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शनिवार, 22 अप्रैल 2023

Eid Ramadan Mubarak कि कामयाबी का अज़ीम तोहफा

ईद उसकी जो रमज़ान के इम्तेहान में हुआ पास



Varanasi (dil india live)। मज़हबे इस्लाम में सब्र और आजमाइश को आला दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि रब वक्त-वक्त पर हर बंदों का इम्तेहान लेता है और उन्हें आज़माता है। ईद की कहानी भी सब्र और आज़माइश का ही हिस्सा है। यानी माह भर जिसने कामयाबी से रोज़ा रखा, सब्र किया, भूखा रहा, खुदा की इबादत की, वो रमज़ान के इम्तेहान में पास हो गया और उसे रब ने ईद कि खुशी अता फरमायी। दरअसल ईद उसकी है जो सब्र करना जानता हो, जिसने रमज़ान को इबादतों में गुज़ारा हो, जो बुरी संगत से पूरे महीने बचता रहा हो, मगर उस शख्स को ईद मनाने का कोई हक़ नहीं है जिसने पूरे महीने रोज़ा नहीं रखा और न ही इबादत की। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया कि रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया, सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करता रहा, वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। यह महीना इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद की खुशी बंदों को रब देता है तो 12 महीने अगर इबादतों में गुज़ारा जाये तो जिन्दगी में हर दिन ईद जैसा और हर रात रमज़ान जैसी होगी। रमज़ान महीने की इबादत इसलिए भी महबूब है क्यों कि ये अल्लाह का महीना है और इस महीने के पूरा होते ही खुदा ईद का तोहफा देकर यह बताता है कि ईद की खुशी तो सिर्फ दुनिया के लिए ह। इससे बड़ा तोहफा कामयाब रोज़ेदारों को आखिरत में जन्नत के रूप में मिलेगा। पूरी दुनिया में यह अकेला ऐसा त्योहार है जिसमें कोईभी पुराने या गंदे कपड़ों में नज़र नहीं आता। अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद मिलती है तो हम साल के बारह महीने इबादत करें तो हमारा हर दिन ईद होगा। तो हम क्यों न हर दिन हर महीना अपना इबादत में गुज़ारे। 

           Aatif Mohammad Khalid 

(शिक्षक, कमलापति त्रिपाठी इंटर कालेज वाराणसी)

बुधवार, 29 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -6

पड़ोसियों के साथ बेहतर सुलूक कि दावत देता है माहे रमजान 


Varanasi (dil india live)। मुकद्दस रमज़ान में कहा गया है कि अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा सुलूक करो, भले ही वो किसी भी दीन या मज़हब का हो। पड़ोसी अगर भूखा सो गया तो उसके जिम्मेदार तुम खुद होगे। रब कहता हैं कि 11 महीना तो बंदा अपने तरीक़े से गुज़ारता है एक महीना अगर वो मेरे बताए हुए नेकी के रास्ते पर चले तो उसकी तमाम दुश्वारियां दूर हो जाएगी। इस 1 महीने के एवज़ में रोज़ेदार पूरे साल नेकी की राह पर चलेगा।

मुकद्दस रमजान में अगर कोई तुमसे झगड़ा करने पर अमादा हो तो उसे लड़ो मत, बल्कि उससे कह दो मैं रोज़े से हूं। यानी मैं तुमसे लड़ाई झगड़ा नहीं चाहता। रमज़ान मिल्लत की दावत देता है, रमज़ान नेकी की राह दिखाता है। यही वजह है कि रमज़ान में खून-खराबा, लड़ाई झगड़ा सब मना फरमाया गया है। रमज़ान के लिए साफ कहा गया है कि यह महीना अल्लाह का महीना है। इस महीने में रोज़ेदार केवल नेकी, इबादत और मोहब्बत के रास्ते पर चलें। यही वजह है कि रमज़ान आते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं। 

इस माहे मुबारक में पांच ऐसी रात आती है जिसे ताक रात या शबे कद्र कहा जाता है। इस रात में इबादत का सवाब रब ने कई साल की इबादत से भी ज्यादा अता करता है। ऐ मेरे पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की नेअमत अता कर और सभी को रोजा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

