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रविवार, 13 अगस्त 2023

Hajj बैतुल्लाह के मुसाफ़िरों का welcome

अरबी रुमाल पहना हाजियों का किया गया खैरमकदम 





Varanasi (dil India live).  Hajj 2023 में पूरी दुनिया के साथ हिन्दुस्तान के हज जायरीन हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर खैरियत व आफियत के साथ अपने-अपने मुल्कों में पहुंच चुके हैं। इस खुशी के मौके पर इसरा (ISSRA) वाराणसी के मुख्यालय, अर्दली बाजार वाराणसी में हाजियों का खैरमकद समारोह का आयोजन 13.08.2022 को प्रातः 10:30 बजे से मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी की सदारत में सकुशल सम्पन्न हुआ। इस मौके पर हाजियों को अरबी रूमाल पहना कर तथा ख़्वातीन द्वारा हज्जिनों को अरबी दुपट्टा पहनाने के बाद माल्यार्पण कर उनका खैरमकदम किया गया। 

आंखों में सिर्फ आंसू ही थे... 

हज बैतुल्लाह से सरफराज होकर तथा हुजूर सल्लाहो अलैहे वसल्लम के रौज-ए-अकदस की जियारत से सकुशल वापस आने पर हाजियों का यह कहना था- वाराणसी से हाजी बशीर अहमद अंसारी तथा हाजी इसराइल का कहना था कि हम सब लोग खुशकिस्मत थे कि हमारी रवानगी लखनऊ से मदीने मुनव्वरा के लिए हुई। हमने यह दिल में सोचा था कि जब रोज-ए-अकदस स. आंखों के सामने होगा तो अपने दिल का हाल बयान करूंगा व दिल से तमाम दुआएं मागूंगा लेकिन जब रौज-ए-अकदस स. निगाहों के सामने आया तो आंखों में सिर्फ आसू ही थे और हम सब सिर्फ हाथ उठाकर रोते रहे न तो दिल की बातें याद रही और न ही दुआए याद रही। 

अरकानों को पूरा करने में हुई आसानी 

गाजीपुर से आये हाजी बहाउद्दीन साहब का कहना था कि इसरा ( SSRA) के हज ट्रेनिंग कैम्प में मिली जानकारी और संस्था द्वारा बांटे गये पचों से हम लोगों को हज अरकानों को पूरा करने में काफी आसानी हुई और हज के अरकानों और दुआओं को ढूंढना नहीं पड़ा। मऊ से आये के हाजी सरफराज का कहना था कि वाकई काबा शरीफ तथा मस्जिदे नबवी सं. में अल्लाह तआला की रहमत बरसती है और चौबीसों घेण्टे नूर की बारिश होती रहती है, और अल्लाहतआला गैब से अपने मेहमानों की मदद फरमाता है। रामनगर से आये के हाजी असलम का कहना था कि अल्लाह तआला अपने हाजियों को पूरी दुनियां से हज बैतुल्लाह से सरफराज करने के लिए बुलाता है और अपने मेहमानों के लिए इस पाक सरजमीं पर फरश्तिो को भेजकर उनकी मदद व मेहमाननवाजी फरमाता है। उसी के रहमों करम से हाजी हज के मुश्किल अरकानों को पूरा कर पाता है। वाकई एक ही दिन में उमराह और कई-कई तवाफ करने के बाद जम-जम पीकर अल्लाह तआला की बारगाह में जब सेहत की दुआ की जाती है तो सारी थकान दूर हो जाती और अल्लाह तआला फिर से ऐसी कूबत अता करता कि बार-बार तवाफ और उमराह हाजी करता रहता था। चन्दौली से आये गुफरान खान, मोहम्मद उमर ने बताया कि हज, उमराह व इबादत में 40 दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला और अभी ख़ुदा की इबादत से दिल भरा ही नहीं था कि वापस आने की बारी आ गई और तवाफे विदा करने की बारी आई तो ऐसा एहसास हुआ कि रूह जिस्म से निकल जायेगी। तवाफे विदा के वक्त रूह जिस्म से नहीं निकली बाकी सब कुछ हो गया। बस यही सोच कर रोना आता था कि फिर इस मुकद्दस जगह पर दुबारा आ पाऊँगा या नहीं। जिन्दगी बाकी रहेगी या नहीं? ख़ुदा के इस पाक घर को कैसे छोड़कर चला जाऊँ। इलाहाबाद से आये हाजी अनीस खां ने कहा कि मदीना में हुजूर स. के रौजा-ए- अकदस के सामने अदब के साथ खड़े होकर जब हमने रो-रो कर अपने और सभी हाजियों के हज के अरकानों को बखैरियत पूरा होने और हज के मुश्किल अरकानों को आसानी से पूरा होने के लिए दुआ की तो अल्लाहतआला ने हम सभी को हज बैतुल्लाह से सरफराज किया और हम लोग अल्लाहतआला के करम से अपने अपने मुल्कों में बखैरियत पहुंच गये। हज बैतुल्लाह पर गये हाजियों ने इसरा (ISSRA) द्वारा मिली जानकारियों को दूसरे राज्यों जैसे राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल दिल्ली के हजयात्रियों को दी। 

