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गुरुवार, 13 जुलाई 2023

Helth dipartment अलर्ट मोड पर, चल रहा डेंगू जागरूकता माह

डेंगू के डंक से है बचना तो जागरूक और सतर्क रहना

  •  ठहरे व साफ पानी में पनपता है डेंगू का मच्छर
  • बारिश के मौसम में संक्रामक बीमारियों से रहें बेहद सावधान



Varanasi (dil India live). बारिश का मौसम आते ही जगह-जगह जलभराव और गंदगी जमा होने से कई संक्रामक बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है। ऐसे में सभी को सतर्क व सावधान रहने की जरूरत है। इसी के मद्देनजर जुलाई माह को डेंगू जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। साथ ही संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, फाइलेरिया आदि संक्रामक बीमारियों के बारे में समुदाय को जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। खास बात यह है कि इस साल अभी तक जनपद में डेंगू का एक भी मरीज नहीं मिला है।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने निर्देशित किया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर बुखार से ग्रसित लोगों की जांच करें। पॉज़िटिव मरीजों की सूचना जिला मलेरिया इकाई को अनिवार्य रूप से दें। मच्छर पैदा करने वाले स्रोतों का पूर्णतः विनष्टीकरण करें। छिड़काव और फोगिंग के लिए नगरीय क्षेत्र में नगर विकास तथा ग्रामीण क्षेत्र में पंचायती राज विभाग से सहयोग लें। सरकारी चिकित्सालयों और ब्लॉक स्तरीय सीएचसी पीएचसी को आवश्यक बेड आरक्षित करने के लिए निर्देशित किया है। ग्रामीण व नगर के उच्च जोखिम (हॉट स्पॉट) वाले क्षेत्रों पर सक्रिय रूप से छिड़काव और फोगिंग का कार्य कराया जाए।

एसीएमओ व संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि डेंगू, मलेरिया, टीबी, फाइलेरिया आदि संचारी रोगों से नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है। 17 जुलाई से शुरू होने वाले दस्तक अभियान में घर-घर जाकर बुखार, टीबी व फाइलेरिया के रोगियों को चिन्हित कर उनका उपचार कराया जाएगा। सभी आशा कार्यकर्ताओं को रेपिड टेस्ट किट और वेक्टर सर्विलान्स के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। प्रत्येक सीएचसी पीएचसी पर रेपिड रिस्पोंस टीम का गठन किया जा चुका है।                   

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू एक जानलेवा संक्रामक रोग है जोकि संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू से ग्रसित कर सकता है। बरसात के मौसम में ही डेंगू का खतरा बढ़ने लगता है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में ही काटते हैं। इसके मच्छर ठहरे हुये व साफ पानी में पनपते हैं जैसे - कूलर के पानी, रुंधे हुये नालों में और नालियों में। डेंगू कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को आसानी से हो सकता है । इसलिए इसके प्रति बेहद सावधान, सतर्क व जागरूक रहने की आवश्यकता है। 

उन्होंने बताया कि जनवरी 2023 से अभी तक जिले में डेंगू के लिए करीब 1500 रेपिड टेस्ट हो चुके हैं जिसमें कोई भी पॉज़िटिव नहीं पाया गया। वहीं मलेरिया के लिए करीब 67564 लोगों की ब्लड स्लाइड से जांच की जिसमें 12 पॉज़िटिव पाये गए। ये सभी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। जिले के सभी सरकारी चिकित्सालयों तथा शहरी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों पर डेंगू, मलेरिया आदि के जांच की सुविधा मौजूद है। 

डेंगू के लक्षण 

- तेज सिरदर्द व बुखार का होना

- मांस पेशियों एवं जोड़ों में अधिक दर्द होना

- आँखों के पीछे दर्द होना

- जी मिचलाना, उल्टी, दस्त तथा त्वचा पर लाल रंग के दाने होना

- गंभीर मामलों में नाक, मुंह, मसूड़ों से खून आना। 

- स्थिति गम्भीर होने पर प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से कमी

जिला मलेरिया अधिकारी ने कहा कि डेंगू फैलाने वाला मच्छर घरों के अंदर व आसपास रूके हुये साफ पानी में पनपता है जैसे कि कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पीने के पानी का बर्तन, फ्रिज की ट्रे, फूलदान, नारियल का खोल, टूटे हुये बर्तन व टायर इत्यादि।

क्या करें 

- पानी से भरे हुए बर्तनों व टंकियों आदि को ढक कर रखें।

- सप्ताह में एक बार कूलर को खाली करके सुखा दें।

- यह मच्छर दिन के समय काटता है। ऐसे कपड़े पहनें जो बदन को पूरी तरह ढकें। डेंगू के उपचार के लिए कोई खास दवा या वैक्सीन नहीं है।

- डॉक्टर की सलाह पर बुखार उतारने के लिए आवश्यक दवा जरूर लें

- अधिक बुखार होने पर डाक्टर की सलाह लें। डाक्टर की सलाह पर रोगी को अस्पताल में भर्ती अवश्य करा दें।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

Health news : कहीं Tb का संकेत तो नहीं है लगातार पीठ व रीढ़ का दर्द ?

दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम 

समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा



Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द  है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया।  कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर  चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो  परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं  जब तक  चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता  कि  रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।  वह बताते हैं  कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।


कैसे होती है रीढ़ की  हड्डी में tb

 डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती  है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।  रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर  लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास  नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर  होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के कारण

क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती  है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण

 पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार

 डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।

मंगलवार, 24 जनवरी 2023

dav pg college news: मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी

Varanasi (dil india live). डीएवी (dav) पीजी कॉलेज (pg college) में स्थित सिफ्सा द्वारा संचालित यूथ फ्रेंडली क्लीनिक के तत्वावधान में मंगलवार को मानसिक स्वास्थ्य एवं जीवन कौशल विषय पर बीए प्रथम वर्ष के मनोविज्ञान विषय के विद्यार्थियों के साथ संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया 

कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रोफेसर सत्यगोपाल जी ने कहा कि वर्तमान परिवेश में मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित होना बहुत आवश्यक है। आज युवाओं में विभिन्न प्रकार की मानसिक समस्याएं सामने आ रही है जिसके लिए उन्हें तैयार होना होगा। यह युथ फ्रेंडली क्लीनिक उनके लिए काफी मददगार सिद्ध होगा। उन्होंने किशोरावस्था में होने वाली समस्याओं और उनका निदान भी बताया और कहा कि मानसिक स्वास्थ्य समग्र है जो जीवन भर आवश्यक रहता है।

कार्यक्रम नोडल अधिकारी डॉ. कल्पना सिंह के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। कार्यशाला में डॉक्टर अखिलेंद्र कुमार सिंह और डॉक्टर राजेश कुमार झा ने भी विचार रखे। कार्यक्रम में 50 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए।

सोमवार, 16 जनवरी 2023

Varanasi में उत्साह के साथ मनाया गया ‘‘एकीकृत निक्षय दिवस’’

India को टीबी मुक्त बनाने में सभी के सहयोग की जरूरत: CMO 



Varanasi (dil india live).राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम व टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सोमवार को जिले में ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान कार्यक्रमों का आयोजन कर टीबी मरीजों को पोषण पोटली वितरित की गयी साथ ही मंडलीय चिकित्सालय, जिला राजकीय चिकित्सालय व सर सुंदरलाल चिकित्सालय (बीएचयू) समेत जिले के समस्त हेल्थ वेलनेस सेंटर, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में आने वाले व्यक्तियों की टीबी स्क्रीनिंग की गई और संभावित 1लक्षण वाले 10 फीसदी व्यक्तियों का बलगम एकत्र कर जांच के लिए भेजा गया । इसके अलावा कुष्ठ रोग, कालाजार व फाइलेरिया की भी जांच की गयी।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से हर माह की 15 तारीख को ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ मनाने का निर्णय लिया गया है लेकिन इस बार 15 तारीख को अवकाश होने के कारण 16 जनवरी को ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य टीबी रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ ही अधिक से अधिक टीबी मरीजों का चिन्हित कर उनका उपचार करना, प्राइवेट नोटिफिकेशन में तेजी लाना, पोषण सामग्री व आर्थिक सहयोग से उन्हें जल्द से जल्द स्वस्थ करना है । उन्होंने कहा कि देश को टीबी मुक्त बनाने में सभी के सहयोग की जरूरत है। लिहाजा इस दिशा में सभी को मिलजुल कर प्रयास करना चाहिए ताकि वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाया जा सके।

