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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

Eid Mubarak: मेल-जोल व खुशियां बांटने का नाम है ईद

 



Varanasi (dil India live )। अरबी में किसी चीज़ के बार-बार आने को उद कहा जाता है उद से ही ईद बनी है। ईद का मतलब ही वो त्योहार है जो बार-बार आये। यानी जिसने रोज़ा रखा है उसके लिए ईद बार-बार आएगी। ईद तोहफा है उनके लिए जिन्होंने एक महीना अपने आपको अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया। यही वजह है कि रमज़ान और ईद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर रमज़ान होता और ईद न होती तो हमें शायद इतनी खुशी न होती। इस्लाम कहता है कि रमज़ान के बाद जब ईद आये तो इस बात का पता करो कहीं कोई रो तो नहीं रहा है, कोई ऐसा घर तो नहीं बचा है जहां ईद के लिए सेवईयां न हो। कोई पड़ोसी भूखा तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसकी मदद करना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है।

खासकर छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर वो इसलिए खुश होते हैं कि रमज़ान खत्म होते ईद आयेगी, ईदी मिलेगी। इसे ईद-उल-फित्र भी कहते हैं क्यों कि इसमें फितरे के तौर पर 2 किलों 45 ग्राम गेंहू जो हम खाते हो उसके दाम के हिसाब से घर के तमाम सदस्यों को सदाका-ए-फित्र निकालना होता है। दरअसल ईद उसकी है जिसने रमज़ान भर इबादत किया और कामयाबी से रमज़ान के पूरे रोज़े रखे। नबी-ए-करीम (स.) ईद सादगी से मनाया करते थे। इसलिए इस्लाम में सादगी से ईद मनाने का हुक्म है। एक बार नबी (स.) ईद के दिन सुबह फज्र की नमाज़ के बाद घर से बाज़ार जा रहे थे कि आपको एक छोटा बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। नबी (स.) ने उससे कहा आज तो हर तरफ ईद की खुशी मनायी जा रही है ऐसे में तुम क्यों रो रहे हो? उसने कहा यही तो वजह है रोने की, सब ईद मना रहे हैं मैं यतीम हूं, न मेरे वालिदैन है और न मेरे पास कपड़े और जूते-चप्पल के लिए पैसा। यह सुनकर नबी (स.) ने उसे अपने कंधों पर बैठा लिया और कहा कि तुम्हारे वालिदैन भले नहीं हैं मगर मैं तुम्हे अपना बेटा कहता हूं। नबी-ए-करीम (स.) के कंधे पर बैठकर बच्चा उनके घर गया वहां से तैयार होकर ईदगाह में नमाज़ अदा की। जो बच्चा यतीम था उसे नबी-ए-करीम (स.) ने चन्द मिनटों में ही अपना बेटा बनाकर दुनिया का सबसे अमीर बना दिया। इसलिए ईद आये तो सभी में आप भी खुशियां बांटे, सबको खुशी दें, सही मायने में तभी आपकी ईद होगी। अल्लाह ताला सभी को रोज़ा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

                           डा. मो. आरिफ

{लेखक मुस्लिम मामलो के जानकार व इतिहासकार}

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022

अलविदा जुमा पर भी रहम नहीं

थोड़ी थोड़ी देर पर हो रही बिजली कटौती

उपमुख्यमंत्री शहर में फिर भी हुई कटौती, रोजेदारों परेशान

Varanasi (dil India live )। वरुणा पार इलाके में भीषण गर्मी और उपमुख्यमंत्री के शहर में होने के बावजूद इन दिनों नागरिक, रोजेदारों को जबरदस्त बिजली संकट झेलना पड़ा रहा है। यहां तक कि अलविदा जुमा पर भी रहम नहीं किया गया। थोड़ी थोड़ी देर पर बिजली कटौती होती रही। ऐसा लगता है कि विद्युत विभाग पूरी तरह से मस्त है उनको जनता की समस्या से कोई लेना देना नहीं है।

विद्युत समस्या का जिक्र करते हुए महानगर कांग्रेस उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन, क्षेत्रीय पार्षद वो अर्दली बाजार व्यापार मंडल के अध्यक्ष विनय शादेजा  ने संयुक्त रूप से कहा कि इन दिनों इन इलाकों में सुबह से लेकर शाम तक अनगिनत बिजली काटी जा रही है। 

