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शनिवार, 11 मार्च 2023

कभी तो होगा khuda मेहरबां गरीबों पर, कभी तो अहले सितम का गुरूर निकलेगा...

अदब सराय की साहित्यिक संगोष्ठी में अतीक अंजर का सम्मान



Varanasi (dil india live). सामाजिक व अदबी संस्था अदब सराए बनारस के तत्वाधान में 11 मार्च की रात्रि को पराड़कर समृति भवन के गर्द सभागार मैदागिन में प्रवासी भारतीय शायर एवं लेखक दोहा कतर से तशरिफ लाए अतीक अंजर के सम्मान में संस्था ने "अतीक अंजर के साथ एक शाम ' के उन्वान से उनके समस्त लेखन एंव व्यत्तित्व पर परिचर्चा और mushayera का अयोजन किया गया। कार्यक्रम संस्था के संस्थापक सदस्य डा. शाद मशरिकी, आलम बनारसी, जमजम रामनगरी और डा. फरहत इसार ने अतिथीयों को गुलदस्ता पेश करके सम्मानित किया। संस्था के संरक्षक हाजी इश्तियाक अहमद ने अतीक अंजर को शायरी में निरंतर सामाजिक मुद्दों के साथ ही ठगे, शोषित, असहाय और छले हुए नागरिकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए "कबीर एवार्ड" से अलंकृत किया। इस सम्मान और शहरे बनारस से मिले इस मुहब्बत से भाव विभोर अतीक अंजर साहब ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की कशी नगरी जो कि मेरा जन्म स्थान है इसी दयारे इल्मो फन में मेरी शिक्षा दीक्षा भी हुई है। इस शहर ने मुझे इस लायक बनाया है कि दोहा कतर ही नहीं दुनिया के अधिकतर हिस्सो में जहाँ उर्दू और हिन्दी बोली जाती और समझी जाती हैं। मेरी नज्में दिलचस्पी के साथ पढ़ी जाती है। उसका प्रमुख कारण यह है कि जब समय अपवाह बन रहा हो और सच को झूठ बनाने पर आमादा हो। जब मंशाएं कुटिल व हिंसक हो, विवेक लकवा ग्रस्त और विचार ध्वनियों के शोर की तरह भिनभिना रहा हों तब दुनिया के नकशे पर मेरी नई किताब "अच्छे दिन को शोक" जन्म लेती हैं। आज मेरे शहर बनारस और अदब सराय ने मुझे जो इज्जत और सम्मान दिया हैं। यह मेरे निजी एवं शेअरी जीवन का कभी न भुलने वाला पल हैं। अतीक अंजर ने इस अवसर पर अपनी कई नज्में और गजलें श्रोताओं के फरमाइश पर प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. मुर्शफ अली ( उर्दू विभाग बनारस हिन्दु युनिर्वसिटी ) ने पहले वक्ता के रूप में रिसर्च स्कालर दिवाकर तिवारी को अतीक अंजर की शाइरी के नज्मिया हिस्से पर गुफ्तगू करने के लिए बुलाया दिवाकर तिवारी ने अपनी राय जाहिर करते हुए कहा की अतीक अंजर उस कबीले के शायर है जहाँ एक तरफ बेशतर फनकार अपनी नज्मों लय, तुक शब्दों के सौदर्य पर ध्यान देते हैं, वहीं दूसरी ओर अतीक अंजर अपने समस्त लेखन को आम नागरिक के जीवन को उसके कच्चे रूप में ही जन सामान्य के सामने रख दिया हैं। उन्होंने गाँव देहात के जीवन को सिर्फ देखा ही नहीं बल्कि जिया भी हैं। प्रोफेसर शाहिना रिजवी ने कहा कि मुहब्बत का पैगाम हम सब को आम करना चाहिए, मुहब्बत से ही हिंदुस्तान में एक बेहतरीन माहौल बन सकता है। समारोह के वरिष्ठ वक्ता बनारस हिन्दू युनिर्वसिटी उर्दू के विभागागध्यक्ष प्रोफेसर आफताब अहमद आफाकी ने कहा कि तानाशाही एवं लोकतंत्र के पक्ष में खड़ा होने वाला शायर अपनी रचनाओं में अच्छे दिन का शोक, में शब्दों, बिम्बों, अर्थो और वाक्य रचना में निहित, निरा, कोरा, लिज लिजा भावुक रसायन नहीं हैं। बल्कि गाँव के गलियों और टोला मुहल्लों में बोली जाने वाली सादा और आसान शब्द कोश है जिसके द्वारा वो जन सामान्य को अपनी बातें समझाने में कामयाब ही नहीं बल्कि उसके दुख का साथी बन जाते हैं ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात विद्वान, साहित्यकार आलोचक एंव शायर शमीम तारिक ने अतीक अंजर के समस्त लेखन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की उनकी शायरी आने वाले जमानों में भी अपने रंग और सुगन्ध की ताजगी का आभास दिलाती रहेगी। मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि अतीक की रचनाए विरोध और राजनीतिक भागीदारी की आधुनिक उर्दू हिन्दी कविता की एक नई शाखा को जांच के लिए एक उच्च आधार बनाती हैं । 

