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मंगलवार, 10 दिसंबर 2024

Khwaja Garib Nawaz की दरगाह के समर्थन में निकला जुलूस, याचिका वापस लेने की मांग

देश दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों की आस्था का केन्द्र है अजमेर

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री को भेजा पत्रक 


Bilaspur (dil India live)। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह सरकार गरीब नवाज की दरगाह के खिलाफ दी गई याचिका के विरोध में एक शांतिपूर्ण मौन जुलूस निकाला गया। जुलूस में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ में आस्था रखने वाले सभी धर्म के लोग शामिल हुए। जुलूस में शामिल लोगों ने जुलूस के बाद एक पत्रक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि को भेजकर याचिका वापस लेने की पुरजोर मांग की।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह भारतीय उपमहाद्वीप में सूफी संस्कृति और धार्मिक सौहार्द का प्रतीक है। लगभग 813 वर्षों से यह दरगाह लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है, जहां न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु अपनी श्रद्धा व्यक्त करने आते हैं। दरगाह पर सभी धर्मों के लोग आते हैं और यहां की संस्कृति विविधता और एकता को प्रकट करती है। यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन बिलासपुर में भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा से प्रारंभ हुआ, जो संविधान के आदर्शों का पालन करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक था। मौन जुलूस के माध्यम से, समुदाय ने यह संदेश दिया कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के खिलाफ याचिका दायर करना न केवल धार्मिक आस्थाओं का अपमान है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ भी है। आशिकाने गरीब नवाज कमेटी द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से अपील की गई कि याचिका को तुरंत वापस लिया जाए, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने से बचाया जा सके।

गुरुवार, 7 नवंबर 2024

नौचंदी जुमेरात को दरगाहों व आस्तानों पर उमड़े जायरीन

दरगाहे फातमान में अलम का जुलूस, नौहाख्वानी मातम के साथ मांगी दुआएं 


Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। जमादीउल अव्वल महीने के पहले जुमेरात (नौचंदी जुमेरात) को दरगाहों और आस्तानों पर जायरीन का हुजूम उमड़ा हुआ था। कोई मन्नतें मांगते दिखाई दिया तो कोई फातेहा पढ़कर दुआएं मांग रहा था। हज़रत बहादुर शहीद, लाटशाही बाबा, हरदाम शाह बाबा, शहाबुद्दीन शाह बाबा, नुरैन शाह बाबा, चंदन शहीद, मौलाना शाह बाबा, हजरत शाह तैय्यब बनारसी, मलंग शहीद, पुलंग शाहीद, पंजाबी शाह बाबा, खाकी शाह बाबा, बुलाकी शहीद, हजरत बाबा फरीद व नूरुद्दीन शहीद आदि औलिया अल्लाह के दर पर जायरीन का मजमा उमड़ा हुआ था। ऐसे ही इमामबाड़ों में अलम निकाला गया, नौहा और मातम के साथ देश की खुश हाली और सलामती के लिए दुआख्वानी भी हुई। इस सिलसिले से दरगाहे फातमान में मौला अली के रोज़े से अलम निकला। कैंपस में कई रोजों पर सलामी देते हुए अलम का जुलूस हजरत अब्बास के रोज़े पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ। इस मौके पर तकरीर करते हुए शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने कहा कि अली और फातमा की बड़ी बेटी जनाबे जैनब और शहीदे कर्बला इमाम हुसैन के बड़े बेटे इमाम जैनुल आबेदीन की विलादत का यह महीना है। ये वो दो नाम है जिन्होंने इस्लाम और इंसानियत को बुलंद मुकाम पर पहुंचाया। सब्र और बहादुरी के साथ जुल्म का सामना किया। हुसैन के पैगाम को मजलिस और इबादत के जरिए पैगाम ए हुसैनी सारी दुनिया में पहुंचाया। फरमान हैदर ने बताया कि शुक्रवार को जनाबे जैनब की जयंती मनाई जाएगी। इस अवसर पर नजाकत बनारसी, समर बनारसी ने कलाम पेश किए। हाजी अलीम हुसैन ने नोहाख्वानी की। बड़ी संख्या में लोगों ने देश की खुशहाली के लिए दुआएं मांगी। शाम के सत्र में सदर इमामबाड़ा लाटसरैया पठानीटोला, चौहट्टा लाल खां, अर्दली बाजार, शिवाला आदि क्षेत्रों में भी लोगों ने अलम निकलकर नोहाखवानी व मातम के साथ दुआख्वानी की। हैदर ने बताया कि जनाबे जैनब का जन्म 1441 साल पहले मदीने में हुआ था। और आपका नूरानी रोजा सीरिया शाम में स्थित है।

शनिवार, 16 सितंबर 2023

Imam Husain समेत कर्बला के शहीदों का मना 'पचासा'

पचासे के जुलूस में जियारत को उमड़ा जनसैलाब

दर्द भरे नौहों पर पेश किया मातम का नजराना 







Varanasi (dil India live).16.09.2023. बनारस में सफर कि 29 तारीख को शिया मर्द व ख़्वातीन ने शहीदाने कर्बला का पचासा अकीदत के साथ मनाया। इस दौरान बच्चों की अंजुमन भी नौहाख्वानी व मातम करती नजर आयीं।

शनिवार को पचासे का ऐतिहासिक जुलूस जब दोषीपुरा से अंजुमन जाफरिया द्वारा तथा चोहट्टा लाल ख़ान से अंजुमन आबिदिया द्वारा निकाला गया तो लोगों का हुजूम जुलूस की जियारत को उमड़ पड़ा। नबी और इमाम हसन की शहादत तथा इमाम हुसैन की शहादत के पचासवे दिन अलम, ताबूत, ताजिया, अमारी, दुलदुल की जियारत करने के लिए बनारस के अलावा लोग दूसरे शहरों से भी लाट सरैया पहुंचे हुए थे। दोषीपुरा का जूलूस ९ बजे इमामबाड़े से मेहदी इमाम के जेरे निगरानी निकला । अंजुमन जाफरिया के दर्द भरे नौहाख्वानी पर तमाम अजादार मातम का नजराना पेश करते हुए आगे बढ़ते गए। हाए इमाम-ए-हुसैन, हाय रसूले जमन... की सदाएं बुलंद होती रही। बड़ी बाजार, पीली कोठी, हनुमान पाठक होते हुए जुलूस जलालीपुरा पहुंचा जहां अजादारों ने शहीदाने कर्बला को नजराना पेश किया। जवान और छोटे बच्चे लब्बैक या हुसैन...की सदाएं बुलंद कर रहे थे। 

शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया की हजारों की तादाद में लोग मातमदारो का हौसला देखते रहे। दूसरी ओर अंजुमन आबिदिया का जूलूस चौहट्टा से उठा। जो अपने कदीमी रास्तों से होते हुए जंजीर कमा का मातम करते हुए लाट सरैया सदर इमामबाड़े पहुंचा। इमामबाड़े पर हजारों की तादाद में मर्द , खवातीन, बच्चे अजादारों का इस्तकबाल करने के लिए मौजूद थे। इस अवसर पर मौलाना क़ासिद हुसैन , शफीक हैदर , जायर हुसैन , इकबाल हैदर आदि ने कर्बला के वाक़यात पर रौशनी डाली। इस अवसर पर सबील लगाकर खाना, पानी , चाय, शरबत, आदि का वितरण किया जा रहा था। हुसैनी टाइगर संस्था द्वारा ब्लड डोनेशन का आयोजन किया गया। जिसमें दो दर्जन ब्लड डोनेट किया गया। फरमान हैदर ने बताया की रास्ता खराब होने के वजह से जायरीन को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस अवसर पर सज्जाद अली , मीसम अली, शामिल रिजवी, मेहदी हसन आदि लोग मौजूद थे।

शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

Imam Hussain India आना चाहते थे: सैयद फरमान हैदर

कर्बला के शहीदों की याद में  जंजीर का मातम




शिवाला से निकले जुलूस में अलम लिए अजादार

Varanasi (dil India live). 08.09.2023. चेहल्लुम के बाद भी गमे हुसैन का दौर अभी पूर्वांचल के शहरों में जारी है. इसी सिललिसे से तीन जुलूस जुमे को भी बनारस शहर में उठाया गया. पहला जुलूस सैयद आलिम हुसैन रिजवी के शिवाला स्थित अजाखाने से दिन में चार बजे उठा. यहां मौलाना तौसीफ अली इमामे जुमा जामा मस्जिद अर्दली बाजार ने तकरीर करते हुए कर्बला के शहीदों और असीरों के मसायब बयां किए. यहां अंजुमन गुलजारे अब्बासिया ने दर्द भरा नौहा पेश किया जिसे सुनकर तमाम अजादारों ने जंजीर व कमा का मातम किया. जुलूस विभिन्न रास्तों से होता हुआ शिवाला चौराहे पर पहुंचा जहां पर इमाम हुसैन का पैगाम दुनिया के लिए क्या था इस पर मौलाना नजीर हुसैन लखनवी व सैयद फरमान हैदर ने तकरीर की. उलेमा ने कहा कि इमाम हुसैन के नाम पर पूरी दुनिया एक प्लेटफार्म पर आ सकती है. इमाम हुसैन को इंडिया से मोहब्बत थी. यही वजह थी कि उन्होंने कर्बला की जंग के पहले कहा था कि मुझे हिन्दुस्तान जाने का दिल कर रहा है. आज वही हिन्दुस्तान इमाम हुसैन के चाहने वालों का मरकज बन गया है. जुलूस शिवाला घाट जाकर सम्पन्न हुआ. ऐसे ही सलेमपुरा में दूसरा जुलूस उठा. जिसमें ताजिया, अलम व ताबूत आदि शामिल था. यहां अंजुमन आबिदिया ने नौहाख्वानी व मातम किया. ऐसे ही तीसरा जुलूस मसजिद डिपटी जाफर बख्त शिवाला से उठा. जुलूस में अंजुमन हैदरी चौक ने दर्द भरे नौहों पर जोरदार मातम का नजराना पेश किया. यह जुलूस भी शिवाला घाट जाकर सम्पन्न हुआ. जुलूस का यह सिलसिला २६ सफर तक जारी रहेगा.

शनिवार, 29 जुलाई 2023

आग के अंगारों पर दौड़ा विश्व प्रसिद्ध 'दूल्हे' का जुलूस

Ya Husain...ya Husain...की गूंजी सदाएं, निकला दूल्हे का जुलूस 

  • गश्ती अलम का निकला जुलूस 








  • Mohd Rizwan 
Varanasi (dil India live). हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इमामबाड़ा हज़रत कासिम नाल के सदर परवेज कादिर खां कि अगुवाई में अदब और एहतराम के साथ निकाला गया। सवारी पढ़ने के बाद जुलूस को दूल्हा कमेटी ने आवाम के हवाले किया जो अपने कदीमी रास्तों में लगी आग पर से होकर आगे बढ़ रहा था।अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। 

लोगों का हुजूम या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ शनिवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थाना क्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दिखाई दी।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का जनसैलाब जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देता हैं, समाचार लिखे जाने तक दूल्हा शिवाला कि गलियों में लगी आग से होकर अस्सी कि ओर बढ़ रहा था। जुलूस के साथ विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा रिजर्व पुलिस, पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के अध्यक्ष परवेज कादिर खां ने बताया कि जुलूस शनिवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। जुलूस जब ठंडा हो जाता है उसके बाद ही कर्बला के लिए ताजिया निकलती है। दूल्हे का जुलूस निकलने के बाद गश्ती अलम का जुलूस विभिन्न शिया इमामबाडों से निकाला गया जो गश्त करते हुए एक जगह से दूसरे जगह तक जाता दिखाई दिया। 

