मारा गया है तीर से बच्चा रवाब का...
छत्तातले से निकला पांचवीं मोहर्रम का कदीमी जुलूस
Sarfaraz Ahmad
Varanasi (dil India live). पांचवीं मोहर्रम बनारस के इतिहास में अपना अलग स्थान रखता है। पांच मोहर्रम को ही भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जिस जुलूस में चांदी वाली शहनाई से आंसुओं का नज़राना पेश किया करते थे। वो जुलूस वक़्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली व मेहंदी बेगम गोविंदपुरा छत्तातले से देर रात निकाला गया। जुलूस में पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया तो दरगाहे फातमान में उस्ताद आफाक हैदर ने शहनाई पर मातमी धुन बजाया, मारा गया है तीर से बच्चा रवाब का...। इसे सुनकर तमाम लोगों की आंखें नम हो गई। यहां संचालन शकील अहमद जादूगर कर रहे थे।
जब नहर पर आदा ने अलमदार को मारा...
पांचवी मोहर्रम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार मुतवल्ली सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे एहतमाम उठा। जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना ने कर्बला के शहीदों के शहादत पर रौशनी डाली। जुलूस उठने पर नजाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की- जब नहर पर आदा ने अलमदार को मारा...। जुलूस गोविंदपूरा, राजा दरवाजा, नारियल बाजार, चौक होते हुए दालमंडी स्थित हकीम जाफर के अज़ाख़ाने पर पहुँचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी व मातम शुरू किया। इस दौरान दर्द भरे नौहे, जमाना देख ले क्या क्या मेरे हुसैन से है...जिसमें वफा बुतुराबी, शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी ने नौहाख्वानी की l इस पर तमाम लोगों ने जोरदार मातम पेश किया।
जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कूल होते हुए लल्लापुरा स्थित दरगाहे फ़ातमान पहुंच कर देर रात पहुंचा। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा , रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, दालमंडी नया चौक होते हुए इमामबाड़े में समाप्त हुआ l