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शनिवार, 8 अप्रैल 2023

Dav pg College में मी टू पर व्याख्यान में बोली डॉ. अरूंधति

मी टू छवि खराब करने का मंच नहीं, एक आन्दोलन 



Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में संचालित जेन्डर एवं सोसाइटी कोर्स के अन्तर्गत शनिवार को समसामयिक लैंगिक विमर्शः मी टू से जुड़े मिथकों पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता एमिटी विश्वविद्यालय, पटना में अंग्रेंजी विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. अरूंधति शर्मा ने मी टू सिर्फ एक शब्द नही है और ना ही यह किसी शख्शियत की छवि को खराब करने का जरिया बल्कि यह एक आन्दोलन है जिसका उद्देश्य समाज में सफेदपोश का नकाब ओढ़कर अनैतिक कृत्य को अंजाम देने वालो को बेनकाब करना है।

समाज में यह भ्रान्ति फैल गयी है कि मी टू आन्दोलन सिर्फ पुरूषों को बदनाम करने के लिए चलाया जाता है बल्कि वास्तविकता इससे उलट है। मी टू केवल महिलाओं की आवाज तक सीमित नही है, इस मंच का प्रयोग पुरूष भी अपने विरूद्व हुए लैंगिक उत्पीड़न के लिए करते है। डॉ. अरूंधति ने यह भी कहा कि हालांकि मी टू आन्दोलन उन महिलाओं के लिए बड़ा हथियार बन पाया जो समाज में सार्वजनिक रूप से अपने विरूद्ध हुए उत्पीड़न को व्यक्त नही कर सकती थी।

अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. विक्रमादित्य राय ने कहा कि आरंभ से ही मी टू को महिलाओं से ही जोड़ कर देखा गया है, यह सिर्फ एकपक्षीय आवाज नही है वरन पुरूष भी इस मंच का भरपूर इस्तेमाल कर रहे है। संचालन डॉ. सुष्मिता शुक्ला एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नेहा चौधरी ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. हसन बानो, डॉ. सुषमा मिश्रा सहित अन्य अध्यापक, शोधार्थी, एवं छात्र - छात्राएं शामिल रहे।

शनिवार, 14 जनवरी 2023

dav pg college में एकल नाट्य का हुआ मंचन


'माँ मुझे टैगोर बना दो' का मंचन देख भर आयी आँखे



Varanasi (dil india live)। माँ मैं कविताएं अच्छी लिखने लगा हूं, टीचर कहते है मैं आगे जाकर टैगोर जैसा कवि बन सकता हूँ, मुझे टैगोर बनना है माँ, मुझे और पढ़ना है। बेटा... आगे पढ़ना है तो अपने पापा से पूछ, मुझसे नही और टैगोर बनने से पेट नही भरता है। उक्त भावपूर्ण दृश्य शनिवार को जीवन्त रहा डीएवी पीजी कॉलेज के हिन्दी विभाग एवं सांस्कृतिक समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एकल नाट्य "माँ मुझे टैगोर  बना दे" की प्रस्तुति के अवसर पर। जम्मू से आये प्रख्यात रंगकर्मी लक्की गुप्ता ने पंजाब के मशहूर कथाकार मोहन भंडारी द्वारा रचित नाटक की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसे देख हॉल में उपस्थित सभी की आँखे भर आयी। नाटक में एक बच्चे की कहानी को बड़े ही मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत किया गया है जिसके शिक्षक उसकी प्रतिभा देख उसे टैगोर जैसा कवि बनने की उम्मीद करते है। बच्चा भी मुफलिसी में जीने के बावजूद किसी तरह दसवीं पास कर लेता है लेकिन 12 वीं की पढ़ाई के लिए उसे आगे दूसरे शहर जाना है और उसके लिए उसके परिवार की माली हालत साथ नही देती। फिर भी पिता किसी तरह उसके पढ़ाई का इंतजाम करता है लेकिन दुर्भाग्य वश पढ़ाई के दौरान ही उसके पिता की मजदूरी करते वक़्त हादसे में मौत हो जाती है और बच्चे की पढ़ाई अधूरी रह जाती है, क्योंकि अब उसे पढ़ाई नही करनी अब उसे घर चलाने के लिए काम करना होगा। 