काश एक बार फिर मिलता हज का मौका

हज बैतुल्लाह से सकुशल वापस आने पर हाजियों का कहना था कि अल्लाहतआला से मेरी यही दुआ थी कि हम लोगों को एक बार फिर हज पर जाने का मौका मिले। प्रोग्राम के अंत में सभी ओलमा व हाजी साहबानों ने मिलकर यह दुआ की कि जो लोग इस साल 2023 में किन्हीं वजहों से हज पर नहीं जा पाये हैं या जिनकी तमन्ना 2024 में हज पर जाने की है उन्हें अल्लाहतआला अपने रहम व करम से अगले साल हज 2024 में हज बैतुल्लाह से सरफराज फरमाये। औरतों में ख़्वातीन हज ट्रेनर सबीहा खातून, निकहत फातमा, अनम फातमा सहित हज्जिन नरगिस, जरीना बेगम, कौसरजहां, आसमां, जैबुनिशा, नरगिस फातमा, रौशन आरा आदि मौजूद थी। 

इस मौके पर ओलमा में मौलाना अब्दुल हादी खाँ हबीबी, मौलाना हसीन हबीबी, मौलाना कमाल, मौलाना डा. निजामुद्दीन चतुर्वेदी, मुफ्ती महमूद आलम, हाफिज शफी अहमद, मौलाना मुबारक, हाफिज हबीबुर्रहमान और शायरों में हाजी सैयद अशफर बनारसी, तथा इसरा ( ISRA ) के पदाधिकारी एवं सदस्यगण मौजूद थे।

मंगलवार, 16 मई 2023

Kashi से kaba कि उड़ानें रद्द नहीं होगी: सरवर

पीएम मोदी को लिखा पत्र, कहां भाजपा विरोधी फैला रहे अफवाह 

प्रदेश हज कमेटी के सदस्य व वाराणसी प्रभारी हैं सरवर सिद्दीकी 


Varanasi (dil india live). प्रदेश हज कमेटी के सदस्य सरवर सिद्दीकी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजकर मांग किया है। कि वाराणसी हवाई अड्डे से हज यात्रा 2023 जारी रखा जाए। मीडिया में आती खबरों पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि हज यात्रा 2023 के संबंध में कि काशी से काबा कि हवाई उड़ान अब लखनऊ से होगी।

सरवर सिद्दीकी ने बताया कि मैं वाराणसी जनपद का प्रभारी भी हूं,। हज कमेटी उत्तर प्रदेश सरकार कोई नया निर्णय लेगी तो मा सदस्यों को जरुर विश्वास में लिया जाएगा और समय पर सूचित भी किया जाता। फिर भी मैंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को इस संबंध में पत्र भी लिखा है और मांग भी किया है कि काबा कि हवाई उड़ान वाराणसी से ही हो। सरवर सिद्दीकी सदस्य हज कमेटी उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कुछ भाजपा विरोधी लोग अधिकारी को गुमराह करके, सरकार को बदनाम करने के उद्देश्य से ऐसा कर रहे हैं। सरवर सिद्दीकी ने यह भी बताया प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी यह भी चाहते हैं कि हज यात्रियों को कोई भी दिक्कत अथवा परेशानी न हो।

