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बुधवार, 11 दिसंबर 2024

Hazrat Rahim Shah बाबा के दर पर उमड़े अकीदतमंद

रहीम शाह बाबा के तीन दिनी उर्स में चढ़ी अकीदत की चादरें 
Varanasi (dil India live). हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह का तीन दिनी सालाना उर्स अकीदत और एहतराम बाबा के बेनिया स्थित आस्ताने पर मनाया जा रहा है। उर्स के मौके पर दूसरे दिन हज़रत रहीम शाह बाबा के दर पर अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था। उर्स में अकीदतमंदों ने मन्नती चादरें जहां पेश की वहीं बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने दूर-दराज़ से अकीदतमंद पहुंचे हुए थे। इससे पहले तीन दिनी उर्स की शुरुआत मंगलवार को हजरत रहीम शाह बाबा के दर पर पाक कुरान की तेलावत से हुई। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ हुआ। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल हुए थे। उर्स के मौके पर तकरीर और लंगर का भी दौर चला। सुबह से शाम तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने जायरीन पहुंचे। आने वालों का खैरमखदम सज्जादानशीन मोहम्मद सैफ रहीमी कर रहे थे। उर्स को देखते हुए दरगाह को सजाया गया है, तथा आसपास भी सजावट की गई।

आज दूसरे दिन फज्र के बाद कुरआनख्वानी, बाद नमाज असर ग़ुस्ल मजार शरीफ, बाद नमाज मगरिब सरकारी चादर पोशी हुई व मिलाद शरी में लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था। बाद नमाज इशा लंगर व महफिले समा का आयोजन किया गया। कल तीसरे दिन फज्र में कुरआन ख्वानी के बाद 10:30 बजे कुल शरीफ व बादहु रंग महफ़िल, लंगर  फिर बाद नमाज मगरिब महफिले समां होगा। आखिर में अमन और मिल्लत की दुआएं मांगी जाएगी।

रविवार, 9 जून 2024

URS Hazrat लाटशाही बाबा (रह.) Varanasi

फिर लाटशाही बाबा के दर से झोली भर कर लौटे जायरीन

लाटशाही बाबा का तीन दिवसीय उर्स अकीदत और एहतराम संग सम्पन्न 


Varanasi (dil India live)। सर्किट हाउस स्थित हज़रत सैय्यद मुख्तार अली शाह शहीद उर्फ लाटशाही बाबा (रह.) का तीन दिवसीय उर्स रविवार को फजर की नमाज के साथ सम्पन्न हो गया। उर्स के दौरान बाबा के दर पर अकीदत का सैलाब उमड़ा हुआ था। शनिवार की रात से रविवार की सुबह तक जायरीन बाबा के दर पर अपनी अकीदत लुटाते दिखाई दिए। आलम यह था कि सर्किट हाउस, कचहरी के साथ सड़क पर पांव रखने भर की भी जगह नहीं थी। इससे पूर्व शाम को सूफी जाफर हसनी के उल्फत बीबी के हाता सिथत दौलतखाने से चादर-गागर का जुलूस निकला, जो कदीमी रास्ते से होता हुआ बाबा के आस्ताने पर पहुंचा। यहां बाबा की मजार पर चादरपोशी कर अकीदतमंदों ने मुल्क की सलामती व खुशहाली की दुआएं मांगी। तीन दिवसीय उर्स के दौरान कुरानख्वानी, फातेहा व लंगर का दौर चलता रहा। उर्स के मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों संग बंगाल, बिहार, हरिद्वार, दिल्ली, अजमेर सहित पूर्वाचल भर से हजारों अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाकर दुआएं व मन्नतें मुराद मांगी। उर्स के दौरान जहां दोनों वर्गों के लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ था वहीं उर्स को देखते हुए लगे मेले में सभी ने अस्थाई दुकानों से खरीदारी की। बच्चे झूला वह चरखी का लुत्फ उठाते दिखाई दिए।