कार्यक्रम का दूसरा भाग मुशाएरे का था जिसके संचालन की जिम्मेदारी इशरत उस्मानी ने संभाली पहले शायर के रूप में जम जम रामनगरी को अवाज दी गई, जिन्होंने अपने कलाम पेश करते हुए कहा कि, मर गए लड़ते हुए अगली सफों में जॉबाज शाहजादे तो फकत जंग के किस्से में रहे...। आलम बनारसी ने पढ़ा, आबरू कितनों की पिन्हा चुप के पैराहन में है, ये खुला जब खुद को उसने बे लेबादा कर लिया...।

डॉक्टर बख्तिया नवाब ने कहा, कभी तो होगा खुदा मेहरबां गरीबों पर, कभी तो अहले सितम का गुरूर निकलेगा...।

शाद मशराकी ने कहा, जो अपने उसूलों की हिफाजत में लगा हो, उस शख्स का दामन कभी मैला नहीं होगा...। 

सुहैल उस्मानी ने कहा, बस जरूरत तलक साथ थे और फिर हम जुदा हो गए...।

खालिद जमाल ने कहा, बहाना अब बना तू और कोई, ये किस्सा भी है मेरा कुछ सुना सा...। गुफरान अमजद ने कहा, कोई फिरऔन लरजता हुआ देखा तुमने, शहरे इजहार में मूसा तो बहुत फिरते हैं। शाद अब्बासी ने कहा कि, हमारे हाथ में कश्कोल एक अमानत हैं, सवाल अपने लिए आज तक किया ही नहीं। समर गाजीपुरी के भी कलाम पसंद किए गए।

       इस कार्यक्रम में विशेष रूप से अतीक अंसारी, सर सैयद सोसाइटी के हाजी इश्तियाक अहमद, जमजम रामनगरी, शाहिना रिजवी, आगा नेहाल, सलाम बनारसी, डॉक्टर एहतेशामुल हक, शमीम रियाज़, एच हसन नन्हें, मुस्लिम जावेद अख्तर, इरफानुल हक, शकील अंसारी आदि लोग शामिल थे।

बुधवार, 14 दिसंबर 2022

Ganga jamuni तहजीब के लिए कवि गोष्ठी व मुशायरों की खास जरूरत: Haji ishtiyaq

दुनिया तुली थी हम को बनाने पे देवता

पर हम किसी भी हाल में पत्थर नहीं हुए... अंकिता 

साहित्यिक संस्था अदब सराय की काव्य गोष्ठी वह मुशायरा सम्पन्न 




Varanasi (dil india live). अदब सराय बनारस के तत्वाधान में मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता हाजी इश्तियाक अहमद साहब के पितरकुंडा स्थित आवास पर लखनऊ से तशरीफ लाए प्रख्यात आर्थोपेडिक सर्जन और शायर डॉक्टर अहमद अयाज़ और उनकी पत्नी मशहूर नाविल निगार व शायरा रिफ़अत शाहीन के सम्मान में एक मुशायरे का आयोजन किया गया। सदारत बुज़ुर्ग शायर और लेखक शाद अब्बासी ने की जबकि मुख्य अतिथि बेंगलुरु से तशरीफ लाये जमील बनारसी थे।तमाम मेहमानों की गुलपोशी संस्था के संरक्षक हाजी इश्तियाक अहमद और ज़मज़म रामनगरी, डॉक्टर शाद माशरिकी, आलम बनारसी ने शाल पहना कर किया। संचालन की जिम्मेदारी ज़मज़म रामनगरी ने बड़ी खूबसूरती से अदा की।इस मौके पर शहर ए बनारस के प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता लेखक व शायर खलीकुज़्ज़मां खलीक को उनकी रचनाओं में सत्य निष्ठा एवं आम आदमी से जुड़ी समस्याओं को निर्भय एवं प्रखरता से छन्दबद्ध करने के सम्मान'' में मरणोपरांत ''अज़मत ए बनारस अवॉर्ड 2022'' पेश किया गया। 
संस्था के संरक्षक हाजी इश्तियाक़ अहमद ने इस अवसर पर अपने स्वागत भाषण में कहा कि अगर इस मुल्क में हमारी सदियों से चली आ रही सर्वधर्म सम्भाव एवं गंगा जमुनी तहज़ीब को जन जन तक पहुँचाना है तो हमें इसी तरह की छोटी छोटी कवि गोष्ठियों एवं मुशायरों के माध्यम से देशभक्ति करुणा एवं एकता और भाई चारगी का पैगाम आम करना होगा,अपने घरों में उर्दू की पत्रिका और उर्दू अखबार मंगाया जाए।आज की ये शेअरी नशिस्त इसी सिलसिले की एक कड़ी है।इस शेअरी नशिस्त में जिन शायरों और कवियों ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत किया उनके नाम व अशआर  इस प्रकार हैं।