हाजी इमरान अहमद

राइन गार्डेन, वाराणसी

सोमवार, 27 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -4

Ramadan हमें हक़ की जिन्दगी जीने की दिखाता है राह


Varanasi (dil india live)। रमजान हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना है। रमजान वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है। अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे, इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा देता है।

सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने कि तौफीक अता कर... आमीन।

                 मौलाना हसीन अहमद हबीबी 

(शाही इमाम, मुगलिया मस्जिद, बादशाह बाग, वाराणसी)

शनिवार, 25 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -2

फिर रमजान की दौलत पाने जुट गए ख़ुदा के नेक बंदे 


Varanasi (dil india live)। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाला पाक महीना रमजान शुरू हो चुका है। इस मुकद्दस महीने की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है, और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे कि मिसाल पेश कर रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद नजदीक पहुंचा देती है।

रमजान की फजीलत

माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है, इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख  के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।

रमज़न के तीन अशरे

अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। जबकि तीसरा अशरा 'जहन्नुम से आजादी' का है। इस आखिरी अशरे में रब रोज़ा रखने वाले को जहन्नुम से आजाद कर देता है।

रमजान माह  की विशेषताएं

महीने भर के रोज़े  रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार  कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है। या हर मुुसलमान को रोज़ा रखने कि तौफीक देेे…आमीन।

मो. रिज़वान (वाराणसी के युवा पत्रकार हैं)

रविवार, 10 जुलाई 2022

Eid-ul-azha mubarak 2022: ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न शुरु

कुर्बानी से पहले किया ईदुल अजहा की नमाज़ अदा






Varanasi (dil india live). देश-दुनिया के साथ ही बनारस में सुबह ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न पूरी अकीदत के साथ शुरु हो गया। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। मसजिदों और ईदगाह से नमाज़ मुकम्मल करके अकीदतमंद घर पहुँचे जहां कुर्बानी का सिलसिला शुरु हुआ। नमाज़ के दौरान उलेमा ने अपनी तकरीर में जहां लोगों को दीन के रास्ते पर चलने की दावत दी वही बकरीद के दिन को कुर्बानी और त्याग का दिन बताया। उलेमा ने कहा कि जानवर का गोश्त और हड्डी रब के पास नहीं जाती बाल्कि रब हमारी नियत देखता है, इसलिए हमे चाहिए कि जब भी हमारी जरुरत हो हम कुर्बानी के लिए तैयार रहे। वो कुर्बानी धन, दौलत, जानवर ही नहीं बाल्कि अपनी कौम और वतन के लिए भी हो सकती है। इस दौरान मुल्क में अमन, मिल्लत बुराईयों के खात्मे के लिए भी दुआएं मांगी गई। 

पता हो कि इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद के तीन दिन आमतौर पर छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन जानवर को अल्लाह की राह में जहां कुर्बान कर दिया जाता हैं। वहीं काबा में ज़ायरीन हज के अरकान मुकम्मल करते हैं।

बकरीद की जाने क्या है कहानी

बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए आदेश दिया कि हजरत अपनी सबसे अजीज की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज उनका बेटे हजरत इस्माइल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले भी गये मगर ऐन कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए कुर्बानी के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये, तभी से कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है।

अल सुबह हुई नमाजें

इस साल 10 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व शुरु हुआ। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा की गई। कई जगहों पर मस्जिद और ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नमाज़ मुकम्मल करके जब मोमिन घर पहुंचे, घरों में सेवईयों का लुत्फ उठाया।


