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गुरुवार, 10 जुलाई 2025

13 Mahe Muharram : निकला जुलूस, सदर इमामबाड़े में दुल-दुल की हुई जियारत

शहर में खमसा की मजलिसों का आगाज़, अजुमनों ने किया नौहाख्वानी व मातम 

Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live).13 मोहर्रम 1447 हिजरी को शिया समाज द्वारा तेहरवें दिन भी जुलूस निकाला गया। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि प्रेस विज्ञप्ति के जरिये बताया कि सदर इमामबाड़ा में अंजुमन अंसान हुसैनी आवामी बड़ी बाजार के जेरे इन्तजाम अबुल हसन व मोहर्रम अली की निगरानी में अलम व दुल-दुल का जुलूस उठाया गया। मौलाना जायर हुसैन ने मजलिस को खिताब किया तथा कई शायरों ने कलाम पेश किये। जुलूस में जिन अंजुमनों ने नौहामात्म किया उनके नाम इस प्रकार हैं - अंजुमन हुसैनिया, अंजुमन आबिदया, अंजुमन जाफरिया, अजादार हुसैनी, कारवाने कर्बला, सज्जादिया, जाफरिया कदीम, अंजुमन सदाये अब्बास, अंजुमन चिरागे अली, अंजुमन अंसारे हुसैनी रसूलपुरा आदि शामिल रहे। बड़ी संख्या में लोग जियारत के लिए सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पहुँचे। 

फरमान हैदर ने बताया कि खमसा (पांच दिवसीय) मजलिस बड़ा सराय में आबिद जाफर के अजाखाने पर मौलाना तौसीफ अली ने खिताब किया। अर्दली बाज़ार, काली महल में हाजी बाबू के अजाखाने पर तथा कच्ची सराय में भी मजलिसों का आयोजन हुआ। मजलिसों का यह सिलसिला लगातार जारी रहेगा।

सोमवार, 7 जुलाई 2025

Mahe Muharram 11: UP k Varanasi main निकला लुटे हुए काफिले का जुलूस

दालमंडी से निकले जुलूस में बजा इमाम हुसैन की जीत का डंका

दोषीपुरा में उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत 


Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live). उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आज 7 जुलाई (11 मोहर्रम 1447 हिजरी) सोमवार को बनारस में इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों व असीरो की याद में ग़म मनाने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान हकीम काजि़म और डॉक्टर नाजिम जाफरी के आजाखाना दालमंडी से उठाया गया। इस जुलूस को चुप के डंके का जुलूस भी कहते हैं जुलूस से पहले मजलिस को इमाम हैदर ने खिताब किया और कई शायरों ने अपने कलाम पेश किए। 

जुलूस की खासियत है के इसमें नौहाख्वानी व मातम नहीं होता बल्कि लोग लाउडस्पीकर पर शाहिदाने कर्बला को खिराज अकीदत पेश करते हुए शेर सुनाते हुए नज्में पढ़ते हुए सलाम पढ़ते हुए चलते रहते हैं। इसमें मौके पर सरफराज हुसैन, शुजात हुसैन, सैयद फरमान हैदर, प्रिंस, अब्बास जाफरी, सलमान हैदर जुलूस में व्यवस्था संभालने हुए थे।


जुलूस के नई सड़क पहुंचने पर सैयद फरमान हैदर ने कलाम पेश किया। लगभग पिछले 50 वर्षों से या कलम पेश कर रहे हैं अशरे पर भी जो शब्बीर का गम नहीं करते, वह पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत है तो महशर में भी कहना, हम जिंदा ए जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस दालमंडी से उठकर दालमंडी, नई सड़क, काली महल, पितरकुंडा होता हुआ दरगाहे फातमान पहुंचा, यहां रौजे पर सलामी देने के बाद मजलिस का आगाज़  हुआ। संयोजक अब्बास जाफरी व जीशान जाफरी  जुलूस के साथ-साथ चल रहे थे। पदम् श्री वाइस चांसलर प्रो. ऐनुल हसन (मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी हैदराबाद) ने कलाम को पेश किया और साथ-साथ हैदर कीरतपुरी ने भी कलाम पेश किया।

