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सोमवार, 28 अगस्त 2023

Lucknow main Varanasi के कवि व शायर श्रवण कुमार का सम्मान

राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान लखनऊ ने किया था चयन



Rajkumar Gupta 
Varanasi (dil India live). 28.08.2023. Varanasi जनपद के करनाडांडी ग्राम निवासी श्रवण कुमार को राज्य कर्मचारी संस्थान लखनऊ द्वारा उनकी कविता, शानदार शायरी, बेहतरीन कहानियों के लेखन के लिए सम्मानित किया गया है। लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में श्रवण कुमार को प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्रम व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। कर्नाडाड़ी निवासी श्रवण कुमार वर्तमान में प्रभारी अनुभाग अधिकारी अकाउंट्स के पद पर उत्तर प्रदेश सचिवालय में कार्यरत हैं। श्रवण कुमार प्रदेश में के जाने-माने कवि एवं शायर भी हैं। इनको यह सम्मान राज्य स्तरीय साहित्यिक प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान प्राप्त करने पर शनिवार को उर्दू अकादमी विभूति खंड गोमती नगर लखनऊ में सम्मानित किया गया‌‌। श्रवण कुमार ने बताया कि वह शासकीय दायित्वों के निर्वहन के साथ-साथ साहित्य की सेवा में लगे हुए हैं। श्रवण कुमार ने बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु  कविताएं, बाल कहानियां भी लिखी है।इनके प्रथम बाल कविता संग्रह का विमोचन वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के द्वारा किया गया था।

शनिवार, 11 मार्च 2023

Lucknow में जुटेंगे देश भर के shiya Muslim

बनारस से कल रवाना होंगे सैकड़ों शिया
Varanasi (dil india live). 12 मार्च को प्रमुख शिक्षा धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी की क़यादत में अज़ीमुशान इज्तेमा बड़े इमामबाड़ा, लखनऊ में मुनाअक़्क़ीद होने जा रहा है जिसमें पूरे हिन्दुस्तान से शिया Muslim पहुंच रहे हैं। वाराणसी से सैय्यद एजाज़ हुसैन गुड्डू बाक़री के साथ शहर बनारस से काफ़ी तादाद में मोमिनीन इस जलसे को कामयाब बनाने के लिए रविवार को सुबह रवाना होंगे। एजाज़ हुसैन गुड्डू ने बताया की ये जलसा शिया समाज के लोगों के हक़ की आवाज़ के लिए है। शिया समाज के सबसे बड़े आलिमे दिन मौलाना कल्बे जव्वाद साहब इसकी सदारत करेंगे। हमेशा की तरह मौलाना साहब इस बार भी क़ौम की आवाज़ बनेंगे और क़ौम के लोगों का हक़ दिलाने का काम करेंगे। इस कार्यकम की पूरी जिम्मेदारी शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष अली ज़ैदी, शामिल शम्सी, मिसम रिज़वी, अमील शम्सी, हुसैनी टाइगर व दीगर ज़िम्मेदाराना तमाम मोमिनिन से शिरक़त की गुज़ारिश किया है।

शुक्रवार, 15 जुलाई 2022

Hajj 2022: कल से आएंगे काबा के मुसाफिर

हाजियों की वापसी पर रहेगा घरों में जश्न का माहौल


Varanasi (dil india live). कल हज का सफर मुकम्मल करके पहली फ्लाईट SV-5798 लखनऊ आ रही है। इस फ्लाइट में 377 हाजी जेद्दाह (सऊदीअरब) से उत्तर प्रदेश के लखनऊ आएंगे। हाजियों की वापसी की खुशी में जायरीन के घरों में जश्न का माहौल है।

बता दें कि इस बार पूरे (यू. पी.) से 7452 हज यात्रियों को सऊदी अरब हज पर जाना नसीब हुआ, जिसमें से लखनऊ इम्बार्केशन से लगभग 4000 और बाकी दिल्ली इम्बार्केशन से गये। हज का फर्ज़ अदा करने के बाद 16 जुलाई से हाजियों की वापसी शुरु होगी। लखनऊ इम्बार्केशन के सभी हज यात्रियों की 26 जुलाई तक वापसी हो जायेगी। उत्तर प्रदेश राज्य हज समिति लखनऊ ने एयरपोर्ट पर हाजियों को लेने आने वाले उनके रिश्तेदारों के लिए भी पानी, टेंट, पार्किंग का इंतज़ाम किया गया है। 

