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गुरुवार, 12 जनवरी 2023

National youth day पर एड्स जागरूकता के लिए हुई क्विज़ प्रतियोगिता

असम ने क्विज़ में मारी बाजी, जीता प्रथम पुरस्कार 

पुड्डुचेरी दूसरे, राजस्थान तीसरे और यूपी रहा चौथे स्थान पर

नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन, यूपी स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी व बीएचयू के तत्वावधान में हुई प्रतियोगिता 


Varanasi (dil india live). राष्ट्रीय युवा दिवस पर युवाओं में एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने से वृहस्पतिवार को बीएचयू के स्वतंत्र भवन में नेशनल रेड रिबन क्विज़ प्रतियोगिता का फाइनल चरण आयोजित हुआ। नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन (नाको), उत्तर प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी, व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन उत्साहपूर्वक किया गया। प्रतियोगिता के फ़ाइनल में एचआईवी एड्स सहित अन्य संक्रामक बीमारियों के बारे में चार चरणों में प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। सभी चरणों में बेहतर प्रदर्शन करते हुये असम की टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 



विशिष्ट अतिथि व बीएचयू के कुलगुरु प्रो वीके शुक्ला एवं मुख्य अतिथि व नाको के उप महानिदेशक डॉ अनूप पुरी ने प्रतियोगिता की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित कर और स्वामी विवेकानंद व मदन मोहल मालवीय के कुलगीत से की। तत्पश्चात प्रो वीके शुक्ला ने युवाओं को एचआईवी एड्स के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूक रहने के बारे में प्रेरित किया। डॉ अनूप पूरी ने देश में एचआईवी एड्स के पिछले 10 सालों से कम होते मामलों के बारे में जानकारी दी। उन्होने कहा कि असुरक्षित यौन संबंध, इंजेक्शन, ब्लड ट्रांसमिशन आदि तरीके से एचआईवी का वायरस फैलता है। एड्स होने से विभिन्न बीमारियाँ रोगी को घेर लेती हैं जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। उन्होने युवाओं से अपील की कि एड्स की रोकथाम व जागरूकता के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। उत्तर प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के संयुक्त निदेशक आईईसी डॉ रमेश चंद्र श्रीवास्तव ने विशिष्ट और मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुये राष्ट्रीय युवा दिवस पर सम्बोधन एवं क्विज़ प्रतियोगिता में सम्मिलित होने विभिन्न प्रान्तों से आए विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन भी किया ।           

प्रतियोगिता में देश की चारों दिशाओं से आए चार विजेताओं के बीच फाइनल चरण हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश, असम, पुड्डुचेरी और राजस्थान के विश्व विद्यालयों और महा विद्यालयों के दो-दो विद्यार्थी की टीम शामिल थी। विजेता टीम असम से छात्रा दिशा वैश्य और अरिंदम कश्यप रे को बीएचयू के कुलसचिव प्रो एके सिंह व उप महानिदेशक डॉ अनूप पुरी ने मेडल व ट्रॉफी देकर सम्मानित किया । इसके साथ ही असम की टीम को एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भी दी गई । इसके साथ ही दूसरे स्थान पर रही पुड्डुचेरी की टीम से हर्षिता व राजश्री को 75 हजार रुपये, तीसरे स्थान पर राजस्थान की टीम से गरिमा सिंह और प्रियंका सेन को 50 हजार रुपये तथा चौथे स्थान पर रही उत्तर प्रदेश की टीम से लक्ष्मी और प्रवीण दारे को 25 हजार की धनराशि, ट्रॉफी, मेडल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।



अंत में कुलसचिव प्रो एके सिंह ने सभी विजेताओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनायें दी। कार्यक्रम का संचालन एनएसएस बीएचयू के डॉ बाला लखेन्द्र ने किया । प्रतियोगिता के अंतर्गत विद्यार्थियों के प्रश्नों का जवाब डॉ भावना राय, उप निदेशक, नाको भारत सरकार और क्विज़ मास्टर सुभ्रजीत भट्टाचारजी ने दिये । कार्यक्रम में रेड रिबन क्लब के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक, कठपुतली के जरिये एचआईवी/एड्स के प्रति युवाओं को जागरूक किया । विभिन्न महा विद्यालयों की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन किया । कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी, नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइज़ेशन के समस्त अधिकारी व सदस्य, विश्व विद्यालयों व महा विद्यालयों के अध्यापक एवं अन्य लोग मौजूद रहे ।

बुधवार, 30 नवंबर 2022

World hiv day/एड्स दिवस (01 दिसम्बर ) पर विशेष

एचआईवी संक्रमितों को नई जिंदगी दे रहा एआरटी सेंटर

• निःशुल्क उपचार के साथ ही उनका बढ़ा रहा हौसला 

• एड्स के खतरे से भी लोगों को कर रहा जागरूक




Varanasi (dil india live). प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने दिल्ली गये रामनगर निवासी शशांक, 23 वर्ष (परिवर्तित नाम ) की वहां एक युवती से शारीरिक संबंध बन गए। घर वापसी के कुछ महीनो बाद शशांक अक्सर बीमार रहने लगा। उसका शरीर कमजोर होता जा रहा था। बुखार पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। जांच में जब पता चला कि वह एचआईवी संक्रमित है तो शशांक के होश उड़ गये। लगा कि उसके सारे सपने टूट चुके हैं। उस वक्त एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर ने उसको एक नई जिंदगी दी। नतीजन एचआइवी पॉजीटिव होते हुए भी शशांक खुशहाल जिंदगी जी रहा है।