मजलिसों की शुरुआत जनाबे जैनब की देन

ख़्वातीन की मजलिस को किताब करते हुए डॉक्टर नुज़हत फातेमा ने कहा कि आज जो सारे जमाने में मजलिस हो रही है। यह इमाम हुसैन की बहन जनाबे जैनब की देन है, उन्हें कर्बला में कैद कर लिया गया था। उन्होंने सारी दुनिया में इमाम हुसैन के पैगाम को पहुंचाया। 

उठा 18 बनी हाशिम का ताबूत 

दोषीपुरा के बारादरी इलाके में दोषीपुरा की अंजुमनों ने 18 बनी हाशिम का ताबूत उठाया। इस मौके पर आयोजन की जिया़रत के लिए बड़ी संख्या में अजादार दोषीपुरा पहुंचे। यहां मजलिस का आयोजन हुआ और एक-एक ताबूत का परिचय कराया गया।


रविवार, 6 जुलाई 2025

Varanasi main निकला Dulhe ka जुलूस, फिज़ा में गूंजा Ya Husain...ya Husain

आग के अंगारों पे दौड़ें इमाम हुसैन के दीवाने 


सरफराज/रिजवान 
Varanasi (dil India live). हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (प्राचीन) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इमामबाड़ा हज़रत कासिम नाल के सदर परवेज कादिर खां कि अगुवाई में निकला। इस दौरान सवारी पढ़ने के बाद जुलूस को दूल्हा कमेटी ने आवाम के हवाले किया जो अपने कदीमी रास्तों में लगी आग पर से होकर आगे बढ़ता रहा। इस दौरान अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला से लेकर हर अलावा के पास उमड़ा हुआ था। 

लोगों का हुजूम या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर दौड़ते हुए हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ इतवार को वापस लौटा। जुलूस शहर के छह थाना क्षेत्रों से गुजरा। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दिखाई दी।


इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का जनसैलाब जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देता हुआ शिवाला कि गलियों में लगी आग से होकर अस्सी कि ओर बढ़ गया। जुलूस अहातारोहिला, गौरीगंज, भेलूपुर, रेवड़ी तालाब, बाजार सदानंद, राजापुरा, गौदोलिया, नयी सड़क लल्लापुरा, फातमान, पितरकुंडा, दालमंडी, मदनपुरा, सोनारपुरा व हरिश्चंद्र घाट होकर वापस शिवाला के इमामबाड़ा दूल्हा हज़रत कासिम नाल पहुंचा।


जुलूस के साथ विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा रिजर्व पुलिस, पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के अध्यक्ष परवेज कादिर खां ने बताया कि जुलूस इतवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से शाम में उठेगा जो शिवाला घाट पर पहुंच कर ठंडा होगा। दूल्हे का जुलूस निकलने के बाद गश्ती अलम का जुलूस विभिन्न शिया इमामबाडों से निकाला गया जो गश्त करते हुए एक जगह से दूसरे जगह तक जाता दिखाई दिया। 