पूर्वांचल हज सेवा समिति के सदर हाजी रईस अहमद नायब सदर हाजी ज़ुबैर व हाजी अहमद अली, महासचिव सलमान अदनान खाँ, तारिक हसन बब्लू, डॉ. अमीन,  हज पर से वापस आने वाले सभी हाजियों का खैर मक़दम करती है और दुआ करती है कि सभी हाजि खैरियत से अपने घरों को पहुँचे l

मंगलवार, 31 मई 2022

मेरे बाबा....और उनकी प्यारी बीड़ी



Lucknow (dilindialive)। यदि याददाश पर जोर देकर यह याद करने की कोशिश ही जाए बचपन में कपड़े की गुड़िया से खेलती मैं हाड़ मांस की अपने बाबा की दुलारी गुड़िया। गुड़िया नाम मेरे बाबा ने रखा था। अक्सर अपनी गोदी पर उठाकर बाहर मिट्टी के चबूतरे में बैठकर शाम को गपशप मारने वाले मेरे बाबा। 6 फुट लंबी कद काठी थी गोरा चिट्टा शरीर, धोती कुर्ता और कंधे में गमछा लिए अपनी छोटी सी दुनिया में अपनों के हीरो मेरे बाबा। निश्चित रूप से गांव में मनोरंजन के साधनों का अभाव होता है आपसी गपशप, छोटी मोटी चौपाले , खड़ंजे,मेड और नाली की लड़ाई में व्यस्त पूरा ग्रामीण समाज कहीं कौड़िया, लकड़ी, तो कहीं ताश के पत्ते फेटते भोले-भाले ग्रामीण।

     अपनी दिनचर्या में कठोर मेहनत करने वाले सुबह जल्दी उठकर और रात को जल्दी सोने वाले मेहनतकश किसान। हल और बैलों की जोड़ी से पूरे खेत का सीना चीर कर सोना उगाने वाले गांव के किसान ,जो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही दिखाई देते हैं मटमैला कुर्ता , कांछ वाली धोती और कंधे पर एक गमछा।

    इन सब में सबसे बड़ी विशेषता है आपसी मेल मिलाप होने पर बीड़ी की एक कश लगाना, तंबाकू जब बनती तो अकेले नहीं खाई जाती, बैठ कर खुद खाना और अपने साथियों को भी खिलाना ।यदि कुछ बड़ी चौपाल हुई तो हुक्के की गड़गड़ाहट और चिलम की सुगबुगाहट भी महसूस कर आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने की भावना का विकास करती दिखती। हाथ में बनी हुई तंबाकू, जात–पात, बड़े –छोटे का भेदभाव मिटाती भी गांव वालों को एक दूसरे से जोड़ने का बहुत ही आसान साधन हुआ करता था और शायद आज भी हमें गांव की अर्थव्यवस्था में यह देखने को मिल ही जाता है ।

           इन सभी के बीच मेरे बाबा इन सभी गुणों से संपन्न । निश्चित रूप से उनका प्यार और दुलार हम बच्चों में आज भी याद किया जाता है होली और दीपावली में टोकरी भर भर की मिठाई, आम के सीजन में भूसे में पकाए हुए आमों को निकालकर सभी बच्चा पार्टी को बैठा कर खिलाना। यदि इस आयोजन में बड़े लोग शामिल हो जाएं तो फिर क्या कहना आम की खुमारी के साथ तंबाकू के नशे और बीड़ी की धुए में कजरी ,फाग भजनों का आयोजन होना आम बात है।

