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गुरुवार, 8 सितंबर 2022

Ananta chaturdashi पर्व पर होगा 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक




Varanasi (dil india live)। नगर के विभिन्न जैन मंदिरो में शुक्रवार 9 सितम्बर को विविध धार्मिक आयोजन होगे। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शुक्रवार 9-9-2022 को दशलक्षण (पर्युषण महापर्व) के अन्तिम दिन नगर के सभी जैन मंदिरो मे परिक्रमा पूजन, अभिषेक, प्रभात फेरी कर धर्मावलम्बी प्रातः बेला से ही करेंगे। 

मुख्य आयोजन-:अनंत चतुर्दशी पर्व पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर जी में पूजन के साथ सकल जैन समाज की उपस्थिती में (केंद्रीय कार्यक्रम)ठीक सायं 4 बजे से श्री 1008 अनंत नाथ भगवान एवं चिंतामणि पार्श्वनाथ जी (मूलनायक) पद्मासन विशाल बडी प्रतिमा जी का 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक का आयोजन होगा। भगवंतो की आरती के उपरांत प्रवचन का कार्यक्रम होगा।

Jain dharam news:जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन-पूजन

जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म 

पर्युषण पर्व का नौवां दिन-अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार को




Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में गुरुवार को प्रातः जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन एवं पूजन किया गया। पर्व के नौवें दिन मंदिरो मे रत्नत्रय स्थापना, नन्दीशवर दीप पूजन, दशलक्षण बिधान पूजन, सोलह कारण व्रत पूजन, स्वयंभू स्त्रोत पूजा प्रारंभ हुई। 

प्रातः भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर मे ब्रह्मचारी आकाश जैन जी के कुशल निर्देशन में संगीतमय क्षमावाणी महामंडल विधान मे भक्तो ने बढ चढ कर हिस्सा लेकर पूरी श्रद्धा के साथ भाग लिया। गुरुवार को जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर की जन्म स्थली चन्द्रवती, चौबेपुर भगवान के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक भूमि मे चन्द्रप्रभु स्वामी का प्रक्षाल पूजन किया गया। 

पर्युषण पर्व के नौवे अध्याय "उत्तम आकिंचन धर्म "पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे सायंकाल पं सुरेंद्र शास्त्री ने व्याख्यान देते हुए कहा-आकिंचन का अर्थ है-मेरा कुछ भी, किंचित भी नहीं है। 'मै का अर्थ है-आत्मा और मेरा अर्थात आत्मा का क्या?कुछ भी तो नहीं ।

आत्मा तो शरीर को छोड़कर चली जाती है ।शरीर ही जब मेरा नहीं है, तो कुछ मेरा कैसे हो सकता है। यदि आप उत्तम आकिंचन धर्म अपनाना चाहते है, तो धन के लिए धर्म को नहीं ,धर्म के लिए धन को छोडना प्रारंभ कर दो। बाहरी परिग्रह को त्याग कर आत्म-स्वभाव में रमण करना सीख जाओ। सभी का कल्याण हो, सभी धर्म मार्ग पर चलना सीख जाए। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां आकिंचन धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है  किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग परिग्रह न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म। 

सायंकाल सभी जैन मंदिरो मे-भजन, जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, तीर्थंकरो की आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। 

आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, अजित जैन, राज कुमार बागडा उपस्थित थे। 

बुधवार, 7 सितंबर 2022

Jain news: जीवन का उद्धार संग्रह से नही त्याग से

पर्युषण पर्व का अष्टम दिन- रत्नत्रय व्रत पूजा प्रारंभ 



Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व पर बुधवार को सुबह सभी जैन मंदिरो में तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई ।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर सोलह कारण के 32/16 उपवास, दशलक्षण व्रत के 10 उपवास, अठाई के 8 उपवास, रत्नत्रय के 3 उपवास, एकासन एवं किसी भी प्रकार से त्याग-तपस्या कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वियों के उत्कृष्ट साधना के लिए जैन समाज ने कृत कारित अनुमोदना की। यह पर्युषण पर्व सबके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें, ऐसी मंगल कामना की गई। 

