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सोमवार, 18 जुलाई 2022

गर्भावस्था में है टीबी तो बरतें सावधानीं वर्ना होगी परेशानी

गर्भपात की आशंका संग जान का भी रहता है खतरा 

लक्षण दिखते ही उपचार शुरू होने पर जच्चा-बच्चा हो सकते हैं सुरक्षित


Varanasi (dil india live). जैतपुरा की रहने वाली शबीना (परिवर्तित नाम ) असामान्य थकान, गिरते वजन और मिचली आने से परेशान थी। इन परेशानियों को वह यह समझ कर नजरअंदाज करती रही कि यह सब उसके गर्भवती होने की वजह से हो सकते हैं। हालत जब तेजी से बिगड़े तो उसने जिला महिला अस्पताल में उपचार शुरू कराया। जांच हुई तो पता चला कि वह दो माह से गर्भवती तो जरूर है लेकिन साथ ही उसे टीबी की बीमारी ने भी जकड़ रखा है। कुछ ऐसी ही स्थिति सेनपुरा की पारुल विश्वकर्मा (परिवर्तित नाम ) के साथ हुई। चार माह की गर्भवती पारुल लगातार खांसी आने और तेजी से गिरते वजन से परेशान रही। जांच हुई तो पता चला कि गर्भवती होने के बाद उसे भी टीबी हो चुका है।

यह परेशानी सिर्फ शबीना और पारुल  की ही नहीं उनके जैसी अन्य महिलाओं की भी है, जो गर्भवती होने के साथ-साथ टीबी रोग से भी पीड़ित होती हैं। ऐसी गर्भवतियों के टीबी रोगी होने का पता तभी चल पाता है जब उनकी जांच होती हैं। जिला महिला चिकित्सालय के स्त्री व प्रसूति रोग चिकित्सक डा. मधुलिका पांडेय कहती हैं “दरअसल टीबी व गर्भवस्था के दौरान होने वाली परेशानियों के कुछ लक्षण काफी मिलते-जुलते होते हैं। मसलन गर्भ ठहरने के बाद गर्भवती ने यदि पोषक आहारों पर ध्यान नहीं दिया तो उसका वजन कम होने लगता है। यह स्थिति टीबी की बीमारी होने पर भी होती है। इस रोग से ग्रसित होने पर रोगी कमजोर होने लगता है। आम तौर पर गर्भवती को असमान्य थकान की भी परेशानी होती है। ऐसी परेशानी टीबी रोगी को भी होता है। गर्भावस्था में गिरते वजन, थकान, कमजोरी जैसे लक्षणों के साथ ही तेज बुखार, खांसी को मौसमी बीमारी मानकर गर्भवती इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करती हैं, जबकि यह परेशानी उन्हें गर्भावस्था के दौरान हुए टीबी रोग की वजह से भी हो सकते हैं।”

 गर्भावस्था में टीबी से जच्चा-बच्चा को खतरा

डा. मधुलिका बताती हैं कि “गर्भावस्था में टीबी का समय से उपचार न होने से यह गर्भवती के साथ-साथ गर्भस्थ के लिए भी खतरनाक हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान टीबी गर्भवती के शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देता है। उसका वजन तेजी से गिरने के साथ ही उसमें खून की इतनी कमी हो जाती है कि प्रसव के दौरान उसकी जान को भी खतरा हो सकता है। इतना ही नहीं टीबी से ग्रसित गर्भवती के गर्भ में पल रहे शिशु का विकास ठीक से नहीं हो पाता है।  ऐसी महिलाओं का गर्भपात होने अथवा समय से पूर्व प्रसव की भी आशंका रहती है। समय से पूर्व हुए नवजात काफी कमजोर अथवा अविकसित होते हैं, ऐसे में जन्म लेने के कुछ ही देर बाद उनकी मौत का भी भय होता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान असामान्य लक्षण दिखते ही गर्भवती की तत्काल जांच करानी चाहिए। टीबी रोगियों की जांच व उपचार सभी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त है। साथ ही उन्हें पोषक आहार के लिए हर माह 500 रुपये दिए जाते है। है। लिहाजा गर्भावस्था में टीबी होने पर घबराने की जरूरत नहीं। सही समय से उपचार कराना चाहिए ताकि गर्भवती व उसके होने वाले शिशु को किसी तरह का खतरा न रहे।” 

 इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

दो सप्ताह से अधिक की खांसी

खांसी में बलगम के साथ खून का आना

लगातार  बुखार का आना

गर्दन की ग्रंथियों में सूजन

रात में सोते समय पसीना आना

कम काम करने के बाद भी थकावट

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

गर्भवती न करें नादानी वर्ना गर्भस्थ को हो सकती है परेशानी

गर्भावस्था में कुपोषण की जद में आने का मां ही नहीं बच्चे पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव

अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज के साथ ही गर्भपात का भी रहता है जोखिम


Varanasi (dil india live). यदि आप गर्भवती हैं तो पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान दें। इसमें जरा सी भी लापरवाही सिर्फ गर्भवती ही नहीं बल्कि गर्भस्थ के लिए भी नुकासनदायक हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुपोषण से समय से पहले जन्म, गर्भपात जैसी समस्या के अलावा अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना शिशु को करना पड़ सकता है।

जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए  शरीर को पोषक तत्वों की विशेष जरूरत होती है। एक महिला के लिए यह नितांत जरूरी तब और हो जाता है जब वह गर्भवती होती हैं । गर्भावस्था में होने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए मां को पोषक तत्व ही सहारा देता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी यह जरूरी होता है। शरीर को पर्याप्त पोषक तत्वों के न मिलने से गर्भवती कुपोषित हो जाती है। 

 



कुपोषण से गर्भवती को जोखिम

डा. मधुलिका का कहना है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होता है, प्रसव के दौरान उनको ज्यादा जोखिम रहता  है। कुपोषण से ग्रसित ऐसी महिलाएं कभी-कभी गर्भपात की भी शिकार हो जाती हैं । ऐसी अधिकतर गर्भवती आयरन की कमी के चलते एनीमिया की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं। उनके शरीर में लालरक्त कणिकाएं कम हो जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती है। प्रोटीन और ब्लडप्रेशर इतना बढ़ जाता है कि उससे गर्भवती को जान का भी जोखिम रहता है।

 गर्भस्थ को जोखिम 

जिला महिला चिकित्सालय की *बाल रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला मल्लिक* बताती हैं कि मां के कुपोषित होने से गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक से विकास नहीं हो पाता। इससे उसकी गर्भ में ही मृत होने की आशंका बनी रहती है अथवा वह अविकसित अंगों वाले शिशु के रूप में भी जन्म लेता है। ऐसे अधिकतर बच्चे जन्म के समय  कम वजन वाले होते हैं और कई बीमारियों से उनके ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है। बड़े होने पर ऐसे बच्चों में ब्रेन डैमेज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।

 बरतें सतर्कता-

स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भधारण के साथ ही महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके लिये उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना जरूरी होता है। इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने करीब के स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराते रहना चाहिए। यहां से निःशुल्क मिलने वाली आयरन व कैल्शियम की गोली का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए |  आंगनबाड़ी कार्यकताओं के माध्यम से सरकार की ओर से वितरित किये जा रहे निःशुल्क पोषक आहार का लाभ उठाना चाहिए। उनका कहना है  कि गर्भवती  को हर चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए।हरी सब्जियां, दाल, राजमा, सोयाबीन, काबुली चना, दूध, अण्डा, मांस के साथ ही केला, अनानास,संतरा जैसे फल भी गर्भवती लिए फायदेमंद होते हैं।गर्म व मसालेदार चीजें खाने से गर्भवती को बचना चाहिए।गर्भवती को सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए।

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