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मंगलवार, 10 मई 2022

नीमा के ईद मिलन समारोह में जुटे डाक्टर

नीमा ने आयोजित किया स्केबीज और पेडिकुलोसीस सेमिनार 



Varanasi (dil India live)।अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत नेशनल इंटीग्रेटेड मेडीकल एसोसिएशन ( नीमा) वाराणसी द्वारा चर्म रोगों में "स्कैबीज एवं पेडिकुलोसीस" विषय पर एक वृहत् चिकित्सा शिक्षा सेमिनार कार्यक्रम के साथ ईद मिलन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए चर्म रोग विषेशज्ञ डा नेहा शाह ने कहा कि  स्केबीज तथा पेडिकुलोसीस चर्म रोगों में होने वाली बहुत आम बीमारी है जिसे सावधानी एवं उचित चिकित्सा द्वारा ठीक किया जा सकता है। वाराणसी के आजीवन सदस्य डा प्रदीप जैन ने भी प्रमुख वक्ता के तौर पर बीमारी से संबंधित भारतीय चिकित्सा पद्धति तथा इंटीग्रेटेड चिकित्सा पर अपना विस्तृत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वाराणसी की डी ए ओ डा भावना द्विवेदी की गरिमामई उपस्थिति रही। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में विषय वस्तु को दो अलग अलग वक्ताओं द्वारा मॉडर्न एवं आयुर्वेद दोनों पद्धतियों बहुत ही सुन्दर एवं महत्त्वपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया इसके लिए नीमा वाराणसी को बहुत बहुत बधाई।

नीमा वाराणसी द्वारा संगोष्ठी के साथ ही साथ ईद मिलन समारोह भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता नीमा वाराणसी के अध्यक्ष डा ओ पी सिंह ने किया जबकि संचालन मीडिया प्रभारी डा सुनील मिश्रा ने , स्वागत डा एम ए अज़हर ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष डा बी एन रॉकी ने किया।

     अन्य उपस्थित सदस्यों में डा के त्रिपाठी, डा आर के यादव, डा वाई के मिश्रा, डा के के द्विवेदी,डा एस पी पाण्डेय, डा यू सी वर्मा, डा जे पी गुप्ता, डा अनिल प्रकाश श्रीवास्तव,  डा एस एन पाण्डेय, डा एस एस गांगुली,डा असीम ओझा, डा एस आर सिंह, डा के एन झा, डा फैसल रहमान, डा सलिलेश मालवीय,डा मोबिन अख्तर,डॉक्टर एहतेशामुल हक,डॉक्टर नसीम अख्तर,डॉक्टर गुलजार अहमद,डॉक्टर बेलाल अहमद,डॉक्टर फिरोज अहमद, डा अनिल गुप्ता, डा अरशद, डा सगीर अशरफ, डा अजय शंकर तिवारी, डा प्रेमचंद गुप्ता, डा सुभाष गुप्ता, डा अशोक चौरसिया, डा मुख़्तार अहमद, डा विजय मिश्रा, डा विजय तिवारी,डा जे पी चतुर्वेदी,डा शेखर बरनवाल, डा आफताब आलम, डा अमर दीप गुप्ता, डा राहुल मिश्रा, डा मनोरमा मिश्रा, डा मोहित, डा सलीम, डा शब्बीर सिकंदर, डा शंभूनाथ सिंह, डा शमीम अख्तर,डा अनिल वर्मा, डा अब्दुल कलाम , डा शिवकुमार सिंह आदि चिकित्सक  उपस्थित रहे।

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

युवा हौसलों को पंख लगा गया उड़ान -22

युवा महोत्सव ‘उड़ान - 22‘ का भव्य समापन

पुरस्कार पाकर खिले छात्रों के चेहरे



वाराणसी, 07 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। डीएवी पीजी कॉलेज के त्रिदिवसीय युवा महोत्सव ‘उड़ान - 22‘ के अन्तिम दिन गुरूवार को युवाओं ने जमकर धमाल मचाया। मंचकला की गायन, वादन एवं नृत्य की विधाओं में युवाओं की प्रस्तुतियों हर किसी के दिल में उतर आई। हर कोई उनके हौसले की उड़ान को सलाम करता नजर आया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात रंगकर्मी व्योमेश शुक्ला ने कहा कि युवाओं की उम्र रूकने की नही बल्कि कदम दर कदम आगे बढ़ने की है। युवाओं को उत्साह के साथ साथ बौद्धिकता में भी वृद्धि पर जोर देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि कवि चन्द्रशेखर गोस्वामी ने प्रसिद्ध गीत ‘ जिन्दा शहर बनारस हूॅ‘ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। विशिष्ट अतिथि कलाकार सतीश मिश्रा ने जैसे ही मंच से ‘छाप तिलक सब छीनी रे मुझसे नैना मिलायके‘ सुनाया तो समूचा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके अलावा उन्होंने मै नदी हूॅ बह रही हॅू ...भी सुनाकर सबकी वाहवाही लूटी।

इससे पूर्व महोत्सव का शुभारंभ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. अनूप कुमार मिश्रा ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। स्वागत प्रो. ऋचारानी यादव, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. मीनू लकड़ा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संगीता जैन ने दिया।

 इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. सत्यगोपाल जी, प्रो. मधु सिसौदिया, डॉ. प्रतिभा मिश्रा, डॉ. इन्द्रजीत मिश्रा, डॉ. समीर कुमार पाठक, डॉ. वीएन दूबे, डॉ. शोभनाथ पाठक, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. प्रतिमाा गुप्ता, डॉ. आहूति सिंह, डॉ. ओमप्रकाश आदि रहे। छात्रों में अनुश्री अग्रवाल, रतिकेश पूर्णोदय, अनीशा आदि ने संचालन किया। व्यवस्था में राजन कुमार, रोहन राज, नीतिश कुमार, शुभम आदि रहे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की रही धूम

उड़ान - 22 के अन्तिम दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। सर्वप्रथम गायन के क्रम में अश्विनी बरनवाल ने ‘ये दोस्ती हम नही छोड़ेंगे‘, संदीप कुमार ने काव्यपाठ किया। प्रगति जायसवाल ने शास्त्रीय नृत्य किया। इसके अलावा माइम, नृत्य एवं नाटक की भी प्रस्तुति हुई। वहीं संस्कृत संभाषण में भी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

ये प्रतिभागी रहे विजेता- उड़ान -22 में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। क्विज में श्रवण श्रीवास्तव एवं अविनाश शुक्ला प्रथम, उज्ज्वल शर्मा एवं रोहित राज गुप्ता द्वितीय तथा श्रीकान्त यति एवं सुधांशु रंजन तृतीय रहे। हिन्दी सुभाषण में राहुल राज अर्जुन, अंग्रेजी सुभाषण में अभिषेक प्रद्योत, एवं संस्कृत सुभाषण में अमरजीत श्रीवास्तव प्रथम रहे। काव्य पाठ हिन्दी में रोशन मौर्या, अंग्रेजी में शुभम कुमार तथा संस्कृत में अनुराग चतुर्वेदी प्रथम रहे। शार्ट प्ले में आकाश वर्मा एवं समूह प्रथम रहा तोे माइम में निकिता सिंह एवं समूह प्रथम रहे। मिमिक्री में संतोष कुमार, एवं मोनो एक्टिंग में आकाश सिंह प्रथम रहे। कॉमेडी में राधेकृष्ण राम प्रथम रहे। पोस्टर निर्माण में आंचल वर्मा, स्केचिंग में रीना कन्नौजिया, मेंहदी में शिवानी मौर्या, रंगोली में अर्शिका जायसवाल प्रथम रही। फोटोग्राफी में राजन कुमार प्रथम रहे। एकल गायन में अभ्युदय नारायण सिंह प्रथम, नृत्य में शार्ली सिंह प्रथम रही। समुह नृत्य में रोहित राज एवं समूह तथा कोरियोग्राफी में श्रेया प्रथम रही। सभी विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संयोजन प्रो. अनूप कुमार मिश्रा ने किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक समिति के समस्त सदस्यों सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र - छात्राएं शामिल थे।  

सोमवार, 21 मार्च 2022

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई 106 वी जयंती

बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर दरगाह-ए-फातमान पर चढ़े अकीदत के फूल 

वाराणसी 21 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। दरगाह-ए-फातमान में सोमवार को शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 106 वी जयंती मनाई गई। इस मौक़े पर मौजूद उस्ताद के अजीजों, कद्रदानो ने उनकी मजार पर अकीदत के फूल चढ़ाएं और दुआ मांगी। इसके पूर्व उनके मकबरे पर फातिहा पढ़कर लोगों ने रब से मगफिरत की दुआएं मांगी।

कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर व अब्बास मुर्तजा शम्सी ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक व भारत के सच्चे सपूत थे। इतने महान कलाकार होते हुए भी उन्होंने हमेशा फकीरी की जिंदगी गुजारी। बिस्मिल्ला खां का जन्म पैगम्बर खां और मिट्ठन बाई के यहां बिहार के डुमरांव में हुआ था। वह भारत मां के सच्चे सपूत थे। जंयती समरोह के मौके पर उस्ताद की बड़ी बेटी जरीना फातिमा, नतनी कहकशां, पोते परवेज हसन के अलावा आफाक हैदर, जावेद व गाजी अब्बास समेत अन्य कद्रदान मौजूद रहे।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खां का जन्‍म 21 मार्च को बिहार के डुमरांव में एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुआ था। हालांकि, उनके जन्‍म के वर्ष के बारे में मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्‍म 1913 में हुआ था और कुछ 1916 मानते हैं। उनका नाम कमरुद्दीन खान था। वे ईद मनाने मामू के घर बनारस गए थे और उसी के बाद बनारस उनकी कर्मस्थली बन गई। उनके मामू और गुरु अली बख्श साहब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे और वहीं रियाज भी करते थे। यहीं पर उन्‍होंने बिस्मिल्‍लाह खां को शहनाई सिखानी शुरू की थी।

उस्ताद से शहनाई, शहनाई से उस्ताद

कहा जाता है शहनाई और उस्ताद एक दूसरे के पूरक थे। करीब 70 साल तक बिस्मिल्लाह साहब अपनी शहनाई के साथ संगीत की दुनिया पर राज करते रहे। आजादी के दिन लाल किले से और पहले गणतंत्र दिवस पर शहनाई बजाने से लेकर उन्होंने हर बड़ी महफिल में तान छेड़ी। उन्होंने एक हिंदी फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी शहनाई बजाई, लेकिन उन्हें फिल्म का माहौल पसंद नहीं आया। बाद में एक कन्नड़ फिल्म में भी शहनाई बजाई। ज्यादातर बनारसियों की तरह वे इसी शहर में आखिरी सांस लेना चाहते थे। 17 अगस्त 2006 को वे बीमार पड़े। उन्हें वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे 21 अगस्त को दुनिया से रुखसत हो गए।