यह कहानी सिर्फ शशांक की नहीं बल्कि पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर शशांक जैसे उन तमाम युवाओं को वर्षों से नई जिंदगी दे रहा है जो एचआईवी संक्रमित होने के कारण जीवन से निराश हो चुके थे। एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि इस सेंटर की स्थापना वर्ष 2011 में हुई। मकसद एचआईवी संक्रमितों को उचित उपचार देने के साथ उनके हौसले को बढ़ाना है । इसके अलावा एचआईवी व एड्स के खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने का भी काम एआरटी सेंटर करता है। वह बताती है़ कि 10 वर्ष के भीतर इस केन्द्र में एचआईवी संक्रमित लगभग 4500  लोगों का पंजीकरण हुआ जिनका निःशुल्क उपचार किया जा रहा है।

 क्या है एचआईवी वायरस 

डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस स्थिति को एड्स कहते हैं। उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है। अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है। डा.  प्रीति बताती है कि एआरटी सेंटर में एचआईवी की निःशुल्क जांच होती है। एचआईवी पॉजीटिव होने पर मरीज का फौरन निःशुल्क उपचार शुरू किया जाता है। एआरटी सेंटर के अलावा जिले के सभी सरकारी चिकित्सालयों यहां तक कि सभी सीएचसी-पीएचसी में भी एचआईवी जांच की निःशुल्क व्यवस्था उपलब्ध है।

 प्रमुख लक्षण

वजन का घटना, लगातार दस्त होना, लम्बे समय तक बुखार का होना, शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना, मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी का आना, गले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का होना एचआईवी पॉजीटिव होने के लक्षण हो सकते है।

इन्हें हो सकता है संक्रमण

 एचआईवी संक्रमित के साथ यौन सम्पर्क, इंजेक्शन से नशीली दवा लेने वाला व्यक्ति को,माता-पिता के एचआईवी संक्रमण के बाद पैदा होने वाले बच्चे को, बिना जांच किया हुआ रक्त चढ़वाने वाले व्यक्ति को एचआईवी संक्रमण का खतरा रहता है।

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

एड्स के प्रति जागरूकता जरूरी

विश्व एचआईवी/एड्स दिवस मनाया गया


 वाराणसी 01 दिसम्बर (dil india live)। विश्व एचआईवी/एड्स दिवस पर बुधवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय  चिकित्सालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जागरुकता गोष्ठी व हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राहुल सिंह ने कहा कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से एड्स की बीमारी नहीं होती है। संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से यह बीमारी फैलती है। इससे बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में एड्स से बचने के लिए जागरुकता अत्यन्त जरूरी। पं. दीनदयाल चिकित्सालय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. आरके सिंह ने कहा कि एचआईवी पाजीटिव होने के बाद अगर समय से उपचार शुरू हो जाए तो पीड़ित सामान्य जीवन जी सकता है। उन्होंने कहा कि उपचार न होने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और उसे तमाम तरह के रोग हो जाते है। इसलिए इसका समय से उपचार जरूरी है। गोष्ठी में एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी  डा. प्रीति अग्रवाल, चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील सिंह, क्षय व एड्स रोग के कोआर्डीनेटर विनय मिश्र के अलावा विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव  ने विचार व्यक्त किया। इसके पूर्व चिकित्सालय में एड्स जागरूकता के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।

एचआईवी नहीं रहा अब मातृत्व के लिए अभिशापएड्सदिवस


तीन वर्ष में 50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म


गर्भवती का समय पर हो उपचार तो संक्रमण से बच सकता है गर्भस्थ शिशु


इस वर्ष की थीम है “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें”

वाराणसी01दिसंबर(dil india live)। विमला (परिवर्तित नाम) जब पहली बार गर्भवती हुई तो उन्होने अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान खून की जांच करायी तो उन्हें एचआईवी पॉजीटिव होने का पता लगा। डाक्टर ने जब इस बारे में उसे बताया तो ऐसा लगा कि उसपर जैसे वज्रपात हो गया हो। लगा जैसे मां बनने की सारी खुशियां किसी ने पलभर में छीन ली हों। पेट में पल रहे दो माह के बच्चे, लम्बी जिंदगी के साथ ही घर-गृहस्थी और समाज की चिंता भी उसे सताने लगी। तब उसके हौसले और एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर से मिले चिकित्सीय सलाह ने उसे एक नई जिंदगी दी। समय से शुरू हुए उपचार का नतीजा रहा कि एचआइवी पाजीटिव होते हुए भी उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अब वह एक खुशहाल जिंदगी जी रही है। यह कहानी सिर्फ विमला की ही नहीं है पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर में उपचार कराकर एचआईवी संक्रमित 50 महिलाएं तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दे चुकी हैं।

प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला एचआईवी/एड्स अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी/एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी/एड्स मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें” निर्धारित की गयी है। 

डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है। बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए। गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है। 

150 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म 

एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि वर्ष  2019 में 18,  2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर में दावा लेने आई सुनीता (35 वर्ष) ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है। तब माँ बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की माँ है। 

उपचार के साथ ही सलाह भी 

एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती का विशेष ख्याल रखा जाता है। साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दियजाता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है। समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है। 

क्या है एचआईवी वायरस डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस स्थिति को एड्स कहते हैं। उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है। अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है

एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण     

- लगातार वजन का घटना        


- लगातार दस्त होना        


- लगातार बुखार होना        


- शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना       


- मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...