डॉक्टर अहमद अयाज़

यूँही सीने से लगाता नहीं कोई भी अयाज़

ख़ाक छानी है तो ये दश्त हमारा हुआ है

जमील बनारसी बैंगलोर 

जाते हैं हम वहाँ जहाँ इस दिल की क़द्र हो

बैठे रहो तुम अपनी अदायें लिए हुए

शाद अब्बासी

काम में लाओ नीली आँखें इन से कुछ तहरीर करो

मेरे दिल के सादा वरक पर लिख्खो तो कुछ वक़्त कटे

खालिद जमाल 

ये ज़मीं मेरी भी है ये आसमाँ मेरा भी है

रोज़ ओ शब के खेल में सूद ओ ज़ियाँ मेरा भी है

हबीब बनारसी

क्या कहा हश्र में कोई ना किसी का होगा

ये भी बतलाओ कि हम लोग कहाँ रहते हैं

ज़मज़म रामनगरी

तुझे गुरूर ए सितम है तो वार कर मुझ पर

ये मैं हूँ और ये तू है ये मेरा शाना है

आलम बनारसी

शायद तुम को लज़्ज़त ए गम का अब एहसास हुआ है जो

हम से क़िस्सा पूछ रहे हो फुरक़त के इक इक पल का

डॉक्टर बख़्तियार नवाज़

ज़ख्म खूशबू ख़्वाब मंज़र आईना

ज़िंदगी के रंग सारे देखना

डॉक्टर शाद माशरिकी 

हम ने बदले हुए माहौल में रक्स ए वहशत

सामने से कभी देखा कभी छुप कर देखा

अंकित मौर्या

दुनिया तुली थी हम को बनाने पे देवता

पर हम किसी भी हाल में पत्थर नहीं हुए

नसीम बनारसी

तुम जितना दबाओगे उभरता ही रहेगा

हर जाद ए मुश्किल से गुज़रता ही रहेगा


आयूष कश्यप

वही दरिया कि जिस में तुम ने इक दिन पाँव धोए थे

कभी वो आब ए दरिया फिर नहीं मैला हुआ होगा


नसीर चंदौलवी

कितना आसाँ है मोहब्बत में किनारा करना

ना कोई फोन ना मैसेज ना इशारा करना

शिवांशू सिंह

उदास वक्तों में हँसने वालों इतना ध्यान रहे

बे मौसम बारिश से भी पौधे मारे जाते हैं

   इस अवसर पर बनारस के वरिष्ठ लोगों में जमाते इस्लामी हिंद बनारस के ज़िला अध्यक्ष डॉक्टर अकबर, सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, आज़ाद हिन्द रिलीफ सोसाइटी के अध्यक्ष जुल्फिकार अली, फने सिपहगिरी एसोसिएशन के अध्यक्ष असलम खलीफा, मरियम फाउंडेशन के शाहिद अंसारी इत्यादि मौजूद थे।