सोमवार, 14 मार्च 2022

तबले के इस जादूगर का जाना

चौकाघाट मसीही कब्रिस्तान में हुए सुपुर्द


वाराणसी १४ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। पंडित शाम्ता प्रसाद (गुदई महाराज) के शिष्य विख्यात तबला वादक पंडित जे. मेसी अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन की खबर होते ही काशी के जनमानस का ह्रदय दुख से जहां भर गया वहीं आज काशी ने फिर एक विद्वान एवं विख्यात तबला वादक के रूप में काशी के एक और रत्न को खो दिया। विश्व के विभिन्न देशों में अपने तबले के द्वारा पहचान बनाने वाले पंडित जे. मेसी आकाशवाणी के उच्च स्तरीय कलाकार थे, उन्होंने देश के तमाम दिग्गज कलाकारों के साथ अद्भुत संगत किया था, साथ ही पूरे विश्व में उन्होंने तबले के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उनका जन्म 11जनवरी १९४९ को हुआ था। उनके निधन से वाराणसी के मसीही समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है। आज शाम चौकाघाट मसीही कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द किया गया।

शनिवार, 22 जनवरी 2022

‘चुप’ में काम कर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रही है पूजा




मुंबई, 22 जनवरी (dil india live) बॉलीवुड अभिनेत्री पूजा भट्ट फिल्म ‘चुप’ में काम कर खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रही है।

पूजा भट्ट फिल्मकार आर.बाल्मीकी की फिल्म चुप से लंबे वक्त बाद फिल्मों में वापसी कर रही है। इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में पूजा भट्ट के साथ सनी देओल, दुलकर सलमान और श्रेया धनवंतरी भी मुख्य किरदार में नजर आने वाली हैं। इस फिल्म को लेकर पूजा भट्ट बेहद उत्साहित नजर आ रही हैं।

पूजा भट्ट ने कहा, “मैं खुद को सौभाग्यशाली महसूस करती हूं कि मैं इस युवा जुनूनी दुनिया और उद्योग में स्क्रीन पर अपनी वापसी कर रही हूं। वर्ना 49 साल की उम्र में किसको इतना दमदार किरदार निभाने को मिल सकता है। मुझे लगता है कि वक्त बदल रहा है और आज 90 के दशक की तुलना में कहीं ज्यादा अवसर हैं। हम डिजिटल के माध्यम से एक नई भाषा बोलते है और बॉलीवुड के इसे पकड़ने की जरूरत है।”


पूजा भट्ट ने कहा, “आर बाल्की अपने शानदार निर्देशन के लिए जाने जाते हैं और उनकी एक अलग तरह की निगाहें है। इसी लिए जब ये प्रोजेक्ट मेरे पास आया, तो मैंने इसके लिए हां कर दिया।”

मंगलवार, 18 जनवरी 2022

कथक सम्राट बिरजू महाराज का काशी से था खास जुडाव

2019 में अंतिम बार आये थे काशी, बच्चों को दिया था कथक की टिप्स

नटराज संगीत एकेडमी के प्रोग्राम में करना था उन्हें मार्च में शिरकत 





वाराणसी 17 जनवरी (dil india live)। लखनऊ घराने के मशहूर कथक कलाकार पंडित बिरजू महाराज का अंतिम बार मार्च में बनारस आने का ख्वाब अधूरा ही रह गया। वो 2003 से लगतार हर साल बनारस आते थे और यहां बच्चों को कथक की बारिकियों से रुबरु कराते थे, मगर कोविड के चलते 2019 के  बाद बनारस आना उनके लिए ख्वाब सरीखा हो गया। बनारस से पं बिरजू महाराज का गहरा लगाव था। उनकी बनारस में एक मात्र शिष्या संगीता सिन्हा कहती वो भले ही लखनऊ में पैदा हुए मगर वो बनारस से हमेशा जुड़े रहे। वह हर साल नटराज संगीत एकेडमी में आकर संगीत की नई पौध को कथक की बरीकियों से रुबरु कराते थे। पिछले दिनों लखनऊ और दिल्ली में मैं उनके साथ थी। बच्चों को कथक की बरीकियों से रुबरु कराने के लिए मार्च में उन्हें नटराज संगीत एकेडमी आने के लिए मैं तैयार करके आयी थी मगर ईश्वार को तो कुछ और ही मंजूर था। यह अनहोनी हो गई।, यह कहते हुए संगीता सिन्हा की आंखे भर आयी। उन्होने कहा कि कथक के जादूगर थे गुरुजी। उनका बनारस आने का सपना अधूरा ही रह गया।  

पंडित बिरजू महाराज का भले ही लखनऊ के कालिका-बिन्दादिन घराने से रिश्ता रहा हो, लेकिन धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था। पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया। यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है। कथक सम्राट बिरजू महाराज के आंखों की मुद्रा से राधा-रानी की कलाओं की पेशकश हो या फिर तबले की थाप संग पैरों की जुगलबंदी, इसका जैसा अद्भुत मिलन पंडित बिरजू महाराज के नृत्य में देखने को मिलता था, वो खुद में बेहद खास था। गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की बेटी अन्नपूर्णा देवी बिरजू महाराज की पत्नी थीं। कबीरचौरा संगीत घराने वाली गली में पंडित बिरजू महाराज का ससुराल है। वहीं, ख्यात सारंगीवादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ बिरजू महाराज की बेटी कविता का विवाह हुआ है। उनके एक भाई ने बनारस घराने के ख्यात पंडित रामसहाय की शागिर्दी में तबला वादन सीखा था। पंडित बिरजू महाराज का खुद बनारस से बहुत गहरा जुड़ाव था। बनारस के राजेन्द्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट पर होने वाले कार्यक्रम हो या फिर देश भर के संगीतकारों की जुटान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संकट मोचन संगीत समारोह। इन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पंडित बिरजू महाराज बनारस जरूर पहुंचते थे। काशी में होने वाले ध्रुपद मेले में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता था। यही वजह है कि प्रतिष्ठित अवार्ड पद्म विभूषण से सम्मानित 83 वर्षीय बिरजू महाराज ने दिल्ली के साकेत हॉस्पिटल में अंतिम सांस लेने की खबर काशी पहुंचते ही मानो संगीत घराने में कोहराम मच गया। 