‘एकीकृत निक्षय दिवस’ पर श्री शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय में आयोजित कार्यक्रम में एसआईसी डॉ  घनश्याम मौर्य ने सामाजिक संस्था कुसुम मेमोरियल फाउण्डेशन व आदित्य फाण्डेशन के सहयोग से 16 क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान किया। इस दौरान डीटीसीएमओ डॉ अन्वित श्रीवास्तव, एसटीएस धर्मेन्द्र  सिंह, टीबी एचवी संदीप कौशल,  संजय भारती, रमेश लाल, टीबी चैम्पियन मो. अहमद, के अलावा अरुण सिंह व आलोक सिंह मौजूद थे। पोषण पोटली प्राप्त करने के बाद मैदागिन निवासी संजय (19 वर्ष) ने कहा कि यह उनके लिए काफी लाभदायक होगी। कोयला बाजार की सीफा (15 वर्ष ) ने बताया कि उपचार कराने में उसे सभी सहयोग मिल रहा है। अब पोषण पोटली इसमें और सहायता करेगी।

नगरीय सीएचसी दुर्गाकुंड में ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय ने क्षय रोगियों को पोषण पोटली प्रदान की । इस अवसर पर उन्होंने कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है । टीबी की दवा पूरी अवधि तक लेना है और एक भी दिन दवा छूटनी नहीं चाहिए । शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौकाघाट में भी ‘एकीकृत निक्षय दिवस’ पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर डॉ अतुल सिंह ने टीबी के मरीजों को पोषण पोटली प्रदान किया। साथ ही उन्होंने मरीजों को नियमित दवा का सेवन करने, हरी सब्जी के साथ पोषणयुक्त भोजन करने तथा समय-समय पर जांच कराने की सलाह दी।  इस अवसर पर अधीक्षक डा. मनमोहन, टीबी सुपरवाइजर शिव कुमार सोनकर, टीबी लैब सुपरवाइजर सुरेंद्र कुमार यादव, टीवीएचवी पवन पाठक टीबीएचवी  प्रवीण कुमार, एलटी राजीव, टीपीटी सुपरवाइजर विपिन कुमार, टीबी चैंपियन साबरीन बानो फार्मासिस्ट अर्चना समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी उपस्थित रहे।

बुधवार, 11 जनवरी 2023

Yoga welness center or aayush बना रहे हैं health

योग से हो रहे हैं निरोग, सीख रहें स्वस्थ जीवन का भी हुनर

योग वेलनेस सेंटर व आयुष हेल्थ वेलनेस सेंटर बने है मददगार  




Varanasi (dil india live). भेलूपुर निवासी 35 वर्षीय अजय शुक्ल कमर में दर्द के साथ ही तेजी से बढ़ते वजन की समस्या से परेशान थे। भेलूपुर स्थित स्वामी विवेकानन्द चिकित्सालय स्थित योग वेलनेस सेंटर में उन्होंने सम्पर्क कर उन्होंने योग करना शुरू किया।  चार माह में  में उन्हें सार्थक परिणाम नजर आने लगे। वजन 86 किलो से घट कर 69 किलो तो हुआ ही और साथ ही कमर के  दर्द में पूरी तरह आराम भी मिल गया । गौरीगंज की रहने वाली इशरत (28 वर्ष) हाई ब्लड प्रेशर के साथ ही चिड़चिड़ापन की समस्या से तंग थी। उन्होंने भी इस योग वेलनेस सेंटर में अनुलोम-विलोम, भ्रामरी जैसे प्राणायाम के साथ ही ध्यान करना सीखा। दो महीने के प्रयास के बाद उन्हें भी आराम मिलना शुरू हो गया। ब्लड प्रेशर तो सामान्य रहता ही है अब उनका चिड़चिड़पन भी खत्म हो गया।

भेलूपुर स्थित योग वेलनेस सेंटर के योग प्रशिक्षक मनीष कुमार पाण्डेय बताते हैं कि अजय शुक्ल और इशरत तो महज नजीर है। इस सेंटर में योग के जरिये विभिन्न बीमारियों से ठीक होने वालों की लम्बी फेहरिश्त है। वह बताते हैं कि वर्ष 2019 में जब इस सेंटर की शुरूआत हुई थी तब यहां महज दस-बारह लोग ही प्रतिदिन योग के जरिये उपचार कराने के लिए आते थे लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 40 से 50 के बीच पहुंच गयी है। इससे खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि योग के जरिये बीमारियों का उपचार कराने वालों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ी हैं। इनमें अधिकांश लोग शुगर, गठिया, ब्रोकाइटिस, स्पांडिलाइसिस, थायराइड जैसे रोगों से पीड़ित होते हैं। योग के जरिये हो रहा उपचार उनके लिए काफी लाभकारी हो रहा है। वह बताते हैं कि भेलुपुर के अलावा सीएचसी शिवपुर व पं.दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय-पाण्डेयपुर में भी योग वेलनेस सेंटर संचालित है। वहां भी योग के जरिये लोगों को योग के जरिये निरोग बनाने के साथ-साथ उन्हें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखायी जाती है। 

यहाँ भी होता है yog से उपचार

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डा. भावना द्विवेदी बताती हैं कि प्रदेश सरकार लोगों को सेहतमंद बनाने के लिए चिकित्सा के साथ ही योग के लिए भी जागरूक कर रही है। आयुष मिशन के तहत इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में योग वेलनेस सेंटर के अतिरिक्त ‘आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ भी  खोले गये है। वाराणसी में रामनगर, आयर, पलहीपट्टी, सिंधोरा, मंगारी, भाद्रासी, कठिरावं, रामेश्वर में आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचलित हैं जहाँ योग के जरिये उपचार के साथ ही योग का प्रशिक्षण भी दिया जाता है । यह केंद्र सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक खुले रहते हैं। इसके अतिरिक्त योग प्रशिक्षक सप्ताह में दो दिन समुदाय में अलग से कैंप लगाकर लोगो को योग करना सिखाते हैं।

 इन रोगों के उपचार में लाभदायक है yoga 

डिप्रेशन, शुगर, लीवर की बीमारी, गठिया, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, माइग्रेन, अस्थमा, ह्र्दय से सम्बंधित रोग, अनिद्रा, मानसिक रोग।

शनिवार, 31 दिसंबर 2022

New year में भी होगा health सेवाओं का वृहद विस्तार: cmo

मिलेंगी mru, bsl-3 सहित अन्य जरूरी लैब

ग्रामीण संग नगर क्षेत्र में बढ़ेंगे आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर

Varanasi (dil india live). मुख्य चिकित्सा अधिकारी ड. संदीप चौधरी का कहना है कि जनपद के समस्त सरकारी चिकित्सालयों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार हुआ है। इसमें आधारभूत संरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) के साथ डिजिटलीकरण पर पूरा ज़ोर दिया गया। अब नए साल में भी नवीन चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा जिससे मरीजों को डिजिटलीकरण के साथ बेहतर उपचार की सुविधा मिल सके और एक स्वस्थ व बेहतर समाज की कल्पना की जा सके । 

इस क्रम में सर्वप्रथम उन बिन्दुओं पर प्रकाश डालते हैं जिन्हें वर्ष 2022 में पूरा किया गया। 

- चार प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) क्रमशः डीडीयू चिकित्सालय स्थित मातृ व शिशु स्वास्थ्य (एमसीएच) विंग, सीएचसी चौकाघाट, सीएचसी दुर्गाकुंड और मुख्यमंत्री द्वारा गोद ली गई सीएचसी हाथी बाजार । 

- तीन हेल्थ एटीएम क्रमशः सीएचसी चौकाघाट, सीएचसी दुर्गाकुंड और पीएचसी बड़ागांव में स्थापित ।

- विभिन्न आठों ब्लॉक में 65 आयुष्मान भारत  - हेल्थ वेलनेस सेंटर की बढ़ोतरी, अब हुए 225 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ।   

- गैर संचारी रोग कार्यक्रम के अंतर्गत सभी 11 ग्रामीण व शहरी सीएचसी में सेंटीनल/पैथालोजी लैब स्थापित। 

- सभी 12 सीएचसी पर मिनी पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) स्थापित । 

- स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण के लिए ई-कवच पोर्टल, मंत्रा एप, आधारबद्ध जन्म पंजीकरण, यूबीआई फेसिंग अटेंडेंस एप का संचालन शुरू हुआ। 

- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की उपस्थिति के लिए एएमएस एप।

- सभी हेल्थ वेलनेस सेंटर पर टेली मेडिसिन की सुविधा शुरू।  

New year 2023 में बढ़ेंगी यह सुविधाएं -  

- तीन मल्टी डिसिप्लेनरी यूनिट (एमआरयू) लैब, एक बीएसएल-3 लैब, एक पब्लिक हेल्थ लैब।  