हद तो तब हो गई दिन भर तो अनगिनत बिजली काट दी जाती है लेकिन शाम को रोजा खोलने के समय लगभग 5:30 से 6:30 के बीच बिजली कटना निश्चित है। जब इस संबंध में जे इ अंबिका यादव से फोन कर वार्ता की गई तो उनका कहना था कि अभी बहुत व्यस्त है और फोन काट दिया। उक्त नेताओं ने कहा कि रोजा खोलने के समय बिजली जानबूझकर काटी जा रही है क्योंकि प्रतिदिन रोजा खोलने का समय बिजली अवश्य कटती है तो क्या यह समय लोकल फाल्ट के लिए निर्धारित है।

उक्त नेताओं ने अविलंब विद्युत विभाग के एमडी से विद्युत कटौती की रोक लगाने की मांग की है विशेषकर सुबह सहरी और शाम को रोजा खोलने के समय विद्युत कटौती पर रोक लगाई जाए। उक्त नेताओं ने कहा कि दिनभर उमस भरी गर्मी धूप की वजह से शाम को ही लोग खरीदारी करने निकलते हैं और उसी समय बिजली काट दी जाती है जिससे व्यापारियों का धंधा भी चौपट हो रहा है। आज उपमुख्यमंत्री सर्किट हाउस में थे इसके बावजूद लगातार बिजली कटौती होती रही।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2022

काशी के सौहार्द ने किया था बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक को प्रभावित

बनारस के गोविन्दपुरा में सबसे पहले मनी थी ईद  

ईद पर दोनों मजहब के लोगों की अलग-अलग पहचान करना था मुश्किल

Aman

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। ईद मिल्लत और मोहब्बत का त्योहार है। सभी जानते हैं कि हफ्ते भर चलने वाले इस महापर्व से हमें खुशी और एकजुटता का पैगाम मिलता है, मगर कम लोग जानते हैं कि ईद का ऐतिहासिक पक्ष क्या है। इस्लामिक विद्वान मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने ईद की तवारीखी हैसियत पर रौशनी डालते हुए बताया कि सन् 2 हिजरी में सबसे पहले ईद मनायी गयी। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद (स.) का वो दौर था। उन्होंने सन् 2 हिजरी में पहली बार ईद की नमाज़ पढ़ी और ईद की खुशियां मनायी। उसके बाद से लगातार आज तक पूरी दुनिया में ईद की नमाज़े अदा की जाती है और लोग इसकी खुशियों में डूबे नज़र आते हैं।

जहां तक बनारस में ईद के त्योहार का सवाल है, इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ तथ्यो को खंगालने के बाद बताते हैं कि बनारस में गोविन्द्रपुरा व हुसैनपुरा दो मुहल्ले हैं जहां सबसे पहले ईद मनायी गयी थी। वो बताते हैं कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों के आने के साथ ही ईद मनाने के दृष्टांत मिलने लगते हैं। जहां तक बनारस की बात है यहां मुस्लिम सत्ता की स्थापना से पूर्व ही मुस्लिम न सिर्फ आ चुके थे बल्कि कई मुस्लिम बस्तियां भी बस गयी थी। दालमंडी के निकट गोविन्दपुरा और हुसैनपुरा में ईद की नमाज़ सबसे पहले पढ़े जाने का संकेत तवारीखी किताबों से ज़ाहिर है।

इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि जयचन्द की पराजय के बाद बनारस के मुसलमानों की ईद को देखकर बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक को उस दौर में आश्र्चर्य हुआ था कि ईद की नमाज़ के बाद बनारस में जो सौहार्दपूर्ण माहौल दिखाई दिया था उसमें उन्हें हिन्दू-मुसलमान की अलग-अलग पहचान करना मुश्किल था। यह बनारसी तहज़ीब थी जो देश में मुस्लिम सत्ता की स्थापना के पूर्व ही काशी में मौजूद थी। जिसने एक नई तहज़ीब, नई संस्कृति हिन्दुस्तानी तहज़ीब को जन्म दिया। तब से लेकर आज तक ईद की खुशियां बनारस में जितने सौहार्दपूर्ण और एक दूसरे के साथ मिलकर मनाया जाता है उतना अमनों-सुकुन और सौहार्दपूर्ण तरीके से दुनिया के किसी भी हिस्से में ईद नहीं मनायी जाती।