सीखने और सीखाने की अदभूत ललक

संगीत सिन्हा बताती है कि बिरजू महाराज में सीखने और सीखाने की अदभूत ललक थी। वो एक शानदार ड्रमर भी थे, जो आसानी और सटीकता के साथ लगभग सभी ड्रम बजाते थे। उन्हें खासतौर पर तबला और नाल बजाने का शौक था। वह  सितार वाद्य, सितार, सरोद, वायलिन, सारंगी आसानी से बजा लेते थे। उन्होंने इन सबका किसी औपचारिक प्रशिक्षण नहीं लिया। वो सदैव कथक के प्रमोशन के लिए परेशान रहते थे। यही वजह है कि छोटे-छोटे बच्चों के प्रोग्राम में भी मेरे बुलाने पर काशी हर साल आते थे।

 अच्छन महाराज थे बिरजू महाराज के गुरु

बिरजू महाराज के अच्छन महाराज व लच्छू महाराज थे। अच्छन महराज कोईऔर नहीं बल्कि उनके पिता थे, तो लच्छू महाराज चाचा। उनकी मां भी उनकी गुरु की श्रेणी में ही आती थीं। यूं तो इनके पिता का नाम जगन्नाथ महाराज था, जो लखनऊ घराने से थे और अच्छन महाराज के नाम से जाने जाते थे। पिता ने बचपन से ही अपने यशस्वी पुत्र को कला दीक्षा देनी शुरू कर दी थी। ठुमरी सम्राट महादेव प्रसाद मिश्र के पुत्र पं. गणेश मिश्र कहते है कि बिरजू महाराज को कथक विरासत में मिली थी। अच्छन महाराज के निधन के बाद उन्होने कथक नृत्य प्रशिक्षण लेना शुरू किया। आज बिरजू महाराज भले ही हम लोगोें के बीच नहीं है मगर उनकी कला और उनके काम सदैव हम लोगों को उनकी याद दिलाती रहेगी। उनका जाना वास्तव देश दुनिया के संगीत प्रेमियों के लिए सदमे जैसा है।


रविवार, 9 जनवरी 2022

विश्व हिंदी दिवस (10 जनवरी) पर खास

तीन पीढ़ियों संग हिंदी के विकास में जुटा पीएमजी का परिवार

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी के लिए कई सम्मानों से हो चुके हैं विभूषित



वाराणसी 09 जनवरी (dil india live)। 'विश्व हिन्दी दिवस' प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना व हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। हिंदी को लेकर तमाम संस्थाएँ, सरकारी विभाग व विद्वान अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। इन सबके बीच उत्तर प्रदेश में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का अनूठा परिवार ऐसा भी है, जिसकी तीन पीढ़ियाँ हिंदी की अभिवृद्धि के लिए  न सिर्फ प्रयासरत हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी कई देशों में सम्मानित हैं।

वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के परिवार में उनके पिता श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ पत्नी सुश्री आकांक्षा यादव और दोनों बेटियाँ अक्षिता व अपूर्वा भी हिंदी को अपने लेखन से लगातार नए आयाम दे रही हैं। देश-दुनिया की तमाम पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ श्री कृष्ण कुमार यादव की 7 और पत्नी आकांक्षा की 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हिंदी ब्लॉगिंग के क्षेत्र में इस परिवार का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अग्रणी है। 'दशक के श्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पति' सम्मान से विभूषित यादव दम्पति को नेपाल, भूटान और श्रीलंका में आयोजित 'अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन' में 'परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान' सहित अन्य सम्मानों से नवाजा जा चुका है। जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में सुश्री आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर' को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। 


सनबीम स्कूल, वरुणा, वाराणसी में अध्ययनरत इनकी दोनों बेटियाँ अक्षिता (पाखी) और अपूर्वा भी इसी राह पर चलते हुए अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के बावजूद हिंदी में सृजनरत हैं। अपने ब्लॉग 'पाखी की दुनिया' हेतु अक्षिता को भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में 'राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मेलन, श्रीलंका (2015) में भी अक्षिता को “परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया गया। अपूर्वा ने भी कोरोना महामारी के दौर में अपनी कविताओं से लोगों को सचेत किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव का कहना है कि, सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। वहीं, सुश्री आकांक्षा यादव का मानना है कि हिन्दी भाषा भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत की भावनात्मक एकता को मजबूत करने का सशक्त माध्यम है। आप विश्व में कहीं भी हिन्दी बोलेगें तो आप एक भारतीय के रूप में ही पहचाने जायेंगे।