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

Kashi se kaba की उड़ान शुरू हो: Hafiz noushad azmi

हज कान्फ्रेंस में हज मंत्री उड़ान का करें ऐलान

  • हाफिज नौशाद आजमी ने किया मांग
  • 29 सितंबर को है हज कान्फ्रेंस 




  • Aman 
Varanasi (dil india live). हाफिज नौशाद आजमी ने मांग किया है कि काशी से काबा की उड़ान फिर से शुरू किया जाएं। यह वही नौशाद आजमी हैं जिन्होंने लखनऊ और वाराणसी से हज की उड़ान शुरू कराने के लिए सफल आंदोलन चलाया था। दो दशक से अधिक समय से देश के हज यात्रियों की समस्याओं के समाधान के लिए वो संघर्ष करते आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी से दो बार निर्वाचित केंद्रीय हज कमेटी के पूर्व में हाफिज नौशाद अहमद आजमी सदस्य भी थे। 
हाफिज नौशाद आजमी ने अल्पसंख्यक कल्याण व हज की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मांग किया है कि 29 सितंबर 2022 को आयोजित दिल्ली में ऑल इंडिया हज कॉन्फ्रेंस के अवसर पर 9 इंबारकेशन पॉइंट जहां से हज यात्री जाते थे वाराणसी, गया, रांची, जयपुर, भोपाल, कालीकट, नागपुर औरंगाबाद, चेन्नई के हज यात्रियों की हवाई उड़ान स्थल जो बंद कर दिए गए थे उसे शुरू कराने की घोषणा करें।

जनाब आजमी ने एक पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री स्मॄति ईरानी को भेजा है। उन्होंने लिखा है कि इस संबंध में 10 नवंबर 2021 को हमने मंत्रालय को एक पत्र लिखा था यह उड़ान स्थल बंद नहीं होने चाहिए हज यात्रियों को बहुत असुविधा होगी जिसका जवाब मंत्रालय ने 6 दिसंबर 2021 को दिया कि कोविड-19 से ऐसा किया गया है और अगर हज कोटा बढ़ेगा हम इस पर विचार करेंगे। इस मांग को लेकर 3/9/ 2022 को भी एक पत्र मंत्रालय को भेजा था जिसका जवाब अभी नहीं मिला है । आज़मी ने पत्र में लिखा है कि यह उड़ान सथल किसी भी दशा में बंद नहीं होनी चाहिए क्योंकि अब कोविड नहीं है और हज यात्रियों का कोटा भी 2019 की तुलना में 2023 में बढ़ने की प्रबल संभावना है। उन्होंने लिखा है कि देश के हज यात्रियों की आयु एवरेज जाने वालों की 65 वर्ष से अधिक होती है अगर यह उड़ान स्थल बंद किए गए तो उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और बलिया बॉर्डर के लोगों को लखनऊ की 850 किलोमीटर की यात्रा तय करनी पड़ेगी बिहार बॉर्डर से कोलकाता लगभग 13 सौ किलोमीटर है और झारखंड से भी लगभग 12 सौ किलोमीटर कोलकाता की दूरी है। राजस्थान सीमा से दिल्ली की दूरी भी 1200 किलोमीटर लगभग है। मध्य प्रदेश की सीमा शुरू से मुंबई से 1500 किलोमीटर की दूरी पर है। 

ज्ञात रहे कि हज यात्रियों को उड़ान से 2 दिन पहले हज हाउस पहुंचकर जरूरी औपचारिकताएं पूरी करनी होती है इस तरह से इन हज यात्रियों को अपने घर से 4 दिन पहले निकलना पड़ेगा जो किसी भी दशा में उचित नहीं है।

उल्लेखनीय है कि 2019 में हज कमेटी द्वारा या ऑप्शन दिया गया था कि अपने करीब के आज उड़ान स्थल मुंबई, लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, जयपुर से लोग जा सकते हैं जहां का किराया इन जगहों से 10 हजार से ₹15000 कम था, लेकिन हज यात्रियों ने सुविधा को वरीयता दी, वाराणसी सहित इन्नोवेशन पॉइंट से हजारों हज यात्रा काबा के लिए रवाना हुए। इस तरह यह तय हो गया कि ज्यादा किराया देकर भी लोग इन जगहों से जाना पसंद करते हैं इसलिए किसी भी दशा में वाराणसी सहित यह 9 उड़ान स्थल बंद करना देश के हज यात्रियों के साथ अन्याय के समान होगा।

