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बुधवार, 11 जनवरी 2023

Haji Abdul Aziz Ansari सुपुर्दे खाक

जनाजे में उमड़ा हुजूम, कांग्रेस ने किया पार्टी का झंडा समर्पित 


Varanasi (dil india live). वरिष्ठ कांग्रेसी नेता शहर उत्तरी विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी हाजी अब्दुल अजीज अंसारी को मंगलवार को बटाऊ शहीद कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। इससे पूर्व जनाजे की नमाज़ आज़ाद पार्क में अदा किया गया। अज़ीज़ अंसारी का इंतेकाल 7 जनवरी को केरल में हुआ था। उनका शव कल दोपहर केरल से लखनऊ विमान द्वारा लाया गया, लखनऊ से उनका शव शाम वाराणसी पहुंचा।

इस दौरान वाराणसी महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, महानगर उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, मुर्तजा शमशी, अफ़रोज़ अंसारी, मुमताज अंसारी, पार्षद गुलशन अंसारी, रमज़ान अली, बेलाल अंसारी सहित अनेक राजनीतिक, सामाजिक लोगों ने कांग्रेस पार्टी का तिरंगा झंडा समर्पित कर अपने महबूब नेता हर दिल अजीज हाजी अब्दुल अजीज अंसारी को देर रात नम आंखों से अन्तिम बिदाई दी

मंगलवार, 3 जनवरी 2023

Hazrat rahim Shah baba रहमतुल्लाह अलैह का इस तरह मना उर्स



  • mohd Rizwan 

Varanasi (dil india live). Hazrat rahim Shah baba rahmatullah  (हजरत रहीम शाह रहमतुल्लाह अलैह) का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अकीदत के साथ आज अमन और मिल्लत कि दुआओं के साथ सम्पन्न हो गया। उर्स के दौरान बेनियाबाग स्थित बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने और मन्नतों की चादर चढ़ाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था। दूर दराज से आए तमाम अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाई। उर्स में तकरीर और नात-ए-पाक के साथ ही बाबा की शान में सूफियाना कलाम भी पेश किया गया।

इससे पहले हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के उर्स का आगाज कुरानख्वानी से हुआ। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ हुआ। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल हुए। शाम को तकरीर और लंगर भी चला। सुबह से देर रात तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने वालों का हुजूम जुटा हुआ था। इसमें हिन्दू मुस्लिम सभी शामिल थे। 

उर्स के आखिरी दिन बाबा के गुस्ल शरीफ के साथ बाबा के आस्ताने पर सरकारी चादर चढ़ाने के लिए चादर गागर का जुलूस औरंगाबाद से निकल कर विभिन्न रास्तों से होकर बाबा के दर पहुंचा, जहां पर हुजूम के साथ बाबा को सरकारी चादर पोशी कि गई। 

रविवार, 6 नवंबर 2022

Giaravahin Sharif 2022

जानिए शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी की जिंदगी 

Varanasi (dil india live). हजरत शेख अब्दुल क़ादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे आजम कि जिंदगी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की माँ ने उन्हें 60 वर्ष के उम्र में जन्म दिया था। जो किसी मां द्वारा बच्चे को जन्म देने की एक सामान्य उम्र से कहीं ज्यादा है। ऐसा कहा जाता है कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी के जन्म के वक्त उनके सीने पर पैगंबर मोहम्मद (स.) के पैरों के निशान बने हुए थे। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है उनके जन्म के वक्त जीलान में अन्य 1100 बच्चों ने जन्म लिया था और यह सभी के सभी बच्चे आगे चलकर इस्लाम के बड़े प्रचारक बने।

उनके जीवन की एक और भी बहुत प्रसिद्ध कहानी है, जिसके अनुसार जन्म लेने के बाद नवजात हजरत अब्दुल कदिर जीलानी ने रमजन के महीने में दूध पीने से इंकार कर दिया। जिसके बाद आने वाले वर्षों में जब लोग चांद देख पाने में असमर्थ होते थे। तब वह अपने चांद की तस्दीक इस बात से लगाते थे कि हज़रत शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने दूध पिया या नही, यहीं कारण है कि उन्हें उनके जन्म से एक विशेष बालक माना जाता था।

इस कहानी से हर कौम हुई  जीलानी की दीवानी 

हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी रहमतुल्लाह अलैह गौसे पाक की ईमानदारी से जुड़ी एक ऐसी भी कहानी है जिसने दुनिया की हर कौम को उनका दीवाना बना दिया। कहानी कुछ यूं है कि जब शेख अब्दुल कादिर जीलानी 18 वर्ष के हुए तो वह अपने आगे की पढ़ाई के लिए बगदाद जाने के लिए तैयार हुए। उस वक्त उनकी माँ ने 40 सोने के सिक्कों को उनके कोट में डाल दिया और जाते वक्त उन्हें यह सलाह दी कि चाहे कुछ भी हो लेकिन वह अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। इसके बाद वो बगदाद के लिए निकल पड़े।

बगदाद के रास्ते में उनके काफिले को कुछ डाकुओं ने घेर लिया। जिसमें एक लुटेरे ने हजरत जीलानी की तलाशी ली और कुछ ना मिलने पर उनसे पूछा कि क्या तुम्हारे पास कुछ नहीं है। इस पर शेख अब्दुल कादिर जीलानी ने कहा कि हाँ है, जिसके बाद वह लुटेरा जीलानी को अपने सरदार के पास ले गया और अपने सरदार को पूरी घटना बतायी और इसके पश्चात लुटेरों के सरदार ने पूछा तुम्हारे पास क्या है और कहां है? इस पर हजरत जीलानी ने मां द्वारा छुपा कर सिली गई जगह का सच बता दिया। इसके बाद डाकुओं ने चालीस सोने के सिक्कों को उनके पास से निकाल लिया। उनकी इस ईमानदारी को देखकर लुटेरों का वह सरदार काफी प्रभावित हुआ और उनके सिक्कों को वापस करते हुए, उनसे कहा कि वास्तव में तुम एक सच्चे मुसलमान हो। इसके साथ ही अपने इस हरकत का पश्चाताप करते हुए, दूसरे यात्रियों का भी सामान उन्हें वापस लौटा दिया। और डकैती छोड़ कर ईमान के रास्ते पर लौट आया।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...