रविवार, 26 दिसंबर 2021

वशिष्ठ मुनि ओझा सत्यधर्मी पत्रकार

वाराणसी 26 दिसंबर (dil india live)। नगर के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार वशिष्ठ मुनि ओझा का निधन हो गया है। उनके निधन पर लहुरावीर आजाद पार्क मे नगर के समाजसेवियो, कवि व साहित्यकारो द्वारा उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर विजय नारायण ने अपने संबोधन में कहा स्वर्गीय ओझा सत्य धर्मी पत्रकार, गम्भीर कवि, हिन्दी के उपासक थे। वह हिन्दी के समर्थन में 1967 में अग्रेजी हटाओ आन्दोलन में जेल भी गए थे। मुख्य रूप से डा. दुर्गा प्रसाद, डा. जयशंकर जय, सिद्ध नाथ शर्मा, नरोत्तमशिल्पी, अशोक मुल्क,  आनन्द सिह, इन्द्र जीत,  नवनीत सिह, शंकर आनन्द आदि लोग उपस्थित थे।

मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

कला के ज़रिये तम्बाकू सेवन पर किया प्रहार




वाराणसी 21 दिसंबर (dil india live)। राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ एवं महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालय जागरूकता कार्यक्रम आज एम्पियल पब्लिक स्कूल, अस्सी और दुर्गा चरण इंटर कालेज, सोनारपुरा वाराणसी में सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर छात्राओं में तम्बाकू नियंत्रण विषय पर निबंध तथा ड्राइंग प्रतियोगिता कराई गई। विजित छात्राओं तथा सभी सहभागी को पुरस्कार व प्रमाण पत्र दिया गया तथा स्वलपाहार वितरित किया गया।

कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या दुर्गा चरण  शिखी सिंह , एम्पियल की प्रधानाचार्या डा. आभार सिंह , प्रबंधक   रवि प्रताप सिंह राठौर, सीएमओ कार्यालय से राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ, वाराणसी की सोशल वर्कर संगीता सिंह, संस्था सचिव डा. संगीता श्रीवास्तव, संस्था  उपाध्यक्ष बी. एल. प्रजापति, विद्यालय की अध्यापिकाऐ उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संयोजन अभिषेक सिंह ने किया।


बुधवार, 15 दिसंबर 2021

पेंटिंग के जरिये गंगा स्वच्छता एवं प्लास्टिक प्रबंधन पर ज़ोर

स्वच्छता जागरूकता बैठक एवं पेंटिंग प्रतियोगिता सम्पन्न



वाराणसी 14 दिसम्बर (dil india live)। आरती मॉडल स्कूल में स्वच्छता जागरूकता बैठक एवं पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया I पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार, पर्यावरण मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार तथा जी आई जेड इण्डिया के सहयोग से लक्ष्य ए सोसाइटी फार सोशल एण्ड ईनवायरमेटल डवलपमेंट ने प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन विषय पर आरती मॉडल स्कूल, वाराणसी में जागरूकता बैठक में गंगा एवं जलीय तंत्र को साफ़ रखने तथा प्लास्टिक के पुन: उपयोग एवं सही निस्तारण पर जानकारी दी और उसके उपरांत छात्र – छात्राओं के बीच पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया I 

इस दौरान छात्र- छात्राओं के साथ गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल बनाने, कचरे को गंगा में जाने से रोकने, प्लास्टिक प्रबन्धन, प्लास्टिक के पुन: इस्तेमाल और सही निस्तारण पर चर्चा की गयी और बाद में उनके बीच इन्हीं विषयों पर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गयाI कार्यक्रम में छात्र - छात्राओं ने विषय पर गंभीरता और रचनात्मक विचारों को रंगों के माध्यम से कागज़ पर बख़ूबी उकेरा I जो बेहद सरहनीय रहा I

कार्यक्रम में स्कूल के प्रधानाचार्य श्री अंकित कुमार सिंह ने माँ गंगा की स्वच्छता और नदियों में कचरे जाने वाले दुष्परिणाम को बच्चों को समझाया और प्लास्टिक के बड़ते प्रयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए प्लास्टिक प्रबंधन, सही निस्तारण पर जोर दियाI प्रधानाचार्या ने कहा प्लास्टिक का कम प्रयोग, पुन इस्तेमाल ही भविष्य को सुरक्षित बना सकता है I पेटिंग प्रतियोगिता के अंत में सभी के पेंटिंग्स को प्रदर्शित किया गया और डॉक्टर नंद किशोर एवं स्कूल ज्यूरी कमेटी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय विजेता का चयन किया। प्रथम स्थान पर अमन कुमार, द्वितीय स्थान पर अली हसन तथा तृतीय स्थान सुप्रिया कुमारी ने पाया और संस्था के माध्यम से पुरस्कृत कर बच्चों का मनोबल बढ़ाया गया। 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉक्टर नंद किशोर जी ने छात्रों से मुखातिब हुए और कहा कि देश के भविष्य और बेहतर दिशा करने में छात्रों का मुख्य योगदान होता है जिसके लिए छात्रों को प्लास्टिक प्रबंधन पर सही शिक्षा देने की आवश्यकता है। तथा स्कूल में प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर एक विशेष क्लास चलाने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में मलक्ष्य संस्था से अंगद कुमार द्विवेदी, राजेश सरोज , मनीष गुप्ता, विशाल सिंह, राम सिंह वर्मा, विशाल सिंह एवं अन्य लोग उपस्थित रहें I

