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शनिवार, 20 मई 2023

Medical news : गर्मी का कहर, डायरिया दिखा रहा असर

• खानपान में परहेज के साथ ही रखें साफ-सफाई

 • तेज धूप में जाने से बचे, इसी में है भलाई 



Varanasi (dil india live). केस-1 गिलट बाजार निवासी रामप्रकाश सिंह का सात वर्षीय बेटा ईशान दोपहर की तेज धूप में स्कूल से जब घर लौटा तो उसके पेट में मरोड़ के साथ तेज दर्द हो रहा था। शाम होते-होते उसे चार-पांच दस्त हुई। हालत इस कदर बिगड़ी की उसे रात में श्री शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा। तब पता चला कि उसे डायरिया हुआ है। चार दिनों तक चले उपचार के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिली।

केस-2 रामकटोरा निवासी राकेश मालवीय की पांच वर्षीय पुत्री शालिनी को पहले उल्टियां हुई और फिर दस्त शुरू हो गया। श्री शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय में उपचार के लिए पहुंचे तो डाक्टर ने बताया कि वह डायरिया से पीड़ित है। दो दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसे छुट्टी मिली।


श्री शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता बताते हैं कि भीषण गर्मी के चलते इन दिनों डारिया से पीड़ित होकर अस्पताल आने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वह कहते हैं कि गर्मी का असर वैसे तो हर आयु के लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन इससे बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।  डायरिया सबसे ज्यादा बच्चों को चपेट में ले रहा है। शरीर में पानी की कमी होने पर डायरिया से पीड़ित बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। डॉ गुप्ता के अनुसार उनकी ओपीडी में  हर रोज लगभग सवा सौ बच्चे आते हैं। इनमें 60 प्रतिशत डायरिया से पीड़ित होकर आ रहे हैं,  शेष अन्य बीमारियों के। वह बताते हैं कि अस्पताल में 18 बेड के चिल्ड्रेन वार्ड में 14 बेड डायरिया पीड़ित बच्चों से ही भरा रह रहा है।

क्या है डायरिया

डा. सीपी गुप्ता कहते हैं कि डायरिया में पेट में मरोड़, ऐंठन, दर्द की समस्या के साथ ही दस्त होता है। दिन में कई बार दस्त होने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे मरीज डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है। वह बताते हैं कि दरअसल गर्मियों में खाना जल्दी खराब हो जाता है और कई बार लोग इसे नजरअंदाज कर ऐसे ही खा लेते हैं, तो इससे खाने में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे पेट में तेज दर्द के साथ लूज मोशन होने लगते हैं। इसे ही डायरिया कहा जाता है। इसके साथ ही दूषित पानी का सेवन, बाजार की तली भूनी चीजें, फास्ट फूड का ज्यादा सेवन, बासी व दूषित भोजन, गर्म वातावरण से एक दम ठंडे वातावरण में जाना व साफ-सफाई का ध्यान न रखना भी डायरिया के कारण होते हैं।

 डायरिया के लक्षण

 लूज मोशन, सिर दर्द व थकान, पेशाब का कम होना, चक्कर आने के साथ चिड़चिड़ापन, पेट में मरोड़, मुंह का सूखना, जी मिचलाना, सुस्ती व ज्यादा नींद आना डायरिया के लक्षण होते हैं।

डायरिया से बचाय के उपाय

 डायरिया से बचाव के लिए तेज धूप में जाने से बचना चाहिए। अगर किसी जरूरत पर जाना भी है तो छाते का प्रयोग करें। इसके साथ ही डारिया से बचाव के लिए खानपान पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसी चीजों का ही सेवन ज्यादा करना चाहिए जिनका पाचन जल्द हो सके। बेहतर है कि ताजा बने भोजन का ही सेवन करें और साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। डायरिया से बचाव के लिए तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए और बाजार में बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। कटे व खुले फल जैसे तरबूज, खरबूज व खीरा खाने से बचें। खाना खाने से पहले बच्चे का हाथ साबुन से अच्छी तरह साफ करा लें।

 डायरिया के लक्षण दिखने पर क्या करें

डा. सीपी गुप्ता कहते हैं कि डायरिया के लक्षण नजर आने पर बच्चे को ओआरएस का घोल देते रहे, उसे जूस व तरल पदार्थ का सेवन कराएं ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न होने पाये। साथ ही  चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क कर उसका उपचार शुरू करा देना चाहिए। ध्यान रहे थोड़ी सी भी लापरवाही से बच्चे की स्थिति गंभीर हो सकती है।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

Health news : कहीं Tb का संकेत तो नहीं है लगातार पीठ व रीढ़ का दर्द ?

दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम 

समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा



Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द  है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया।  कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर  चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो  परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं  जब तक  चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता  कि  रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।  वह बताते हैं  कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।


कैसे होती है रीढ़ की  हड्डी में tb

 डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती  है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।  रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर  लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास  नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर  होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के कारण

क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती  है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण

 पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार

 डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।

मंगलवार, 22 नवंबर 2022

Health department ने 22 निजी चिकित्सकों को भेजा नोटिस

शत-प्रतिशत करें क्षय रोगियों को नोटिफ़ाई, नहीं तो होगी कार्रवाई: सीएमओ


Varanasi (dil india live). राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सभी क्षय रोगियों (निजी तथा सरकारी अस्पतालों) का निक्षय पोर्टल पर नोटिफिकेशन करना अनिवार्य है । निक्षय पोर्टल पर निजी चिकित्सक स्वयं क्षय रोगियों का पंजीकरण कर उन्हें शत-प्रतिशत नोटिफिकेशन करें । ऐसा न करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी । इस साल अब तक जनपद के 22 निजी चिकित्सकों को नोटिफिकेशन न करने पर नोटिस दिया जा चुका है । यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी   