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

Eid miladunnabi 2022: नबी की पैदाइश पर रौशन होगा सारा जहां

नबी की शान में पेश होगा कलाम, उलेमा करेंगे तकरीर

अर्दली बाजार में नातिया मुशायरा कल, 9 को निकलेगा जुलूस 


Varanasi (dil india live). हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहिवसल्लम की पैदाइश के जश्न में कल सारा जहां रोशनी से नहा उठेगा। हर तरफ नूर की बारिश होगी। 11 रबी उल अव्वल की शाम सजावट का जो दौर शुरू होगा वह 12वीं की रात तक बदस्तूर जारी रहेगा। सजावट के साथ ही नबी की शान में नात का गुलदस्ता अंजुमने पेश करेंगी। कहीं उलेमा की तकरीर तो कहीं शायर नातिया कलाम पेश कर नबी की हम्द-ओ-सना करेंगे। इस दौरान पूरा मंजर नूरानी होगा और हर तरफ नूर की बारिश होगी। 
बेनियाबाग के हड़हासराय से मरकज़ी यौमुंनबी कमेटी का जुलूस उठेगा। जुलूस नबी पर सलाम और कलाम पेश करता हुआ नई सड़क, दालमंडी आदि विभिन्न इलाकों से होते हुए वापस बेनिया पहुंचेगा, जहां पर मौलाना अलहाज सूफी जकीउल्लाह असदउल कादरी की नूरानी तकरीर होगी। तकरीर के बाद अंजुमनों का नातिया मुकाबला शुरू होगा। इसमें बनारस और आसपास की तमाम अंजुमन शिरकत करेंगी।

अर्दली बाजार में नातिया मुशायरा कल

11रबी अव्वल 8 अक्टूबर को जश्ने ईद मिलादुन्नबी के अवसर पर रात्रि 8:00 बजे से अर्दली बाजार में नातिया मुशायरा मुख्य रोड पर होगा। अंजुमन फैजान ए नूरी के जेरे इंतेज़ाम होने वाले इस आयोजन के बारे में सैयद फरजंद हुसैन फकीह वो शादाब खान ने संयुक्त रूप से बताया कि नातिया मुशायरा में नामचीन  नातखान अपने कलाम पेश करेंगे। वही 9 अक्टूबर को शाम 4 बजे जुलूस ए मोहम्मदी आपने कदीमी रास्तों अर्दली बाजार भोजूबीर, गिलट बाजार, सर्किट हाउस, कचहरी, पुलिस लाइन होते हुए कार्यक्रम स्थल अर्दली बाजार के मरकज पर आकर समाप्त होगा। रात्रि 9 बजे से मुल्क के जाने माने उलेमा की तकरीर होगी। यह कार्यक्रम सुबह फज्र की नमाज़ तक चलेगा।ऐसे ही दालमंडी, नई सड़क, सराय हड़हा, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, जलालीपुरा, सरैया, पीलीकोठी, पठानी टोला, चौहट्टा, लल्लापुरा, नदेसर, मकबूल आलम रोड,  हुकुलगंज आदि में भी नबी की शान में सजावट की जाएगी और नबी की यौमे पैदाइश का जश्न मनाया जाएगा।

रविवार, 5 दिसंबर 2021

दीन की दावत दे गये मुफ्ती शमशाद

गौस़े आज़म की सजी महफिल, बंटी रात भर नेकी 



वाराणसी 05 दिसंबर(dil india live)। सरैयां नीबू की बाग़ में तंजीम फैजाने गौसे आजम कमेटी की ओर से सालाना जलसे का आयोजन किया गया। जलसे की सदारत मौलाना महबूब आलम साहब ने किया। घोसी से आये मशहूर आलिमे दीन मौलाना मुफ़्ती शमशाद आलम साहब ने अपनी तकरीर में  कहा की दीन के बताये हुए रास्ते पर अगर इंसान चले तो दुनिया और आखिरत दोनों संवर सकती है। आप सब ईमान के पक्के बनिए, पांचो वक्त नमाज अदा करिये और अपने बच्चों को दिनी और दुनियावी दोनों तालीम दें। तालीम से बढ़ कर कुछ नहीं है। आपस में मिल्लत बनाये रखिये, गरीबो की मदद करिए। मुफ्ती शमशाद साहब की नेकी की दावत के बाद नातिया मुशायरा हुआ। जिसमें टांडा से आये मशहूर शायर मुमताज़ टांडवी ने रूहानी नातिया कलाम पेश किया तो लोग, सुब्हान अल्लाह...की सदाएं बुलंद करते दिखें। 

सकलैंन वजाहत बनारसी और दानिश इलाहाबादवी ने भी उम्दा कलाम से लोगों को देर रात तक बांधे रखा। इस मौके पर मेहमाने खुसूसी पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पार्षद शफीकुज़्ज़मा भी शामिल हुए। सरदार शोएब, सरदार मतिउर्रहमान, सिराजुद्दीन महतो, डॉ. अफ़ज़ाल, हफीजुर्रहमान अंसारी, नफीस कुरैशी, लाल, असीम अहमद आदि लोग मौजूद थे।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...