शनिवार, 11 दिसंबर 2021

अग्रसेन की छात्राओं ने निकाली शिव झांकी एवं कलश यात्रा





वाराणसी। आगामी 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण करने आ रहे हैं जिसके निमित्त काशी में उत्सव का माहौल है और काशीवासी एक बार फिर दीपावली मनाने की तैयारी में जुट गये हैं। इसीक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देशन में 11 दिसंबर को श्री शिव झांकी एवं कलश यात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें श्री अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज, बल्लभ विद्यापीठ बालिका इंटर कॉलेज व हरीशचंद्र बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं ने भागीदारी की। मैदागिन से विश्वनाथ मंदिर परिसर तक आयोजित होने वाले इस यात्रा में पारंपरिक परिधान में सुसज्जित छात्राएं सिर पर कलश लिए चल रही थी।

इस अवसर पर शोभा यात्रा की कड़ी में श्री अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज गोलघर मैदागिन की छात्राएं सिर पर कलश लिए हरीश चंद्र बालिका इंटर कॉलेज पहुंची। इस दौरान कालेज की प्रबंधक डॉ.रितु गर्ग, सहायक प्रबंधक अनिल बंसल, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के ट्रस्टी प्रोफेसर डॉ.बृजभूषण ओझा, ज्योतिषाचार्य प्रसाद दीक्षित, पंडित वेंकटरमन, कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ.संगीता बनर्जी सहित विद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारी मौजूद रहे। मैदागिन स्थित श्री हरिश्चंद्र बालिका इंटर कॉलेज से तीनों विद्यालयों की छात्राएं बुलानाला नीचीबाग चौक होते हुए विश्वनाथ मंदिर पहुंची।

इसीक्रम में श्री अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज के सभागार में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया और कॉलेज की ओर से डॉ.रितु गर्ग, सहायक प्रबंधक अनिल बंसल एवं संजय अग्रवाल गिरिराज द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के ट्रस्टी प्रोफेसर डॉ.बृजभूषण ओझा, ज्योतिषाचार्य प्रसाद दीक्षित एवं पंडित वेंकटरमन को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर छात्राओं को आशीर्वचन देते हुए अतिथियों ने स्त्री शक्ति को सबसे बड़ी शक्ति बताया और कहा कि मातृशक्ति के बिना भगवान शिव भी अधूरे हैं।


दिलीप कुमार यानी फिल्म जगत का ध्रूव तारा

 दमदार अभिनय सदा रही पहचान

सिने प्रेमियों के दिलों में बसे हैं ट्रेजडी किंग

दिलीप कुमार के जन्मदिवस 11 दिसंबर पर खास


वाराणसी11 दिसंबर (dil india live)। बॉलीवुड में दिलीप कुमार ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने दमदार अभिनय और जबरदस्त संवाद अदायगी से सिने प्रेमियों के दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।11 दिसंबर 1922 को पेशावर अब पाकिस्तान में जन्में युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार अपनी माता-पिता की 13 संतानों में तीसरी संतान थे।उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुणे और देवलाली से हासिल की ।इसके बाद वह अपने पिता गुलाम सरवर खान कि फल के व्यापार में हाथ बंटाने लगे। कुछ दिनों के बाद फल के व्यापार में मन नही लगने के कारण दिलीप कुमार ने यह काम छोड़ दिया और पुणे में कैंटीन चलाने लगे।

वर्ष 1943 में उनकी मुलाकात बांबे टॉकीज की व्यवस्थापिका देविका रानी से हुयी जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचान मुंबई आने का न्यौता दिया।पहले तो दिलीप कुमार ने इस बात को हल्के में लिया लेकिन बाद में कैंटीन व्यापार में भी मन उचट जाने से उन्होंने देविका रानी से मिलने का निश्चय किया। देविका रानी ने युसूफ खान को सुझाव दिया कि यदि वह अपना फिल्मी नाम बदल दे तो वह उन्हें अपनी नई फिल्म.ज्वार भाटा बतौर अभिनेता काम दे सकती है ।देविका रानी ने युसूफ खान को वासुदेव,जहांगीर और दिलीप कुमार में से एक नाम को चुनने को कहा ।वर्ष 1944 में प्रदर्शित फिल्म ज्वार भाटा से बतौर अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत की।

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

ख्याल अपना पुस्तक का हुआ लोकार्पण

शायरी की दुनिया में मील का पत्थर साबित होगी ख्याल अपना - प्रो. चंद्रकला
वाराणसी 10 दिसम्बर (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज एवं मन बंजारा कविता सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को पुस्तक ''ख्याल अपना'' का  लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। कॉलेज के न्यू ओबीसी बिल्डिंग स्थित सभागार में शायर हशम तुराबी द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन प्रोफेसर अवधेश प्रधान, प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया, डॉ. सत्यदेव सिंह, प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने किया। 

इस अवसर पर आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भूतपूर्व कुलपति प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया ने कहा कि ख्याल अपना पुस्तक आत्मा को स्पर्श करने वाली पुस्तक है। कवि की चेतना जब अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँचती है तब ऐसी कृति समाज के सामने आ पाती है। उन्होंने कहा कि शायरी करने वालो के लिए यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि इस पुस्तक की सादगी ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। कविता वही है जो व्यक्ति को अंदर से संभालती है, लोकतांत्रिक शायर की लोकतांत्रिक शायरी के रूप में यह पुस्तक समाज मे अपना स्थान बनाएगी। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि इंसान को इंसान बनाने वाली पुस्तक है ख्याल अपना, जिसे समाज के आईने के रूप में देखा जा सकता है।

