मकबूल हसन की अगुवाई में होती है। इस मौके पर सरदार मकबूल हसन ने बताया कि इन दोनों मस्जिद में वर्षो से ही तीन दिन की तरावीह की नमाज अदा की जाती है रमजान का चांद दिखने के बाद ही तरावीह की नमाज सभी मस्जिदों में शुरु हो जाती है। इसी तरह इन दोनों मस्जिद में भी तरावीह होती है। जिसमें सैकड़ो लोग शामिल होते हैं जो शांति पूर्वक नमाज अदा करते है। लाट सरैया में तरावीह की नमाज हाफिज मोहम्मद जुबैर ने अदा करायी और मखदूम शाह बाबा मस्जिद पर तरावीह की नमाज हाफिज नसीम अहमद ने पढ़ायी। तरावीह की नमाज खत्म होने के बाद सभी नमाजियों ने दोनों हफिजो को गले मिल कर माला पहना कर मुबारकबाद दिया। इस मौके पर तराबी की नमाज में मौजूद मौलाना इकबाल सिराजी, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पार्षद तुफैल अंसारी, पूर्व पार्षद कल्लू, मतीन अंसारी, बाबू अंसारी, अब्दुल रब, यासीन अंसारी,  इम्तियाज अंसारी, सरदार गुलाम नबी, जुनैद, मुस्ताक,  फारुख,  बिस्मिल्ला अंसारी सहित चौदहों काबीना के सभी सदस्य मौजूद थे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...