शनिवार, 28 जून 2025

2 Mahe Muharram: मस्जिदों में उलेमा ने किया कर्बला का जिक्र

दूसरी मोहर्रम को शिवपुर से निकला दुलदुल का जुलूस
 

Sarfaraz Ahmad 

Varanasi (dil India live)। मोहर्रम की दो तारीख को भी शिया अजाखानो में मजलिसों और मातम का जहां दौर अपने शबाब पर रहा वहीं दूसरी ओर सुन्नी मस्जिदों में जिक्रे शहीदाने कर्बला का आयोजन देर रात तक चलता रहा। पठानी टोला, कोयला बाजार, बडी बाजार, अर्दली बाजार, नई सडक, लल्लापुरा, शिवाला, गौरीगंज, बजरडीहा, नवाबगंज, रेवडीतालाब, मदनपुरा आदि इलाकों की मस्जिदों में उलेमा ने कर्बला का जिक्र किया। उधर शिवपुर में अंजुमन पंजतनी के तत्वावधान में अलम व दुलदुल का जुलूस देर रात उठाया गया। जुलूस में अंजुमन पंजतन, अंजुमन इमामियां अर्दली बाजार समेत कई अंजुमनों ने शिरकत किया। जुलूस विभिन्न रास्तों से होकर वापस इमामबाडे पहुंच कर समाप्त हुआ। उधर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के मकान पर कदीमी मजलिस का आयोजन किया गया। जिसमें अंजुमन हैदरी ने नौहाख्वानी व मातम का नजराना पेश किया। 


ऐतिहासिक अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से इतवार की सायं 5 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जव्वादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। वहीं शिवाला स्थित आलीम हुसैन रिजवी के निवास से भी एक जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर में बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलम का जुलूस उठाया जायेगा।

बुधवार, 25 जून 2025

Mahe Muharram 2025: Varanasi में क्यों खास होता है मोहर्रम यहां जानिए

यौमे आशूरा चेहल्लुम ही नहीं एक मोहर्रम से साठे तक जुलूस ही जुलूस 

कर्बला के शहीदों की याद दो माह आठ दिन रहेगा ग़म का अय्याम 

१३ दिन तक लगातार निकलेगा जुलूस मनाया जाएगा इमाम हुसैन का ग़म


सरफराज अहमद 

Varanasi (dil India live). बनारस का मोहर्रम कई मायनों में दूसरे शहरों से खास होता है। ज़्यादातर शहरों में मोहर्रम की खास तारीखों पर ही जुलूस निकाला जाता है और बड़े आयोजन होते हैं जिसमें यौमे मोहर्रम की दस तारीख यानी आशूरा, तीजा, चेहल्लुम ही खास होता है मगर मजहबी शहर बनारस में शहीदाने कर्बला की याद में यौमे आशूरा चेहल्लुम ही नहीं बल्कि एक मोहर्रम से साठे तक जुलूस ही जुलूस ही जुलूस निकाले जाते हैं। कर्बला के शहीदों की याद में दो माह आठ दिन ग़म का अय्याम रहता है। इस दौरान एक मोहर्रम से १३ दिन तक लगातार जुलूस निकाला जाता है। 

कब है मोहर्रम, कैसे होगी शुरुआत 

इमाम हुसैन की याद में मनाएं जाने वाला माहे मोहर्रम यूं तो चांद के दीदार के साथ शुरू होता है। यह महीना इस्लामी हिजरी सन् का पहला महीना होता है। कल हिजरी माह की 29 तारीख है। अगर कल चांद का दीदार होता है तो मोहर्रम का आगाज़ हो जाएगा। चांद के दीदार के साथ ही अजाखाने सजा दिए जाएंगे ख़्वातीन अपनी चूड़ियां और साजो श्रृंगार हटाकर काला लिवास पहन लेंगी। मर्द भी काले पोशाक में हो जाएंगे। एक मोहर्रम से जुलूस का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा जो दो माह आठ दिन तक चलेगा। इस दौरान शादी ब्याह और खुशी के कोई भी आयोजन नहीं होंगे।

यह है मोहर्रम का शिड्यूल

शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी सैयद फरमान हैदर, मौलाना सूफियान नक्शबंदी, तथा मौलाना उस्मान ने संयुक्त रूप से आज पत्रकारों को खिताब करते हुए मोहर्रम का शिड्यूल जारी किया। इस अवसर पर हाजी फरमान हैदर ने बताया कि शहर की २८ शिया अंजुमने तथा लाखों की तादाद में मुसलमान इमाम चौक से ताजिया उठाकर इमाम हुसैन की शहादत पर खेराजे अकीदत पेश करेंगे। हैदर ने बताया कि पहला जुलूस पहली मोहर्रम को सदर इमामबाड़े में सायंकाल ४ बजे कैंपस में ही उठाया जाएगा। यहां अलम और दुलदुल के साथ अंजुमने नोहाख्वानी व मातम का नज़राना पेश करेंगी। कार्यक्रम मुतवल्ली सज्जाद अली गुज्जन की निगरानी में आयोजित होगा। 