- राजकीय चिकित्सालयों में हृदय रोगियों की सुविधा के लिए केंद्र। 

- सभी सीएचसी और पीएचसी पर बेड की संख्या में बढ़ोतरी के लिए एक-एक यूनिट। 

- सभी पीएचसी व सीएचसी सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एक-एक हेल्थ एटीएम। 

- दो ब्लॉक स्तरीय पब्लिक हेल्थ यूनिट।  

- दो नगरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सारनाथ और काशी विद्यापीठ)। 

- ग्रामीण क्षेत्र में 75 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और नगर क्षेत्र में 48 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर।

सोमवार, 12 दिसंबर 2022

Kangaroo mother care: शिशु व मां के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी

प्री-मेच्योर शिशु , कम वजन के नवजातों की देखभाल का है खास तरीका

 • प्राकृतिक उपचार के इस तरीके में मां और शिशु के बीच बढ़ती है बॉन्डिंग





Varanasi (dil india live). जन्म बाद शिशु का स्वस्थ रहना बेहद जरूरी होता है। इसमें जरा भी लापरवाही से शिशु के कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की आशंका हो जाती है। खास तौर प्री-मेच्योर शिशु अथवा कम वजन वाले नवजात के प्रति तो और भी अधिक सतर्कता बरतनी होती है। ऐसे ही नवजातों  की देखभाल का एक खास तरीका है “कंगारू मदर केयर”।

जिला महिला चिकित्सालय स्थित एसएनसीयू की प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला मल्लिक उक्त जानकारी देते हुए बताती है कि कई शिशुओं का जन्म समय से पहले ही हो जाता है। ऐसे शिशुओं का वजन सामान्य शिशुओं की तुलना में कम होता है। लिहाजा उन्हें देखरेख की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे शिशुओं के लिए “कंगारू मदर केयर” (केएमसी) बेहद लाभदायक है। यह सिर्फ शिशु ही नहीं उसकी मां के लिए भी लाभदायक होता है। प्राकृतिक उपचार के इस तरीके में मां और शिशु के बीच बॉन्डिंग भी बढ़ती है ।

 क्या है कंगारू मदर केयर

डा. मृदुला मल्लिक बताती हैं कि कंगारू मदर केयर नवजातों के उपचार का एक प्राकृतिक तरीका है। जिस तरह मादा कंगारू अपने बच्चे को छाती से लगाकर उसे दूध पिलाने के साथ उसका ख्याल रखती है ठीक उसी तरह कंगारू मदर केयर में भी शिशु को मां की छाती से बीचोबीच लगाकर रखने की सलाह दी जाती है, ताकि मां और शिशु का स्किन टू स्किन’ सम्पर्क बना रहे। वह बताती हैं कि इसके लिए माताओं को ऐसे कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है जिनमें उनके शरीर से शिशु का शरीर सीधे स्पर्श करता रहे। मां के शरीर से शिशु के स्पर्श हो जाने के बाद शिशु के पीठ वाले हिस्से को कवर करने को कहा जाता है ताकि मां के शरीर की गर्मीं से शिशु को गर्माहट दी जा सके।

कंगारू मदर केयर से लाभ

डा. मृदुला के अनुसार ढाई किलो से कम वजन वाले शिशु को केएमसी की सलाह दी जाती है। कम वजन के नवजात को  निमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। सर्दियों में यह खतरा और अधिक होता है। इसलिए इस समय भी कंगारू मदर केयर अपनाने की सलाह दी जाती हैं। ऐसा करने से शिशु को मां के शरीर का स्पर्श मिलने की वजह से गर्माहट मिलती है।  कंगारू मदर केयर में शिशु मां की छाती से चिपका होता है। इस प्रक्रिया में शिशु और मां की बॉन्डिंग इतनी ज्यादा मजबूत हो जाती है कि दोनों एक दूसरे की जरूरत को बखूबी समझते हैं। इससे वह न केवल वह प्री मैच्योर डिलीवरी की समस्याओं से ऊबर पाता है बल्कि धीरे-धीरे उसका वजन नियंत्रण में आ जाता है। वह बताती है कि केएमसी करते समय यह जरुर ध्यान देना चहिये कि यह एक से डेढ़ घंटे से कम की न हो । इस प्रक्रिया को दिन-रात में जितना अधिक हो सके करना चाहिए। घर का कोई स्वस्थ सदस्य भी केएमसी दे सकता है। 

 यहां करें सम्पर्क 

डा. मृदुला कहती है कि कंगारू मदर केयर अपनाने से पहले डाक्टर से सलाह जरूर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय के एसएनसीयू  कक्ष में इसे अपनाने की जानकारी  निःशुल्क दी जाती है।

शनिवार, 10 दिसंबर 2022

India में 1 लाख 33 हजार health व welness center, जल्द पूरा होगा डेढ़ लाख का लक्ष्य

सभी के स्वस्थ रहने पर आएगी खुशहाली:राज्यपाल 

अंतिम व्यक्ति तक बेहतर चिकित्सा सुविधा पहुंचाना सरकार का लक्ष्य 

टेलीकंसल्टेशन से हर रोज हो रहा चार लाख से अधिक का उपचार

• सम्मेलन समुदायों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने में सीएचओ की भूमिका अहम-मनसुख मांडविया

 • सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का दो दिवसीय अंतरराज्यीय सम्मलेन शुरू



Varanasi (dil india live). सभी के स्वास्थ्य की उचित देखभाल से ही देश में खुशहाली संभव है। यह तभी होगा जब समाज का अंतिम व्यक्ति तक बेहतरीन चिकित्सा सेवा मिलेगी। सरकार की मंशा के अनुरूप आम जन तक इस चिकित्सा व्यवस्था को पहुंचाने में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अहम भूमिका निभा रहे हैं। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के दो दिवसीय अंतरराज्यीय सम्मलेन को वर्चुवली सम्बोधित करते हुए उक्त विचार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य जन्म से लेकर जीवन के अंतिम पल तक जुड़ा रहने वाला विषय है। केन्द्र और प्रदेश सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास कर रही है। बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिए एक आन्दोलन जैसा चल रहा है। इसमें जन भागीदारी का नतीजा है कि हम तमाम बीमारियों पर अब काफी हद तक अंकुश लगा चुके है। उन्होंने कहा कि इसमें हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इच्छा जताई कि 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बढ़ते उम्र के साथ होने वाले शारीकि व मानसिक बदलाव से उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। हो सके तो ऐसी महिलाओं के लिए विशेष चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाए।

इसके पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने प्रदेश व अन्य प्रदेशों से आए मंत्री की उपस्थिति में दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) दिवस  पर रुद्राक्ष कनवेंशन सेंटर में शनिवार से शुरू हुए इस सम्मेलन को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उसके घर के समीप ही उपलब्ध हों। इस मंशा के अनुरूप ही जगह-जगह पीएचसी के साथ ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर भी खोले गये है। ‘हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ समाज के अंतिम व्यक्ति तक निशुल्क, सस्ती व बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं को पहुंचाने में मददगार साबित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में स्वास्थ्यकर्मियों ने जो भूमिका निभायी उसकी न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनियां में प्रशांसा हुर्इ। देश के स्वास्थ्यकर्मियों ने यह साबित कर दिया कि विपरीत परिस्थ्यिों में रहते हुए भी हम सीमित संसाधनों में सभी को बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा सकते है।  उन्होंने कहा कि ‘हेल्थ आर्मी’ ने कोरोना काल में जिस तरह अपने जीवन की चिंता किये बगैर काम किया उसी तरह उम्मीद है कि वह यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के लिए भी बेहतरीन परिणाम देकर एक इतिहास रचेगी। उन्होंने कहा कि देशभर में एक लाख पचास हजार हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर बनाने का लक्ष्य रखा गया। इस लक्ष्य के अनुसार अबतक एक लाख 33 हजार हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर खुल चुके हैं।  उन्होंने कहा सिर्फ हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर खोले ही नहीं जा रहे है उन पर चिकित्सकों की तैनाती की भी योजना है। इसके लिए देश में नये मेडिकल कालेजों को खोलने का भी प्रयास चल रहा है। यह भी प्रयास है कि मेडिकल छात्र ऐसे हेल्थ एण्ड वेलनसे सेंटर पर अपनी सेवाए देने के लिए जुड़े। उन्होंने कहा कि  आज देश में र्इ-संजीवनी प्लेटफार्म से हर रोज चार लाख से अधिक लोग इस सेवा का लाभ ले रहे है।  उन्होंने कहा कि टीबी मुख्त भारत बनाने के लिए आज समाज के हर क्षेत्र से लोग आगे आ रहे है। निक्षय पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों के अनुसार 44 हजार से अधिक क्षय रोगियों को अबतक जनप्रतिनिधियों, गैर सरकारी संस्थाओं से जुड़े प्रतिनिधियों, फर्मो एवं संगठनों ने गोद लिया है। ऐसा ही प्रयास होता रहा तो वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने में सफल रहेंगे।

