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गुरुवार, 10 अप्रैल 2025

BHU में HOMOEOPATHY OPD शुरू न होना दुखद

13 को बीएचयू में हैनिमैन जयंती, जुटेंगे होमियोपैथिक चिकित्सा जगत के दिग्गज
हीरक मुखर्जी 
गोपाल यादव 


Varanasi (dil India live). डा. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमैन की 270 वीं जयंती समारोह वाराणसी होमियोपैथिक डीलर्स एसोसिएशन (वाराणसी एवं चन्दौली) द्वारा 13 अप्रैल रविवार को मनाया जाएगा। यह आयोजन सुबह 10.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में समारोहपूर्वक चलेगा। वाराणसी होमियोपैथिक डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गोपाल यादव, महामंत्री विवेक जायसवाल व कोषाध्यक्ष हीरक मुखर्जी ने एक खास बातचीत में कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी बीएचयू में होमियोपैथी ओपीडी न शुरू होना दुखद है। कहा कि इतनी अच्छी और सस्ती होमियोपैथी के साथ तब तक न्याय नहीं हो सकता जब तक इसे बीएचयू जैसी मेडिकल हब में शुरू नहीं किया जा सकता। तीनों ने बताया कि कोविड काल में भी होमियोपैथी ने अभूतपूर्व योगदान दिया जिसे सब ने सराहा।इस दौरान आयोजन में वैज्ञानिक सत्र भी होगा जिसमें एक्सपर्ट अपने उद्गार साझा करेंगे। समारोह का उद्घाटन प्रसिद्ध होमियोपैथ चिकित्सक प्रो. आर. के. भाटिया, मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री दया शंकर मिश्र दयालु , विशिष्ट अतिथि प्रो. अंजली वाजपेयी, (संकाय प्रमुख, शिक्षा संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी) होंगे तो अध्यक्षता प्रो. ओम शंकर, (हृदय रोग विशेषज्ञ, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बी.एच.यू.) के साथ ही डा. के.के. शुक्ला, उ.प्र. गौरव पुरस्कार सम्मान प्राप्त डा. अर्पिता चटर्जी, पूर्व होमियोपैथिक चिकित्साधिकारी, बी.एच.यू., वाराणसी संयोजक प्रो. प्रीतम सिंह, (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बी.एच.यू. वाराणसी) बतौर वक्ता अपने उद्गारों को लोगों से साझा करेंगे।   हीरक मुखर्जी ने बताया कि आयोजन की व्यवस्था गोपाल यादव, शशिप्रकाश वाष्र्णेय, घनश्याम गुप्ता, विवेक जायसवाल, डा. अमित कुमार व डा. सौरभ गुप्ता आदि संभाले रहेंगे।

जानिए होमियोपैथी के जनक डा. हैनीमैन को

डॉ. सैमुअल क्रिश्चियन फ़्रेडरिक हैनीमैन (1755-1843) होम्योपैथी के संस्थापक थे। वे एक एलोपैथिक चिकित्सक थे जिन्होंने बाद में होम्योपैथी की ओर रुख किया। उनके अथक प्रयोगों और मूल सोच ने होम्योपैथी को जन्म दिया।

जन्म और प्रारंभिक जीवन

डॉ. सैमुअल क्रिश्चियन फ़्रेडरिक हैनीमैन का जन्म 10 अप्रैल, 1755 को जर्मनी के मीसेन शहर में हुआ था। वे एक एमडी योग्यता वाले चिकित्सक थे। उन्होंने अपनी आजीविका के लिए एलोपैथिक चिकित्सा छोड़ दी और अनुवाद का काम करने लगे।

होम्योपैथी चिकित्सा के सिद्धांत

उन्होंने 'जैसे इलाज वैसे ही' और शक्तिकरण के सिद्धांतों पर आधारित होम्योपैथी को जन्म दिया। उन्होंने न्यूनतम खुराक और एकल उपाय का सिद्धांत पूरी दुनिया को दिया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन शक्ति में वांछित बदलाव लाने के लिए, दवा की मात्रा (खुराक) की ज़रूरत न्यूनतम संभव है।

आज समूची दुनिया कर रही याद

उन्होंने 1812 से 1821 तक लीपज़िक विश्वविद्यालय में होम्योपैथी पर एक चेयर की स्थापना की। 2 जुलाई, 1843 को पेरिस में 89 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके नाम पर वाशिंगटन, डीसी में एक स्मारक भी बना है। आज डॉ. सैमुअल क्रिश्चियन फ़्रेडरिक हैनीमैन भले ही हम लोगों के बीच नहीं हैं पर समूची दुनिया उन्हें जाति, धर्म, संप्रदाय, रंग भेद से इतर उन्हें याद कर रही है और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे रही है। क्यों की आज ही के दिन वो पैदा हुए और अपने अभूतपूर्व योगदान के बाद दुनिया में छा गए।

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