दूसरी मोहर्रम शिवपुर में अंजुमने पंजतनी के तत्वाधान में अलम व दुलदुल का जुलूस रात 8.00 बजे उठाया जायेगा। बनारस के अलावा दूसरे शहरों की अंजुमनें भी शिरकत करेंगी। भारत रत्न उस्ता बिस्मिल्ला खां के मकान पर दिन में 2. 00 बजे कदीमी मजलिस का आयोजन होगा। 

तीसरी मोहर्रम तीसरी मोहर्रम को अलम व दुलदुल का कदीमी जुलूस औसानगंज नवाब की ड्योढ़ी से सायं काल 5.00 बजे उठाया जायेगा। अंजुमन जीवादिया जुलूस के साथ-साथ रहेगी। इसी दिन शिवाला में अलीम हुसैन रिजवी के निवास से अलम ताबूत का जुलूस उठाया जायेगा, जो हरिश्चन्द्र घाट के पास के कुम्हार के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। तीन मोहर्रम को ही रामनगर के बारीगढ़ी स्थित सगीर साहब के मकान से अलग का जुलूस उठाया जायेगा। 

चौथी मोहर्रम को ताजिये का जुलूस शिवाले में आलीम हुसैन रिजवी के निवास से गौरीगंज स्थित काजिम रिज़वी के इमामबाड़े पर समाप्त होगा। चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से 2.00 बजे दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़े तक जायेगा। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस दुलदुल का चौहट्टा लाल खां इमामबाड़े से रात 8:00 बजे उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा लाट सरैया पर समाप्त होगा। 

पाँचवी मोहर्रम को छत्तातले गोविन्दपुरा इमामबाड़े से अलम का जुलूस अंजुमन हैदरी के संयोजन में उठाया जायेगा। जुलूस में लोग मरसिया पढ़ेंगे। शहनाई पर मातमी धुन भारत रत्न उस्ताद विस्मिल्लाह खां के परिवार के लोग पेश करेंगे। जिसमें जामीन हुसैन, फतेह अली, अली अब्बास आदि शामिल रहेंगे। पांच मोहर्रम को अर्दली बाजार में हाजी अबुल हसन के निवास से इमाम हुसैन के छः महीने के बच्चे शहीद अली असगत की याद में झूले का जुलूस उठेगा। जो मास्टर जहीर हुसैन के इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होगा। पांच मोहर्रम को ही रामनगर में महाराज बनारस की मन्नत का जुलूस उठाया जायेगा। जिसमें अलम व दुलदुल शामिल रहेगा। ये जुलूस अहले सुन्नत हजरात उठाते हैं।

छठी मोहर्रम :- ये तारीख बनारस के मोहर्रम के लिए ऐतिहासिक है। इसमें दुलदुल का जुलूस सायं 5.00 बजे अंजुमन जव्वादिया के जेरे इम्तियाज कच्चीसराय इमामबाड़े से उठाया जाता है। ये जुलूस तकरीबन 40 घंटे तक पूरे शहर में भ्रमण करता है। सभी धर्मों के लोग इसमें शिरकत करते हैं। तकरीबन 9 थाना क्षेत्रों से होकर यह जुलूस गुजरता है और 8 मोहर्रम की सुबह समाप्त होता है। 

सातवीं मोहर्रम को चौहट्टा लाल खां में इमाम हुसैन के भतीजे (इमाम हसन के पुत्र) 13 साल के जनाबे कासिम की याद में मेहदी का जुलूस में उठाया जाता हैं। यहां मेहंदी का दो जुलूस उठाया जाता है। एक जुलूस देर रात अपने कदीमी रास्ते से होता हुआ सदर इमामबाड़े लाट सरैया पर समाप्त होता है। ये जुलूस अंजुमन आबिदया के जेरे इन्तजाम उठाया जाता है। दोषीपुरा में अंजुमन कारवाने कर्बला द्वारा मेहदी का जूलूस उठाया जाता है। हर घर में जनाबे कासिम की याद में रात 12.00 बजे मेंहदी रोशन की जाती है। और फातिहा होती है। सात मोहर्रम को कर्बला में इमाम हुसैन व उनके साथियों का पानी बन्द कर दिया गया था। 

