दुनिया तुली थी हम को बनाने पे देवता
पर हम किसी भी हाल में पत्थर नहीं हुए... अंकिता
साहित्यिक संस्था अदब सराय की काव्य गोष्ठी वह मुशायरा सम्पन्न
Varanasi (dil india live). अदब सराय बनारस के तत्वाधान में मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता हाजी इश्तियाक अहमद साहब के पितरकुंडा स्थित आवास पर लखनऊ से तशरीफ लाए प्रख्यात आर्थोपेडिक सर्जन और शायर डॉक्टर अहमद अयाज़ और उनकी पत्नी मशहूर नाविल निगार व शायरा रिफ़अत शाहीन के सम्मान में एक मुशायरे का आयोजन किया गया। सदारत बुज़ुर्ग शायर और लेखक शाद अब्बासी ने की जबकि मुख्य अतिथि बेंगलुरु से तशरीफ लाये जमील बनारसी थे।तमाम मेहमानों की गुलपोशी संस्था के संरक्षक हाजी इश्तियाक अहमद और ज़मज़म रामनगरी, डॉक्टर शाद माशरिकी, आलम बनारसी ने शाल पहना कर किया। संचालन की जिम्मेदारी ज़मज़म रामनगरी ने बड़ी खूबसूरती से अदा की।इस मौके पर शहर ए बनारस के प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता लेखक व शायर खलीकुज़्ज़मां खलीक को उनकी रचनाओं में सत्य निष्ठा एवं आम आदमी से जुड़ी समस्याओं को निर्भय एवं प्रखरता से छन्दबद्ध करने के सम्मान'' में मरणोपरांत ''अज़मत ए बनारस अवॉर्ड 2022'' पेश किया गया।
डॉक्टर अहमद अयाज़
यूँही सीने से लगाता नहीं कोई भी अयाज़
ख़ाक छानी है तो ये दश्त हमारा हुआ है
जमील बनारसी बैंगलोर
जाते हैं हम वहाँ जहाँ इस दिल की क़द्र हो
बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिए हुए
शाद अब्बासी
काम में लाओ नीली आँखें इन से कुछ तहरीर करो
मेरे दिल के सादा वरक पर लिख्खो तो कुछ वक़्त कटे
खालिद जमाल
ये ज़मीं मेरी भी है ये आसमाँ मेरा भी है
रोज़ ओ शब के खेल में सूद ओ ज़ियाँ मेरा भी है
हबीब बनारसी
क्या कहा हश्र में कोई ना किसी का होगा
ये भी बतलाओ कि हम लोग कहाँ रहते हैं
ज़मज़म रामनगरी
तुझे गुरूर ए सितम है तो वार कर मुझ पर
ये मैं हूँ और ये तू है ये मेरा शाना है
आलम बनारसी
शायद तुम को लज़्ज़त ए गम का अब एहसास हुआ है जो
हम से क़िस्सा पूछ रहे हो फुरक़त के इक इक पल का
डॉक्टर बख़्तियार नवाज़
ज़ख्म खूशबू ख़्वाब मंज़र आईना
ज़िंदगी के रंग सारे देखना
डॉक्टर शाद माशरिकी
हम ने बदले हुए माहौल में रक्स ए वहशत
सामने से कभी देखा कभी छुप कर देखा
अंकित मौर्या
दुनिया तुली थी हम को बनाने पे देवता
पर हम किसी भी हाल में पत्थर नहीं हुए
नसीम बनारसी
तुम जितना दबाओगे उभरता ही रहेगा
हर जाद ए मुश्किल से गुज़रता ही रहेगा
आयूष कश्यप
वही दरिया कि जिस में तुम ने इक दिन पाँव धोए थे
कभी वो आब ए दरिया फिर नहीं मैला हुआ होगा
नसीर चंदौलवी
कितना आसाँ है मोहब्बत में किनारा करना
ना कोई फोन ना मैसेज ना इशारा करना
शिवांशू सिंह
उदास वक्तों में हँसने वालों इतना ध्यान रहे
बे मौसम बारिश से भी पौधे मारे जाते हैं
इस अवसर पर बनारस के वरिष्ठ लोगों में जमाते इस्लामी हिंद बनारस के ज़िला अध्यक्ष डॉक्टर अकबर, सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, आज़ाद हिन्द रिलीफ सोसाइटी के अध्यक्ष जुल्फिकार अली, फने सिपहगिरी एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम खलीफा, मरियम फाउंडेशन के शाहिद अंसारी इत्यादि मौजूद थे।