गौरतलब है कि हज यात्रियों के लंबे आंदोलन के बाद यह उड़ान स्थल एनडीए की स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने शुरू किया था और कुछ उड़ान यूपीए की डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने शुरू किया। जिसमें तकरीबन डेढ़ दशक से यह सुविधा हज यात्रियों को मिलती चली आ रही है। जनाब आजमी ने कहा की देश में हवाई अड्डा का विस्तार हो रहा है छोटे हवाई अड्डे बड़े हवाई अड्डे बन रहे हैं और ऐसी दशा में इन बूढ़े हज यात्रियों के साथ अन्याय क्यों ? आजमी ने मांग किया है कि 29 सितंबर को ऑल इंडिया हज कॉन्फ्रेंस में देश के हज यात्रियों को उड़ान स्थल वापस करके एक तोहफा दें। 

2007 में शुरू हुई थी काशी से काबा की उड़ान 

काशी से काबा की उड़ान वर्ष 2007 में लंबे संघर्षों के बाद हाफिज नौशाद अहमद की कोशिश से शुरू हुई थी। उस समय हज की उड़ान शुरू करने का श्रेय लेने की सियासी पार्टियों में होड़ मच गई थी, मगर जो लोग हज से जुड़े थे वो सब जानते और समझते हैं। तमाम मीडिया रिपोर्टों ने उड़ान शुरू होने पर हाफिज नौशाद आजमी को मुबारकबाद पेश की थी। इंडिया टुडे ने तो हाफिज नौशाद आदमी का पूरा इंटरव्यू भी विस्तार पूर्वक छापा था। जो इस बात की दलील है की हज की उड़ान के लिए हाफिज नौशाद आदमी और उनके हाजी साथियों ने कितना संघर्ष किया। एक बार फिर उड़ान बंद है मगर उसे पुनः शुरू करने के लिए हाफिज नौशाद आजमी के अलावा सतह पर कहीं कोई संघर्ष करता नहीं दिखाई दे रहा है।


रविवार, 4 सितंबर 2022

Isra ने किया काबा से हज करके लौटे हाजियों का खैरमकदम





Varanasi (dil india live). मुकद्दस हज का सफर पूरा कर करके काबा से काशी लौटे हाजियों का जोरदार खैरमकदम अर्दली बाजार में इतवार को किया गया। कार्यक्रम की अगुवाई हाजी फारुख खान कर रहे थे। इस दौरान इसरा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी ने कहा कि काबा से हज कर करके जो भी जायरीन लौटे हैं वह तय कर ले कि उन्हें सच्चा पक्का नमाजी बनकर, नेकी की जिंदगी गुजारना है। क्यों कि हज करके लौटे हाजी साहेबान ठीक वैसे ही गुनाहों से पाक साफ होते हैं जैसे मां के पेट से पैदा हुआ बच्चा। इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की देश की तरक्की में आगे आएं और समाज में फैली तमाम बुराइयों का खात्मा करने के लिए काम करें ताकि हमारे मुल्क में अमन और शांति कायम रहे। हिन्दुस्तान सुकुन के आगोश में तरक्की का सफर तय करें।

इंडियन सोसाइटी फार सोशल रीवोल्यूशन एंड एक्शन (इसरा) की ओर से आयोजित कार्यक्रम का संचालन करते हुए मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मौलाना निजामुद्दीन चतुर्वेदी ने कहा कि  संस्था ने इस साल हज यात्रा के दौरान भारतीय हज यात्रियों की खासी मदद की। हज के अरकान अदा करने के लिए उर्दू व हिन्दी में पंफलेट बंटवाया, तमाम हज कैम्प लगाया। जिसमें इसरा ने प्रशिक्षण भी दिया। आज जब हज की ट्रेनिंग लेकर गये जायरीन हज मुकम्मल करके लौटे हैं तो उनके हाजी बनने पर इसरा की पूरी टीम का खुश होना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि हाजी साहेबान को हम सब मुबारकबाद देते हैं। उम्मीद करते हैं कि वो भी हज पर जाने वालों की ऐसे ही मदद करते रहेंगे। इस दौरान कारी शाहबुद्दीन, मौलाना गुलाम रसूल, हाजी अजफर बनारसी ने नात शरीफ से लोगों को फ़ैज़याब किया। 

इनकी रही मौजूदगी: 

मौलाना अजहरुल कादरी, मौलाना इलियास कादरी, फिरोज खान, इम्तियाज अहमद, डा. महबूब कादरी, डा. मोहम्मद हम्ज़ा, शफातुललाह खान, बाबी खान, मोहम्मद नसीम, शाहरुख खान, आफाक अहमद खान, मो. रययान, शमीम अहमद आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे।