ईद का इस्लामी पक्ष

प्रमुख इस्लामी विद्धान मौलाना साक़ीबुल क़ादरी कहते हैं कि ईद रमज़ान की कामयाबी का तोहफा है। वो बताते हैं कि नबी का कौल है कि रब ने माहे रमज़ान का रोज़ा रखने वालों के लिए जिंदगी में ईद और आखिरत के बाद जन्नत का तोहफा मुकर्रर कर रखा है। यानि रमज़ान में जिसने रोज़ा रखा है, इबादत किया है नबी के बताये रास्तों पर चला है तो उसके लिए ईद का तोहफा है।

दूसरों को खुशिया बांटना है पैगाम

आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी पर रिसर्च करने वाले प्रमुख उलेमा मौलाना डा. शफीक अजमल की माने तो ईद का मतलब केवल यह नहीं कि महीने भर जो इबादत करके नेकियों की पूंजी एकत्र किया है उसे बुरे और बेहूदा कामों में ज़ाया कर देना बल्कि ईद का मतलब है कि दूसरों को खुशियां बांटना। अपने पड़ोस में देखों कोई भूखा तो नहीं है, किसी के पास पैसे की कमी तो नहीं है, कोई ऐसा बच्चा तो नहीं जिसके पास खिलौना न हो, अगर इस तरह की बातें मौजूद है तो उन तमाम की मदद करना फर्ज़ है। मौलाना शफी अहमद कहते हैं कि दूसरो की मदद करना ईद का सबसे बड़ा मकसद है तभी तो रमज़ान में जकात, फितरा, खैरात, सदका बेतहाशा निकालने का हुक्म है ताकि कोई गरीब, मिसकीन, फकीर नये कपड़े से महरुम न रह जाये। ईद की खुशी में सब खुश नज़र आयें। यही वजह है कि ईद पर हर एक के तन पर नया लिवास दिखाई देता है।  

ईद ग्लोबल फेस्टिवल

एक माह रोज़ा रखने के बाद रब मोमिनीन को ईद कि खुशियो से नवाज़ता है, आज वक्त के साथ वही ईद ग्लोबल फेस्टीवल बन चुकी है जो टय़ूटर, वाट्स एप, स्टेलीग्राम से लेकर फेसबुक तक पर छायी हुई है।

नींद की आगोश में "बिजली" का 'झटका'

हंकार टोला की गलियों में चला चेकिंग अभियान

बिजली चोरी में 11 लोगो के खिलाफ दर्ज करायी गयी है एफआईआर

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। बिजली चोरी करने वालों के लिए ‘खास खबर’। विजिलेंस की टीम अब भोर में छापेमारी कर रही है। अगर आप बिजली चोरी कर रहे हैं तो सुधर जाएं, नहीं पता चलेगा आप नींद में हैं और आपके घर छापा पड़ गया। ऐसा हम नहीं कहते, बिजली विभाग के लोग इस तरह की कार्रवाई शुरू कर दिए हैं। छापेमारी करने वाली टीम में शामिल लोगों का कहना था कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।

दरअसल, हंकार टोला में बुधवार की भोर में बिजली विभाग सहित विजिलेंस टीम ने छापा मारा। छापेमारी में करीब 11 लोग गलत तरीके से बिजली का इस्तेमाल करते हुए पकड़े गए। भोर में पहुंची विजिलेंस टीम और फोर्स को देखकर मोहल्ले में हड़कंप मच गया। टीम में शामिल लोगों ने वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ एविडेंस के लिए फोटोग्राफी भी कराई।

छापेमारी करने वाली टीम में शामिल बेनिया पावर हाउस के जेई- पिन्टू कुमार सिंह ने बताया कि पिछले कई दिनों शिकायत मिल रही थी जिस पर भोर में छापे मारी की गई। इसमें 11 लोग अवैध रूप से डारेक्टर कटिया कनेक्शन करते पकड़े गए। इन लोगो पर बिजली चोरी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई साथ ही बताया की आगे भी करवाई जारी रहेगी।