मंगलवार, 3 मई 2022

Eid Mubarak:देखो ईद आयी है खुशिया लायी है…

चांद के दीदार संग ईद का जश्न शुरू 



Varanasi (dil India live )। 30 वी रमज़ान का चांद दिखते ही देश-दुनिया में ईद का जश्न शुरू हो गया। जहां पूरी रात बाज़ार खरीदारों से गुलज़ार रहा वहीं लोगों ने अपने घरों, मस्जिदों, मैदानों से चांद का दीदार किया। लोग रमज़ान का रोज़ा कमयाबी से रखने की खुशी में डूबे नज़र आयें। हर तरफ बहार और खुशिया ही खुशियां दिखाई देने लगी। लोग घरों से निकल कर बाज़ार की तरफ चल पड़े। बनारस के लाखों मुसलमान ईद का खैरमखदम करने को बेताब दिखाई दिये। उधर ईदगाहों और मस्जिदों में ईद की तैयारी पूरी हो चुकी है। ईद की नमाज़ मंगलवार की सुबह 6.30 बजे से 10.30 बजे के बीच अदा की जायेगी। मस्जिद ईदगाह लाट सरैया में मौलाना जियाउर्रहमान नमाज अदा करायेंगे तो ईदगाह लंगर में मौलाना इरशाद रब्बानी, मस्जिद लगड़े हाफिज नई सड़क में मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल कादरी, मुगलिया शाही मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, शाही मस्जिद ढ़ाई कंगूरा में हाफिज़ नसीम अहमद बशीरी, नूरानी माहौल में ईद की नमाज़ पूरी करायेंगे। ऐसे ही मस्जिद अक्सा रेवड़ीतालाब में मौलाना जमील, मस्जिद बरतला में मौलाना अयाज़ महमूद, नगीने वाली मस्जिद रेवड़ीतालाब में हाफिज़ सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया रेवड़ी तालाब में मोहम्मद सउद, मस्जिद शाह तैयब बनारसी में मौलाना अब्दुल सलाम व मस्जिद शाह मूसा ककरमत्ता में मौलाना शकील नमाज अदा करायेंगे। वहीं छित्तनपुरा मस्जिद खोजित कुआं में मौलाना वकील अहमद मिस्बाही, मस्जिद याकूब शहीद में हाफिज़ मो. ताहिर, मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शमशुद्दीन, मस्जिद अहनाफ सरायहडहा में मौलाना फैजानुल्लाह कादरी नमाज़ अदा करायेंगे। ऐसे ही आलमगीर मस्जिद धरहरा, जामा मस्जिद नदेसर, बड़ी मस्जिद रसूलपुरा, ईदगाह विद्यापीठ, मस्जिद उस्मानिया, बड़ी मस्जिद सदर बाज़ार, मस्जिद दायम खां पुलिस लाइन, मस्जिद उल्फत बीबी, मस्जिद ईदगाह बैतुससलाम समेत शहर और आसपास की तकरीबन पांच सौ मस्जिदों में ईदुल फितर की नमाज़ पूरी अकीदत के साथ अदा करने की तैयारियां पूरी कर ली गई है।

सेवईयों को तैयार करने में जुटी रही ख्वातीन 

घरों में ईद की तैयारियों में ख्वातीन देर रात तक लगी रही, सेवईयों से लेकर तमाम पकवान घरों में तैयार किये जा रहे थे तो वहीं सजने संवरने की भी तैयारी हो रही थी, कोई मेहंदी लगा रहा था तो कोई पार्लर से लौटता नज़र आया।

ईद पर रखें लोगों का खास ख्याल

वाराणसी के मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां ने लोगों से अपील की है कि लोग अपने पड़ोसियों और गरीबों का ख्याल रखें। ऐसा न हो कि आपके पड़ोस में ईद के दिन कोई भूखा रह जाये। उन्होंने कहा कि ईद की खुशी में इस बात का पूरा ख्याल रखें कि सभी इस दिन खुशी मनायें और वतन से मोहब्बत की दुआ मांगे, भलाई और परोपकारी के रास्ते पर चलें, किसी को बुरा न कहें।

पूरी रात चला एसएमएस का दौर

30 वां रोज़ा पूरा होते ही शहर में ईद मुबारक और ईद से मिलते जुलते तमाम मुबारकबाद मैसेज व एसएमएस लोगों ने अपने मोबाइल से अज़ीज़ों को भेजा। कम्प्यूटर, लेपटाप और स्मार्ट फोन पर ई-मेल के ज़रिये व वाट्स एप, फेसबुक से भी लोगों ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। ईद की खुशियों में सबसे ज्यादा बच्चे और यंगेस्टर्स डूबे दिखाई दिये जो एक दूसरे को ऐसे पैगाम आदान-प्रदान कर रहे थे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...