गौरतलब हो कि हाजी फारुख खान कि अगुवाई में इसरा एक दशक से भी ज्यादा समय से हज यात्रा में बनारस समेत पूर्वांचल के हजारों हज यात्रियों को निःशुल्क प्रशिक्षण शिविर आयोजित करती आ रही है। हाजियों का फार्म, पासपोर्ट फार्म भरने से लेकर टीकाकरण और हज हाउस से रवानगी तक में इसरा अहम रोल अदा करती रही है। 


मंगलवार, 26 जुलाई 2022

Shihab के हौंसले को सलाम

आंखों में काबा का ख्वाब संजोए, पैदल ही निकले हज करने केरल के शिहाब

2022 में शुरू किया सफर, 2023 में होगा मुकम्मल हज

जानिए कौन कौन से देशों से होकर पहुंचेंगा ये हज यात्री काबा



Sarfaraz Ahmad

Varanasi (dil india live). कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो....। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि अगर इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता, इंसान चाहे तो आसमान में सुराख भी कर दे। लेकिन ज़रूरत है उस जुनून की, जिसकी बात शायर अपने कलाम में कर रहा है। ऐसे ही एक जूनूनी शख्स हैं केरल के ‘शिहाब’। वो केरल से मक्का तक पैदल ही हज के सफर पर निकल पड़े हैं। आज वो विभिन्न शहरों से होते हुए गुजरात पहुंचे। वहां लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। जिस रास्ते से वो गुज़र रहें हैं। उनकी एक झलक पाने को सभी बेताब दिखाई दे रहे हैं।

शिहाब केरला से रवाना हुए और 2023 में हज से पहले मक्का पहुंचना उनका लक्ष्य है, ताकि वह हज का फरीजा अदा कर सकें। शिहाब करेला से निकल कर भारत के कई राज्यों को पार करते हुए पाकिस्तान, ईरान, फिर इराक, फिर कुवैत और अंत में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर पहुंचेंगे। शिहाब ने अपनी अनोखी पैदल यात्रा के बारे में उनकी तैयारी को लेकर मीडिया से बात की। उन्होने बताया की उन्हे तैयारी करने में लगभग छह महीने का समय लग गया, क्योंकि उन्होंने भारतीय राजधानी नई दिल्ली में देश के दूतावासों के चक्कर लगाना पड़े अपनी यात्रा की परमीशन लेने के लिए। मक्का जाने का फैसला करने के बारे में, शिहाब कहते हैं, “मैंने पैदल ही हज की योजना बनाई रहा है। यह मेरी बचपन की ख्वाहिश थी। अल्हम्दुलिल्लाह। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी मां की दुआ से अल्लाह ने मेरी यह मन्नत और दुआ पूरी कर दी। सरकार ने मुझे पैदल हज पर जाने की इजाजत दे दी, सभी प्रक्रियाओं को मैंने पूरा कर लिया या। इंशा अल्लाह यात्रा मेरी 2022 में केरल से शुरू हो गई है जो 2023 में काबा में हज मुकम्मल करके पूरी होगी। शिहाब ने बताया कि कई लोगों ने उसकी यात्रा के रास्ते में मदद करने का वादा किया है, यह पुष्टि करते हुए कि यात्रा बहुत लंबी है और इसमें महीनों लगते है।

केरल में एक सुपरमार्केट चलाने वाले शिहाब का लक्ष्य भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत के रास्ते सऊदी अरब जाना है।शिहाब ने इस सैर के लिए आठ महीने तक तैयारी की। वह हर दिन कम से कम 25 किमी पैदल चलते हैं।केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और कई अन्य लोगों ने शिहाब को हज का ख्वाब पूरा करने में मदद की।वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से होते हुए वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे। शिहाब कहते हैं कि

"मेरा लक्ष्य 280 दिनों में 8,640 किमी चलना है। मैं एक दिन में औसतन 25 किमी पैदल चल रहा हूं। मैं 2023 में हज करना चाहता हूं। मेरे परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों ने मेरी यात्रा के लिए अपना सहयोग दिया है, "उन्होंने कहा कि उसके पास एक बेडशीट, कपड़े और एक10 किलो का बैग है। रास्ते में वह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और रात आराम करने के बाद फिर निकल पड़ते है, हज के सफर में...।"