बुधवार को जैन मंदिरो में रत्नत्रय व्रत पूजा, भगवनतो की पूजा, अरिहंतो की पूजा एवं अभिषेक व क्षमावाणी महामंडल विधान पूरी भक्ति के साथ संगीतमय वातावरण मे मंत्रोच्चार के साथ किया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है इस दौरान श्रावक भक्तो के मन मे सहज ही त्याग- तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है। 

बुधवार को प्रातः भदैनी स्थित भगवान सुपारस नाथ जी की जन्म स्थली (जैन घाट) मे तीर्थंकर का प्रक्षाल पूजन किया गया। थोडा सा त्याग वीजारोपण की तरह हमेशा करते रहना चाहिए, जिससे भविष्य में पुण्य की फसल लहलहायेगी। उक्त बाते खोजंवा स्थित जैन मंदिर मे पर्व के आठवे दिन "उत्तम त्याग धर्म " पर व्याख्यान देते हुए-डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां- उन्होंने कहा जो समस्त द्रव्यो में मोह छोड़कर संसार शरीर और भोगो से विरक्त होता है, वही सच्चा त्याग धर्म है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर मे व्याख्यान देते हुए प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- समस्त संसार में उत्तम त्याग धर्म श्रेष्ठ कहा गया है। औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, आहार दान-ये तो व्यवहार त्याग के रूप में है। राग और द्वेष का निवारण करना (त्यागना) निश्चय त्याग है। बुद्धिमान लोग दोनों दान (व्यवहार और निश्चय) करते है, दिगम्बर जैन साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते है। 

जिस प्रकार मेघा जल का त्याग, नदी स्वयं का जल नही पीती, पेड़ स्वयं फल नही खाते। इसी प्रकार अधिक धन या वस्तु का संग्रह नही करना चाहिए त्यागने से ही मन एवं चित्त प्रसन्न रहता है। 

सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, प्रतियोगिताए, धर्म पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। 

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, संजय जैन, अरूण जैन, जय कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, सौरभ जैन उपस्थित रहे। 

मंगलवार, 6 सितंबर 2022

Jain dharam news:तप के बिना आत्म शुद्धि नही

पर्युषण पर्व का सातंवा दिन- उत्तम तप धर्म 


Varanasi (dil india live)। दशलक्षण ( पर्युषण पर्व) जैन संस्कृति का महान, पवित्र, आध्यात्मिक पर्व है। आत्मशोधन, पर्यालोचन और आत्म निरिक्षण करके अपने अतित के परित्याग करने में ही इस पर्व की सार्थकता है। मंगलवार को प्रातः से नगर की सभी जैन मंदिरो में पूजन-अर्चन पाठ प्रारंभ हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चन्द्रपुरी चौबेपुर स्थित गंगा किनारे भगवान चन्दा प्रभु का प्रातः सविधि पूजन एवं अभिषेक किया गया। भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक पूजन किया गया। साथ में चल रहे दस दिवसीय क्षमावाणी महामंडल विधान में काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष जोड़ों ने हिस्सा लेकर संस्कृत के श्लोक पढकर श्री जी भगवान को श्री फल अर्पित कर धर्म में सराबोर रहे। वही- सारनाथ, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, भदैनी,एवं ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिरों में पूजन- पाठ अभिषेक व शांति धारा की गई। 

मंगलवार की सायंकाल ग्वालदास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में पर्व के सातंवे अध्याय " उत्तम तप धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- तप के बिना आत्म शुद्धि भी नहीं हो सकती। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपना पड़ेगा। तप से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में व्याख्यान देते हुए- डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक 'निश्चय तप है। जिस प्रकार अग्नि के माध्यम से पाषाण में से स्वर्ण पृथक किया जाता है वैसे ही हम तप रूपी अग्नि के माध्यम से शरीर से आत्मा को पृथक कर सकते है। 

