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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

Aghani Juma2023 : कारोबार में बरकत व देश की खुशहाली के लिए दुआ में उठें हजारों हाथ

या अल्लाह हमारे मुल्क को खुशियों का गहवारा बना दे... आमीन

मुर्री बंद कर अगहनी जुमे की नमाज में उमड़ा अकीदतमंदों का हुजूम जनसैलाब 







Varanasi (dil India live). 08.12.2023. या अल्लाह हमारे मुल्क में खुशियां दे दे..., हमारे कारोबार में बरकत दे, हम गुनहगार है हमारी गुनाहों को माफ कर दे...। यह दुआएं अगहनी जुमे की ऐतिहासिक नमाज के दौरान फिज़ा में गूंजी तो नमाज में उमड़े अकीदतमंदों के हुजूम के लब से एक साथ आमीन...की सदाएं बुलंद हो उठी। इस दौरान कारोबार में बरकत व देश की खुशहाली के लिए दुआ में हजारों हाथ उठें।मौका था अगहन महीने के दूसरे शुक्रवार को आयोजित अगहनी जुमे की ऐतिहासिक नमाज का। 

बुनकर बिरादराना तंज़ीम बावनी, बाईसी समेत तमाम बुनकर बिरादराना तंजीमों के ऐलान पर बाइसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफीज व सरदार इकरामुद्दीन की सदारत में सदियों पुरानी पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज चौकाघाट ईदगाह व पुराना पुल स्थित ईदगाह पुलकोहना में अदा की गयी। इस मौके पर सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू  ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अदा करता है ये सिलसिला लगभग 460 साल पहले से चला आ रहा है। उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे किसान और बुनकर दोनो समाज के लोग परेशान और बदहाल थे बारिश न होने की वजह से खेती नही हो रही थी। देश में आकाल पड़ा था तब बुनकरों के कारोबार नही चल रहें थे, ऐसे में बुनकर  समाज के लोगो ने अपना कारोबार बंद कर ईदगाह में इकठ्ठा होकर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया अल्लाह की बारगाह में हाथ फैला कर दुआ की और अल्लाह का करम हुआ और खूब जम कर बारिश हुयी। किसानों में खुशी की लहर दौड़ गयी और उसके साथ साथ बुनकरों के कारोबार में भी तेजी आई। तभी से इस परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी निभा रही है। बनारस की दूसरी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो साहब के लड़के फैसल महतो ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहजीब की एक जीता जागता सुबूत है।  सदियो पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे सभी वर्ग के लोग परेशान और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेशानी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने मुर्री बंद कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ का असर हुआ चारो तरफ खुशाली आई।  बुनकर बिरादराना तंजीम बारहों के सरदार हाशिम अंसारी ने कहा की हमारे बुनकर समाज ने हमेशा गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की है। बुनाई के पेशे में हिंदू भाई और मुस्लिम भाई एक साथ मिल कर काम करते है और अगहनी जुमे में भी यही पैगाम देते है। आज के दिन हमारे किसानो द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है उन तमाम दुकानों से मुसलमान अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर दुकानों से गन्ना खरीद कर अपने अपने घर ले जाते है। यही हमारा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है। इस दौरान तक़रीर मौलाना जाहिर ने की । तक़रीर में मौलाना साहब ने सभी से मिल्लत और भाई चारगि बनाने की अपील की और कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये। मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ ले कर चलती है। आज हम सबको इसी की जरुरत है। आज अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना मुफ्ती अबु कासिम शैखुल हदीस मोहतमिम दारूल उलूम देवबंद ने पढाई। नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना ने मुल्क की तरक्की आपस में भाईचारगी बानी रहे इसके लिए दुआएं मांगी।  जुमा की नमाज में बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी,बावनी, चौतीसो, बारहों, पांचों की तंजीम के काबिना के लोग शामिल हुए। पुराना पुल ईदगाह में अगहनी जुमे की नमाज में आए सभी लोगों का इस्तकबाल पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने किया। अजान मौलाना शाद ने दिया। अगहनी जूम की नमाज में मौजूद पूर्व सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा, हैदर महतो, हाशिम सरदार, हाजी बाबू, हाजी तुफैल, अफरोज अंसारी, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, मौलाना शकील, पाचों तंजीम के सरदार अतिकुल्ला, सरदार मो. असलम चौदहो तंजीम, हाफिज नसीर, बाबूलाल किंग, हाजी इश्तियाक, पार्षद गुलशन अली, पार्षद बेलाल अंसारी, पार्षद डा. इम्तियाजुद्दीन, हाजी स्वालेह, शमीम अंसारी, मो0.. अहमद, हाजी महबूब अली, सरदार नसीर, हाजी मतिउल्ला, हाजी मुमताज, मो. हारून, हाजी मोइनुद्दीन, हाजी बाबूलाल किंग,  वाजीहुद्दीन, हाजी शमसुद्दीन, हाजी नईम, आदि लोग मोजूद थे। सफाई व्यवस्था क्षेत्रीय पार्षद जितेंद्र कुशवाहा ने कराया।

