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बुधवार, 6 अप्रैल 2022

हाफ़िज़ नौशाद आज़मी ने इस अहम मुद्दे पर लिखा मंत्रालय को पत्र

23 सदस्यीय केन्द्रीय हज कमेटी के गठन की उठाया मांग
वाराणसी ०६ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी से दो बार निर्वाचित केंद्रीय कमेटी के पूर्व सदस्य रहे हाफिज नौशाद अहमद आजमी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय को पत्र लिखकर केंद्रीय हज समिति की 23 सदस्यीय समिति का पुनर्गठन और नया गजट करने की मांग की है।

पता हो कि पिछले 3 सालों से केंद्रीय हज कमेटी नहीं थी और बहुत से राज्यों में राज्य हज कमेटी भी नहीं थी। इस मामले को लेकर नौशाद आजमी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा अक्टूबर 2021 में खटखटाया और जनहित याचिका दायर की। कई बार उच्चतम न्यायालय द्वारा सुनवाई की गई। पिछले 11 मार्च को सुनवाई के दौरान राज्यों के अधिवक्ताऔर केंद्र के  अधिवक्ता ने न्यायालय से कहा कि हमें समय दिया जाए हम हज कमेटी का गठन करना चाहते हैं किन्ही कारणवश समिति का गठन नहीं हो सका है। उच्चतम न्यायालय ने अंतिम समय देते हुए कहा कि 8 सप्ताह के भीतर कार्रवाई करके शपथ पत्र दाखिल करें। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारे हरकत में आ गई उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी का गठन हो गया और 1 अप्रैल को अल्पसंख्यक मंत्रालय ने केंद्रीय हज कमेटी का 11 सदस्यों का अधूरा गठन करके गजट कर दिया जो हज विधेयक 2002 की खुली अवहेलना है। हाफिज़ नौशाद आज़मी ने लोकवाणी से खास बातचीत में कहा कि यह परंपरा भी नहीं है। केंद्र सरकार लगातार हज यात्रियों के हितों की अनदेखी करती चली आई है जब कि हज विधेयक 2002 के अंतर्गत 23 सदस्यीय समिति एक साथ गठित होनी चाहिए और उसका गजट करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 11 सदस्य समिति में जफरूल इस्लाम साहब को राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया गया है जो उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी में भी सांसद कोटे से नामित हैं ना जाने किस कारण और किस साजिश के तहत आज हज विधयक 2002 की अवहेलना की जा रही है जबकि 2 लोकसभा सदस्य वह भी सदस्य के रूप में आते हैं उनका नाम नहीं है। 9 सदस्यीय राज्य हज कमेटी से चुनकर आते हैं और तीन धर्मगुरुओं समेत 7 सदस्य केंद्र सरकार नामित करती है उसमें भी सिर्फ 6 सदस्य नामित किए गए हैं एक सदस्य नहीं है। जिसका राज्य हज कमेटी के प्रतिनिधियों द्वारा चुनाव कराना यह भी हज मंत्रालय की जिम्मेदारी है।

 पता हो कि इस संबंध में 22 मार्च को एक गजट राज्य कमेटी को भेजा गया मगर सिर्फ गजट भेजने से केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती या मंत्रालय की जिम्मेदारी है कि इस संबंध में विशेष रूचि लेकर सभी नाम एक साथ गजट किया जाए 4 सदस्य जो सरकारी अधिकारी होते हैं उन्हें वोट का अधिकार नहीं होता 19 सदस्य में से एक अध्यक्ष चुना जाता है नौशाद आजमी ने मांग किया है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय अविलंब सभी समुचित कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द अध्यक्ष का चुनाव कराकर कमेटी स्थापित करें।

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