सम्मेलन में टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा प्रदान करने वाले बड़े राज्यों तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, एवं पश्चिम बंगाल को क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी प्रकार संघ शासित क्षेत्र के चण्डीगढ़ एवं जम्मू-कश्मीर के साथ साथ उत्तर पूर्व पहाड़ी राज्यों में से मणीपुर एवं असम को पुरस्कृत किया गया।

 सबसे अधिक आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट जेनरेशन (आभा) आईडी बनाने वाले तीन बड़े राज्यों उड़ीसा,मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर  के  साथ उत्तरपूर्व पहाड़ी राज्य असम एवं मिजोरम को पुरस्कृत किया गया।  आयुष्मान भारत के अंतर्गत बने हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर पर उत्कृष्ट कार्य कर रही पांच राज्यों बिहार, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश की टीमो को पुरस्कृत किया गया। सम्मेलन में अतिथियों का स्वागत अपर मिशन निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) रोली सिंह व सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राजेश भूषण ने किया। मिशन निदेश,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी अपर्णा ने सम्मेलन में समस्त अतिथियों के साथ-साथ प्रतिभाग कर रहे सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों, चिकित्सा अधिकारियों, जिला प्रशासन एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी की इस कार्यक्रम की सफलता के लिए धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में प्रदेश के मंत्रीद्वय  रविन्द्र जायसवाल, डा.दयाशंकर मिश्र दयालु के अलावा  विभिन्न राज्यों से आये स्वास्थ्य मंत्रीगण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (भारत सरकार) से आये अधिकारीगण के अलावा  सहयोगी संस्था यूसेड, जपाईर्गो, पाथ, डब्ल्यूएचओ, आर्इहैट एवं बिल एण्ड मिलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन के प्रतिनिधि शामिल थे।

मंगलवार, 8 नवंबर 2022

Phc-chc में भी भर्ती किये जायें डेंगू के मरीज:डीएम

टेली medicine के लिए बढ़ाये जाएं और चिकित्सक

डीएम की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों संग डेंगू को लेकर बैठक



Varanasi (dil india live). जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि डेंगू के मरीजों को कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) व प्राथमिक हेल्थ सेंटर (पीएचसी) में भी भर्ती किया जाय। यहां तक की डेंगू के संदिग्ध मरीजों को भी भर्ती कर उनका उपचार किया जाये।

 जिलाधिकारी एस राजलिंगम मंगलवार को विकास भवन सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ डेंगू को लेकर बैठक कर रहे थे। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने डेंगू मरीजों के उपचार के संदर्भ में अबतक की गयी व्यवस्था की जानकारी जिलाधिकारी को दी। जिलाधिकारी ने कहा कि शासन की मंशा के अनुरूप लोगों को उनकी आवश्यकतानुसार बेहतर चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित कराया जाए, इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता ना होने पाए। अस्पतालों में चिकित्सकों के साथ-साथ पैरामेडिकल स्टाफ की उपस्थिति शत-प्रतिशत सुनिश्चित किया जाए। डेंगू का इलाज करा रहे मरीजो एवं उनके तीमारदारों को किसी भी प्रकार की असुविधा न होने पाए। जिलाधिकारी ने कहा कि डेंगू पीड़ितों को अपने घर के समीप ही उपचार मिले इसके लिए जरूरी है कि सभी सीएचसी व पीएचसी में डेंगू पीड़ित मरीजों की भर्ती की जाये। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। यहां तक कि ऐसे मरीज जिन्हें बुखार आ रहा है और उनमें डेंगू के लक्षण है तो उन्हें भी भर्ती कर उपचार किया जाये। साथ ही टेलीमेडिसिन व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाये। जिलाधिकारी ने जनपद में तैनात वेक्टर सर्विलांस टीम की जानकारी ली और निर्देश दिया कि इस टीम को ऐसे इलाके में तत्काल भेजा जाय जहां डेंगू के मरीज मिल रहे है। वहां घर-घर जाकर यह टीम यह पता करे कि वहां कहीं जलजमाव व डेंगू मच्छर के लार्वा तो नहीं है। बैठक में सीडीओ हिमांशू नागपाल, एसीएमओ डा. एसएस कनौजिया, नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. एनपी सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी शरतचन्द्र पाण्डेय   समेत स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।

मंगलवार, 1 नवंबर 2022

Health department ने स्वाइन फ्लू के लिए जारी की एडवाइजरी

इन्फ्लुएंजा एच-1 एन-1 वायरस के लिए अलर्ट 

एसएसपीजी, डीडीयू, एलबीएस चिकित्सालय सहित सीएचसी-पीएचसी को सतर्कता बरतने के निर्देश


Varanasi (dil india live). सर्दी बढ़ने के साथ एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा के मरीज बढऩे की आशंका रहती है। इसके कारण वाराणसी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने मंगलवार को दिशा-निर्देश जारी करते हुए सभी सरकारी चिकित्सालयों के प्रमुख चिकित्साधीक्षक एवं प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधीक्षक को बीमारी के प्रति सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। साथ ही इन्फ्लूएंजा एच-1 एन-1 वायरस के मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड आरक्षित रखने और जांच, दवा व अन्य संसाधनों की उपलब्धता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। सीएमओ ने एच-1 एन-1 इन्फ्लूएंजा के कारणों, रोकथाम व उपचार की जानकारी आम नागरिकों तक पहुंचाने का भी निर्देश दिया है ।

जिला सर्विलांस अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि स्वाइन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक सांस की बीमारी है जो कि आमतौर पर स्वाइन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एच-1 एन-1 के कारण होती है। स्वास्थ्य विभाग ने एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा को वर्तमान में सिजनल इन्फ्लुएंजा की श्रेणी में रखा है। यह उन लोगों को अधिक प्रभावित करती है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी बीमारी के कारण कम हो गई हो। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छीकने या उसके संपर्क में रहने से फैलता है।

इन्फ्लुएंजा के लक्षण

डॉ कनौजिया ने बताया कि बुखार, नाक बहना, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द, ठंड लगना व आंखों में लालिमा आना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं । इस वायरस के कारण लोगों को बुखार, सर्दी जुकाम, संक्रमण, सिर दर्द जैसी बीमारियाँ हो सकती है । इसमें ठंड और गर्मी बारी-बारी से होने लगती है और बुखार तेज़ी से बढ़ने लगता है । सही उपचार न मिलने पर यह रोग जानलेवा भी हो सकता है । गंभीर होने पर सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी में खून आना और बेहोशी की स्थिति जैसे लक्षण दिख सकते हैं । संक्रमित बीमारी के चपेट में आने से अधिकांश जोखिम में गर्भवती, नवजात, वृद्धजन, रोग प्रतिरोधक क्षमता से कमजोर, चिकित्सीय एवं सर्जिकल बीमारी, लम्बे समय से दवा खा रहे व्यक्ति हैं । 

       उन्होंने बताया कि वाराणसी में इस बीमारी से निपटने के लिए बीएचयू में जांच सहित उपचार की व्यवस्था है । इसके अलावा सीएमओ द्वारा स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए पं. दीन दयाल राजकीय चिकित्सालय, लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सालय, श्री शिव प्रसाद मंडलीय चिकित्सालय सामुदायिक एवं प्राथमिक सवास्थ्य केंद्रों को सतर्कता बरतने और बेड आरक्षित करने के लिए निर्देशित किया गया है । सभी ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर इसके बचाव की दवा निःशुल्क मौजूद हैं ।  

बचाव के तरीके

० छींकते समय टिश्यू पेपर से मुंह, नाक को ढकें और फिर उस पेपर को फौरन सावधानी से कचरे के डिब्बे में डाल दें । 

० अपने हाथों को लगातार साबुन से धोते रहें अपने घर, ऑफिस के दरवाजों के हैंडल, की-बोर्ड, मेज आदि साफ करते रहें । 