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

स्वीडन के प्रोफेसर को पसंद आया इमाम हुसैन के ग़म का नौहा

शिवाला में मोहर्रम भर गूंजने वाले दर्द भरे नौहों पर लिख डाली किताब


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। स्वीडेन के प्रोफ़ेसर मार्क जे. कार्त्ज़ ने मुगलो और नवाबों के मुहल्ले बनारस के "शिवाला" में करबला के शहीदो के ग़म में पढ़े जाने वाले दर्द भरे नौहो में से 50 चुनिंदा नौहे को अपनी किताब में शामिल किया है। इस किताब को लिखने में प्रोफेसर का साथ दिया है प्रमुख शिया विद्वान सैय्यद आलिम हुसैन ने।
"फिफ्टी सांग फार पीस, फिफ्टी सांग फार सोरो ," शीर्षक से लिखी गई यह किताब शिवाला की उस मिली जुली तहज़ीब की जियारत भी कराती है।जब मोहर्रम पर निकलने वाले क़दीमी जुलूस में अंजुमन नौहाखवानी करती हैं, तो इस अज़ादारी की जियारत करने व दुलदुल को दूध पिलाने दोनों मजहब के लोग जुटते हैं।
सैय्यद आलिम हुसैन खुश हैं कि उनके सहयोग से लिखी गई किताब से शिवाला को वो मुकाम मिलेगा जिसका वो हकदार है। वो कहते है कि मंज़र-ए-आम पर किताब आने से शिवाला में पढ़ा जाने वाला नौहा जग विख्यात हो जाएगा।
इस किताब कि खासियत है कि उर्दू में नौहा लिखा गया है और फिर उनका अंग्रेजी अनुवाद किया गया है। सैय्यद आलिम हुसैन कहते हैं कि अल्लाह प्रोफेसर मार्क की मेहनत का अजर दे की उनकी वजह से ये किताब तमाम देशों में जाएंगी और लोग शिवाला में पढ़े जाने वाले नौहो के बारे में जान पाएंगे।





ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी और पीएचसी पर भी अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा

  • डिप्टी सीएम के निर्देश पर सीएमओ ने शुरू कराई व्यवस्था 

  • सीएचसी हाथी बाजार में भोर में भर्ती हुई डायरिया पीड़ित मरीजश

  • हर के चार सीएचसी पर पहले से जारी है रात्रिकालीन सेवाश

  • हर के 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी सांध्य कालीन सेवाएं  उपलब्ध



वाराणसी 27 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर जनपद के ग्रामीण क्षेत्र  के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इसके मद्देनजर मंगलवार की देर रात सामुदायकि स्वास्थ्य केन्द्र हाथी बाजार, सेवापुरी में डायरिया पीड़ित ईट -भट्ठा पर काम करने वाली महिला मजदूर धानमती देवी (60 वर्ष) को भर्ती कर उपचार किया गया। अब उसके हालत में काफी सुधार है।

 *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* ने बताया कि आम नागरिकों की चिकित्सा सेवाओं में कहीं कोई कमी  न रह जाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तत्पर है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने गत दिनों वाराणसी दौरे के दौरान ग्रामीण इलाके  के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा शुरू करने का  निर्देश दिया था ताकि आमजन रात्रि में किसी आपात स्थिति में निःशुल्क चिकित्सकीय सेवा प्राप्त कर सके। 

सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्देश के अनुपालन में ग्रामीण इलाके के सभी सीएचसी व पीएचसी पर रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इनमें सीएचसी नरपतपुर,  चोलापुर,  पुआरीकला,  विरांवकोट,  गंगापुर,  हाथी बाजार, आराजीलाइन, मिसिरपुर के अलावा ब्लाक सीएचसी चोलापुर, ब्लाक सीएचसी आराजीलाइन और ब्लाक पीएचसी चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ, बड़ागांव, पिण्डरा, सेवापुरी, काशीविद्यापीठ में भी 24 घंटे आपातकालीन चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध रहेंगी।

 डा. संदीप चौधरी ने बताया कि शहर के चार सामुदायिक स्वास्थ्य  केन्द्र शिवपुर, चौकाघाट, भेलूपुर, दुर्गाकुण्ड में पहले से ही 24 घंटे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त 12 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सांध्य कालीन सेवाएं भी दी जा रही हैं । इनमें शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आनंदमयी, पाण्डेयपुर, कोनिया, मदनपुरा, सेवासदन, जैतपुरा, बेनिया, अर्दलीबाजार, भेलूपुर, लल्लापुरा, राजघाट व टाउनहाल शामिल हैं, जो अपनी प्रातःकालीन सेवाओं के साथ ही सायं कालीन सेवाएं भी दे रहे है। यह  सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रातः नौ बजे से रात्रि आठ बजे तक खोले जाने के निर्देश दिए गये हैं ।

