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बुधवार, 5 जुलाई 2023

Sangeet में योग साधना श्रद्धा समर्पण के साथ गुरु के प्रति आस्था समाहित है

बनारस घराने के तबला वादक पं कामेश्वर नाथ मिश्रा ने कहा संगीत जीने की प्रेरणा देता है 



Varanasi (dil India live). सिडबी-स्पिक मैके के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को कोइराजपुर स्थित संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल में पांच दिवसीय तबला वादन कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ। जिसमें बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक 85 वर्षीय पं कामेश्वर नाथ मिश्रा नें विद्यार्थियों को बताया कि  संगीत संस्कार के साथ जीने की प्रेरणा देता है। संगीत एक ऐसी विधा है जिसमें योग साधना श्रद्धा समर्पण के साथ गुरु के प्रति एक आस्था है जो मनुष्य के जीवन को संस्कार की शिक्षा देता है। गायन वादन और नृत्य की तीनों विधाएं संगीत की शाखा हैं। संगीत का सबसे बड़ा आधार लय है। संगीत में लय जीवन का आधार है। स्वर को जब लय के माध्यम से व्यक्त किया जाता है तो संगीत बन जाता है। तबला मीठी संगत का वाद्य है। बनारस घराने के स्व. पं राम सहाय जी नें तबला वादन को नया स्वरुप प्रदान किया। उन्होंने सर्वप्रथम तबला वादन में पांचो उंगलियों का प्रयोग कर बनारस घराने के तबला वादन को देश विदेश में प्रचलित किया। 

उन्होंने कार्यशाला में विद्यार्थियों को तबले पर तीन ताल में ठेका बजाने के विभिन्न शैलियों को विस्तार पूर्वक बजाकर अभ्यास कराया और कहा कि रियाज के साथ ही वादन की क्षमता बढ़ती है। कार्यशाला में 30 विद्यार्थियों नें अपने खुद के तबले पर 2 घंटे तक अभ्यास किया।

इसके पूर्व कार्यशाला का शुभारम्भ संगीत की देवी माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। स्वागत प्रधानाचार्य डॉ नीलम सिंह, विषय स्थापना डॉ विभा सिंह संचालन जीतेन्द्र पाण्डेय धन्यवाद ज्ञापन गौरव केशरी नें दिया। सभी के प्रति आभार स्कूल की निदेशक डॉ वंदना सिंह नें व्यक्त किया। उक्त अवसर पर स्पिक मैके के चेयर पर्सन उमेश सेठ, पवन सिंह सहित संगीत के शिक्षक संगीता पाण्डेय, प्रमोद विश्वकर्मा आदि लोग मौजूद रहें।

बुधवार, 7 दिसंबर 2022

Indian government ने 'डाक जीवन बीमा' के दायरे में किया विस्तार

स्नातक/डिप्लोमा धारक भी हुए इस योजना के पात्र

अब विश्वविद्यालय/संस्था के सभी स्नातक/डिप्लोमा धारक करवा सकेंगे डाक जीवन बीमा 

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने दी यह महत्वपूर्ण जानकारी 


Varanasi (dil india live). सरकारी और अर्द्ध सरकारी कर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा के कवच के रूप में आरंभ डाक जीवन बीमा का दायरा भारत सरकार ने अब बढ़ा दिया है। उक्त जानकारी देते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, अब केंद्र सरकार व राज्य सरकारों से मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय/संस्था के सभी स्नातक/डिप्लोमा धारक भी डाक जीवन बीमा का लाभ उठा सकेंगे। डाक जीवन बीमा के तहत 20 हजार से 50 लाख रुपए तक का बीमा करवाने की सुविधा देश भर के डाकघरों में उपलब्ध है। बोनस की दर आकर्षक होने के कारण यह योजना बेहद लोकप्रिय है। पॉलिसी पर बोनस की दर रुपये 52 प्रति हजार से लेकर रुपए 76 प्रति हजार के मध्य है। वाराणसी परिक्षेत्र में वर्तमान में डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा की कुल 1.50 लाख से ज्यादा पॉलिसियाँ हैं।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि जीवन बीमा आज के दौर की एक अनिवार्य आवश्यकता होने के साथ-साथ बचत और निवेश का एक सुरक्षित माध्यम है। डाक जीवन बीमा देश की सबसे पुरानी बीमा योजना है, जिसकी शुरुआत 1884 में हुई थी। डाक जीवन बीमा हेतु पात्रता में अभी तक केंद्र व राज्य सरकारों के कर्मचारी, सार्वजनिक उपक्रमों, सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीयकृत बैंकों, रक्षा सेवाओं, अर्ध-सैन्य बलों तथा निजी क्षेत्र के पेशेवरों जैसे इंजीनियर, डॉक्टर, बैंकर, वकील, आर्किटेक्ट, पत्रकार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) तथा बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध कंपनियों के कर्मचारी ही शामिल थे। डाक जीवन बीमा में सुरक्षा (आजीवन बीमा), संतोष (स्थायी निधि जमा), सुविधा, सुमंगल, युगल सुरक्षा और बच्चों की पॉलिसी शामिल हैं। इसमें निवेश की सुरक्षा पर सरकार की गांरटी, धारा 80-सी के तहत आयकर में छूट, कम प्रीमियम व अधिक बोनस, पालिसी पर लोन की सुविधा, ऑनलाइन प्रीमियम जमा के अलावा देश के किसी भी डाकघर में प्रीमियम जमा करने की सुविधा और अग्रिम प्रीमियम पर छूट दी जाती है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक जीवन बीमा सेवा को नवीन टेक्नोलॉजी अपनाते हुए ऑनलाइन बनाया गया है। पॉलिसीधारकों के लिए ई-पीएलआई बॉण्ड की सुविधा प्रारंभ की गयी है जो डिजिलॉकर पर उपलब्ध है। अब डाक विभाग द्वारा पॉलिसी बांड जारी करने के तुरंत बाद पॉलिसी बॉण्ड को डाउनलोड किया जा सकता है। नवाचार करते हुए जहाँ अब प्रीमियम के ऑनलाइन जमा की सुविधा है, वहीं अब प्रीमियम को आई.पी.पी.बी. मोबाइल ऐप से भी जमा किया जा सकता है।