आठवीं मोहर्रम का दिन इमाम हुसैन के छोटे भाई से सम्बन्धित है। इस दिन जनाबे अब्बास के नाम पर हाजिरी की फातिहा करायी जाती है। जनाबे अब्बास इमाम हुसैन के (अलमबरदार) भी थे। इस मौके पर रात 8 बजे खाजा नब्बू के चाहमामा स्थित निवास से ताबूत का जुलूस अजुमन हैदरी के तत्वाधान में उठाया जायेगा। लियाकत अली कर्बलायी मर्सिया पेश करेंगे। इसी जुलूस में शहनाई पर मातमी धुनों के साथ आंसुओं का नजराना पेश करेंगे। ये जुलूस फातमान से पलटकर भोर में छत्तातले पर समाप्त होगा। शिवाले में डिप्टी जाफर बख्त की मस्जिद से अलग व ताबूत का जुलूस उठाया जायेगा। शिवाले में ही बराती बेगम के इमामबाड़े से दुलदुल का जुलूस उठकर कुम्हार का इमामबाड़ा हरिश्चन्द घाट पर समाप्त होगा। आठ मुहर्रम को ही चौहट्टा लाल खा में मिरजा मेंहदी के निवास से अलम व ताबूत का जूलस उठकर मिरपूरा इमामबाड़े जाकर समाप्त होगा। चौहट्टा लाल खां में ही एक और जुलूस आलीम हुसैन के मकान से ताबूत व अलम का जुलूस उठाया जायेगा। इस जुलूस की विशेषता यह है कि पूरे रास्ते में अधेरा का दिया जाता है। रास्तों की लाईट बुझा दी जाती है। यह जुलूस भी मीरपुरा इमामबाड़े पर जाकर समाप्त होता है। आठ मोहर्रम को ही अर्दली बाजार में जियारत दुसैन के निवास से शब्बीर शद्दू के संयोजन में अलम व दुलदुल का उठाया जायेगा।

ऐसे ही मोहर्रम की नव तारीख को शहर के सभी इमामबाड़ों से गशती अलम का जुलूस निकाला जाता है साथ ही शिवाला से दूल्हे का जुलूस निकाला जाता है। ऐसे ही दसवीं मोहर्रम को इमाम हुसैन समेत कर्बला के वीरों की शहादत मनाई जाती है। शहर भर में जुलूस उठाया जाता है। ऐसे ही ग़म का यह अययाम दो माह आठ दिन तक चलेगा। 

11 मोहर्रम को दालमंडी से लुटा हुआ काफिला।

12 मोहर्रम को कर्बला के शहीदों का शहर भर में चीजें का जुलूस।

13 मोहर्रम को सदर इमामबाड़े में दुलदुल का जुलूस उठेगा।

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

Moharram 8: जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के...

आठवीं मोहर्रम को निकला कदीमी दुलदुल का जुलूस

–शान से बैठायी गई प्रमुख ताजियां, कल आग से होकर गुजरेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस  






Varanasi (dil India live)।  मोहर्रम पर शहर की प्रमुख रांगे की ताजिया, पीतल की ताजिया, नगीने की ताजिया, कुम्हार की ताजिया आदि लोगों की जियारत के लिए इमामबाडे में बैठा दी गई। बची हुई सभी ताजिया जुमे को इमाम चौकों पर बैठायी जाएंगी और शनिवार को उन्हें कर्बला में दफन किया जाएगा। मोहर्रम को देखते हुए पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर पैदल गश्त बढ़ा दी गई। थाना प्रभारियों ने विभिन्न स्थानों पर गश्त कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक सिगरा व चौकी प्रभारी लल्लापुरा मय सशस्त्र बल चौकी क्षेत्र लल्लापुरा में रांगे कि कदीमी ताजिया और दरगाहे फातमान आदि का पैदल गस्त कर निरीक्षण किया। 

