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रविवार, 30 जुलाई 2023

Moharram 11: चुप का डंका बजाते हुए निकला लूटा हुआ काफिला






सरफराज अहमद
Varanasi (dil India live)। दालमंडी से इतवार को चुप का डंका बजाते हुए लुटा हुआ काफिले का जुलूस निकला। इस मौके पर शिया मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर सलाम और कलाम पेश करते हुए जुलूस में चल रहे थे। 

दालमंडी स्थित मरहूम डॉ.नाजिम जाफरी के अजाखाने से निकले लुटे काफिले के जुलूस में फरमान हैदर ने कलाम पेश किया। अशरे को भी शब्बीर का जो गम नहीं करते, वो पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत हो तो महशर में पयंबर से भी कहना, हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस के कदीमी रास्ते में आलिमों ने तकरीर पेश की। तकरीर में जब उन्होंने लुटे हुए काफिले का मंजर बयान किया तो शिया समुदाय के लोग बिलखते देते गए। 

सैकड़ों साल कदीमी इस लुटे काफिले के जुलूस में अलम, दुलदुल व परचम भी शामिल था। जुलूस के आते नई सड़क पर चारों ओर लोगों का मजमा ज़ियारत करने उमड़ा दिखा। जुलूस में परचम के पीछे दो लोग चुप का डंका, बजाते हुए दरगाहे फातमान की ओर बढ़े। आयोजन में अब्बास मुर्तजा शम्सी, समर शिवालवी, सलमान हैदर, सैफ जाफरी, सिराज वगैरह कलाम पढ़ते हुए चल रहे थे। मुज्तबा जाफरी व डा. मुर्तज़ा जाफरी के संयोजन में निकले जुलूस में कर्बला के शहीदों का लुटा हुआ काफिला नई सड़क, फाटक शेख सलीम, पितरकुंडा, लल्लापुरा होकर होकर दरगाहे फातमान पहुंचा। जहां उलेमा ने तकरीर में कहा कि कर्बला में यजीद ने मोर्चा तो जीत लिया मगर जंग वो हार गया, आज पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का नाम सबसे ज्यादा रखा जा रहा है मगर यज़ीद का नामलेवा कोई नहीं है। यजीद था और इमाम हुसैन हैं।

अज़ादारी जनाबे जैनब की देन

दालमंडी में ख्वातीन की मजलिस को खिताब करते हुए मोहतरमा नुजहत फातेमा ने कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनकी बहन जनाबे ज़ैनब व उम्मे कुलसुम, उनके बेटे इमाम ज़ैनुल आबदीन व चार साल की छोटी बहन जनाबे सकीना ने ज़ालिम यज़ीद के जुल्म के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि बहादुरी से सामना किया। दर्दनाक जुल्म सहते हुए कर्बला के बाद इमाम हुसैन के मिशन को दुनिया तक कामयाबी से पहुंचाया। यहां डा. नसीम जाफरी ने शुक्रिया अदा किया। दुनिया में अजादारी जनाबे जैनब की देन है।


बुधवार, 10 अगस्त 2022

Muharram 11th: चुप का डंका बजाते हुए निकला लुटा हुआ काफिला

सलाम और कलाम पढ़ता फातमान पहुंचा काफिला

Varanasi (dil india live). ग्यारहवीं मोहर्रम पर बुधवार को दालमंडी से लुटे हुए काफिले का जुलूस पूरी अकीदत के साथ चुप का डंका बजाते हुए निकला। यह कदीमी जुलूस हकीम मोहम्मद काजिम के दालमंडी स्थित निवास से निकाला गया। इससे पूर्व उलेमा ने नूरानी तकरीर पेश की। तकरीर में जब उन्होंने लुटे हुए काफिले का मंजर बयान किया तो लोग जारोकतार रो पड़े। जुलूस का संयोजन अंजुमन हैदरी के सदस्य डा. मुज्तबा जाफरी ने किया।

नई सड़क चौराहे पर सैयद फरमान हैदर ने सैकड़ों की भीड़ में कलाम पेश किया ...अशरे को भी शब्बीर का जो गम नहीं करते, वो पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत हो तो महशर में पयंबर से भी कहना, हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते। जुलूस नई सड़क से आगे बढ़ा। काफिले सलाम और कलाम पढ़ता हुआ दरगाहें फातमान पहुंचा।

दरअसल हज़रत इमाम हुसैन की शहादत के बाद यजीदियों ने काफिले लूट लिए थे। खेमे जला दिए गए थे। यही नहीं जो लोग बच गए थे उन्हें कैदी बना लिया गया था। इसी की याद में ग्यारहवीं मोहर्रम को निकलने वाले जुलूस को लुटे हुए काफिले का जुलूस कहते हैं।

ख्वातीन की हुई मजलिस

दुलदुल और अलम का जुलूस उठने के बाद हकीम मोहम्मद काजिम के इमामबाड़े में ही ख्वातीन की मजलिस हुई। यहां खिताब करते हुए नुजहत फातमा ने कहा कि ये मजलिसें जनाबे जैनब की यादगार हैं, इमाम हुसैन का पैगाम है, करबला के शहीदों की याद है और इंसानियत के लिए बहुत बड़ा तोहफा है। दुनिया की हर ख्वातीन को जनाबे जैनब से सीख लेकर जुल्म का सामना करना चाहिए।

शहीदों का तीजा कल

इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों का गुरुवार को तीजा मनाया जाएगा। घरों में और इमाम चौक पर तीजे की फातिहा दिलाई जाएगी और मजलिसें भी होंगी। सभी इमाम चौक से अलम सद्दे का जुलूस उठेगा।

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