       अपने कई नाती और पोतो के बीच मुझे अकेली गुड़िया को अपने पास पाकर बाबा काफी खुश होते थे । गांव की मिट्टी में खेलती उनकी गुड़िया यदि गंदी होती तो बड़े प्यार से  अपने गमछे से मुंह हाथ साफ़ करते अन्य को घर से साफ करा आने को कहते। अपने कंधे पर बैठाकर आधे गांव की यात्रा कराना हर शाम का एक प्रिय कार्य हुआ करता था। अपने साथ गांव के वरिष्ठ लोगों के पास ले जाना और एक छोटी सी टोकरी में चना देकर अपने इर्द-गिर्द ही बैठा कर रखने की उनकी अदा।  अक्सर ध्यान देते थे कि उनकी गुड़िया उनकी आंखों से ओझल ना हो जाए,कहीं किसी पड़ोसी के घर खेलने ना चली जाए इसीलिए एक मिट्टी की गाड़ी खरीदी और एक ढपाली भी और उसे अक्सर अपनी छोटी गुड़िया के हाथों में बांध देते हैं ताकि वह जब चलकर दूर जाने लगती तो गाड़ी में लगा हुआ छोटा सा डमरु  बजने लगता और पता चल जाता  था उनको। निश्चित रूप से यह चिंता थी, प्रेम था , स्नेह था....... प्यारी गुड़िया कुछ बड़ी हुई शहर में रहने लगी पर गर्मियों की छुट्टियों में जब बाबा दादी के घर जाते तो उनका प्रेम और स्नेह माथे से लेकर गालों से लेकर हथेलियों को कई बार  चूमना और काफी देर तक अपने प्यार से भरे हुए स्नेह और हृदय से लगा कर रखना वाकई अविस्मरणीय अनुभव था।

        निश्चित रूप से उनके मटमैले से में ले कुर्ते में एक अजीब सी बदबू होती है पर उस प्रेम और स्नेह के आगे सब कुछ बेकार। शहर से आए हुए बच्चों को अपने पास बैठा कर नहा धोकर पूजा करते हुए उनको आने वाले मंत्रों को बच्चों को भी सिखाना भोजन करने से पहले भोजन मंत्र और आचरण करने के तरीके बच्चों को बताना बिना नहाए हुए कुछ ना खाने का गांव के कोने से निकला और अपने नाती पोतों को सिखाया गया उनका नियम।

        समय बीतता गया।गांव की दिनचर्या के बीच सब होता पर साथ बीड़ी की लम्बी कश जरूर... एक बीड़ी से सुलगा हुआ धुआं, एक बंडल बीड़ी और फिर कई बंडल बीड़ी में जाकर अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। और इसी क्रम में शुरू हुआ  खांसी का छोटे-छोटे टुकड़ों में शुरू खेल, एक लंबी अनवरत खांसी ने ले लिया । गांव के नीम हकीम डॉक्टर अक्सर खांसी की दवा दे देते, बीड़ी के साथ वह दवा भी पी ली जाती और कुछ राहत मिलती समय बीतता गया। 

          जब मैं कक्षा 5 में पढ़ती थी तब एक बार बाबा शहर है उनका इलाज बनारस के एक नामी अस्पताल में कराया गया विभिन्न जांचों से पता चला कि साधारण सी दिखती खांसी टीवी के उच्च स्तर में पहुंच चुके हैं। टीवी क्या होती है तब शायद मुझे नहीं पता था।

    खांसी तेज हो रही थी खांसी के साथ बलगम की मात्रा बढ़ रही थी और शरीर टूट रहा था जो कभी, लंबा सुडौल था अब पतला होता जा रहा था। बीड़ी की तलब परिवार वालों के मना करने के कारण कुछ कम तो होती थी पर शायद तलब ज्यादा हावी थी और बाबा एक बार फिर गांव चले गए।

            बहुत समझाया गया , लड़ाई झगड़ा करके मनाया गया पर वह ना माने फिर वही दवा का क्रम कभी टूटता तो कभी जुड़ता.... टीवी का इलाज बीच में रुक रुक कर चलता। खांसी के कई सीरप पी लिए जाते पर बीड़ी का मोह ना छूटता। दादी ने भी बहुत आग्रह किया.... ठीक है नहीं पीऊगा कहते तो, घर पर नहीं तो बाहर दोस्तों के साथ एक आद कश होने लगी ।जो व्यक्ति 60 साल का अनवरत जीवन जी सकता था वह अपनी आधी उम्र में टीवी की वजह से शरीर में सिर्फ हड्डियों का ढांचा मात्र बचा, कभी कबार उल्टी से भी खून आता।

