शायरों के उम्दा कलाम से बंधे रहें अकीदतमंद
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live). कर्बला के शहीद-ए-आजम हज़रत इमाम हुसैन के बड़े बेटे हज़रत अली अकबर की यौमे विलादत पर वक़्फ़ इमामबाड़ा बीरज्जी साहिबा, नईसड़क में महफ़िल का आयोजन हुआ। इमामबाड़े के मुतवल्ली सैय्यद एजाज़ हुसैन जाफ़री (गुड्डू बाक़री) के संयोजन में आयोजित इस महफ़िल का आग़ाज़ ताहिर जवाद ने पाक कुरान की तिलावत से किया। महफ़िल की निज़ामत कर रहे हसन वास्ती ने नाते पाक का नज़राना पेश किया। इसके बाद शहर भर के मशहूर-ओ मारूफ़-शायरों ने अपने अपने कलाम पेश किये जिनमें मौलाना ज़हीन हैदर, दिलकश ग़ाज़ीपुरी, मौलाना इक़बाल ईमानी, मौलाना गुलज़ार मौलाई, मौलाना वसीम असग़र, अतश बनारसी, अंसार बनारसी, वफ़ा बुतुरबी, इकराम भीकपूरी, शराफत बनारसी, शाहआलम बनारसी, आशूर बनारसी, ज़ैदी बनारसी, नज़ाकत चंदौलवी समेत 32 शोअरा ने बारगाहे मौला में नज़राना ए अक़ीदत पेश किया।
महफ़िल की अध्यक्षता मौलाना सैय्यद मुहम्मद अक़ील हुसैनी ने की एवं मौलाना सैय्यद ज़मीरुल हसन रिज़वी ने महफ़िल को ख़िताब किया व दुआख़्वानी के साथ आगामी एक साल के लिए महफ़िल को मुल्तवी किया। महफ़िल में शायरों ने अपने कलाम से ऐसा समां बांधा की देर रात तक महफ़िल में सुभान अल्लाह की गूंज रही। ज्ञात हो कि शाबान माह की 11 तारीख़ को इमाम हुसैन के बड़े बेटे हज़रत अली अकबर जिनको हम शबीहे पैग़म्बर भी कहा जाता है उनकी यौमे वेलादत पर इस महफ़िल का आयोजन होता चला आया है।