निकला अलम, ताबूत का जुलूस

चाहमाहमा स्थित ख्वाजा नब्बू साहब के इमामबाड़े से कदीमी आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार संयोजक सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे इंतेजाम जहां उठाया गया वहीं अर्दली बाजार में दुलदुल, अलम व ताबूत का कदीमी जुलूस निकला।

चाहमाहमा के ख्वाजा नब्बू के इमामबाड़े में तुर्बत व अलम का जुलूस जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए अब्बास मूर्तज़ा शम्सी ने मौला अब्बास की शहादत बयान किया। जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की- "जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के, और अर्शे बरी हिल गया गिरने से अलम के"। जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर   पहुँचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू की। "अब्बास क्या तराइ में सोते हो चैन से" जिसमें शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, मज़ाहिर हुसैन, राजा व शानू ने नौहाख्वानी की।

जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान पहुँचा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र नासिर अब्बास, आफाक हैदर व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा, रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, कोदई चौकी, सर्राफा बाजार, टेढ़ी नीम, बांस फाटक, कोतवालपूरा, कुंजीगरटोला, चौक, दालमंडी, चाहमामा होते हुए इमामबाङे में समाप्त होगा l उधर सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से 8 वीं मोहर्रम गुरुवार को दुलदुल अलम, ताबूत का जुलूस 27 जुलाई को रात्रि 9 बजे उठा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाङा पर समाप्त हुआ। जुलूस में अंजुमन इमामिया नौहा व मातम किया। इरशाद हुसैन "शद्दू" ने शुक्रिया अदा किया।  

कल निकलेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस 

विश्व प्रसिद ‘दूल्हा’ कासिम नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खां की अगुवाई में नौवीं तारीख की रात सदियों पुरानी परंपरा शहीदाने कर्बला की याद में एशिया का इकलौता 'दूल्हे का जुलूस' निकलेगा। इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम के घोड़े की नाल के साथ 'दूल्हा' नंगे पांव 30 टन लकडि़यों के दहकते अंगारों पर से होकर गुजरेगा तो साथ में ‘या हुसैन, या हुसैन’...की सदाएं बुलंद करते हुए लाखों लोग शामिल होंगे। दूल्हे के वापस इमामबाड़ा पहुंचने के बाद ही ताजियों का जुलूस दसवीं मोहर्रम को उठना शुरू होगा। दूल्हा नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खान के मुताबिक कर्बला की जंग के समय हजरत कासिम की शादी तय थी लेकिन शहीद होने के कारण दूल्हा नहीं बन सके उनकी याद में ही इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार  सैकडो साल पुरानी परंपरा काशी में चली आ रही है। हजरत कासिम के घोड़े की नाल को पकड़ने वाले को दूल्हा कहा जाता है और उस पर इमाम हुसैन की सवारी आती है।

कमेटी के मो. खालिद ने बताया कि इमामबाड़े में हज़रत कासिम के घोड़े की नाल रखी हुई है। इसे सिर्फ इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवीं व दसवीं मुहर्रम को ही बाहर निकाला जाता है। इमामबाड़ा की दीवारों पर प्रतीकात्मक रूप से खून के छींटे कर्बला के मंजर की याद दिलाते हैं।

दूल्हे का जुलूस शनिवार की रात 9 बजे शिवाला से प्रारंभ होकर शहर के भदैनी, अस्सी दुर्गाकुंड, गौरीगंज’ भेलूपुर, रेवड़ी तालाब, नई सड़क होते हुए माध्यरात्रि के बाद फातमान पहुंचेगा। 12 किलोमीटर लंबे रास्ते में जगह-जगह लोग जुलूस आने के पहले ही दस-दस मन लकड़ी के अलाव जलाएंगे। इन्हीं अंगारों पर से दूल्हा और जुलूस में शामिल लोग दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं।