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बुधवार, 1 दिसंबर 2021

अब लाइलाज नहीं रहा ‘क्लबफुट’

हो उपचार तो ठीक हो सकते हैं बच्चों के जन्मजात टेढ़े पैर

  •  राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा
  • मिरेकलफीट के सहयोग से मण्डलीय चिकित्सालय में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

 



वाराणसी, 1 दिसम्बर (dil india live)। शिशुओं के जन्मजात टेढ़े पंजे (क्लबफुट) का  समय से उपचार हो तो वह  पूरी तरह से ठीक हो सकता है। यह अब लाइलाज नहीं रहाl राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत इसका उपचार पूरी तरह मुफ्त किया जाता है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधन में मिरेकलफीट के सहयोग से आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में मण्डलीय अपर निदेशक/मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार ने यह बातें कहीं।

डा. प्रसन्न कुमार ने कहा कि टेढ़े पंजे (क्लबफुट) की समस्या एक जन्मजात विसंगति है जिसे पूरी तरह से ठीक किया जाना संभव है। ऐसे बच्चों के पंजे जन्म के बाद से अंदर की ओर मुडे होते हैं। किसी बच्चे का दोनो पैर तो किसी बच्चे का एक पैर भी अंदर की ओर मुड़ा हुआ हो सकता है। उन्होंने बताया कि देश में हर 800 में एक बच्चा क्लबफुट के साथ पैदा होता है। अगर समय से उपचार हो तो ऐसे बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। वह सामान्य बच्चों की तरह क्रिया-कलाप कर सकते हैं। यहां तक कि बड़े होने पर खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भी शामिल होने योग्य हो जाते हैं। यह सब तभी संभव हो सकता है जब बच्चे का उपचार सही समय से शुरू कर दिया जाए।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी /राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम( आरबीएसके)  के नोडल अधिकारी डा. अशोक कुमार गुप्ता* ने कहा कि  आरबीएसके  के तहत ऐसे बच्चों का उपचार पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है। क्लबफुट पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ऐसे नवजात बच्चों का उपचार जितनी जल्द शुरू हो उतना ही प्रभावी परिणाम आते है। ऐसे में नवजात के पंजे अगर अंदर की ओर मुड़े हुए नजर आते हैं तो उसका तत्काल उपचार शुरू करा देना चाहिए। ऐसे बच्चों के पंजों में चार से छह सप्ताह तक प्लास्टर लगाया जाता है। इसके पश्चात पंजे के पिछले हिस्से में एक मामूली चीरा लगाकर पुनः प्लास्टर लगा दिया जाता है। इस प्लास्टर को भी 21 दिन बाद काट दिया जाता है और बच्चे के पैरों में ब्रेस (विशेष रुप से तैयार किये गये जूते) पहनाये जाते है। तीन से -पांच वर्ष में ऐसे बच्चे पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं। डॉ गुप्ता ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार में मिरेकलफीट का काफी सहयोग रहा है। उसके प्रयास से काफी संख्या में ऐसे बच्चों का उपचार संभव हो सका है। 

आरबीएसके के डीईआईसी प्रबंधक डॉ अभिषेक त्रिपाठी ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। समय से उपचार हो जाने से ऐसे बच्चे दिव्यांग होने से बच सकते हैं। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मिरेकलफीट की प्रोग्राम एक्जक्यूटिव नेहल कपूर ने क्लबफुट के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि शिवप्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 11 में प्रत्येक बुधवार को ऐसे बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए कैम्प लगता है। पीड़ित बच्चों के अभिभावक इसका लाभ उठा सकते हैं। 

इस जागरुकता कार्यक्रम में क्लबफुट पीड़ित काफी संख्या में बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी शामिल हुए। पं. प. दीनदयाल नगर-चंदौली से अपने दो माह की बेटी के साथ कार्यक्रम में शामिल रिजवाना ने बताया कि उसकी बेटी के दोनों पंजे अंदर की ओर मुड़े हुए थे। पैरों में प्लास्टर लगाकर उसका निःशुल्क उपचार शुरू कर दिया गया है। चौबेपुर की सुजाता विश्वकर्मा  ने बताया कि इस उपचार का ही नतीजा है कि उनकी ढाई वर्ष की बेटी अब सामान्य रूप से चल-फिर रही है। उसका एक पंजा पंजे जन्म से अंदर की ओर मुडा था लेकिन उपचार कराने से अब वह पूरी तरह ठीक हो चुकी  है हैं।

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