एकल नाटक में रंगकर्मी लक्की गुप्ता के भाव और संवाद ने लोगों को द्रवित कर दिया तो खूब तालियां भी बटोरी। पिछले दस वर्षों से देश के विभिन्न राज्यों में नाटक की प्रस्तुति दे रहे लक्की गुप्ता की यह 1096 वीं प्रस्तुति थी।

इस अवसर पर हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राकेश कुमार राम एवं सांस्कृतिक समिति के समन्वयक प्रोफेसर अनूप कुमार मिश्रा ने लक्की गुप्ता को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र प्रदान कर उनका स्वागत किया। संयोजन प्रोफेसर समीर कुमार पाठक एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी ने दिया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रोफेसर मिश्री लाल, प्रोफेसर ऋचारानी यादव, डॉ. हबीबुल्लाह, डॉ. संजय कुमार सिंह, प्रोफेसर पूनम सिंह, डॉ. संगीता जैन, डॉ. मीनू लाकड़ा, डॉ. हसन बनो, डॉ. अस्मिता तिवारी, डॉ. प्रतिभा मिश्रा, डॉ. सुषमा मिश्रा सहित बड़ी संख्या में अध्यापक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।


रविवार, 7 अगस्त 2022

hand writing से जान सकते है व्यक्ति की मानसिकता: राजेश जौहरी

डीएवी पीजी कॉलेज में कार्यशाला : देश भर से जुटे प्रतिभागी


Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान विभाग के तत्वावधान मे चल रहे "हस्तलेख निदान : मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यक्तित्व का आंकलन" विषयक रास्त्री कार्यशाला के दूसरे दिन रविवार को विषय विशेषज्ञ राजेश जौहरी ने बताया कि लोगों की लिखावट, उनकी मानसिक परिपक्वता, कार्य करने की शैली, लोगों से संबंध, सकारात्मक एवं नकारात्मक सोच, विचार शैली, लक्ष्य प्राप्ति की उत्कंठा एवं मन में उपजे सारे विचारों को जानना ग्राफ़ोलॉजी पद्धति द्वारा संभव है। अलग-अलग प्रकार की राइटिंग भिन्न प्रकार की मानव मस्तिष्क को दर्शाती है । उन्होंने आगे कहा कि छोटे अक्षर लिखने वाले मनुष्य दूरदर्शी, सूक्ष्म, गहन अध्ययन करने वाले अस्पष्ट लिखने वाले दुविधाग्रस्त, अव्यवस्थित लिखने वाले दिशाभ्रमित तथा अन्य कई सारी चीजें एवं व्यवहार लिखावट के द्वारा जानी जा सकती है । उन्होंने कहा कि लोग कलम को कितना दबाकर लिखते हैं, इसका भी अपना अर्थ होता है । जो लोग कम दबाव के साथ लिखते हैं वह परिस्थितियों के साथ तेजी से समायोजन करने वाले, विचारों में अधिक लचीले, जल्दी थक जाने वाले होते हैं । जबकि भारी दबाव के साथ लिखने वाले लोग आक्रमक, अत्यंत कुंठित, अमाशय एवं आंत संबंधी समस्याओं से ग्रसित होते हैं तथा ध्यानाकर्षण चाहने वाले होते हैं।  सामान्य दबाव के साथ लिखने वाले लोग सामान्य, संतुलित, परिश्रमी तथा दायित्व निर्वहन करने वाले होते हैं। उन्होंने अक्षरों के झुकाव की विभिन्न शैलियों तथा उनके अर्थ के साथ साथ हस्तलेखन के परिक्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। अक्षर का ऊपरी परिक्षेत्र का भविष्य, मध्यम परिक्षेत्र का वर्तमान तथा निचले परिक्षेत्र का संबंध बीते हुए कल से होता है । 

 कार्यशाला में देश भर से जुड़े प्रतिभागियों एवं अतिथि का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. ऋचा रानी यादव ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन आयुष्मान ने दिया। कार्यक्रम में प्रो. सत्य गोपाल, डॉ. कल्पना सिंह, डॉ. अखिलेंद्र कुमार सिंह, डॉ. कमालुद्दीन शेख, प्रशांत राज, मनीष कुमार आदि उपस्थित रहे। हाइब्रिड मोड में आयोजित कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों के लगभग 60 प्रतिभागी शामिल हो रहे है।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...