कुरान की आयते फिजा में होती रही बुलंद

शबे कद्र पर मोमिनीन ने अदा कि नफ्ल नमाजे

 वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का चौबीसवां रोजा पूरा करके इबादतगुजारों ने 25 वीं रमजान की तीसरी शबे कद्र पर जागकर इबादत किया और सहरी खाकर पचीसवां रोजा रखा। वहीं घरों और मस्जिदों में हाथों में तस्बीह और लब पर रब का नाम लेते इबादतगुजार दिखाई दिये। इस दौरान तमाम इबादतगुजारो ने खूब नफ्ल नमाजे अदा की, कई जगहो पर रोजा इफ्तार दावत का भी आयोजन किया गया, उस्ताद हाफिज नसीम अहमद बशीरी की सरपरस्ती में शबीने का भी शहर में कई जगहों पर एहतमाम किया गया। इसमें कई मस्जिदो, मदरसो दरगाहो में खास इंतेजाम किया गया था। जहां शबीना सुनने लोगों का हुजुम जुटा हुआ था। देर रात तक इबादतों का दौर जारी रहा जो सहरी में पूरा हुआ। इस दौरान घरों से पाक कुरान की आयते फिजा में बुलंद हो रही थी। लोगो ने सहरी करके रोजा रखा। रोज़ेदार आज शाम अज़ान की सदाएं सुनकर रोज़ा इफ्तार करेंगे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

मधुमेह पीड़ित भी रखे रोज़ा, लज़ीज पकवानों का ले लुत्फ

मधुमेह से हैं पीड़ित तो मीठे को करे बाय

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहार ईद की बुनियाद रमज़ान है। पहले रमजान आता है जिसमें पूरे महीने मोमिनीन रोज़ा रखते हैं। इन दिनों रमज़ान चल रहा है। रमज़ान मुकम्मल होने पर ईद आयेगी। जब तक ईद नहीं आती तब तक पूरा महीना रमज़ान जोश-ओ-खरोश के मनाया जाता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बांटकर दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम में लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। काफी लोग यह सोचते है कि रमज़ान के पकवान का लुत्फ मधुमेह से पीड़ित नही ले सकते है इसलिए काफी मधुमेह पीड़ित रोज़ा रखने से भी बचते है, जबकि चिकित्सको का कहना है कि मधुमेह से पीड़ित हैं तो भी आप रोज़ा रख सकते है और लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठा सकते है, बस आपको बचना है, मीठे से। रमज़ान के साथ आपकी ईद भी हंसी-खुशी बीत जाये इसके लिए हमें रमज़ान में खास ख्याल रखना पड़ेगा। खास कर ऐसे मौकों पर जब घर में लज़ीज मीठे पकवान बनते हैं तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्यों कि इन लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका लेने से इफ्तार में वो अपने को रोक नहीं पाते, या तो कोई उन्हें खिला देता है या फिर वो खुद मीठे पकवान खा लेते है। बेहतर हो कि आप अपनी केस हिस्ट्री लेकर नज़दीकी चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनसे उचित सलाह ले कर रोज़ा रखे, मीठे से बचते हुए लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका ले और ईद भी मनाये है।

खुद ही अपने स्वास्थ्य का रखना पड़ेगा ध्यान 

चिकित्सक डा. एहतेशामुल हक की माने तो रमज़ान में मधुमेह के मरीज़ों को खुद ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो रमज़ान का रोज़ा तो जायेगा ही साथ ही उसके ईद का भी मज़ा फीक़ा हो सकता है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को थोड़ा ख्याल रखने और एहतेयाद की ज़रूरत है। चिकित्सक डा. गुफरान जावेद की माने तो रोजे के दौरान शाम में इफ्तार के वक्त हर हाल में मीठे शर्बत व मीठें पकवान से परहेज़ करें तो मुश्किल टल सकती है, और ईद की खुशियां दुगनी हो सकती है।

क्या है हाइपरगिलेसेमिया ?