० लगातार पानी पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन ना हो । 

० घर से बाहर निकल रहे हों तो फेसमास्क पहनकर ही निकलने की कोशिश करें ।

शनिवार, 17 सितंबर 2022

9 fru का होगा संचालन, Varanasi में बढ़ेंगी स्वास्थ्य सेवाएं

Cm के chc हाथी सहित चार नए एफ़आरयू चिन्हित

Chc चौकाघाट, दुर्गाकुंड व डीडीयू चिकित्सालय के mch विंग हुए fru


Varanasi (dil india live). जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर जनपद में चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ीकरण करते हुये निरंतर विस्तार किया जा रहा है। इसी क्रम में शासन ने जिले के चार सरकारी चिकित्सालयों को नवीन फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफ़आरयू) यानी प्रथम संदर्भन इकाई चिन्हित कर मुहर लगा दी है। इस तरह से अब जिले में नौ एफ़आरयू तैयार हो गए हैं।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जनपद में पूर्व से ही पांच एफआरयू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) चोलापुर, सीएचसी अराजीलाइन, सीएचसी गंगापुर (पिंडरा), जिला महिला चिकित्सालय और एलबीएस रामनगर संचालित किए जा रहे हैं। साथ ही अब नए चार एफ़आरयू चिन्हित किए गए हैं। इनमें पहला है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से गोद ली गई सीएचसी हाथी बाजार, दूसरा नगरीय सीएचसी चौकाघाट, तीसरा सीएचसी दुर्गाकुंड और चौथा एमसीएच विंग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय शामिल है। सीएमओ ने कहा कि शासन के निर्देश के क्रम में इन नवीन एफआरयू को सक्रिय रूप से क्रियाशील करने के लिए जल्द ही निर्धारित आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। वर्तमान में सीएचसी हाथी बाजार में 50 बेड सहित अन्य सुविधाएं हैं। वहीं सीएचसी चौकाघाट व सीएचसी दुर्गाकुंड में 30-30 बेड और दीनदयाल चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग में 50 बेड सहित अन्य चिकित्सा व स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।

इसके अतिरिक्त सीएचसी चोलापुर में 30 बेड, रक्त भंडारण, जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) वार्ड, सिजेरियन प्रसव सुविधा, न्यू बोर्न स्टेबलाइज़ेशन यूनिट (एनबीएसयू) व 24 घंटे सातों दिन चिकित्सीय व स्वास्थ्य सेवाएं दी जा रही हैं। यहाँ अप्रैल 2022 से अब तक 58 सिजेरियन प्रसव किए जा चुके हैं। इसी तरह सीएचसी अराजीलाइन में 42 बेड सहित अन्य सुविधाएं मौजूद हैं। यहाँ वित्त वर्ष में अब तक 27 सिजेरियन प्रसव किए जा चुके हैं। सीएचसी गंगापुर (पिंडरा) में 30 बेड सहित अन्य सेवाएं उलब्ध हैं और यहाँ अब तक 17 सिजेरियन प्रसव किया जा चुके हैं। एलबीएस चिकित्सालय रामनगर में करीब 150 बेड व जिला महिला चिकित्सालय में 180 बेड सहित अन्य सेवाएं 24 घंटे सातों दिन उपलब्ध हैं।

एफ़आरयू में मिलने वाली सुविधाएं

 शासन के निर्धारित मानकों के क्रम में प्रथम रेफरल इकाइयों (एफआरयू) में व्यापक प्रसूती देखभाल सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जिसमें सिजेरियन सेक्शन, नवजात शिशु गहन देखभाल, बीमार बच्चों की आपातकालीन देखभाल, परिवार नियोजन सेवाओं की समस्त सेवाएं, सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपचार, रक्त भंडारण इकाई (ब्लड स्टोरेज यूनिट) की उपलब्धता, 24 घंटे सातों दिन चिकित्सीय व स्वास्थ्य सुविधाएं और रेफरल परिवहन सेवाएं शामिल हैं।

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

Ghazipur Medical news : राष्ट्रीय बाल स्वस्थ्य कार्यक्रम साबित हो रहा वरदान

अब सामान्य बच्चों की तरह चल सकेंगे दिव्या और सत्यम

Himanshu Rai 


Ghazipur (dil india live). राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत एवं मिरेकल फीट फाउंडेशन के सहयोग से राजकीय मेडिकल कॉलेज (जिला अस्पताल) गाजीपुर में अब तक 40 से ज्यादा बच्चो का नि:शुल्क इलाज किया जा चुका है। जो क्लब फुट (टेढ़े पंजे) से पीड़ित थे। जिला अस्पताल मे कार्यरत  डॉ. प्रभात अग्रहरि द्वारा 4 बच्चो का पोनसेटी मेथड से प्लास्टर लगाया गया और  इन बच्चो का जल्द ही  (टेनोटामी ) कर उनके टेंडेंट को ढीला किया जायेगा ताकी बच्चे के पैर को प्राकृतिक स्थिती प्रदान किया जा सके।

गाजीपुर  जिला अस्पताल में कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ० प्रभात अग्रहरि ने बताया कि क्लब फुट एक जन्मजात विकृति है  जन्म के समय से ही बच्चो के पैर का पंजा मुड़ा हुआ होता है। उन बच्चों के पैरों के उपचार के लिये पोंसेटी तकनीकी के सहयोग से क्लब फुट का उपचार संभव है। इसमें धीरे-धीरे बच्चे के पैर को बेहतर स्थिति में लाना है और फिर इस पर एक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। यह हर सप्ताह 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है। आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन (टेनोटॉमी) की आवश्यकता होती है। यह बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में मदद करता है। जिससे पैर अपनी मूल स्थिति पर वापस न आ जाए। फिर बच्चा 4 सालो तक ब्रेस या विशेष प्रकार के जूते पहनता है जो की मिरेकल फीट फाउंडेशन द्वारा नि:शुल्क दिया जाता है 

मिरेकल फीट फाउंडेशन  के प्रोग्राम एक्जिक्यूटीव आनंद कुमार विश्वकर्मा  ने बताया कि 0 से 1.5 साल तक के बच्चे इस नि:शुल्क इलाज का लाभ ले सकते है  हमारे संस्था के द्वारा बच्चो के प्लास्टर में लगने वाला जिप्सोना तथा  ब्रेस ( विशेष प्रकार का जूता ) नि: शुल्क प्रदान किया जाता है।कभी-कभी इस प्रक्रिया के काम नहीं करने का मुख्य कारण यह होता है कि ब्रेसिज़ (विशेष प्रकार के जूते) लगातार उपयोग नहीं किये जाते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका बच्चा लंबे समय तक विशेष जूते और ब्रेसिज़ आमतौर पर तीन महीने के लिए पूरे समय और फिर रात में पहनाने होते है।

शनिवार, 10 सितंबर 2022

air pollutant से बढ़ता है स्वास्थ्य का खतरा : सीएमओ

अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के तहत हुई जनजागरुक गतिविधियां


Varanasi (dil india live). अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस के अंतर्गत शुक्रवार को ब्लॉक व नगर स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन जागरूक गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इस दौरान लोगों को वायु प्रदूषण के कारण बढ़ते स्वास्थ्य खतरों के बारे में जागरूक किया गया। दूसरी ओर सेवापुरी के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका इण्टरमीडिएट कालेज गोराई में आरबीएसके चिकित्साधिकारी एवं स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी द्वारा बच्चों को वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव एवं उससे बचने के उपाय पर वाद- विवाद प्रतियोगिता एवं निबंध प्रतियोगिता की गई। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि स्वच्छ वायु में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी के बाद और मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए और प्रयास करने की आवश्यकता पर ज़ोर देने के लिए हर साल सात सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस मनाया जाता है। इसी के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने 7 से 10 सितंबर 2022 तक जन जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश दिये गए थे। इस वर्ष की थीम "द एयर वी शेयर" वायु प्रदूषण की सीमा पार प्रकृति पर केंद्रित है, जिसमें सामूहिक जवाबदेही और कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। सीएमओ ने कहा कि हम सभी एक समान हवा में सांस लेते हैं, और एक वातावरण हम सभी की रक्षा और पोषण करता है। प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है जिसका मुकाबला करने के लिए हमें मिलकर काम करना चाहिए। 

नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का तीसरा अंतर्राष्ट्रीय दिवस सात सितंबर 2022 को 'द एयर वी शेयर' की थीम के तहत मनाया गया। उन्होंने कहा कि शुद्ध वायु हमारे लिए अमृत है। इसको पाने के लिए हमें अपना गगन नीला रखना होगा। अशुद्ध वातावरण से होने वाली बीमारी के बोझ में वायु प्रदूषण सबसे अधिक जिम्मेदार है। यह दुनिया भर में मृत्यु और बीमारी के मुख्य परिहार्य कारणों में से एक है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण कोई राष्ट्रीय सीमा को नहीं पहचानता है। इसके अलावा, यह जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, प्रदूषण के अन्य रूपों, सामाजिक और लैंगिक समानता के साथ आर्थिक विकास जैसे अन्य वैश्विक संकटों से भी गंभीरता से जुड़ी हुई है। यह है इतिहास - 26 नवंबर 2019 को, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा के 74वें सत्र की दूसरी समिति ने सात सितंबर को "नीले आसमान के लिए स्वच्छ हवा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस" के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया। यह संकल्प सभी स्तरों पर जन जागरूकता बढ़ाने, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्यों को बढ़ावा देने, सुविधाजनक बनाने के महत्व और तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।

सोमवार, 29 अगस्त 2022

Health: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाव से पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम

 •  पीड़ितों का उपचार के साथ ही दवाओं का किया वितरण

 • सीएमओ ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा




Varanasi (dil india live).जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देशानुसार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सकीय व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए स्वास्थ्य विभाग का प्रयास लगातार जारी है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सोमवार को नाव के जरिये बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने खुद भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर दी जा रही चिकित्सकीय सुविधाओं का जायजा लिया।

जिले के बाढ़ प्रभावित ढेलवरिया, सूजाबाद, सामनेघाट, रमना, डाफी क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग अपने घरों में रह रहे है।  ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग टीम को नाव के जरिये सम्बन्धित क्षेत्रों में जीवन रक्षक दवाओं व अन्य चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ भेजा गया। नाव के जरिये पहुंची टीम ने मरीजों का उपचार करने के साथ ही उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध करायी। 

इसबीच मुख्य  चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बाढ़ प्रभावित ढेलवरिया समेत अन्य क्षेत्रों का दौरा कर उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधाओं की जानकारी ली। इसके साथ ही आवश्यक निर्देश दिये। सीएमओ ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को चिकित्सकीय सुविधाओं की पूरी व्यवस्था है। कहीं भी चिकित्सकीय सेवा का अभाव नहीं होने दिया जायेगा।

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. पीयूष राय ने बताया कि सोमवार को बाढ़ राहत शिविरों में 441  मरीज देखे गये। साथ ही ओआरएस के 307  पैकेट व क्लोरीन टेबलेट की 1950  गोलियां वितरित की गयी। 

इस तरह पांच दिनों में .बाढ़ राहत शिविरों में कुल 1204  मरीज देखे जा चुके है। साथ ही ओआरएस के 882 पैकेट व क्लोरीन टेबलेट की 6290 गोलियां वितरित की गयी है।

रविवार, 28 अगस्त 2022

Health :जमीअतुल अंसार व मानव रक्त फाउंडेशन ने लगाया निःशुल्क शिविर


Varanasi (dil india live). सामाजिक संस्था जमीअतुल अंसार एवं मानव रक्त फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं दवा वितरण शिविर का आयोजन आज़ाद पार्क, पीली कोठी में किया गया। शिविर में वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर प्रदीप चौरसिया के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने बड़ी संख्या में मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण करके उन्हें निःशुल्क दवा वितरित की। कार्यक्रम का उद्घाटन मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने किया। इस अवसर पर बारिश तथा बाढ़ के प्रकोप के कारण मलेरिया और दूसरी मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक भी किय गया। शिविर के आयोजन में डॉ रियाज अहमद, अब्दुल्लाह एडवोकेट, अबू हाशिम एडवोकेट, इशरत उस्मानी, अब्दुल मुगनी इब्राहीमी, हाजी इश्तियाक अहमद, हाजी अख़लाक अहमद, सरफराज अहमद खान, डॉक्टर मोहम्मद नासिर अंसारी, डॉक्टर अर्सलान अहमद, डॉक्टर एहतेशामुल हक, मुस्लिम जावेद अख्तर, हाजी अब्दुल वहीद, मोहम्मद शाहिद, जुबैर आदिल, जलालुद्दीन, पार्षद अफजाल अहमद, पार्षद जमाल अहमद, मुफ्ती तनवीर अहमद कासमी, मुफ्ती जियाउल इस्लाम कासमी, मौलाना अब्दुल आखिर नोमानी, इरशाद अहमद, अबुल वफा अंसारी, फैयाज अहमद खान, इरफान अहमद, जुल्फिकार अहमद, अखलाक अहमद आदि का विशेष सहयोग रहा।

मंगलवार, 16 अगस्त 2022

CMO office Varanasi : स्वतंत्रता दिवस पर स्वास्थ्यकर्मियों को किया गया सम्मानित

स्वास्थ्य विभाग ने जनसेवा में तत्पर रहने का लिया संकल्प




Varanasi (dil india live). स्वतंत्रता दिवस पर सोमवार को प्रातः आठ बजे मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने ध्वजारोहण कर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत परिवार नियोजन कार्यक्रम एवं जनपद के समस्त प्रथम संदर्भन इकाई (एफ़आरयू) में किए गए उत्कृष्ट कार्य को लेकर चिकित्साधिकारियों, चिकित्सकों एवं समस्त स्टाफ को सम्मानित किया गया। वक्ताओं द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए वीर सपूतों को नमन करते हुए उनकी शहादत को याद किया गया। इसके साथ ही सांस्कृतिक गीत संगीत कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। 

         इस अवसर पर सीएमओ ने कहा कि वर्तमान में जनपद में लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण हो रहा है। सभी राजकीय चिकित्सालयों में चिकित्सीय सुविधाओं के साथ मानव संसाधन को भी बढ़ाया जा रहा है जिससे समस्त जनपदवासियों को बेहतर चिकित्सीय एवं स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। इसके साथ ही कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में सभी चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और आशा कार्यकर्ताओं ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। स्वास्थ्य विभाग के प्रत्येक सदस्य की राजकीय ही नहीं बल्कि नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वह तन-मन से जनपदवासियों की निःस्वार्थ भाव से सेवा करें। आज हम संकल्प लेते हैं कि आगे के दिनों में भी इसी उत्साह, लगन एवं निष्ठा से जनसेवा में तत्पर रहेंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि निश्चित ही जनपद प्रशासन के कुशल नेतृत्व एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ ही अन्य विभाग एवं विभिन्न सहयोगी संस्थाएं समुदाय को निरोगी रखने, जागरूक और व्यवहार परिवर्तन में करने में जुटी हैं।

           इस अवसर पर महानिदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश लखनऊ से आई संयुक्त निदेशक (जन्म-मृत्यु) सरोज कुमारी सहित समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अन्य चिकित्सा कर्मियों सहित प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एवं अधीक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी (डीएचईआईओ) हरिवंश यादव ने किया। इसके साथ ही समस्त सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर वहाँ के चिकित्सा अधीक्षकों व प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों द्वारा भी ध्वजारोहण किया गया।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

Medical treatment:ब्रेस्ट में गांठ है तो न घबरायें, जांच करायें

‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ साबित हो रहा वरदान



Varanasi (dil india live). अध्यापिका स्वाति (40 वर्ष) उस रात नहीं सो पाईं जब उन्हें अपने स्तन पर उभरी गांठ का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि कहीं यह स्तन कैंसर तो नहीं। सुबह होते ही वह ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ पहुंची। जांच के बाद डॉक्टर ने जब उन्हें बताया कि यह एक सामान्य गांठ है। कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगी। इसी तरह ममता (38 वर्ष ) को दो वर्ष से ब्रेस्ट में गांठ थी। गांठ में कभी दर्द नहीं हुआ, इस वजह से उन्होंने उसे कभी गंभीरता से भी नहीं लिया। अचानक उनके निप्पल से श्राव होने लगा। उपचार के लिए वह सम्पूर्णा क्लिनिक पहुंची। जांच में जब पता चला कि यह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। वह रोने लगी। उन्हें अफसोस हुआ कि उन्होंने ब्रेस्ट में हुई गांठ के प्रति लापरवाही क्यों बरती। समय रहते यदि उपचार कराया होता तो यह दिन आज न देखना होता।

पं. दीनदयाल चिकित्सालय में स्थिति ‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ में ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इसको लेकर महिलाओं को सावधान एवं सतर्क रहने की आवश्यकता है। सम्पूर्णा क्लिनिक ’की प्रभारी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. जाह्नवी सिंह कहती हैं स्तन में बनी कोई भी गांठ को नजरअंदाज करना एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा है। हालांकि हर गांठ से कैंसर नहीं होता है। फिर भी सतर्क रहना चाहिए।