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

Moharram 8: आज निकलेगा दुलदुल, पेश होगा आंसुओं का नजराना

निकला मेहंदी का जुलूस, पेश हुआ दर्द भरा नौहा


Varanasi (dil India live)। कर्बला के शहीद hazrat kasim की याद में चौहट्टा लाख खां के इमामबाड़े से अंजुमन आबिदया के जेरे इंतेज़ाम बुधवार को मेहंदी का मशहूर जुलूस निकाला गया। इस मौके पर तमाम अंजुमनों ने दर्द भरे नौहों के बोल पर मातम का नजराना पेश किया। नौहे सुनकर सभी की आंखें नम हो गई। 

इस मौके पर पहला जुलूस मरहूम अच्छन छत्तन के इमामबाड़े से शाम 7 बजे निकला तो दूसरा रात 9.30 बजे जस्टिस सर फजले अली (पूर्व राज्यपाल आसाम) के इमामबाड़े से उठाया गया। अंतिम जुलूस चौहट्टा लाल खां में दानिश रिजवी, शामिल रिजवी, के इमाबाड़े से उठाया गया। जुलूस विभिन्न स्थानों से होकर लाट सरैयां स्थित सदर इमामबाड़े पर पहुंच कर समाप्त हुआ। 

मोहर्रम कि 8 वी तारीख आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ चांदी की शहनाई से नौहा बजाकर आसुंओ का नज़राना पेश करते थे। आज उन्ही की रिवायत को बिस्मिल्लाह खाँ साहब के पौत्र आफाक हैदर खाँ और उनके साथी फातमान  में रात्रि के 10 बजे शहनाई से आसुंओ का नज़राना पेश करेगेl यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर ने दी  है।

ऐसे ही आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार चाहमामा स्थित ख्वाजा नब्बू साहब के इमामबाड़े से सायं 8 बजे उठेगा l जिसमें अब्बास मूर्तज़ा शम्सी मजलिस पढ़ेंगे, जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथी सवारी पढ़ेंगे l जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी  स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर पहुंचेगा फिर वहाँ  से अंजुमन हैदरी चौक बनारस नौहाख्वानी व मातम करेगी। जुलूस दालमंडी, खजुर वाली  मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान पहुंचेगा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र नासिर अब्बास, आफाक हैदर व  उनके साथी शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश करेंगे l फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा , रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, कोदई चौकी सर्राफा बाजार  टेढ़ी नीम बांस फाटक कोतवालपूरा, कुंजीगर टोला, चौक, दालमंडी, चाहमामा होते हुए इमामबाड़े में समाप्त होगा l

अंर्दली बाजार में दुलदुल, अलम का जुलूस 

सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से 8 वीं मोहर्रम  गुरुवार को दुलदुल अंलम, ताबूत का  जुलूस 27 जुलाई  को रात्रि 9 बजे  उठेगा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाङा पर  समाप्त होगा। जुलूस में अंजुमन  इमामिया नौहा व मातम करेंगी। यह जानकारी इरशाद हुसैन "शद्दू"  ने दी है।

नाना के दीन को हुसैन ने बचा लिया 

काली महाल के जेपी टावर में सलमान हैदर के अजाखाने में मजलिस हुई तो दूसरी ओर मोहतरमा नुजहत फातिमा ने शेख सलीम फाटक में मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि इमाम हसन के बेटे व इमाम हुसैन के भतीजे जनाब-ए-कासिम महज 13 साल की उम्र में शहीद हो गए। कर्बला वालों ने हक़ और दीन के लिए अपनी शहादत देकर नाना के दीन इसलाम को बचा लिया। 

आज इमामबाड़े पहुंचेगा दुलदुल 

 छठी मोहर्रम यानी मंगलवार को अंजुमन जव्वादिया के संयोजन में कच्ची सराय इमामबाड़ा से निकला दुलदुल का कदीमी जुलूस बीती रात दरगाहे फातमान पहुंचा। वहां से सुबह फजर की नमाज के बाद फिर जुलूस जैतपुरा, बड़ी बाजार, नक्कीघाट होते हुए रात करीब 9 लौट सरैया पहुंचा। इस दौरान अंजुमनें नौहा मातम करती चल रही थी। आज गुरवार को वापस कच्चीसराय पहुंच कर जुलूस सम्पन्न होगा।

उधर लोहता में सुन्नी लोगों ने बुधवार कि शाम अलग-अलग मुहल्ले से अलम सद्दा का जुलूस निकाला। जुलूस विभिन्न मार्गो से होते हुए लोहता चौमुहानी पहुंचा। जुलूस में फन-ए-सिपाहगिरी का मुजाहिरा करते हुए अखाड़े भी शामिल थे। जुलूस को चौमहानी कुछ देर रुकने के हरपालपुर गांव ठंडा किया गया। 

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

6 moharram को निकला ‘दुलदुल’ का जुलूस

कच्चीसराय का यह जुलूस 40 घंटे तक चलेगा लगातार 

  • जुलूस कि जियारत को उमड़ रहे अकीदतमंद 



Varanasi (dil India live)। विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक लगातार चलने वाला ‘दुलदुल’ का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से उठाया गया। मुतवल्ली सैयद इकबाल हुसैन एडवोकेट के जेरे इंतेजाम निकाले गए इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहता था जो मातमी धुन बजाते हुए चल रहा था। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर नई सडक, काली महाल, माताकुंड, पितरकुंडा होकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाएगा। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होगा। यह जुलूस 6 से 8 मोहर्रम तक लगातार चलता ही रहता है। जुलूस में अंजुमन जववादिया बनारस ने नौहाख्वानी व मातम का नजराना पेश किया।

सोमवार, 17 जुलाई 2023

Benaras me moharram or julus


Varanasi (dil India live)। इस्लामिक कैलेण्डर का पहला महीना मोहर्रम आगामी 19 या 20 जुलाई से (चंद्र दर्शन के अनुसार) शुरू होगा। हिजरी सन का पहला महीना गम का है। इस महीने में शिया मुसलमान गमगीन रहते हैं क्योंकि इसी माह की दस तारीख को पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन को दुनिया के पहले आतंकवादी यजीद ने ईराक के कर्बला शहर में तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद कर दिया था। इन शहीदों में 6 माह के अली असगर भी थे। ऐसे में शहर बनारस में भी गौरीगंज, शिवाला, दालमंडी, मदनपुरा, बजरडीहा, दोषीपुरा, चौहट्टा, मुकीमगंज, प्रहलाद घाट, सरैया, अर्दली बाजार, कोयला बाजार आदि इलाकों में मजलिसों और जुलूसों का दौर शुरू हो जाता है। Dil India live के संपादक aman से इस सम्बन्ध में शिवाला स्थित कुम्हार के इमामबाड़े के संरक्षक सैयद आलिम हुसैन रिजवी, हजरत अली समिति के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने विस्तार से बातचीत की। 

