सुल्तान क्लब ने हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर कि संगोष्ठी
Varanasi (dil india live)। सामाजिक संस्था " सुल्तान क्लब " की से विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार शाम 4 बजे एक गोष्ठी का आयोजन, रसूलपुरा स्थित कार्यालय में संस्थाध्यक्ष डॉ एहतेशमुल हक़ की अध्यक्षता व महासचिव एच हसन नन्हें के संचालन में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री मालवीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मुसर्रत इस्लाम ने कहा कि आजादी के बाद भी देश में अंग्रेजी के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर 1953 ई0 से हिंदी दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे हैं। इस भाषा की खास बात यह है कि इसमें जिस शब्द को जिस प्रकार से उच्चारित किया जाता है उसे लिपि में भी उसी प्रकार लिखा जाता है। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा हिंदी का स्वाभिमान लोगों में समा चुका था लेकिन आजादी के बाद संविधान में हिंदी की विचित्र स्थिति के कारण दुर्भाग्य से यह भाव पहले की अपेक्षा कमजोर ही हुआ यद्यपि सेना अर्धसैनिक बल रेलवे बैंक बीमा और राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों आदि के माध्यम से हिंदी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दे रही है।
हिन्दी मात्र एक भाषा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक माध्यम है।यह हमारे चिंतन, मनन ,राष्ट्रगौरव और स्वाभिमान के साथ जुड़ी हुई है।राजभाषा हिंदी अब अंतरराषट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर है ,फेसबुक और व्हाट्स ऐप भी बिना हिंदी से तालमेल बैठाए आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं,हिंदी भाषा में इंटरनेट संचालित करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,हमें गर्व करना चाहिए कि हम हिन्दी भाषी हैं ।
विशिष्ठ अतिथि जमीअतुल अंसार बनारस के महासचिव इशरत उस्मानी ने कहा कि हमें उर्दू के साथ साथ हिंदी की तरक्की के लिए प्रयासरत रहना चाहिए,हमें उर्दू और हिंदी दोनों से प्यार है।जब हम अपनी बातचीत मे कुछ संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते है तो वो हिंदी हो जाती है और जब बातचीत मे फ़ारसी के अल्फाज़ का इस्तेमाल करते हैं तो वो उर्दू हो जाती है।हक़ीक़त मे ये दोनों हिंदुस्तानी भाषा है।अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि हिंदी और उर्दू ये हिंदुस्तान की ऐसी ज़बान है जैसे लगता है कि दो सगी बहने हैं। हिंदी एक ऐसी ज़बान है जिसने बहुत सी ज़बानो के अल्फाज़ को अपने अंदर समाहित करके अपनी विशालता को और बढ़ाया है।हिंदी के विकास के लिए मेरा विचार है कि उच्च शिक्षा मे भी सभी विषय यथा विज्ञान, कला, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, चिकित्सा को हिंदी मे पढ़ाया जाना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत हाफिज मुनीर ने कुरआन की तिलावत से किया,धन्यवाद ज्ञापन अजय कुमार वर्मा ने दिया।
इस अवसर पर अध्यक्ष डाक्टर एहतेशामुल हक, प्रधानाचार्य मुसर्रत इस्लाम, उपाध्यक्ष अजय कुमार वर्मा व महबूब आलम, महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव मुस्लिम जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, प्रधानाचार्य अबुल वफ़ा अंसारी, इशरत उस्मानी, अब्दुर्रहमान, खलील अहमद ख़ां, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफ़िज़ मुनीर, मुख़्तार अहमद, मुहम्मद इकराम, इरफ़ान मौजूद थे।