Hajj 2022: काबा से काशी लौटे जायरीन का हुआ खैरमकदम

हज मुकम्मल कर लौट रहे हाजी, हो रहा खैरमकदम

हज से लौटे मास्टर तजम्मुल, हुआ इस्तेकबाल

Varanasi (dil india live). जामिया अरबिया मतलउल उलूम कमनगढ़ा वाराणसी के सेवानिवृत अध्यापक तजम्मुल अहमद का हज बैतुल्लाह से लौटने पर सरैयां स्थित आवास पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया और ढेर सारी उनसे दुआएं लीं। हाजी तजम्मुल अहमद का कहना है  कि अल्लाह का लाख लाख शुक्र है कि मुझे अपने दरबार में बुलाया और हज जैसे बड़े फ़र्ज़ को अदा करने की तौफीक दी। दुआ है कि खुदा सभी को हज बैतुल्लाह की जियारत नसीब करे।

केवल मास्टर तजम्मुल ही नहीं, बल्कि हज का सफर मुकम्मल करके काबा से काशी लौट रहे तमाम हाजी साहेबान की यही कैफियत है। वो हज मुकम्मल करके अपने अजीजो के बीच पहुंच कर बेहद खुश हैं। यही वजह है कि वो सभी मिलने जुलने वालों के लिए रब से दुआ करते नहीं थक रहे हैं। इस दौरान शहर भर में विभिन्न स्थानों पर हाजी साहेबान के वतन लौटने की खुशी में दावतों का सिलसिला भी जारी है।

        हाजी साहेबान का स्वागत करने वालों में मदरसा मतलउल उलूम के प्रबंधक हाजी मंजूर अहमद, सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" के अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक, मौलाना निसार अहमद, मास्टर अकील अहमद, डॉक्टर नसीम अख्तर, रशीद अहमद, हाफिज मुनीर, मुहम्मद शोएब, अखलाक अहमद, मास्टर हारून, इमरान अहमद, हाजी रमजान अली, मोइनुद्दीन, मकबूल अहमद, मास्टर महताब, मुहम्मद जहीर, अफजाल अंसारी, अशरफ, असगर इत्यादि थे।

शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

Haj 2022: अराफात की पहाड़ी पर इबादत में मशगूल हैं जायरीन

कोविड के चलते दो साल बाद हज यात्रा पर हैं भारतीय



Varanasi (dil india live). कोरोना महामारी के चलते पिछले 2 साल तक प्रभावित रहने के बाद इस साल पूरे जोश-ओ-खरोश से हज (Haj) के अरकान अदा किए जा रहे हैं। सऊदी अरब में अराफात के पहाड़ी मैदान में जायरीन हज के अरकान अदा करने के लिए जुटे हुए हैं।

दरअसल इस साल दुनिया भर के 10 लाख मुसलमान हज करने काबा में हैं। हालांकि कोविड से पहले हर साल 25 लाख से ज्यादा जायरीन हज यात्रा करते थे। वो सभी मुसलमानों को जीवन में कम से कम एक बार हज यात्रा करने का हुक्म है जो आर्थिक रूप से मजबूत है। 

नहीं की सुन्नत होती है अदा

हज के दौरान, हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल व पैंगबर हज़रत मोहम्मद (स.) आदि की सुन्नत अदा की जाती है। हज यात्रा के पांच दिन के अययाम के दौरान हज यात्री विभिन्न रस्म अदा करते हैं। इनमें इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल काबा के आसपास इबादत करना शामिल है। जुमेरात को मस्जिद हरम के आंगन में हजारों हज यात्रियों ने काबा के आसपास तवाफ (परिक्रमा) किया। हालांकि इस दौरान पिछले दो साल की तुलना में अलग नजारा देखने को मिला है। आज जुमे को अराफात के पहाड़ी मैदान में जायरीन हज के अययाम अदा कर रहे हैं।

10 लाख हज यात्रियों को मिली इजाजत कोविड-19 के चलते जहां साल 2020 और 2021 में हजयात्री पाबंदियों का कड़ाई से पालन करते दिखे थे, इस बार उतनी सख्ती दिखाई नहीं दे रही है। कई हज यात्री बिना मास्क के यात्रा करते दिख रहे हैं।साथ ही सामाजिक दूरी का पालन भी इस बार बहुत कम दिखाई दे रहा है। इस साल सऊदी सरकार ने केवल 10 लाख विदेशी और घरेलू यात्रियों को हज की अनुमति दी है, जिनका टीकाकरण पूरा हो चुका है या कोरोना से संक्रमित नहीं हैं।