          और एक दिन सभी औरतें अपने करवा चौथ के व्रत की पूजा की तैयारी कर रही थी तभी गांव से सूचना आई कि बाबा नहीं रहे ....मैं भी गई मैंने भी उन्हें देखा वह जो अपने हाथों से हमेशा अपनी गुड़िया का माथा चुमने के लिए खड़े रहते थे आज जमीन पर लेटे थे। हड्डियों का एक कंकाल जो आपने शायद प्रैक्टिकल लैब में देखा होगा पर साक्षात मैंने तब देखा....रात भर मैं उनके पार्थिव शरीर के पास बैठकर सोचती रही तंबाकू की क्रूरता....।

                 तब पता चला कि शायद तंबाकू रूपी जहर कितना भयानक है, हंसता खेलता है व्यक्ति हमेशा दूसरों की केयर करने वाला व्यक्ति ,तमाखू से जुड़ी हुई लत से, खुद को अलग ना कर सका , बीड़ी के धूंवे में ऐसा उड़ा कि आज सब कुछ होते हुए भी जमीन पर सफेद हड्डियों के ढांचे के रूप में निढाल था। गर्मियों की छुट्टियों के बाद हमारे शहर लौटने पर अपनी नम आंखों से हमें प्यार के साथ विदा करने वाला अब कोई नहीं था। खुशियां, हंसी, खेल, अपनों का प्यार, अपनों का दुलार और अपनों के लिए शायद कभी कम नहीं किया जा सकता है। नशे से दूर रहकर अपनों का प्यार और प्रगाढ़ता को और बढ़ाया जा सकता है। जो प्यार माता-पिता, बाबा दादी, भाई बहन, पति पत्नी, पिता पुत्र अपनों को कर सकते हैं वह शायद दुनिया में कोई नहीं कर सकता। 

        यह एक छोटी सी कहानी रूपी संस्मरण है पर शायद इसके शब्दों में वह प्रेम  आप को दिख रहा होगा जो मुझे फिर कभी नहीं मिला। आज भी 6 फुट की लंबी काया हाथ में लाठी धोती कुर्ता और गमछे के साथ किसी को देखती हूं तो मेरे प्यारे बाबा हमेशा याद आते हैं काश उन्होंने तंबाकू के नशे से दूरी बना ली होती तो आज हम उस दुख के क्षण से ,जानलेवा बीमारी से अपने प्रिय बाबा को ना खोते। संपूर्ण विश्व तंबाकू के नशे से मुक्त हो सके आइए विभिन्न माध्यमों से बच्चों को नशे से दूर रहने की मुहिम से जोड़े, अपने साथियों को बड़े बुजुर्गों को जागरूक करें। सिगरेट और बीड़ियो तंबाकू के पैकेट में बने हुए खतरनाक चित्रों से डरे।

 विश्व तंबाकू उन्मूलन दिवस विरोध से ज्यादा, एक जागरूकता अभियान है।आइए मिलकर दूरी नहीं आपस में जोड़ने का अभियान बनाएं। देश को तमाखू के नशे से दूर भगाएं। टीवी, कैंसर, लिवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारियों से अपनो को बचाएं।

रीना त्रिपाठी (लेखक सामाजिक कार्यकत्री हैं)

शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

इमरान प्रतापगढ़ी का होगा भव्य स्वागत



6 को लखनऊ कूच करेंगे कांग्रेसजन

  • परिवर्तन संकल्प सम्मेलन में करेंगे सभी शिरकत
  •  कांग्रेस कार्यालय नेहरू भवन में होगा ऐतिहासिक स्वागत

 वाराणसी 3 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी के प्रथम लखनऊ आगमन पर कांग्रेस कार्यालय नेहरू भवन लखनऊ में उनका ऐतिहासिक स्वागत उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज आलम की टीम करेगी।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के महासचिव हसन मेंहदी कब्बन कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव के साथ-साथ वाराणसी मिर्जापुर प्रभारी शाहिद तौसीफ ने एक संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि 6 सितंबर को लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत के साथ साथ परिवर्तन संकल्प सम्मेलन भी होगा। कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए वाराणसी से भी भारी संख्या में कांग्रेस जन 6 सितंबर को लखनऊ की ओर कूच करेंगे और प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर स्वागत एवं परिवर्तन संकल्प सम्मेलन को भारी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर यादगार बनाएंगे। तैयारी के सिलसिले में वाराणसी सहित पूरे प्रदेश में लगातार बैठकों का दौर जारी है

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...