बताया कि हिजरी सन 1445 का आगाज माहे मोहर्रम से होगा है, जो इस वर्ष 19 या 20 जुलाई 2023 से चांद के दर्शन के हिसाब से मोहर्रम शुरु होगा। इस दौरान शिया दो महीना आठ दिन तक ग़म का अययाम मनाते हैं। काला लिवास धारण करते हैं। इस दौरान शहर में तकरीबन 60 से ऊपर जुलूस एक से 13 मोहर्रम तक उठाये जायेंगे। इस्तकबाले अजा की मजलिसे 19 जुलाई से शुरु हो जायेगी। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में विभिन्न इलाकों में जुलूस उठेंगे।

पहली मोहर्रम

पहली मोहर्रम शहर भर के विभिन्न इलाकों में प्रातः सात बजे से मजलिसों का कार्यक्रम शुरु हो जायेगा। दिन में तीन बजे सदर इमामबाड़ा लाट सरैया में कैम्पस के अन्दर ही अलम और दुलदुल ताबुत का जुलूस उठाया जायेगा। अन्जुमन नौहा और मातम करेंगी। मोमनीन शिरकत करेंगे। 

दूसरी मोहर्रम

शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ के मकान पर दिन में 2 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा।

तीसरी मोहर्रम

अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीँ शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा ।

चार मोहर्रम

ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा।

पांचवीं मोहर्रम

वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

छठवीं मोहर्रम

इस दिन विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मश्शूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।   

मेहंदी का जुलूस

चौहट्टा लाल खां इलाके से मोहर्रम के सातवें रोज़ छोटी मेहंदी व बड़ी मेहंदी के दो कदीमी जुलूस निकाला जाता है। इसमें बड़ी मेहंदी का जुलूस सदर इमामबाड़ा जाकर देर रात सम्पन्न होता है।

आठवीं मुहर्रम

अलम व तुर्बत का जुलूस ख्वाजा नब्बू साहब के चहमामा स्थित इमामबाडा से कार्यक्रम संयोजक सयेद मुनाजिर हुसैन मंजू के संयोजन मे रात 8:30 बजे उठेगा जुलूस उठने पर शराफत अली खां साहब, लियाकत अली साहब व साथी सवारी पढेंगे। जुलूस दालमंडी पहुचने पर अंजुमन हैदरी चौक नौहा ख्वानी व मातम शुरू करेगी। जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होकर फातमान पहुंचेगा और पुनः वापस अपने कदीमी रास्तों से होते हुए चहमामा स्थित इमामबाडे  मे आकर एक्तेदाम पदीर होगा। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खा व साथी शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे।

नवीं मोहर्रम 

शहर भर के तमाम इमामबाड़ों में तथा इमाम चौक पर जातिया रखी जाती है जो सैकड़ों की तादाद में होती है। कई इलाकों में गश्तीअलम का जुलूस उठाया जाता है जो अपने इलाकों में भ्रमण करता है। लोग नौहा मातम करते चलते हैं। अंजुमन हैदरी चौक गश्ती अलम लेकर फातमान पहुंचती है वहां 4 बजे भोर में अंगारों पर चलकर मातम किया जाता है। 9 मोहर्रम को ही अपनी नवैयत का खास दुल्हा का जुलूस शिवाला से उठाया जाता है। जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं ये जुलूस बनारस की अलग पहचान रखता है। लोग शहर भर के इमामबाड़ों में जाकर नौहा मातम करते हैं ताजीये पर मन्नते मांगते हैं। 9 मोहर्रम को ही हड़हा सराय में सायं 3 बजे से हजरत अली असगर के झूले का जुलूस उठता है जो दालमण्डी, नईसड़क, कोदई चौकी होता हुआ छत्तातले पर समाप्त होता है।

दसवीं मोहर्रम यौमे आशूरा 

आज से 1378 साल पहले सन् 61 हिजरी (जुमा) में 10 वीं मोहर्रम को ही (शुक्रवार) के दिन इमाम हुसैन ने अजीम कारनामा कर दिखाया था। अपने साथ साथ अपने 71 साथियों जिसमें 18 परिवार के सदस्य भी थे। जिनमें 32 वर्ष का भाई अब्बास, 18 वर्ष का बेटा अली अकबर, 13 साल का भतीजा कासीम, 9 व 10 साल के भांजे औन तथा मोहम्मद के अलावा 6 महीने का उनका सबसे छोटा बच्चा अली असगर समेत शहादत दे दिया था। इसी अजीम शहादत कि याद में 10 वीं मोहर्रम को पूरे शहर भर में सुबह से जुलूसों का सिलसिला शुरू रहता है। शहर की तकरीबन 26 अंजुमने अलम व तुरबत व दुलदुल को जुलूस सुबह से शाम तक उठाती रहती है। जिसमें जंजीर व कमा (खंजर) का मातम होता है लोग आंसुओं के साथ-साथ खून का नजराना भी पेश करते हैं ये जुलूस विभिन्न इलाकों में उठते हैं और सदर इमामबाड़ा लाट सरैया और दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा शिवाले घाट पर शाम तक समाप्त होते हैं। शिया हजरात 10 मोहर्रम को जुलूस के बाद विभिन्न स्थानों पर शामे गरीबों की मजलिस करते हैं।

लुटा हुआ काफिला

ग्यारहवीं मोहर्रम को स्व. डा. नाजीम जाफरी के निवास से डा. मुज्तबा जाफरी के संयोजन में लुटे हुए काफिले का जुलूस 11 बजे दिन में उठाया जाता है इस जुलूस को चुप का डंका भी कहते हैं। रास्ते भर लोग नातिया कलाम पढ़ते हैं जो फातमान जाकर समाप्त होता है।  

तीजे का जुलूस

 शहर भर के इमामबाड़ों वर फातिहा दिलाई जाती है सुबह से ही इमाम के फूल की मजलिसें शुरू हो हैं दोपहर बाद आलम व अखाड़े का जुलूस उठाया जाता है। जो अपने रास्तों से होकर दरगाहे फातमान लल्लापुरा तथा सदर इमामबाड़ा लाटा पर शाम को समाप्त होता है।

तेरहवीं मोहर्रम

सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस शाम 4 बजे कैम्पस में ही उठाया जाता है। शहर की कई अंजुमने नौहा मातम करती हैं।

गुरुवार, 4 मई 2023

Ghazi Miya ki shadi 14 मई को

कल निकलेगा पलंग पीढ़ी का जुलूस 


Varanasi (dil india live). जैतपुरा थानान्तर्गत स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह गाजी मियॉ का पलंग-पीढ़ी (मेदनी) का जुलूस दिनॉक 5 मई शुक्रवार को बाबा के आस्ताने बड़ी बाजार से सुबह 8:30 बजे  दरगाह के गद्दीनशीन हाजी एजाजुद्दीन हाशमी के नेतृत्व में उठकर चौकाघाट हनुमान मंदिर के पास जायेगा और फिर वहॉ से मेदनी का जुलूस हुकूलगंज, कचहरी,अर्दलीबाजार,शिवपुर होते हुए बहराईच के लिये रवाना होगा।

गाजीमियॉ की बारात का तीन दिवसीय मेला दिनॉक 13 मई शाम से शुरू होगा, बाबा की शादी 14 मई रविवार को होगी और 15 मई सोमवार को दोपहर में गाजी मियॉ का मेला समाप्त होगा। यह सूचना दरगाह के गद्दीनशीन हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने दी है ।

सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

Eid miladunnabi पर मरकज़ी दावते इस्लामी निकालेगी जुलूस

मरकजी दावते इस्लामी ने किया यह खास ऐलान 


Varanasi (dil india live). हज़रत खाकी शाह  रहमतुल्ला अलैह शिवाला में हाफिज मोहम्मद जावेद अख्तर के बगीचे में जुलूस मुहम्मदी सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम के सिलसिले में अहम मीटिंग मौलाना अब्दुल हादी खान हबीबी रिजवी, की अध्यक्षता में आयोजित हुई। बैठक में संस्था के मेंबर्स व आशिक ए रसूल सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम एकत्रित हुए, और निर्णय लिया गया कि हर साल की तरह इस साल भी जश्ने आमदे रसूल सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम को बहुत ही सुंदरता के साथ मनाया जाएगा और जुलूस को इस तरह अपने पुराने मार्गों से मंजिल तक पहुंचया जाए ताकि किसी को रास्ते भर कोई कष्ट न हो, जुलूस को उसके सम्मानजनक और शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाए। 

नहीं रहेगा डीजे व घोड़ा 

निर्णय लिया गया कि जुलुसे मोहम्मदी में डीजे और बाइक व घोड़े गाड़ी आदि कतई न लाएं। सारे लोग पैदल, रास्ते भर दुरूद व सलाम और नात शरीफ़ पढ़ते हुए चलें। लाउड स्पीकर को उचित साउंड के साथ प्रयोग करें। जुलूस ए मोहम्मदी सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम में सम्मिलित होने वाले अन्य लोग व संगठन अपने अपने संगठन से कुछ विशिष्ट जिम्मेदार का चुनाव कर लें जो संगठन प्रतिभागियों को अच्छी तरह रास्ते भर उन पर नज़र रखें। 

शहर की स्थि‍ति के अनुसार चौक व चौराहों से जुलूस सुंदरता से ले जाएं और किसी को मार्ग में कष्ट न हो। जुलूस में सम्मिलित होने वाले आशिकाने रसूल ज्यादा से ज्यादा  सफेद कपड़े इमामा (पगड़ी) व खुशबू लगाकर तैयार होकर चलें, और रास्ता भर इधर उधर सैर सपाटा से बचें, ताकि आपके हर हर कदम से इश्के रसूल व मुहब्बते रसूल अभिव्यक्त होता रहे।

मंगलवार, 20 सितंबर 2022

Karbala k shahido की याद में निकला दुलदुल


Varanasi (dil india live). शहीदाने कर्बला की याद में सोमवार की शाम अलग अलग इलाकों से तीन जुलूस निकाले गए। इसमें शिवाला का ऐतिहासिक जुलूस भी शामिल था। सैय्यद आलिम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से दुलदुल का यह जुलूस निकाला गया। जुलूस हजरत खाकी शाह बाबा (रह.) चौराहे पर जब पहुंचा तो वहां मुख्य मार्ग पर मौलाना नसीर आजमी (मुंबई), मौलाना अकील हुसैनी व सैयद फरमान हैदर ने तकरीर की। इस दौरान कर्बला के मसायब सुनकर लोगों की आंखें नम हो गईं। अंजुमन गुलजारे अब्बासिया ने नौहाखवानी वह मातम किया।

मुख्य मार्ग पर अजादारों ने मातम करके खुद को लहूलुहान कर लिया। शिवाला से ही मस्जिद डिप्टी जाफर बख्त से अंजुमन हैदरी चौक ने ताजिया का जुलूस निकाला। दोनों जुलूस शिवाला घाट पर ठंडे किये गए। आलमपुरा स्थित मिर्जा मन्ना के आवास से दुलदुल, अलम व ताबूत का जुलूस निकला। अंजुमन आबिदिया के तत्वावधान में निकले जुलूस में रास्ते भर अंजुमन के लोगों ने जमकर मातम किया। पारम्परिक रास्ते से होता हुआ जुलूस लाट सरैयां स्थित सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ।