बाबा चेतसिंह के थे सिपहसालार 

हज़रत लाटशाही शहीद बाबा (रह.) का असली नाम सैय्यद मुख्तार अली शाह था। बाबा फतेहपुर के रहने वाले थे। हज़रत लाटशाही बाबा सन् 1742 में बनारस आए। आप काशी नरेश के शिवपुर परगना के शहर काजी बने। राजा चेतसिंह ने बाबा के इंसाफ और बहादुरी के चलते अपनी सल्तनत में सिपहसालार बनाया। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1782, 1784 व 1786 में राजा चेतसिंह की ओर से जंग लड़ी। जंग में अंग्रेजों ने अपनी हार मानते हुए संधि की। इसके बाद अंग्रेजों की ओर से दूसरा गवर्नर भेजा गया। 1798 में उसने धोखे से जंग छेड़ दी। इस जंग में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए सैय्यद मुख्तार अली शाह लाटशाही बाबा शहीद हो गए। राजा चेतसिंह की ओर से उन्हें लार्ड गवर्नर नियुक्त होने के कारण इनका नाम बाद में लाटशाही बाबा पड़ गया। आज बाबा को मानने वाले देश दुनिया में फैले हुए हैं। उर्स के दौरान बाबा से अकीदत रखने वाले देश के कोने कोने से कचहरी, अर्दली बाजार व पक्की बाजार पहुंचते हैं। उर्स के दौरान इन इलाकों के तक़रीबन सभी घरों में मेहमान होते हैं।

मंगलवार, 3 जनवरी 2023

Hazrat rahim Shah baba रहमतुल्लाह अलैह का इस तरह मना उर्स



  • mohd Rizwan 

Varanasi (dil india live). Hazrat rahim Shah baba rahmatullah  (हजरत रहीम शाह रहमतुल्लाह अलैह) का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अकीदत के साथ आज अमन और मिल्लत कि दुआओं के साथ सम्पन्न हो गया। उर्स के दौरान बेनियाबाग स्थित बाबा के आस्ताने पर फातिहा पढ़ने और मन्नतों की चादर चढ़ाने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था। दूर दराज से आए तमाम अकीदतमंदों ने बाबा के दर पर हाजिरी लगाई। उर्स में तकरीर और नात-ए-पाक के साथ ही बाबा की शान में सूफियाना कलाम भी पेश किया गया।

इससे पहले हजरत रहीम शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के उर्स का आगाज कुरानख्वानी से हुआ। जोहर की नमाज के बाद महफिल-ए-समां का आयोजन किया गया। शाम को चादरपोशी और मगरिब की नमाज के बाद मीलाद शरीफ हुआ। मीलाद शरीफ में बड़ी तादाद में अकीदतमंद शामिल हुए। शाम को तकरीर और लंगर भी चला। सुबह से देर रात तक बाबा के दर पर फातिहा पढ़ने वालों का हुजूम जुटा हुआ था। इसमें हिन्दू मुस्लिम सभी शामिल थे। 

उर्स के आखिरी दिन बाबा के गुस्ल शरीफ के साथ बाबा के आस्ताने पर सरकारी चादर चढ़ाने के लिए चादर गागर का जुलूस औरंगाबाद से निकल कर विभिन्न रास्तों से होकर बाबा के दर पहुंचा, जहां पर हुजूम के साथ बाबा को सरकारी चादर पोशी कि गई। 

गुरुवार, 8 दिसंबर 2022

Hazrat mastan Shah baba bhar de jholi meri

लोहता में hazrat मस्तान baba के उर्स में उमड़े ज़ायरीन 

मेले को देखते हुए पुलिस रही चौकन्ना 


Varanasi (dil india live). लोहता के हरपालपुर गांव स्थित हज़रत दीन मस्तान शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह के उर्स में आस्ताने पर जायरीन का हुजूम उमड़ा। उर्स में सभी मज़हब के लोग बाबा के दर पर अकीदत लुटाते नज़र आये
मेले में लोहता के कोटवां, धन्नीपुर, महमूदपुर ही नहीं बल्कि शहर और आसपास से भी अकीदतमंद फातेहा पढ़ने के बाद जमकर खरीदारी करते नज़र आए। इस दौरान खाने-पीने के चीजों का भी लोगों ने लुत्फ उठाया। बड़े, बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी मेले में उर्स में पहुंचे हुए थे। बाबा दीन मस्तान शाह के मेले में खाने-पीने की दुकान से लेकर कई तरह की चरखी, हवाई झूला समेत मनोरंजन के तमाम साधन देखने को मिले, साथ ही  बहुत सारी खिलौने की दुकानें भी सजी हुई थीं। सौंदर्य प्रसाधनों की दुकान ख़्वातीन के लिए आकर्षण का केन्द्र थी। समाचार लिखे जाने तक उर्स अपने शबाब पर था।
 मेला परिसर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोहता थानाध्यक्ष राजकुमार पांडेय उपनिरीक्षक संदीप कुमार सिंह पुलिसकर्मियों के साथ सक्रिय भूमिका निभाते नज़र आये।

सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

Hazrat munawar Shah के उर्स में गूंजी अमन की दुआएं


Varanasi (dil india live). दशाश्वमेध थाना अंतर्गत देवकी नंदन हवेली, रामापुरा स्थित हजरत मुनव्वर शाह बाबा का सालाना उर्स पुलिस प्रशासन के निर्देशन में बाबा के चाहने वालों या यू कहे की कमेटी व मुहल्ले वालों की देख रेख में मनाया गया। उर्स में मजार पर गुस्ल व संदलपोशी करके मजार कमेटी के लोगों द्वारा बाबा की मजार पर चादर गागर पेश किया गया। चादर गागर चढ़ाने के बाद  दुआख्वानी में मुल्क में अमन की सदाएं गूंजी।