कार्यक्रम में नवगीतकार पण्डित हरिराम द्विवेदी, रामअवतार पाण्डेय, आकाशवाणी के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार, कावेरी भादुड़ी, रामानंद तिवारी, अशोक सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किया। संयोजन प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने किया। स्वागत लेखक हशम तुराबी, डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा, डॉ. महिमा सिंह, फिरोज नुसरत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रत्ना मुखर्जी ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. उषा किरण सिंह, डॉ. शहजाद वारसी, डॉ. मंजरी पाण्डेय, डॉ. कमालुद्दीन शेख, रेहानुलहसन आदि उपस्थित रहें।

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

जुबली स्टार की हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी जानिये कब होगी रिलीज

निरहुआ-आम्रपाली हैं 'हम हैं दूल्हा हिन्दुस्तानी' के किरदार




मुंबई, 09 दिसंबर (dil india live) भोजपुरी सिनेमा के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ और अभिनेत्री आम्रपाली दुबे की फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' 10 दिसंबर को रिलीज होगी।

दिनेश लाल यादव निरहुआ, आम्रपाली दुबे, समीर आफताब, और मधु शर्मा की फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' 10 दिसम्बर से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। यशी फिल्म्स के बैनर तले बनी भोजपुरी फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' का फर्स्ट लुक और इसका ट्रेलर दर्शकों ने काफी पसन्द किया है। इस फ़िल्म की झलकियां दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं और दर्शकों से अपील की है,हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी को आशीर्वाद प्यार दिजीये।

आम्रपाली दूबे ने भी इंस्टाग्राम पर फ़िल्म के टीज़र को शेयर करते हुए लिखा है,हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी को आपलोग भरपूर प्यार दें। गौरतलब है कि इस फ़िल्म का निर्देशन स्वर्गीय असलम शेख ने किया है। इस फ़िल्म की शूटिंग लंदन में हुई है। फ़िल्म के निर्माता अभय सिन्हा, प्रशांत जम्मू वाला, समीर आफताब हैं। इसके सह निर्माता रंजीत सिंह, रवि चोपड़ा मैडज़ मूवीज़ हैं।

मंगलवार, 30 नवंबर 2021

बेहतर भविष्य की सुखद उम्मीद

महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल रंगा रंग कार्यक्रम संग सम्पन्न




वाराणसी 30नवंबर (dil India live)। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कबीर और उनकी शाश्वत शिक्षाओं को फिर से आत्मसात करते हुए तीन दिवसीय 'महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल' का भव्य समापन रविवार को गुलेरिया घाट पर हुआ. इस अनूठे उत्सव में ख्यातिलब्ध कलाकारों ने कबीर वाणी और आध्यात्मिक संगीत के माध्यम से जीवन दर्शन को समझाया और मन की सादगी में छिपे वैभव को जीने का रहस्य  उजागर किया. संगीत के साथ ही साहित्य, कला और आध्यात्म के सह-अस्तित्व की महत्ता का बखान किया।

फेस्टिवल पर अपने विचार साझा करते हुए महिंद्रा समूह के उपध्यक्ष और प्रमुख, सांस्कृतिक आउटरीच जय शाह ने कहा कि महिंद्रा समूह को इस महोत्सव के माध्यम से कलाकारों और दर्शकों को फिर से मिलने का मौका देने पर गर्व है। उन्होंने  इस बात पर राहत महसूस की कि कबीर के उत्सव के बहाने एक बार फिर जीवन की आशा और नई उम्मीदों के द्वार खुले हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य के लिए योजना बनाते समय हम आनंद और प्रतिबिंब से भरे इन पलों की ऊर्जा को अपने साथ रखेंगे।टीमव र्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय के. रॉय ने कहा कि इस वर्ष महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल वैश्विक आपदा से जूझ रहे लोगों और कलाकारों के लिए नई ऊर्जा के रास्ते खोले हैं. उन्होंने कहा कि कबीर के दर्शन में मनुष्य की अनुकूलन और आगे बढ़ने की क्षमता समाहित है। क



बीर को याद रख कर हम इस क्षमता को अपने भीतर निरंतर प्रवाहित होने दे सकते हैं।

तीसरे दिन प्रातःकालीन संगीत सत्र का आरम्भ  वाराणसी के शास्त्रीय गायक और शिक्षक प्रतीक नरसिम्हा के गायन से हुआ. कलाकार ने राग नट भैरव और कबीर के भजन प्रस्तुत किये. तत्पश्चात 'द आहवान प्रोजेक्ट' के कलाकारों ने भावपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था, ''कबीर, तुम कहाँ हो ?' प्रेम, मानवता और दया के दर्शन को बढ़ावा देने के लिए कबीर दर्शन की जरूरत पर ज़ोर देते हुए 'द आहवान प्रोजेक्ट' की गायिका वेदी सिन्हा ने अपनी कबीराना अदायगी से सुनने वालों के मन को छू लिया. उन्होंने कहा, "किसी भी समाज में, कोई भी समय या युग हो, कबीर का दर्शन हमेशा प्रतिध्वनित होता है क्योंकि यह एक सार्वभौमिक दर्शन है।"