सोमवार, 19 सितंबर 2022

Aaj niklega शिवाला का ऐतिहासिक दुलदुल

Varanasi (dil india live)। शिवाला स्थित सैयद आलिम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से दुलदुल का कदीमी जुलूस आज दोपहर 3:00 बजे निकलेगा। जुलूस में शामिल अजादार दर्द भरे नौहों पर मातम करते हुए विभिन्न रास्तों से शिवाला घाट पहुंचेंगे। गंगा किनारे पहुंचकर यह जरूर संपन्न होगा। जुलूस से पहले मजलिस होगी। मजलिस में मौलाना नसीर आज़मी कर्बला के शहीदों और असीरों की जिंदगी पर रौशनी डालेंगे। इस दौरान अंजुमन नसीरुल मोमिनीन व अंजुमन गुलज़ारे अब्बासिया नौहाखवानी वह मातम करेंगी।

शनिवार, 17 सितंबर 2022

Chehhellum की पूर्व संध्या पर दर्द भरे नौहों संग निकला जुलूस





Varanasi (dil india live). चेहल्लुम इतवार को मनाया जाएगा। चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर वाराणसी में इमाम हसन, इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में अलग-अलग जुलूस उठे। इस दौरान जुलूस मार्ग दर्द भरे नोहों और मातम की सदाओं से गूंज रहा था। इस मौके पर हजारों लोगों ने सड़क पर उतरकर मातम का नजराना पेश किया। इस दौरान उलेमा ने मजलिस में कर्बला में शहीद हुए लोगों को सच्चा मोमिन बताया। कहा कि कर्बला में हुसैनियों ने अपना सिर कटा दिया मगर नाना के दीन को बचा लिया। उसे डूबने नहीं दिया। यही वजह है कि कायनात में केवल कर्बला के शहीद ही ऐसे मोमिन हैं जिनका चेहल्लुम 1400 साल से लगातार मनाया जाता है।

इससे पहलेेेेेे जुलूस की शुरुआत शायर ऋषि बनारसी के शिवाला स्थित इमामबाड़े से हुआ। इसमे अंजुमन क़सीमिया अब्बासिया ने नोहाखवानी व मातम किया। इस जुलूस में ताज़िया अलम ताबूत दुलदुल की ज़ियारत के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे थे। जुलूस से पहले मौलाना मेराज आबिदी ने मजलिस को खिताब किया। क़ासिम अली जानी ने सोज़ख़्वानी की। साहब, प्रिंनस और नासिर रजा ने नोहा पढ़ा।

नोहा और मातम की सदाओं संग जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ शिवाला घाट पर जाकर खत्म हो गया। वहीं, उसके बाद स्वर्गीय सलीम के निवास से अमारी, दुलदुल, आदि का जुलूस उठा। इसकी निगरानी अंजुमन आबिदिया चौहट्टा लाल ख्वां ने की। यह जुलुस सदर इमामबाड़े पर आकर समाप्त हुआ। उसी क्षेत्र से एक जुलूस मुकीमगंज से नवाब एहतेशाम के संयोजन में निकला गया। इसमें अंजुमन नासीरुल मोमेनीन ने नोहा मातम किया। जुलूस भी अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़े लाठ सरैया गया। अंतिम जुलूस शिवाला में डिप्टी जाफर बख्त के सामने स्वर्गीय हैदर बख्त के निवास से उठाया गया। जुलूस में अंजुमन क़सीमिया अब्बासिया गौरीगंज नोहा पैन किया जिस पर लोग मातम करते हुए चल रहे थे। वाराणसी में काली महाल में मज़ाहिर हुसैन रिज़वी के निवास पर कदीमी ताबूत उठाया गया। दालमंडी में ऐजाज़ हुसैन के निवास पर ताबूत उठाए गए। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने बताया कि दुनिया से 12 करोड़ लोग इमाम के रौज़े कर्बला में मौजूद हैं। इसमे भारत से भी लाखों लोग पहुंचे हैं। इमाम का 40 रविवार 18 सितंबर यानि 20 सफर के 9 पर मनाया जाएगा।

गुरुवार, 11 अगस्त 2022

Muharram 12th:अलम सददे के जुलूस में उमड़ा जनसैलाब

इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत शहीदाने कर्बला का मना तीजा

तीजे के जुलूस में भी दिखा तिरंगा झंडा





Varanasi (dil india live). इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत शहीदाने कर्बला का तीजा गुरुवार को पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। इस दौरान जहां अजाखानों व इमामबारगाहों में 12 वीं मुहर्रम पर फूल की जहां मजलिसे हुई वहीं घरों में फातेहा दिलाकर तबर्रुक तक्सीम किया गया। चना, इलायची दाना, पान, डली और तेल पर फातिहा कराकर अकीदतमंदों ने इमाम हुसैन व शहीदाने कर्बला को नजराना-ए-अकीदत पेश किया। दोपहर बाद अलग-अलग इलाकों से अलम व अखाड़ों के जुलूस निकले। जुलूस के दौरान फन-ए-सिपहगरी का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया गया। बुजुर्गो व बच्चों ने भी दिखावटी तलवार, बनेठी, लाठी आदि में अपने जौहर दिखाए। भोजूबीर, अर्दली बाजार, नदेसर, जैतपुरा, छित्तनपुरा, चौहट्टा लाल खां, कोयला बाजार, बजरडीहा, नई सड़क, लल्लापुरा, पितरकुंडा, पीली कोठी, सदर बाजार, शिवाला, गौरीगंज, बजरडीहा, नयी सड़क, दालमंडी आदि क्षेत्रों से निकले अलम सद्दे के जुलूस दरगाह फातमान पहुंचे। जुलूस में युवा 10 फीट से लेकर 50 फीट तक के अलम लेकर चल रहे थे, जिन्हें गुब्बारे, फूल-माला, मोती व बिजली के झालरों से आकर्षक रूप में सजाया गया था। नई सड़क चौराहे से दरगाह फातमान तक तिल रखने भर की भी जगह नहीं थी। मुख्य मार्ग के दोनों ओर के मकानों की छतों व बरामदों पर महिलाओं व बच्चों की भीड़ रही। उधर, गौरीगंज से नन्हे खां के इमामबाड़े से दोपहर बाद अलम का जुलूस निकला जो शिवाला के अलम के जुलूस को साथ में लेते हुए सैकड़ों लोग कलाम पेश करते चल रहा था। जुलूस शाम में अकीदत के साथ सम्पन्न हुआ।