रोजे के दौरान मधुमेह के मरीज़ों को ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों की आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोज़ा रखने से पूर्व अपने चिकित्सकों से परामर्श ज़रूर ले कि उन्हें सहरी में क्या खाना है और इफ्तार व खाने में उन्हें रात को क्या लेना है।

इन बातों को न करें नजरअंदाज

-जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।

-जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।

-मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।

-अपने आहार में रस भरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।

-भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।

-सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।

-अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।

ईद की सुबह पैदा हुए बच्चे का भी देना होगा फितरा

रमज़ान हेल्पलाइन: मुफ्ती साहब दे रहे हैं आपके सवाल का जवाब


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। पीलीकोठी से कलीम अंसारी ने फोन किया फितरे या ज़कात की रक़म अपने सगे भाई या बहन को दिया जा सकता हैं, या नहीं? जवाब दिया उलेमा ने, कहा कि अगर बहन या भाई शरई तौर पर फक़ीर हैं यानी मालिके नेसाब नहीं तो दे सकते हैं। हां अगर वो मालदार है तो उन्हें ज़कात या फितरा देना दुरुस्त नहीं है। मेरे घर में 28 रमज़ान को लड़का हुआ है, उस लड़के पर फितरा ज़रूरी है या नहीं? जवाब में मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी,  मुफ्ती बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी वह मौलाना अजहरुल क़ादरी ने कहा कि ईद की सुबह सूरज निकले से पहले तक अगर कोई बच्चा पैदा हो जाये तो उसका भी फितरा घर वालों को निकालना ज़रूरी है। बेशक आप उस बच्चे का फितरा ज़रूर निकालें।

रविवार, 24 अप्रैल 2022

रमज़ान का पैग़ाम : मौलाना साकीबुल क़ादरी

 रोजेदारों के लिए समुद्र की मछलियां भी करती हैं दुआएं


वाराणसी २४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। फरमाने रसूल (स.) है कि रमजान अल्लाह का महीना है और उसका बदला भी रब ही देंगा। यही वजह है कि रमजान का रोज़ा बंदा केवल रब की रज़ा के लिए ही रखता है। रोज़ा वो इबादत है जो दिखाई नहीं देती बल्कि उसका पता या तो रब जानता है या फिर रोज़ा रखने वाला।

रमजान में जब एक मोमिन रोज़ा रखने की नियत करता है तो वो खुद ब खुद गुनाहों से बचता दिखायी देता हैं। उसे दूसरों की तकलीफ़ का पता भूखे प्यासे रहकर रोज़ा रखने पर कहीं ज्यादा होता है।रमजान का अन्य महीनों पर फजीलत हासिल है। हजरत अबू हुरैरा (रजि.) के अनुसार रसूल अकरम (स.) ने इरशाद फरमाया, कि माहे रमजान में पांच चीजें विशेष तौर पर दी गयी है, जो पहली उम्मतों को नहीं मिली थी। पहला रोजेदार के मुंह की महक अल्लाह को मुश्क से ज्यादा पसंद है। दूसरे रोजेदार के लिए समुद्र की मछलियां भी दुआ करती हैं और इफ्तार के समय तक दुआ में व्यस्त रहती हैं। तीसरे जन्नत हर दिन उनके लिए आरास्ता की जाती है। अल्लाह फरमाता है कि करीब है कि मेरे नेक बंदे दुनिया की तकलीफेंअपने ऊपर से फेंक कर तेरी तरफ आवें। चौथे इस माह में शैतान कैद कर दिये जाते हैं और पांचवें रमजान की आखिरी रात में रोजेदारों के लिए मगफिरत की जाती है। सहाबा ने अर्ज किया कि शबे मगफिरत शबे कद्र है। फरमाया- नहीं, ये दस्तूर है कि मजदूर का काम खत्म होने के वक्त मजदूरी दी जाती है। हजरत इबादा (रजि) कहते हैं कि एक बार अल्लाह के रसूल (स.) ने रमजान उल मुबारक के करीब इरशाद फरमाया कि रमजान का महीना आ गया है, जो बड़ी बरकतवाला है। हक तआला इसमें तुम्हारी तरफ मुतव्ज्जो होते हैं और अपनी रहमते खास नाजिल फरमाते हैं। गलतियों को माफ फरमाते हैं। दुआ को कबूल करते हैं। बदनसीब है वो लोग जो इस माह में भी अल्लाह की रहमत से महरूम रहे, रोज़ा नहीं रखा, तरावीह नहीं पढ़ी, इबादत में रातों को जागे नहीं।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...