दोपहर के सत्र में संगीतकार, कहानीकार और लेखक रमन अय्यर ने,  दिल्ली स्थित बैंड 'मंतश' के कलाकारद्वय अंजलि सिंह पडियार और लाभ भारद्वाज के साथ  जीवन संतुलन को समझने के लिए कबीर के कुछ छंदों पर अपने विचार प्रस्तुत किये. अय्यर ने रोजमर्रा के जीवन में काम के दबाव पर चर्चा करते हुए कहा कि कबीर के छंदों ने हरेक व्यक्ति को उसके सवालों के जवाब खोजने में मदद की है. आधुनिक  वर्कहॉलिक जीवन शैली से अलग जीवन के सत्य के समक्ष समर्पण करने में कबीर का दर्शन कैसे सहायक है, इस बिंदु पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की साथ ही  मिस्टर शिपली द्वारा रचित एक मेडले का प्रदर्शन करके दिवंगत संगीतकार मिस्टर वैलेंटाइन शिपली को भी श्रद्धांजलि दी।


तत्पश्चात, अगले सत्र 'तरन्नुम से कबीर' में अस्करी नकवी ने संगीतमय गायन की एक अनूठी शैली का प्रदर्शन किया, जो कबीर की प्रसिद्ध कविताओं का गुलदस्ता था. नक़वी ने कहा कि “कबीर का जीवन दर्शन सारे संशय से मुक्त है और किसी भी रूढ़ी में विश्वास नहीं करता. वैसे ही कबीर पर आधारित मेरी गायन शैली भी बिना किसी बंधन के मुक्त प्रवाह वाली है.' नकवी ने कबीर के दोहा 'पिंजर प्रेम प्रकाशिया' के साथ अपने प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए जीवन और मृत्यु, प्रेम और ज्ञान को कबीर के संदर्भों के साथ व्याख्यायित किया.

संध्य्कालीन संगीत सत्र की शुरुआत डीपीएस वाराणसी के वाद्यवृन्द द्वारा प्रस्तुत 'निरंजलि' के साथ हुई। इस संगीतमय प्रदर्शनमें  सभी आयु समूहों के विद्यार्थियों कबीर के दोहे प्रस्तुत किये गये.  डीपीएस वाराणसी के प्रिंसिपल मुकेश शेलार ने कहा, "निरंजलि कबीर के दर्शन के अनुकूल है. इस मनोहारी प्रदर्शन में कबीर के पारंपरिक दोहे, कुछ फ्यूजन और कुछ सूफी शैली के संगीत शामिल थे.

समापन संध्या को और भी भव्य बनाते हुए अगली प्रस्तुति ने उपस्थित जनमानस को हृदय की गहराइयों तक भावमय कर दिया. यह प्रस्तुति थी एम.के.रैना की उत्कृष्ट कृति 'कबीरा खड़ा बाज़ार में' के माध्यम से कबीरवाणी की आधुनिक पुनर्व्याख्या, जिसने इस शाम को एक अलग ही ऊंचाइयों तक पहुँचा दिया.  दास्तानगोई शैली में पेश किया गया यह कार्यक्रम कबीर के कालजयी साहित्य को एक नया ही रंग दे रहा था. 

समारोह का समापन सुविख्यात शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली के सुमधुर गायन के साथ हुआ. गायन प्रस्तुत करने के साथ ही कलापिनी कोमकली ने कहा, ' मुझे इस अभिनव उत्सव में आमंत्रित करने के लिए मैं बहुत आभारी हूं. माँ गंगा के किनारे बैठ कर कबीर को गाना और सुनना, इससे अद्भुत जीवन-अनुभव कहीं नहीं मिल सकता.सी के साथ जन-जन के कबीर का आह्वान करते हुए अगले वर्ष फिर मिलने के वादे और एक सुखद भविष्य की सकारात्मक आशा के साथ 'महिंद्रा कबीरा महोत्सव' का 5 वां संस्करण संपन्न हुआ। निश्चित रूप से अपने तरह के सबसे अनूठे इस महोत्सव की मधुर स्मृतियाँ अगले संस्करण तक सबके मन में बनी रहेगी।

रविवार, 28 नवंबर 2021

साहित्यिक संघ ने किया डा.गजाधर शर्मा 'गंगेश' का सम्मान

'गंगेश' 'सेवक साहित्यश्री' अलंकरण से विभूषित


वाराणसी 28 नवंबर (dil india live)। साहित्यिक संघ वाराणसी के 30 वें अधिवेशन के अवसर पर कमलाकर चौबे आदर्श इण्टर कालेज ईश्वरगंगी के सभागार में ख्यातिलब्ध कथाकार प्रो.कमलेश्वर के कर-कमलों से डा.गजाधर शर्मा 'गंगेश' को 'सेवक साहित्यश्री' अलंकरण से विभूषित किया गया। साथ में कथाकार धर्मेन्द्र कुशवाहा भी मौजूद थे। पता हो कि गाजीपुर के नंदगंज निवासी साहित्यकार डॉक्टर गजाधर शर्मा गंगेश मशहूर साहित्यकार हैं। उनकी साहित्यिक सेवा को देखते हुए कमलाकर चौबे आदर्श इंटर कॉलेज ईश्वरगंगी में उन्हें यह सम्मान दिया गया। साहित्यिक संघ वाराणसी के 30 अधिवेशन में उनका सम्मान होने पर गाजीपुर के साहित्यिक जगत में खुशी की लहर दिख रही।

police Commissioner Varanasi ने रामनवमी के दृष्टिगत भ्रमण कर ड्यूटीरत पुलिस अधिकारियों को दिया दिशा-निर्देश

सड़क पर उतरे सीपी पैदल गश्त कर सुरक्षा व्यवस्थाओं का लिया जायजा थाना प्रभारी चौक को लगाई फटकार Mohd Rizwan  Varanasi (dil India live). पुलिस...