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रविवार, 1 जनवरी 2023

Swatantrata sangram senani डा. ब्रजमोहन सिंह निडर पर अंग्रेजों ने रखा था इनाम

स्व. Nidar रणभेरी की तर्ज पर खौलता हुआ खून news paper का संपादन करते रहे। खौलता हुआ खून में उल्लिखित कथानक ब्रिटिश शासन में उनके खिलाफ जनमानस की भुजाओं को फड़काने का काम करती रही। ब्रिटिश हुकूमत ने इनकी जिन्दा या मुर्दा गिरफ्तारी पर 1000 / रूपये का ईनाम भी रखा था। एक रिपोर्ट....



निडर कि मनाई गई 19 वीं पुण्य तिथि 

Varanasi (dil india live). स्वतंत्रता संग्राम सेनानी योगीराज डा. ब्रजमोहन सिंह निडर की उन्नीसवीं पुण्य तिथि हीरापुरा वाराणसी स्थित एवीके चिल्ड्रेन एकेडमी सभागार में मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डा. आरएन श्रीवास्तव ने उनके चित्र पर माल्यार्पण व द्वीप प्रज्वलित कर किया। वक्ताओं ने अपने संबोधन में उनके द्वारा आजादी के लिए किए गए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि स्व. निडर रणभेरी की तर्ज पर खौलता हुआ खून पत्र का संपादन करते रहे। खौलता हुआ खून में उल्लिखित कथानक ब्रिटिश शासन में उनके खिलाफ जनमानस की भुजाओं को फड़काने का काम करती रही।ब्रिटिश हुकूमत ने इनकी जिन्दा या मुर्दा गिरफ्तारी पर 1000/रूपये का ईनाम भी रखा था। कार्यक्रम का संचालन उनके पुत्र महेंद्र बहादुर सिंह द्वारा करते हुए संस्मरण के आधार पर खौलता हुआ खून पत्र में उल्लिखित कविताओं का संस्मरण सुनाते हुए बताया कि जब तक भुजाओं में है बल और जब तक है इस तन में दम, बिना सुराज लिए हरगिज खामोश नही बैठेंगे हम। हम शेर भी कसे गुलामी की जंजीर में झटके खाते है, अफसोस, भारत माता की खातिर कुछ कर न दिखाते है।

कार्यक्रम में उपस्थित जनों द्वारा उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में एचएम सिंह, डा. अजीत  कुमार सिंह, पूनम श्रीवास्तव ऐडवोकेट, मोतीलाल लाल एडवोकेट, मो. आजम एकलाख अहमद बहाउद्वीन सौरभ सिंह, विभांशु सिंह, विराज सिंह एडवोकेट व अन्य सम्मानित लोगो ने शिरकत किया अध्यक्षता मन्नन सिंह ने किया।

गुरुवार, 11 अगस्त 2022

Azadi ka Amrit mahotsav:निडर की निडरता से अंग्रेज भी थे कांपते

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. ब्रजमोहन सिंह निडर की कहानी


महेंद्र बहादुर सिंह
Varanasi (dil india live). आजादी के इस अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय पर्व पर चंद्रशेखर आजाद के साथी, क्रांतिकारी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉक्टर बृज मोहन सिंह निडर का नाम काशी वासियों की ज़ुबां पर आना लाजमी है। भला इन्हें याद भी कोई क्यों न करे। दरअसल इनकी क्रांतिकारी गतिविधियों से तंग आकर हुकुमते बरतानिया ने इन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 1000 रूपये का इनाम जो रखा था। स्वर्गीय निडर काशी वासियों में अंग्रेजों के विरुद्ध चेतना जगाने के लिए रणभेरी की तर्ज पर खौलता हुआ खून, समाचार पत्र का संपादन करते रहे। इस पत्र के प्रकाशन का कार्य काशी के मणिकर्णिका घाट स्थित शिव मंदिर के तहखाने से होता था। निडर के नेतृत्व में खौलता हुआ खून पत्र को गंगा के किनारे मुख्य चौराहे पर चस्पा करने का काम किया जाता था। इस पत्र को पढ़ने के लिए काशीवासियों की अच्छी खासी भीड़ इकट्ठा होती थी। जो अंग्रेजों के विरुद्ध उनकी भुजाओं को फड़काने का काम करती थी। खौलता हुआ खून मैं उद्धृत कुछ पंक्तियां  निम्नवत है:- जब तक भुजाओं में है बल और जब तक है इस तन में दम, बिना सुराज लिए हरगिज खामोश नहीं बैठेंगे हम...।
हम शेर भी कसे गुलामी की जंजीर में झटके खाते हैं अफसोस न भारत माता की खातिर कुछ कर ना दिखाते हैं ।
निडर विशिष्ट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ ही साथ एक अच्छे तांत्रिक, हठयोगी तथा मां काली के  उपासक थे। स्थानीय उदय प्रताप डिग्री कॉलेज मैं बतौर शारीरिक प्रशिक्षक के पद पर रहते हुए इन्होंने खुले मंच पर आंख से देखकर बेहोश करने, तत्कालीन प्रधानाचार्य स्वर्गीय डॉक्टर राजनाथ सिंह को नंगे पैर आग के अंगारे पर चलाने, आंख में पट्टी बांधकर शब्दभेदी बाण चलाने इत्यादि अनेक अभूतपूर्व क्रियाओं का सफल प्रदर्शन भी किया था। 
आज के इस भौतिकवादी युग में तांत्रिक क्रियाओं के माध्यम से शक्ति का साक्षात्कार किया जा सकता है, जो इनको बखूबी प्राप्त था। इतना ही नहीं 2 वर्ष पूर्व ही अपने मृत्यु की तारीख को भी इन्होंने बता रखा था। 31 दिसंबर सन 2003 में काशी का यह अभूतपूर्व सितारा सदा सदा के लिए ब्रह्मलीन हो गया।उनके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ अश्रुपूर्ण वातावरण के साथ अंतिम रूप से विदाई दी गई। मैं पुत्र महेंद्र बहादुर सिंह हर साल हीरापुरा, जालपा देवी रोड पर उनके द्वारा स्थापित विद्या केंद्र के सभागार में उनकी जयंती व पुण्य तिथि मनाई जाती है। इस दौरान देश को आजाद कराने में उनके अभूतपूर्व योगदान पर चर्चा होती है। मैं सभी से यही कहूंगा कि हम लोग उनके बताए और दिखाएं हुए मार्ग पर चलें। यही उनके प्रति हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...