स्वयंसेवी संगठन रहे सक्रिय

तीजा के जुलूस में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए स्वयं सेवी संस्थाओं के वालंटियर्स जुलूस में मुस्तैद रहे। श्री सड़क स्टेट मीडिया की ओर से जहां सहायता के लिए कैम्प लगा हुआ था वहीं जिया क्लब की ओर से शकील अहमद जादूगर के संयोजन में पितरकुंडा चौराहे के पास चिकित्सा शिविर लगाया गया था। ऐसे ही अंजुमन इस्लामिया की ओर से नई सड़क चौराहे पर हाजी मुहम्मद शाहिद अली खां मुन्ना के संयोजन में सहायता व चिकित्सा शिविर लगाया गया।

देर रात तक गूंजती रही मातम की सदा 

शिया हजरात के घरों में फूल की मजलिस हुई। लोगों ने फातेहा कराकर तबर्रुक तक्सीम किया। घरों व इमामबारगाहों में मजलिस आयोजित हुई। इस दौरान मुकीमगंज, अर्दली बाजार, शिवाला, गौरीगंज, चौहट्टा लाल खां, काली महल, चहमामा, दालमंडी, मदनपुरा, पितरकुंडा आदि क्षेत्रों में शिया हजरात के घरों से देर रात तक नौहाख्वानी व मातम की सदा गूंजती रहीं।

सोमवार, 8 अगस्त 2022

Muharram 9th:आग के अंगारों से होकर गुजरा विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस

दूल्हा घायल लौटा जुलूस, फिर दूसरे दूल्हे संग आग पर कूदा जुलूस



Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil india live). शहीदाने कर्बला हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से अकीदत एवं एहतराम के साथ उठा यह जुलूस निकलते ही तब उसे वापस इमामबाड़े लौटना पड़ा जब दूल्हे का हाथ उखड़ गया। इस दौरान अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। पुनः दूसरे व्यक्ति को दूल्हा बना कर जुलूस निकाला गया। जुलूस या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ मंगलवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थानाक्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का हुजूम जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देते बढ़ता गया। इस दौरान या हुसैन की सदाएं बुलंद हो रही थी। इस दौरान विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के सचिव मोहम्मद खालिद ने बताया कि जुलूस मंगलवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। समाचार लिखे जाने तक जुलूस लगातार या हुसैन,या हुसैन...की संस्थाएं बुलंद करता हुआ आगे बढ़ रहा था। 

आकर्षक ताजिये की हुई जियारत

9 वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर सभी ताजिया फातेहा करके बैठा दी गईं। शहर भर में इनकी जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। अर्दली बाजार, दालमंडी, नई सड़क, मदनपुरा, बजरडीहा आदि इलाकों से ताजिया दरगाहे फातमान की ओर कल रवाना होगी।

 बुर्राक की ताजिया, पीतल की ताजिया, रांगे की ताजिया, शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, मोतीवाली ताजिया, हिंदू लहरा की ताजिया, जरी की ताजिया, शाबान की आदि प्रमुख ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं।









शनिवार, 6 अगस्त 2022

Moharram 8th: अंर्दली बाजार में दुलदुल, अलम, ताबूत का जुलूस कल

Varanasi (dil India live). 8th moharram के मौके पर सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से रविवार को दुलदुल अंलम, ताबूत का जुलूस 7 अगस्त को रात्रि 9 बजे उठेगा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी कम्पाउन्ड स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाड़े पर समाप्त होगा। जुलूस में अंजुमन  इमामिया नौहाखवानी व मातम करेंगी। यह जानकारी इरशाद हुसैन "शद्दू"  ने दी है।

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

Muharram 3rd: नवाब की ड्योढ़ी से निकला दुलदुल का कदीमी जुलूस

नाना मेरे रसूले ख़ुदा मैं हुसैन हूं...

दर्द भरे नौहे फिजा में बुलंद कर आगे बढ़ा अंजुमन जव्वादिया का जुलूस 


Varanasi (dil india live). तीसरी मोहर्रम को अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज से अकीदत के साथ निकाला गया। यह जुलूस नवाब की ड्योढ़ी से शाम में उठा। जुलूस, नाना मेरे रसूले ख़ुदा मैं हुसैन हूं, गूंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं...। जैसे दर्द भरे नौहे फिजा में बुलंद करता हुआ आगे बढ़ा। जुलूस में अंजुमन जव्वादिया नौहाखवानी वह मातम करते हुए चल रही थी। वहीं शिवाला स्थित सैयद आलीम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से से भी एक जुलूस उठाया गया, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त हुआ। रास्ते भर अंजुमनों ने नौहाखवानी वह मातम का नजराना पेश किया। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के इमामबाड़े से भी अलम का जुलूस उठा।

कल शिवाला से निकलेगी ताजिया

चार मोहर्रम को ताजिये का जुलूस शिवाला में सैयद आलीम हुसैन रिजवी के निवास से निकलेगा। जुलूस गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात 8 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त होगा। 

जुलूस मार्ग से हटाया डिवाइडर


मोहर्रम के जुलूसों को देखते हुए एडीसीपी ट्रैफिक दिनेश पुरी के निर्देश पर नई सड़क चौराहे और फाटक शेख सलीम पर से आज डिवाइडर हटवाया गया। दरअसल मुहर्रम के जुलूस इसी रास्ते से गुजरते है और डिवाइडर जुलूस के रास्ते को बाधित कर रहा था।


शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

Muharram 2022: चांद के दीदार संग शुरू होगा माहे मोहर्रम

मस्जिदों में होगा कर्बला के शहीदों का जिक्र, अज़ाखाने होंगे गुलज़ार

मोहर्रम के जुलूस मार्गों को दुरुस्त करने की उठी मांग

Varanasi (dil india live). Muharram 2022: ईदुल अजहा की 29 तारीख आज चांद रात है। अगर चांद का दीदार हो जाता है तो माहे मोहर्रम की शुरुआत हो जाएगी। मोहर्रम की एक तारीख 30 जुलाई को होगी। अगर चांद का दीदार नहीं होता है तो कल चांद देखकर मोहर्रम का महीना शुरू हो जाएगा। मस्जिदों में 1से 10 मोहर्रम तक कर्बला के शहीदों का जहां जिक्र होगा वहीं शिया काले लिवास पहन लेंगे, शिया ख़्वातीन अपनी चूड़ियां उतार देंगी और अज़ाखाने गुलज़ार हो जाएंगे। मोहर्रम की 10 तारीख को यौमे आशूरा मनाया जाता है। इसी दिन कर्बला में नबी के नवासे इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत 72 लोगों को शहीद कर दिया गया था। शहीद होने वालों में छोटे छोटे बच्चे भी शामिल थे।

जुलूस मार्गों को दुरुस्त करने की उठी मांग

मोहर्रम पर उठने वाले जुलूस को देखते हुए डर्बीशायर क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद जादूगर ने बताया कि मोहर्रम शुरू होने वाला है ऐसे में जिस रास्ते से जुलूस गुजरेगा उन मार्गों के उखड़ा हुआ चौका और गड्ढों को ठीक किया जाए। सीवर लाइन ठीक कराया जाए व इमामबाड़ों के पास जिस जिस तरफ से जुलूस गुजरेगा चूने का छिड़काव कराया जाय। उन्होंने कहा कि लटका हुआ बिजली का तार ठीक कराया जाए। सैयद आलिम हुसैन रिजवी व सैयद फरमान हैदर ने कहा कि शहर भर में तकरीबन 25 अलग अलग अंजुमनों द्वारा 60 से ज्यादा जुलूस मोहर्रम में निकलता है। इसमें कई सैकड़ों साल कदीमी जुलूस भी है, जिसे गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए भी याद किया जाता है।

शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

कर्बला के शहीदों की याद में निकला जुलूस

गमे हुसैन के आखिरी साठे के जुलूस में हुआ मातम

 वाराणसी 15 अक्टूबर(न्यूज दिल इंडिया लाइव)। गमे हुसैन के अन्तिम दिन और शिया वर्ग के 11वें इमाम हजरत हसन असकरी की शहादत पर शुक्रवार को साठे का जुलूस निकाला गया। इसी के साथ ग़म का दो माह आठ दिन का अय्याम पूरा हो गया।


या हुसैन की दर्द भरी सदाओं के बीच पुरानी अदालत दालमंडी में स्थित शब्बीर और सफदर के अजाखाने से निकले जुलूस में शहीदाने कर्बला को आंसुओं का नजराना पेश किया गया। जुलूस में शामिल अलम, दुलदुल, तुरबत और अमारी की जियारत की गई और लोगों ने मन्नतें उतारीं। रास्ते भर अंजुमन हैदरी के दर्द भरे नौहें अकीदतमंदों की आंखें नम करते रहे। जुलूस नई सड़क काली महल पहुंचा तो यहां सैकड़ों की तादाद में मौजूद मर्द, ख्वातीन, बुजुर्ग, नौजवान, बच्चे और बच्चियों ने अमारी का इस्तकबाल किया। यहां से जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ और शासन के गाइडलाइन के अनुसार नौहा और मातम करता हुआ दरगाहे फातमान पहुंचा। जहां अलविदाई मजलिस हुई। इससे पूर्व हुईं मजलिसों में कर्बला की शहादत के मंजर को बताया गया।

साठे का जुलूस उठने से पहले मजलिस को खेताब करते हुए लखनऊ से आए मौलाना इरशाद अब्बास नक़वी ने बताया कि इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों जिसमें एक छह माह का बच्चा भी था। सबको तीन दिन का भूखा और प्यासा शहीद करने के बाद उस वक्त के दुर्दांत बादशाह और वक्त के पहले आतंकवादी यजीद के हुक्म पर उनकी औरतों, बच्चों और बीमार बेटे को पैदल करबला से कूफा और कूफा से शाम तक पैदल अजियत (यातनाए) देते हुए ले जाया गया। यज़ीदी फ़ौज ने बच्चों और औरते के गले एक रस्सी से बांध दिए थे। यदि औरतें उठती थीं तो बच्चों का गला कसने लगता था और वो दर्द से तड़प उठते थे। बच्चों को दर्द से बचाने के लिए इमाम के घर की औरतों ने 3590 किलोमीटर का सफर कमर को झुकाकर किया। यही नहीं यदि कोई औरत या बच्चा चलते चलते रुक जाता था तो उसे कोड़ों से मारा जाता था। 

मौलाना की ये तकरीर सुन वहां मौजूद शिया समुदाय की महिलाएं और पुरूष बिलख पड़े। मौलाना ने बताया कि इमाम हुसैन और उनके साथियों को सिर्फ इसलिये शहीद कर दिया गया क्योंकि इमाम हुसैन ने अपने नाना पैगंबर साहब के दीन को बचाने के लिए यजीद की शर्तों पर अपनी हामी नहीं दी थी। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि आज इमाम हसन असकरी की शहादत पर ताबूत भी उठाया गया। आखिर में असकरी रज़ा सईद ने शुक्रिया अदा किया।

यौमुन्नबी वीक में मनेगी खुशी

दो महीने आठ दिन, गम के दिन पूरे होने पर शनिवार को शिया हजरात खुशी मनाएंगे। गमों का लिबास उतारकर खुशियों के नए लिबास ओढ़ेंगे। घरों में पकवान बनेंगे। शिया जामा मसजिद के प्रवक्ता सै. फरमान हैदर ने बताया कि शिया वर्ग अब यौमुन्नबी वीक मनायेगा, घरों व इमामबाड़ों में महफिलें होंगी।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...