डा. जाह्नवीं कहती है “स्तन कैंसर का प्रमुख लक्षण स्तन में गांठ को माना जाता है, लिहाजा स्तन में गांठ का पता चलते ही आम तौर पर महिलाएं घबरा जाती हैं, जबकि उन्हें घबराना नहीं चाहिए।“ वह बताती है कि आम तौर पर ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव पीरियड्स के दौरान, पीरियड्स बंद होने के दौरान अथवा गर्भावस्था के दौरान होते है। दरअसल महिलाओं मे हार्मोन्स के बदलाव व ब्रेस्ट टिशूज में फैट बढ़ने के कारण भी गांठ बन जाती है। कुछ महिलाओं के स्तन में कई छोटी-छोटी गांठ हो जाती है। कुछ में सिर्फ एक बड़ी गांठ बन जाती है। उन्हें चिकित्सक की सलाह पर अपनी जांच करानी चाहिए। 

 छोटी गांठ से हो सकती कैंसर की शुरूआत

 डा. जाह्नवी बताती हैं कि स्तन कैंसर की शुरुआत ब्रेस्ट में छोटी गांठ से भी हो सकती है। शुरूआती स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर गांठ की जांच कराकर कैंसर का निदान किया जा सकता है लेकिन इसमें बरती गयी लापरवाही ही बाद में मरीज के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। "

स्तन की नियमित रूप से खुद करें जांच

डा. जाह्नवी बताती है कि स्तन कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। पहले 40 से 45 वर्ष की महिलाओं के स्तन कैंसर से पीड़ित होने की संभावना सबसे अधिक रहती थी पर अब 30 से 40 वर्ष की महिलाओं में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संकट से बचने के लिए महिलाओं को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उनके स्तन में कहीं कोई गांठ तो नहीं उभर रही। इसके लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्तन की जांच हर माह स्वयं करनी चाहिए और वर्ष में एक बार चिकित्सक से उसका परीक्षण कराना चाहिए। गांठ का पता चलते ही फौरन चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए ताकि इसका परीक्षण हो सके कि गांठ कैंसर युक्त है या कैंसर मुक्त। स्तन की जांच स्वयं कैसे करें? इस बारे में जानकारी के लिए किसी चिकित्सक अथवा पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लिनिक ’में सम्पर्क किया जा सकता है। 

 यह है खतरे की घंटी

स्तन में किसी तरह की गांठ

निप्पल से किसी तरह का श्राव

निप्पल का अंदर की ओर धंसना

स्तन की स्किन संतरे के छिलके की तरह होना

किसी एक स्तन के आकार में परिवर्तन

बुधवार, 3 अगस्त 2022

Vitamin a: “बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए सरकार बेहद गंभीर” – सौरभ श्रीवास्तव

कैंट विधायक ने बच्चों को विटामिन-ए पिलाकर किया अभियान का शुभारंभ

जनपद में 3.56 बच्चों को पिलाई जा रही विटामिन ए – सीएमओ

बुधवार व शनिवार को स्वास्थ्य केन्द्रों पर पिलाई जाएगी विटामिन ए

Varanasi (dil india live). बच्चों को सुपोषित रखने के लिए बुधवार को ‘विटामिन ए सम्पूरण’ कार्यक्रम ‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह’ की शुरुआत की गयी । भेलूपुर स्थित स्वामी विवेकानंद मेमोरियल चिकित्सालय पर टीकाकरण सत्र के दौरान *कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी* ने अख्तर (3), अंश (3) सहित अन्य बच्चों को विटामिन-ए पिलाकर अभियान का शुभारंभ किया ।

इस अवसर पर कैंट विधायक ने कहा कि प्रदेश सरकार बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए बेहद गंभीर है। बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए कई योजनाएँ व अभियान चलाये जा रहे हैं। उन्होने कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पहले घंटे के अंदर माँ का पीला गाढ़ा दूध, छः माह तक सिर्फ स्तनपान व सम्पूर्ण टीकाकरण के साथ ही साथ साल में दो बार विटामिन-ए खुराक पिलाना आवश्यक है। उन्होने अपील की है कि सभी माताएँ जिनके बच्चे नौ माह पूर्ण कर चुके हैं, वह अपने बच्चों को विटामिन-ए की खुराक अवश्य पिलाएँ। यह अभियान बुधवार एवं शनिवार को स्वास्थ्य केन्द्रों में आयोजित होने वाले ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस सत्रों (वीएचएनडी एवं यूएचएनडी) पर विटामिन-ए निःशुल्क पिलाई जाएगी ।      

सीएमओ ने कहा कि बुधवार से जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में बाल स्वास्थ्य पोषण माह अभियान की शुरुआत की गयी। बुधवार व शनिवार को लगने वाले वीएचएसएनडी व यूएचएसएनडी सत्रों सहित स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर जनपद के नौ माह से पाँच वर्ष तक के लक्षित 3.56 लाख को विटामिन ए की खुराक पिलायी जायेगी। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 2.17 लाख व नगरीय क्षेत्रों के 1.36 लाख बच्चे चिन्हित किए गए हैं। सभी केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा मेन विटामिन ए भेज दी गयी है। *सीएमओ* ने कहा कि अभियान के दौरान पूर्ण टीकाकरण (24 माह तक), सम्पूर्ण टीकाकरण, वजन लेना और अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित करना, सभी बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाना, एक घंटे के अंदर और छह माह तक सिर्फ स्तनपान को लेकर जन जागरूकता, आयोडीन युक्त की नमक के सेवन के प्रति जागरूक करने पर ज़ोर दिया जाएगा। कोविड-19 संक्रमण से बचाव एवं नियमों को ध्यान में रखते हुये अभियान के तहत सभी गतिविधियों का आयोजन किया जाए। वीएचएसएनडी व यूएचएसएनडी सत्रों के दौरान बच्चों को अलग-अलग चम्मचों से विटामिन ए खुराक पिलायी जाए। 

इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ एके पांडे, चिकित्सा अधीक्षक डॉ क्षितिज तिवारी, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, यूनिसेफ से डीएमसी डॉ शाहिद, एएनएम ममता सिंह, आशा कार्यकर्ता नेहा पांडे, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं अन्य लाभार्थी माताएं व उनके बच्चे मौजूद रहे।

न होने दें विटामिन-ए की कमी 

विटामिन ‘ए’ की कमी से बच्चों में नजर का कमजोर होना, रात्रि के समय कम दिखाई देना, अंधेपन का शिकार हो जाना, रूखी आँख, रूखी त्वचा और त्वचा से संबन्धित समस्या हो सकती है। इसकी कमी से बचपन में होने वाली दस्त जैसी आम बीमारियाँ भी जानलेवा हो सकती हैं। इन सभी कमियों को पूरा करने के लिए बच्चों को विटामिन ए की खुराक देना बेहद आवश्यक है।

मंगलवार, 2 अगस्त 2022

Health:तीन अगस्त से चलेगा ‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह’

नौ माह से पाँच वर्ष तक  के बच्चों को बनाएंगे सुपोषित

जनपद के 3.39 लाख बच्चों को पिलाई जाएगी विटामिन ए

बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता, शिशु मृत्यु दर में भी आएगी कमी



Varanasi (dil india live) जिले में नौ माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन-ए की खुराक देने के लिए तीन अगस्त से ‘विटामिन ए संपूरण’ कार्यक्रम के रूप में ‘बाल स्वास्थ्य पोषण माह’ चलाया जाएगा। इस अभियान में जनपद में नौ माह से पाँच वर्ष तक के तीन लाख से अधिक बच्चों को विटामिन ए की खुराक और आयरन सीरप पिलाया जाएगा। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार बाल स्वास्थ्य पोषण माह साल में दो बार चलाया जाता है। अभियान का पहला चरण अगस्त में चलाया जा रहा है। इसमें नौ माह से पाँच साल तक के बच्चों को आयरन व विटामिन ए के साथ कई तरह की बीमारियों से बचाने के लिए इस अभियान के तहत विटामिन –ए व आयरन सीरप से लाभान्वित किया जाएगा। आयरन की कमी दूर होगी। रतौंधी से सुरक्षा मिलेगी। शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। अभियान में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) विभाग से भी सहयोग लिया जाएगा। कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर चिकित्सीय सुविधा एवं परामर्श प्रदान किया जाएगा। अभियान के सफलतापूर्वक संचालन के लिए स्वास्थ्य व आईसीडीएस विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिससे वह ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) व शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (यूएचएसएनडी) सत्रों में नौ माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को निर्धारित मात्रा में विटामिन ए की खुराक पिला सकें और उसका सही ढंग से अनुसरण कर सकें।