चौकाघाट में मौलाना अल्ताफुर्रहमान ने की इमामत 

बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सदर सरदार इकरामुद्दीन (रसूलपुरा) के आह्वान पर 8 दिसम्बर को अगहनी जुमा की नमाज़ चौकाघाट स्थित ईदगाह में भी सैकड़ों बुनकरों ने अपना कारोबार बंद कर मौलाना अल्ताफुर्रहमान की इमामत में अगहनी जुमा की नमाज़ सौहार्दपूर्ण वातावरण में अदा की। यह नमाज़ सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार प्रत्येक वर्ष अगहन मास में अदा की जाती है, और कारोबार में बरकत मुल्क में अमन व सलामती के लिए दुआ की जाती है। इस दौरान सरदार साहब ने प्रशासन के लोगों को सहयोग के लिए आभार प्रकट किया। 

इस मौके पर नमाज के बाद तमाम नमाज़ी किसानों से गन्ना खरीद कर अपने घरों को खुशी खुशी लौटते दिखाई दिए। अगहनी जुमा में सरदार इकरामुद्दीन, अब्दुल्ला अंसारी, जैनूल होदा अंसारी, जलीस अंसारी, वकार अंसारी, गुलाम मुनीर अंसारी, आफताब आलम अंसारी, नूरुल हसन अंसारी, मुन्ना अंसारी, मोहम्मद अली नक्शेबंद, यासीन फरीदी, सुलेमान अख्तर, मुस्लिम जावेद अख्तर, ज़हीर अहमद, बेलाल अहमद, हाजी अनवारूल हक, हाजी नजमूल हसन, शहंशाह, बाबू तार, अबू बकर, हाजी सरदार अमीनूद्दीन, हफीज़ अहमद, सरदार नसरुद्दीन आदि उपस्थित थे। 

शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

Ya allah is mulk me millat khayam rahe... aamin




मुर्री बंद कर बुनकरों ने अदा की अगहनी जुमे की नमाज 

Varanasi (dil india live). ईदगाह पुरानापुल में जुटे को ईदगाह सरीखा माहौल नज़र आया। सभी खूब सजधज कर नमाज अदा करने पहुंचे हुए थे। मौका था बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिज की सदारत में अगहनी जुमे की नमाज का। वहां नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गयी। इस मौके पर सरदार हाजी मोइनुद्दीन  ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अदा करता है। ये सिलसिला सैकड़ों साल कदीमी है। उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे। किसान परेशन थे। बारिश न होने की वजह से खेती नहीं हो रही थी। देश में अकाल पड़ा था। तब बुनकर समाज ने अपना कारोबार बंद कर इकठ्ठा हो कर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया था। इसके बाद अल्लाह का करम हुआ और खूब बारिश हुई। इससे किसानो में खुशी की लहर दौड़ गयी। तब से इस परंपरा को बुनकर बिरादरी निभा रही है।  बनारस की सबसे बड़ी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहज़ब की एक जीवंत मिसाल है कि सदियो पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे सभी वर्ग के लोग परेशन और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेशनी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने कारोबार (मुर्री बंद) कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ को असर हुआ चारो तरफ खुशाली आई। किसान और बुनकर दोनों के कारोबार में बरकत हुई। ये परंपरा आज भी हम सब निभा रहे है। आज के दिन हमारे किसान द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है उन तमाम दुकानों से मुसलमान अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर दुकानों से गन्ना खरीद कर घर ले जाते है। यही हमारे हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है। 

इस मौके पर तक़रीर मौलाना जाहिर ने की। तक़रीर में मौलाना ने सभी से मिल्लत और भाई चारगी बनाये रखने की अपील की और कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये, मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ ले कर चलती है। आज हम सबको इसकी जरुरत है। अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना जाहिर ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना ने मुल्क की तरक्की के लिए दुआये की। मुल्क में आपस में भाईचारगी व मिल्लत बनी रहे उसके लिए सभी ने दुआ में हाथ उठाया। बुनकर कारोबार में बरकत की भी  दुआएं हुई।

सादगी से बेटों कि शादी कर ने दिया पैग़ाम 

सादगी से शादी हो, बिना खर्च के शादी ब्याह हो उसके लिए अगहनी जुमा कि नमाज के बाद बाईसी के सरदार हाजी मोइनुद्दीन ने अपने दो बेटे मकबूल आलम और मंजूर आलम का निकाह सादगी के साथ ईदगाह में नमाज के बाद कराया और समाज को एक संदेश दिया की कम से कम खर्च में अपने बच्चो की शादी सादगी के साथ करे। 

आज अगहनी जूमे की नमाज में  मौजूद पूर्व सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा, हैदर महतो, हाशिम सरदार, हाजी बाबू, हाजी तुफैल, हाफिज नसीर, बाबूलाल किंग, हाजी इस्तियाक, पार्षद गुलशन अली, मौलाना शकील, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, डा. इम्तियाजुद्दीन, हाजी गुलाब, हाजी अब्दुल रहीम, हाजी स्वालेह, मो. अहमद, हाजी महबूब अली, सरदार नसीर, हाजी मतिउल्ला, मो. हारून, हाजी मोइनुद्दीन, फैसल महतो, अतीक अंसारी, शमीम अंसारी, वाजीहुद्दीन, हाजी समसुद्दीन, हाजी मुमताज, हाजी नईम आदि लोग मोजूद थे

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...