सायंकाल जैन मंदिरो में जिनवाणी स्तुति, ग्रन्थ पूजन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, क्षेत्रपाल बाबा एवं देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की ग ई।  

आयोजन मे प्रमुख रूप से श्री दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, ध्रुव कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, विजय जैन उपस्थित थे। 

बुधवार, 31 अगस्त 2022

Jain dharam का महापर्व पर्युषण शुरू

9 सितंबर जैन मंदिरों में होंगे अनेक आयोजन

जैन घरों में 10 सितंबर से 18 सितंबर तक मनाया जाएगा खास उत्सव


Varanasi (dil india live)। भारतीय संस्कृति के पर्वों में जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण दसलक्षण महापर्व का आज विधिवत शुभारंभ हो गया। यह महापर्व 18 सितंबर तक आस्था के साथ मनाया जाएगा।

श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में आयोजित 18 दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार को प्रातः बेला से ही नगर की जैन मंदिरों में भेलूपुर , सारनाथ , मैदागिन ,  खोजवा , नरिया , चंद्रपुरी एवं ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में व्रत, पूजन, अभिषेक के साथ दसलक्षण पर्व का प्रारंभ हो गया। जैन समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि भेलूपुर स्थित मंदिर में प्रातः काल 7:45 से अभिषेक किया गया। संध्या 7:00 बजे आरती तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा। 

पंचायती मंदिर ग्वालदास साहुलेन में सामूहिक अभिषेक प्रातः  8:30 बजे हुआ। संध्या आरती रात्रि 8:00 बजे से होगी।भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मस्थली सारनाथ में श्रेयांश वाटिका में बड़ी प्रतिमा का अभिषेक प्रातः 7:00 बजे एवं मंदिर में अभिषेक पूजन प्रातः 7:30 बजे से होगा। नरिया स्थित मंदिर जी में सामूहिक अभिषेक प्रातः 7:30 बजे से होगा । खोजवा में स्थित जैन मंदिर जी में अभिषेक पूजन प्रातः 7:00 बजे से , संध्या आरती 7:30 बजे से तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा । समस्त मंदिरों में यह कार्यक्रम 31 अगस्त से 9 सितंबर तक चलेगा। अष्टमी पूजन  रविवार ४/९/२०२२ को मनाई जाएगी , सुगंध दशमी ५/९/२०२२ सोमवार को प्रातः से समस्त जैन मंदिरों में मनाई जाएगी। 

अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर ग्वालदास साहूलेने स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में 9 सितंबर शुक्रवार को शाम 4:00 बजे अनंतनाथ भगवान एवं भगवान पार्श्वनाथ जी की बड़ी मूलनायक प्रतिमा जी का सामूहिक महा मस्तकाभिषेक वृहद् आयोजन होगा । १० सितम्बर शनिवार को पंचायती जैन मंदिर ग्वालदास साहुलेन में  सायंकाल भजन संध्या आयोजित है। 

 ११ सितम्बर रविवार को भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्तलि श्री दिगंबर जैन मंदिर भेलुपूर में दोपहर १ बजे से पूजन- अभिषेक , जयमाल , धार्मिक कृत्य के पश्यात सायं ५ बजे से विश्वमैत्री  क्षमावाणी का कार्यक्रम आयोजित है । १२ सितम्बर सोमवार को मैदागिन स्थित श्री बिहारी लाल दिगम्बर जैन  मंदिर में रात्रि ८ बजे से भजन संध्या जागरण आयोजित है । १३ सितम्बर से १७ सितम्बर तक भिन्न जैन मंदिरो में महिलाओं द्वारा कई धार्मिक , सांस्कृत कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। १८ सितम्बर रविवार को ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में प्रातः ८ बजे से सायं ५ बजे तक नमोकर महामंत्र का पाठ कर आयोजन सम्पन्न होगा।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...