बुधवार, 7 सितंबर 2022

Jain news: जीवन का उद्धार संग्रह से नही त्याग से

पर्युषण पर्व का अष्टम दिन- रत्नत्रय व्रत पूजा प्रारंभ 



Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व पर बुधवार को सुबह सभी जैन मंदिरो में तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई ।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर सोलह कारण के 32/16 उपवास, दशलक्षण व्रत के 10 उपवास, अठाई के 8 उपवास, रत्नत्रय के 3 उपवास, एकासन एवं किसी भी प्रकार से त्याग-तपस्या कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वियों के उत्कृष्ट साधना के लिए जैन समाज ने कृत कारित अनुमोदना की। यह पर्युषण पर्व सबके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें, ऐसी मंगल कामना की गई। 

बुधवार को जैन मंदिरो में रत्नत्रय व्रत पूजा, भगवनतो की पूजा, अरिहंतो की पूजा एवं अभिषेक व क्षमावाणी महामंडल विधान पूरी भक्ति के साथ संगीतमय वातावरण मे मंत्रोच्चार के साथ किया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है इस दौरान श्रावक भक्तो के मन मे सहज ही त्याग- तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है। 

बुधवार को प्रातः भदैनी स्थित भगवान सुपारस नाथ जी की जन्म स्थली (जैन घाट) मे तीर्थंकर का प्रक्षाल पूजन किया गया। थोडा सा त्याग वीजारोपण की तरह हमेशा करते रहना चाहिए, जिससे भविष्य में पुण्य की फसल लहलहायेगी। उक्त बाते खोजंवा स्थित जैन मंदिर मे पर्व के आठवे दिन "उत्तम त्याग धर्म " पर व्याख्यान देते हुए-डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां- उन्होंने कहा जो समस्त द्रव्यो में मोह छोड़कर संसार शरीर और भोगो से विरक्त होता है, वही सच्चा त्याग धर्म है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर मे व्याख्यान देते हुए प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- समस्त संसार में उत्तम त्याग धर्म श्रेष्ठ कहा गया है। औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, आहार दान-ये तो व्यवहार त्याग के रूप में है। राग और द्वेष का निवारण करना (त्यागना) निश्चय त्याग है। बुद्धिमान लोग दोनों दान (व्यवहार और निश्चय) करते है, दिगम्बर जैन साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते है। 

जिस प्रकार मेघा जल का त्याग, नदी स्वयं का जल नही पीती, पेड़ स्वयं फल नही खाते। इसी प्रकार अधिक धन या वस्तु का संग्रह नही करना चाहिए त्यागने से ही मन एवं चित्त प्रसन्न रहता है। 

सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, प्रतियोगिताए, धर्म पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। 

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, संजय जैन, अरूण जैन, जय कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, सौरभ जैन उपस्थित रहे। 

रविवार, 7 अगस्त 2022

Katha:कथा सिर्फ हरि की, बाकी सब व्यथा

करपात्र प्राकट्योत्सव में बोले मुरलीधर महाराज जीवन के सब रस रामकथा में समाहित




Varanasi (dil india live)। कथा तो सिर्फ हरि की है बाकी सब वृथा और व्यथा है। जीवन के सब रस रामकथा में समाहित है बस आवश्यकता है उसमें भक्ति भाव से गोते लगाने की। उक्त उदगार प्रख्यात मानस मर्मज्ञ संत मुरलीधर जी महाराज ने 115 वें करपात्र प्राकट्योत्सव के अवसर पर दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ प्रांगण में चल रहे 27 दिवसीय श्रीराम कथा के 22 वे दिन शनिवार को व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि भगवान राम के चरित्र को हर व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो स्वतः ही राम राज्य स्थापित हो जाएगा, इसके लिए किसी क्रांति की आवश्यकता नही।  

गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गुरु के चरण नहीं वरन आचरण वंदनीय व अनुकरणीय होता है।

दूसरों का वंदन व सम्मान करने से स्वयं की सकारात्मक शक्ति में विकास होता है।

मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि किसी स्थान पर जाने से हमारे मन में शान्ति तथा सकारात्मक शक्ति आए, इसका मतलब उस स्थान पर किसी साधु या संत ने रहकर भगवान का भजन किया होगा। भले ही दुनिया के कई स्थान अपने आप में स्वर्ग कहलाते होंगे लेकिन उस भारत भूमि पर सैकड़ों स्वर्ग भी न्यौछावर है जहाँ संतो, ऋषियों ने जन्म लिया और अपनी तपस्या साधना से इसे स्वर्ग बना दिया। हम बहुत सौभाग्यशाली है जो भारतभूमि में जन्म प्राप्त कर सके।

 कथा के अंत मे धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने भी श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दिया।

इससे पूर्व कथा का शुभारंभ व्यासपीठ का पूजन कर हुआ।पंडित जगजीतन पाण्डेय, रामस्वरूप शर्मा, राम गोपालानंद जी महाराज ने श्री राम चरित मानस व व्यास पीठ का पूजन किया। इस अवसर पर मनोज अग्रवाल, रतन लाल गुप्ता, शशि अग्रवाल, विजय मोदी, राजमंगल पाण्डेय, सुमित सराफ आदि शामिल रहे

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...