सीएमओ ने कहा कि कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है तो इसको देखते हुये हर बच्चे के लिए अलग-अलग चम्मचों से ही विटामिन – ए का सेवन कराएं। इसके साथ ही सेशन साईट पर हाथ धोने के लिए एक कॉर्नर स्थापित करें। सेशन साईट पर दो गज दूरी व भीड़ न होने पाए, इसका विशेष रूप से ख्याल रखें।

नोडल अधिकारी और जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार जिले में बाल स्वास्थ्य पोषण माह की पूरी तैयारी कर ली गई है। अभियान के दौरान नौ माह से पाँच वर्ष तक के करीब 3.39 लाख बच्चों को विटामिन ए की खुराक पिलाई जाएगी। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में भेज दी गई है। अभियान के अंतर्गत सात माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों को आयरन सीरप पिलाना, बच्चों का वजन लेना, एक घंटे के अंदर और छह माह तक सिर्फ स्तनपान को लेकर जन जागरूकता, गर्भवती को आयोडीन युक्त की नमक के सेवन के प्रति जागरूक करना है। बच्चों के नियमित टीकाकरण पर भी ज़ोर दिया जाएगा। कोविड-19 से बचाव एवं रोकथाम के नियमों का आवश्यक रूप से पालन कराया जाएगा।

शुक्रवार, 20 मई 2022

राज्यपाल बोलीं शिक्षा के आंगन में सर्वाइकल कैंसर पर हो चर्चा

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीनेशन आवश्यक : राज्यपाल

  • कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए अच्छी शिक्षा व बेहतर स्वास्थ्य की है अहम भूमिका
  • वाराणसी में हुई एचपीवी वैक्सीनेशन की हुई शुरुआत, राज्यपाल ने छात्राओं से लिया हालचाल
  • मंडलायुक्त सभागार में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग
  •  कॉर्नर बनाकर छात्र-छात्राओं को किया जाए जागरूक, अभिभावक भी करें प्रतिभाग




Varanasi (dil India live) "30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर यानि बच्चेदानी के मुंह के कैंसर से बचाने के लिए 9 से 14 साल और 15 से 26 साल की बालिकाओं को ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) इंजेक्शन अनिवार्य रूप से लगवाना चाहिये।" यह कहना है राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का। राज्यपाल शुक्रवार को मंडलायुक्त सभागार में आयोजित सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग व वैक्सीनेशन के शुभारंभ पर जागरूकता एवं संवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थीं।

राज्यपाल ने प्रशासन व विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि सर्वाइकल कैंसर एक चिंता का विषय है। कैंसर से ग्रसित महिलाओं में स्तन व सर्वाइकल कैंसर से ग्रसित महिलाओं की संख्या क्रमशः सर्वाधिक है। इसकी रोकथाम व नियंत्रण के लिए एचपीवी इंजेक्शन के बारे में जानकारी और जागरूकता भी होनी चाहिए। इसकी जागरूकता के लिए शिक्षा विभाग, स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से गाँव-गाँव तक सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानकारी दें। साथ ही इसके बचाव के लिए ग्रामीण और शहरी इलाकों में जन जागरूकता व स्क्रीनिंग कैंप समय –समय पर लगाएं। 

राज्यपाल ने मंडलायुक्त सभागार परिसर में जिले में एचपीवी वैक्सीनेशन का शुभारंभ फीता काटकर किया। शुक्रवार को करीब 250 बालिकाओं ने एचपीवी की पहला टीका लगाया गया। इसके पश्चात राज्यपाल ने टीकाकरण करवा चुकीं छात्राओं से बातचीत की। राज्यपाल की उपस्थिती में अर्पिता सोनकर (14), शानवी पाठक (14), जानवी सिंह (14), वैभवी सिंह (14), कशिश आनन (16) और अंकिता सिंह (18) को एचपीवी का टीका लगाया गया। इस दौरान राज्यपाल ने छात्राओं से समय से अगली डोज़ लगवाने के लिए कहा। इसके पश्चात राज्यपाल ने अपने उद्भोदन में कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन व उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी जनपद में शुक्रवार से एचपीवी वैक्सीनेशन का शुभारंभ हो चुका है। इससे पहले प्रदेश की राजधानी के राजभवन में सभी अधिकारियों की बच्चियों का एचपीवी वैक्सीनेशन कराया गया था। वाराणसी के पड़ोस के जिलों में भी सर्वाइकल कैंसर से बचाव का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। प्रदेश में इसकी शुरुआत के लिए केंद्र स्तर पर यह विषय उठाया गया था। आईसीएमआर से भी इसके बारे में विस्तार से चर्चा की गई। इसके बाद सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीनशन की शुरुआत की गयी। 

इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि पड़ोस के जिलों में 50 छात्रों को जेल में भ्रमण के लिए ले जाया गया। वहाँ हर एक बंदी के बारे में छात्राओं ने उनसे सम्पूर्ण जानकारी ली। ऐसे में देखा गया कि गलत कार्य और दहेज, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के लिए वह सजा काट रहे हैं। इसको दूर करने के लिए बच्चों को इसके बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। जीवन में हर विषय पर जानकारी व जागरूक होना कभी नुकसान नहीं करता बल्कि जीवन के पथ को और सुगम बनाता है। 

राज्यपाल ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर पर जागरूकता के लिए जूनियर व प्राइमरी स्कूलों, माध्यमिक स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में आधा घंटे तक चर्चा होनी चाहिए। बच्चों और उनके अभिभावकों से भी अपील की है कि 30 साल से ऊपर की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए नियमित जांच करवाएं। स्कूलों, महाविद्यालयों और विश्व विद्यालयों में एक कॉर्नर बनाया जाए, जिसमें लक्षण, कारण, निदान और उपचार के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके। इसके लिए विश्व विद्यालयों के कुलपतियों, विद्यालयों के प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा जोर देने की जरूरत है। इन्हीं के माध्यम से घर-घर तक सर्वाइकल कैंसर से बचाव और वैक्सीनेशन पर जागरूक किया जा सकता है। इसके साथ ही एक मुहिम चलाई जाए जिससे जिले में एक दिन में अधिक से अधिक 300 बच्चियों को एचपीवी का टीका लगाया जा सके। अंत में राज्यपाल ने जनमानस से अपील की है कि जागरूक रहिए। कैंसर से बचिए। टीबी (क्षय रोग) से बचिए। गलत कार्य करने से बचिए। सर्वांगीण विकास के लिए अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य होना बेहद आवश्यक है जिस पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। 

इस मौके पर बीएचयू के कुलपति सुधीर जैन ने कहा कि राज्यपाल की इस पहल से जिले में सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग व जागरूकता अभियान शुरू हुआ है। यह अभियान 30 वर्ष से ऊपर की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए बेहद कारगर साबित होगा। इस मुहिम के बीएचयू के समस्त अधिकारी शत-प्रतिशत रूप से अपना सहयोग करेंगे। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि राज्यपाल की यह पहल देश के लोगों को स्वस्थ बनाए रखने में दूरगामी सोच को प्रदर्शित करता है। इस मुहिम को सफल बनाने के लिए काशी विद्यापीठ विश्व विद्यालय परिवार इस नेक पहल में पुरजोर कोशिश करेगा। 

इस मौके पर होमी भाभा कैंसर अस्पताल के निदेशक डॉ सत्यजीत प्रधान और लीड मेडिकल ऑफिसर डॉ रुचि पाठक ने प्रोजेक्ट ईशा और कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया गया कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के मार्गदर्शन व दिशा निर्देशन में होमी भाभा कैंसर अस्पताल के माध्यम से जिले भर में कैंसर स्क्रीनिंग और उपचार का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। अगले साल जुलाई तक करीब ढाई लाख लोगों की कैंसर स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है। इस क्रम में अब तक एक लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 

कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने राज्यपाल की इस नेक पहल के शुभारंभ के लिए धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया। कहा कि जन सामान्य के स्वास्थ्य लाभ के लिए वाराणसी सहित प्रदेश के सभी जिलों में राज्यपाल के निर्देशन में सर्वाइकल कैंसर से बचाव की मुहिम चलायी जा रही है। इसके सफलतापूर्वक संचालन के लिए प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, कुलपति, शिक्षक व आम जनमानस हर स्तर पर प्रयासरत है। जिलाधिकारी ने दोनों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का आभार प्रकट करते हुये इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके साथ ही जिन बच्चों ने वैक्सीनेशन करवाया और उनके अभिभावकों, शिक्षकों और प्रधानाचार्य को प्रोत्साहित करते हुये इस मुहिम में जोड़े जाने का आव्हान किया। 

         इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी सहित अन्य चिकित्सा अधिकारी, स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षक व स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन आईसीडीएस विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने किया।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...