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रविवार, 13 अगस्त 2023

सरकारी School में students के लिए लगाया free eye जांच कैंप



Varanasi (dil India live). भारत जैसे विकासशील देश में स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं आज भी ग्रामीण लोगों की पहुंच से काफी दूर हैं। यही कारण है कि गाँव के लोग सरकारी अस्पतालों में भी आसानी से नहीं पहुंच पाते और प्राइवेट अस्पताल की स्वास्थ्य सुविधाओं का उपयोग उनकी आर्थिक स्थिति के दायरे से बाहर है। इस क्षेत्र में काफी सरकारी प्रयासों के बावजूद भी लोग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

सरकारी स्कूल तक न सिर्फ स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने बल्कि इन सुविधाओं को हर ज़रूरतमंद बच्चे तक पहुंचाने के उद्देश्य से शिक्षिका छवि अग्रवाल अपने सामाजिक दायरे का प्रयोग कर समय-समय पर न सिर्फ़ अपने विद्यालय बल्कि आस-पास के भी विद्यालयों की भी सहायता करती रहती हैं। इस बार इस अद्भुत नेक पहल में छवि का साथ दिया है वाराणसी इलीट राउंड टेबल के अध्यक्ष नितेश सुखवानी जी ने ।संयुक्त रूप से काशी विद्यापीठ ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय टिकरी में एक निःशुल्क नेत्र जाँच कैंप का आयोजन कर हर बच्चे तक स्वास्थ्य सुविधा की पहुंच को सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया।जिसके अन्तर्गत विद्यालय के सभी बच्चों का आई टेस्ट किया गया तथा जाँच उपरांत निःशुल्क चश्मे भी वितरित किए गए। इस प्रक्रिया में 15 दिन का समय लगा। अपनी स्पष्ट दृष्टि पुनः प्राप्त कर बच्चों के चेहरे खिल उठे। वो कहते हैं ना कि नज़र सही तो ख़ुशी के बहाने कई…। सहयोगी संस्था इलीट राउंड टेबल अध्यक्ष नितेश सुखवानी व सुरभि सुखवानी ने कहा कि स्कूल के बच्चों के लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेज चलने से व ज्यादा मोबाइल का प्रयोग करने की वजह से देखने में परेशानी की शिकायतें मिल रही थी जिसके तहत संस्था ने सरकारी पाठशाला में नेत्र शिविर लगाने का फैसला लिया उन्होंने कहा कि शिविर में बच्चों की आंखें टेस्ट करवाकर कमजोर आँखों वाले बच्चों को चश्मे दवाएं वितरित कराई गई हैं। छवि अग्रवाल ने पदाधिकारियों को इस अनुपम कार्य के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और धन्यवाद देते हुए भविष्य में भी ऐसे शिविर लगाने की अपील की। इस मौके पर संस्था के सदस्य एवम् विद्यालय का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।

शुक्रवार, 5 अगस्त 2022

Medical treatment:ब्रेस्ट में गांठ है तो न घबरायें, जांच करायें

‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ साबित हो रहा वरदान



Varanasi (dil india live). अध्यापिका स्वाति (40 वर्ष) उस रात नहीं सो पाईं जब उन्हें अपने स्तन पर उभरी गांठ का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि कहीं यह स्तन कैंसर तो नहीं। सुबह होते ही वह ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ पहुंची। जांच के बाद डॉक्टर ने जब उन्हें बताया कि यह एक सामान्य गांठ है। कुछ ही दिन में ठीक हो जाएंगी। इसी तरह ममता (38 वर्ष ) को दो वर्ष से ब्रेस्ट में गांठ थी। गांठ में कभी दर्द नहीं हुआ, इस वजह से उन्होंने उसे कभी गंभीरता से भी नहीं लिया। अचानक उनके निप्पल से श्राव होने लगा। उपचार के लिए वह सम्पूर्णा क्लिनिक पहुंची। जांच में जब पता चला कि यह स्तन कैंसर के लक्षण हैं। वह रोने लगी। उन्हें अफसोस हुआ कि उन्होंने ब्रेस्ट में हुई गांठ के प्रति लापरवाही क्यों बरती। समय रहते यदि उपचार कराया होता तो यह दिन आज न देखना होता।

पं. दीनदयाल चिकित्सालय में स्थिति ‘सम्पूर्णा क्लिनिक’ में ऐसे मामले अक्सर देखने को मिलते हैं। इसको लेकर महिलाओं को सावधान एवं सतर्क रहने की आवश्यकता है। सम्पूर्णा क्लिनिक ’की प्रभारी व वरिष्ठ चिकित्सक डा. जाह्नवी सिंह कहती हैं स्तन में बनी कोई भी गांठ को नजरअंदाज करना एक बड़ी मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा है। हालांकि हर गांठ से कैंसर नहीं होता है। फिर भी सतर्क रहना चाहिए।


डा. जाह्नवीं कहती है “स्तन कैंसर का प्रमुख लक्षण स्तन में गांठ को माना जाता है, लिहाजा स्तन में गांठ का पता चलते ही आम तौर पर महिलाएं घबरा जाती हैं, जबकि उन्हें घबराना नहीं चाहिए।“ वह बताती है कि आम तौर पर ब्रेस्ट में होने वाले बदलाव पीरियड्स के दौरान, पीरियड्स बंद होने के दौरान अथवा गर्भावस्था के दौरान होते है। दरअसल महिलाओं मे हार्मोन्स के बदलाव व ब्रेस्ट टिशूज में फैट बढ़ने के कारण भी गांठ बन जाती है। कुछ महिलाओं के स्तन में कई छोटी-छोटी गांठ हो जाती है। कुछ में सिर्फ एक बड़ी गांठ बन जाती है। उन्हें चिकित्सक की सलाह पर अपनी जांच करानी चाहिए। 

 छोटी गांठ से हो सकती कैंसर की शुरूआत

 डा. जाह्नवी बताती हैं कि स्तन कैंसर की शुरुआत ब्रेस्ट में छोटी गांठ से भी हो सकती है। शुरूआती स्थिति में चिकित्सक की सलाह पर गांठ की जांच कराकर कैंसर का निदान किया जा सकता है लेकिन इसमें बरती गयी लापरवाही ही बाद में मरीज के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है। "

स्तन की नियमित रूप से खुद करें जांच

डा. जाह्नवी बताती है कि स्तन कैंसर महिलाओं में सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। पहले 40 से 45 वर्ष की महिलाओं के स्तन कैंसर से पीड़ित होने की संभावना सबसे अधिक रहती थी पर अब 30 से 40 वर्ष की महिलाओं में भी इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस संकट से बचने के लिए महिलाओं को इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि उनके स्तन में कहीं कोई गांठ तो नहीं उभर रही। इसके लिए 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को अपने स्तन की जांच हर माह स्वयं करनी चाहिए और वर्ष में एक बार चिकित्सक से उसका परीक्षण कराना चाहिए। गांठ का पता चलते ही फौरन चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए ताकि इसका परीक्षण हो सके कि गांठ कैंसर युक्त है या कैंसर मुक्त। स्तन की जांच स्वयं कैसे करें? इस बारे में जानकारी के लिए किसी चिकित्सक अथवा पं. दीन दयाल उपाध्याय चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लिनिक ’में सम्पर्क किया जा सकता है। 

 यह है खतरे की घंटी

स्तन में किसी तरह की गांठ

निप्पल से किसी तरह का श्राव

निप्पल का अंदर की ओर धंसना

स्तन की स्किन संतरे के छिलके की तरह होना

किसी एक स्तन के आकार में परिवर्तन

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