हज यात्री की उम्र केवल 18 से 65 वर्ष कोरोना को देखते हुए सऊदी सरकार ने इस साल कुछ नियम भी बनाए हैं इनमें एक नियम यह है कि केवल 18 से 65 वर्ष की आयु के यात्रियों को हज की अनुमति है। अधिकारियों के अनुसार 85 प्रतिशत हज यात्री विदेशी हैं। 2020 में जब कोविड-19 अपने चरम पर था तब केवल 1,000 सऊदी निवासियों को हज की अनुमति मिली थी।

काबा गए इतने भारतीय हज जायरीन

इस बार उत्तर प्रदेश से कुल 8,701 आजमीन हैं, पश्चिम बंगाल (5,911), जम्मू और कश्मीर (5,281), केरल (5,274), महाराष्ट्र (4,874), असम (3,544), कर्नाटक (2,764), गुजरात (2,533) हैं। बिहार (2,210), राजस्थान (2,072), तेलंगाना (1,822), मध्य प्रदेश (1,780), झारखंड (1,559), तमिलनाडु (1,498), और आंध्र प्रदेश से 1,201 आजमीन।इसके अलावा, दिल्ली (835), हरियाणा (617), उत्तराखंड (485), ओडिशा (466), छत्तीसगढ़ (431), मणिपुर (335), पंजाब (218), लद्दाख (216), लक्षद्वीप द्वीप समूह से 159 हज यात्री होंगे, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (114), त्रिपुरा (108), गोवा (67), पुडुचेरी (52), हिमाचल प्रदेश (38), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (34), और चंडीगढ़ 25 यात्रियों को चयनित किया गया है।

शनिवार, 4 जून 2022

Hajj 2022: काबा के मुसाफिरों को लगा काशी में टीका

मास्टर ट्रेनर ने दी ट्रेनिंग, बताया हज के अरकान 




Varanasi (dilindialive) l सिटी गर्ल्स इंटर कालेज, काज़ी सदुल्लाहपुरा में वर्ष 2022 के हज के मुबारक सफर पर जाने वाले हज यात्रियों का टीकाकरण एवं ट्रेनिंग का कैंप पूर्वांचल हज सेवा समिति के बैनर तले लगाया गया।

इस हज ट्रेनिंग कैंप कि शुरुआत तिलवते क़ुरान पाक़ से मौलाना रियाज़ अहमद क़ादिरी ने की। नात आदिल जियाई ने पेश किया। कैम्प में ऑडियो वीडियो प्रोजेक्टर के ज़रिये मास्टर हज ट्रेनर सलमान खान अदनान ने सभी जाने वाले हाजियों को तमाम अरकान और हज के सफ़र को कैसे आसानी से पूरा किया जाय इसके बारे में दिखाया और बताया और समझाया। उसके बाद सारे लोजिस्टिक इशू को भी क्लीयर किया। कैम्प में  मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा डाक्टर ए. के. पांडेय, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के नेतृत्व में प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा सभी हाजियों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाया गया एवं टिकाकरण किया गया। आज के इस प्रोग्राम के मेहमाने खुसुसी उत्तर प्रदेश के राज्य हज समिति के राज्य कॉर्डिनेटर जनाब मो. अरमान साहब ने कहा कि मैं लखनऊ मे हज कि उड़ानों के दौरान् मौजूद रहूँगा अगर किसी हाजी सहेबांन को कोई भी दिक़्क़त आती हैं तो हम से राबता कायम करें। इस प्रोग्राम में पूर्व सदस्य राज्य हज समिति जनाब अब्दुल रहीम अंसारी भी मौजूद थे।

इस प्रोग्राम कि सदारत पूर्वांचल हज सेवा समिति के सदर हाजी रईस अहमद एवं निज़ामत डॉ. मो. अमीन ने किया। पूर्वांचल हज सेवा समिति के हाजी मो. ज़ुबैर, अहमद अली पप्पू, हाजी अब्दुल अहद, शम्शुल आर्फिन, तारिक हसन खां, हाजी ओकास, अख्तर हुसैन, तलत महमूद, अयाज़, रेयाज़ अहमद राजू, ईसरार  अहमद, हाजी इम्तियाज़, बाबू भाई, आसिफ, फारूक, इकबाल अहमद, हाजी मुन्नू, पप्पू मेडिकल, ओवेस्, सूफियांन, सोहेल्, इबाद, आदि हाजियों कि खिदमत में लगे रहे l

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...