उर्स का आयोजन काशी क्षेत्र की वरिष्ठ भाजपा नेत्री हुमा बानो की ओर से किया गया। जिसमें पीर शफीक अहमद मुजददीदी द्वारा दुआ ख्वानी की गई। जिसमें मुल्क की तरक्की एवं मुल्क में अमन व चैन कायम रहने की दुआ की गई। दुआ ख्वानी में देश के प्रिय प्रधानमंत्री व वाराणसी के सांसद नरेन्द्र मोदी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से पुनः भव्य जीत और अधिक वोटों से हासिल करने के लिए भी हाथ उठाया गया। उर्स में  डा. गुफरान जावेद, महफूज खान, लुबना बेगम व मोहम्मद फैय्याज आदि लोग मौजूद थे।

बुधवार, 14 सितंबर 2022

Hazrat Panjabi Shah बाबा के उर्स में जुटेंगे मन्नती

उर्स कल, सज गया पंजाबी शाह रहमतुल्लाह अलैह का दर



Varanasi (dil india live). हज़रत पंजाबी शाह बाबा  रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स जुमेरात को अकीदत के साथ गौरीगंज (भवनिया) सिथत दरगाह में मनाया जाएगा। पंजाबी शाह बाबा के दर पर उर्स के दौरान मन्नत वाह मुराद मांगने लोगों का हुजूम जुटता हैं। कोई बाबा के दर पर फातेहा पढ़ता है तो कोई मन्नतें वह मुराद मांगता दिखाई देता है। दरअसल बाबा का दर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां सभी मजहब के लोग उर्स के दौरान अपनी अकीदत लुटाते दिखाई देते हैं। मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, मौलाना गुलाम मुस्तफा खां हबीबी, मौलाना हसीन अहमद हबीबी समेत तमाम उलेमा हज़रत की दीनी ख़िदमात पर रौशनी डालेंगे तो शायर नातियां कलाम पेश करेंगे।

मंगलवार, 9 अगस्त 2022

Karbala ki kahani: हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन

...इस्लाम जिंदा होता है कर्बला के बाद


Varanasi (dil india live). 

इंसान को बेदार तो हो लेने दो हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन...।

मजहबे इस्लाम को दुनिया में फैलाने के लिए, पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलैहि वसल्लम ने जितनी कुर्बानियाँ दीं, उसे उनके नवासे हजरत इमाम हसन, हज़रत इमाम हुसैन ने कभी फीका नहीं पड़ने दिया, बल्कि नाना के दीने इस्लाम को बचाने के लिए अपने साथ अपने कुनबे को भी कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया।

इस्लाम की बुनियाद के लगभग 50 साल बाद दुनिया में जुल्म का दौर अपने शबाब पर था। मक्का से दूर सीरिया के गर्वनर य़जीद ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया, उसके काम करने का तरीका तानाशाहों जैसा था, जो इस्लाम के बिल्कुल खिलाफ था। उस दौर के तमाम लोग उसके सामने झुक गए, वो चाहता था कि नबी के नवासे हजरत इमाम हुसैन भी उसकी बैयत (अधिनता) करें मगर हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम के खिलाफ काम करने वाले य़जीद को खलीफा मानने से इन्कार कर दिया। इससे नाराज य़जीद ने अपने गर्वनर वलीद विन अतुवा को फरमान लिखा और कहा कि 'तुम हुसैन को बुलाकर मेरे आदेश का पालन करने को कहो, अगर वह नहीं माने तो उनका सिर काटकर मेरे पास भेजो।'

वलीद विन अतुवा ने इमाम हुसैन को य़जीद का फरमान सुनाया तो इमाम हुसैन बोले। 'मैं एक तानाशाह, मजलूम पर जुल्म करने वाले और अल्लाह-रसूल को न मानने वाले य़जीद की बेअत करने से इन्कार करता हूँ।' इसके बाद इमाम हुसैन मक्का शरीफ पहुँचे, जहाँ य़जीद ने अपनी फौज के सिपाहियों को मुसाफिर बनाकर हुसैन का कत्ल करने के लिए भेज दिया। इस बात का पता हजरत इमाम हुसैन को चल गया और खून-खराबे को रोकने के लिए हजरत इमाम हुसैन अपने कुनबे के साथ इराक चले आ गए। मुहर्रम महीने की 2 तरीख 61 हि़जरी को इमाम हुसैन अपने परिवार के साथ कर्बला में थे। 

पानी पर पहरा, फिर भी हुसैन ने ह़क से मुँह न फेरा

वह 2 मुहर्रम का दिन था, जब इमाम हुसैन का काफिला कर्बला के तपते रेगिस्तान में ठहरा था। यहाँ पानी के लिए सिर्फ एक फरात नदी थी, जिस पर य़जीद की फौज ने 6 मुहर्रम से हुसैन के काफिले पर पानी के लिए रोक लगा दी थी। य़जीद की फौज की इमाम हुसैन को झुकाने की हर कोशिश नाकाम होती रही और आखिर में जंग का ऐलान हो गया।

दुश्मन देते थे हुसैन की हिम्मत की गवाही

9 तारीख तक य़जीद की फौज को सही रास्ते पर लाने के लिए मौका देते रहे, लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद हजरत इमाम हुसैन ने कहा 'तुम मुझे एक रात की मोहलत दो ताकि मैं अल्लाह की इबादत कर सकूँ' इस रात को ही आशूरा की रात कहा जाता है।

इस्लामिक इतिहास कहता है कि य़जीद की 80 ह़जार की फौज के सामने इमाम हुसैन के 72 जाँनिसारों ने जिस तरह जंग की, उसकी मिसाल खुद दुश्मन फौज के सिपाही एक-दूसरे को देने लगे। इमाम हुसैन ने अपने नाना और वालिद के सिखाए हुए ईमान की मजबूती और अल्लाह से बे-पनाह मोहब्बत में प्यास, दर्द, भूख और अपने 6 माह के बेटे अली असगर के साथ पूरे खानदान को खोने तक के दर्द को जीत लिया। दसवें मुहर्रम के दिन तक हुसैन अपने भाइयों और साथियों की मैयत को दफनाते रहे। लड़ते हुए जब नमाज का वक्त करीब आ गया तो उन्होंने दुश्मन फौज से अस्र की नमाज अदा करने का वक्त माँगा। यही वक्त था जब इमाम हुसैन सजदे में झुके तो दुश्मन ने धोखे से उन पर वार कर उन्हें शहीद कर दिया। मक्का में इमाम हुसैन की शहादत की खबर फैली तो हर तरफ मातम छा गया। दुनिया ने सोचा कर्बला के बाद इस्लाम खत्म हो जाएगा, इमाम हुसैन के नाना के दीन और धर्म का कोई नामोनिशान नहीं होगा मगर हुआ इसका ठीक उल्टा। कर्बला के बाद इस्लाम न सिर्फ जिन्दा हो गया बल्कि समूची दुनिया में फैल गया। आज इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला का नाम लेने वाला पूरी दुनिया में है मगर यजीद का कोई नाम लेवा नहीं है तभी तो कहा गया है, इस्लाम जिंदा होता है कर्बला के बाद...।

सोमवार, 8 अगस्त 2022

Muharram 9th:आग के अंगारों से होकर गुजरा विश्व प्रसिद्ध दूल्हे का जुलूस

दूल्हा घायल लौटा जुलूस, फिर दूसरे दूल्हे संग आग पर कूदा जुलूस



Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil india live). शहीदाने कर्बला हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल से अकीदत एवं एहतराम के साथ उठा यह जुलूस निकलते ही तब उसे वापस इमामबाड़े लौटना पड़ा जब दूल्हे का हाथ उखड़ गया। इस दौरान अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। पुनः दूसरे व्यक्ति को दूल्हा बना कर जुलूस निकाला गया। जुलूस या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ मंगलवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थानाक्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का हुजूम जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देते बढ़ता गया। इस दौरान या हुसैन की सदाएं बुलंद हो रही थी। इस दौरान विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के सचिव मोहम्मद खालिद ने बताया कि जुलूस मंगलवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। समाचार लिखे जाने तक जुलूस लगातार या हुसैन,या हुसैन...की संस्थाएं बुलंद करता हुआ आगे बढ़ रहा था। 

आकर्षक ताजिये की हुई जियारत

9 वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर सभी ताजिया फातेहा करके बैठा दी गईं। शहर भर में इनकी जियारत के लिए भारी भीड़ उमड़ी रही। अर्दली बाजार, दालमंडी, नई सड़क, मदनपुरा, बजरडीहा आदि इलाकों से ताजिया दरगाहे फातमान की ओर कल रवाना होगी।

 बुर्राक की ताजिया, पीतल की ताजिया, रांगे की ताजिया, शीशम की ताजिया, चपरखट की ताजिया, मोतीवाली ताजिया, हिंदू लहरा की ताजिया, जरी की ताजिया, शाबान की आदि प्रमुख ताजिया लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं।









Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...