सीएमओ ने कहा कि जनपद में निजी चिकित्सकों, चिकित्सालयों, मेडिकल स्टोर या लैब को क्षय रोगियों के पंजीकरण की जिम्मेदारी स्वयं ही निभानी होगी । अन्यथा की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी । 

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि प्राइवेट सेक्टर में नोटिफिकेशन बढ़ाने के लिए निजी चिकित्सकों को लगातार सूचित किया जा रहा है । लेकिन इसके बावजूद निजी चिकित्सक नोटिफिकेशन में रुचि नहीं दिखा रहे हैं । निजी चिकित्सकों को प्रति क्षय रोगी के नोटिफिकेशन करने के लिए 500 रुपये और उपचार पूरा होने पर आउटकम देने के लिए भी 500 रुपये दिये जाते हैं । उन्होने कहा कि जिन निजी चिकित्सालयों/चिकित्सकों के अंतर्गत क्षय रोगियों का उपचार चल रहा है, उस चिकित्सालय/चिकित्सक से नामित व्यक्ति ही एक जनवरी 2022 से निक्षय पोर्टल पर क्षय रोगियों के पंजीकरण का कार्य करेंगे । इसके साथ ही उनके नमूनों की जांच के लिए स्पुटम (बलगम) कलेक्शन और अस्पताल पर ही सैम्पल पैकेजिंग का भी काम करेंगे ।

अपील

 जिला क्षय रोग अधिकारी ने सभी निजी चिकित्सकों व संस्थान से राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम में पूर्ण सहयोग प्रदान करने की अपील की है । उनका कहना है कि शासन के निर्देश के क्रम में नये टीबी मरीजों का नोटिफिकेशन कराना हमारी जिम्मेदारी है । अतः सभी लोग शत-प्रतिशत क्षय रोगियों का नोटिफिकेशन करना सुनिश्चित करें । इस विषय पर जिलाधिकारी ने भी गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है । 

इन नंबरों पर किया जा सकता है संपर्क

निक्षय पोर्टल से संबन्धित किसी भी प्रकार की आवश्यकता होने पर डीपीपीएमसी नमन गुप्ता (8840285287) से प्रातः 10 बजे से सायं पाँच बजे तक कार्यदिवस पर सम्पर्क किया जा सकता है । उन्होने बताया कि इस साल अभी तक 22 निजी चिकित्सकों व चिकित्सालयों को नोटिस जारी किया जा चुका है । वर्तमान में जनपद में 13411 टीबी मरीज नोटिफ़ाई किए जा चुके हैं जिसमें पब्लिक सेक्टर के 9045 और प्राइवेट सेक्टर के 4366 मरीज शामिल हैं ।

बुधवार, 12 अक्टूबर 2022

Government hospital में लापरवाही का आरोप

लापरवाही के कारण डेंगू मरीजों को हो रही परेशानी 
Varanasi (dil india live). शहरी, देहाती इलाकों में तेज़ी से डेंगू पाव पसार रहा है। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा काफी दयनीय  होने के कारण मरीजों को इलाज में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

सरकारी मशीनरी पर यह आरोप कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन व विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट ने लगाया है।

एक विज्ञप्ति में तीनों ने कहा की डेंगू, टाईफाइड, मलेरिया, जैसे रोग आम जनमानस को जकड़े हुए हैं, सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा से मरीज काफी परेशान हो रहे हैं, अस्पतालों में बेड कि कमी बताकर मरीजों को वापस कर दिया जा रहा है। जिससे मजबूर होकर मरीज प्राइवेट अस्पतालों की शरण ले रहे हैं, जहां खूब जमकर उनका खून चूसा जा रहा है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग नगर निगम के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

उक्त नेताओं ने मांग की है अविलंब नगर निगम स्वास्थ्य विभाग की टीम प्रत्येक वार्ड प्रत्येक मोहल्ले प्रत्येक गलियों में दवा का छिड़काव कराते, सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त कराए, साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में बेड की व्यवस्था की जाए और सही ढंग से मरीजों को दवा वितरण किया जाए।

उक्त नेताओं ने विधायक, नगर प्रमुख व सभासदों से अपने-अपने वार्डों में प्रत्येक गली में दवा का छिड़काव, सफाई व्यवस्था चुस्त एवं मच्छर मारने की दवा फागिंग कराने की मांग की। साथ ही जिला प्रशासन से मांग की इस विषम परिस्थितियों में प्राइवेट अस्पतालों के लूट घसोट पर अंकुश लगाने की मांग दोहराई। ताकि मरीज अपना सुलभ तरीके से इलाज करा सकें।

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

Medical news:एक और निजी अस्पताल को बंद कराने का निर्देश

निरीक्षण में गड़बड़ी मिलने पर उठाया गया यह कदम 

 


Varanasi (dil india live). जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से अवैध अस्पतालों के खिलाफ अभियान में नरिया स्थित सहयोग हास्पिटल के औचक निरीक्षण में गड़बड़ियां मिली। निरीक्षण के दौरान वहां कोई भी योग्य चिकित्सक नहीं मिला। अस्पताल को बंद कराने के साथ ही संचालक के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि अवैध निजी अस्पतालों के खिलाफ शुरू किये गये अभियान के तहत नारिया स्थित सहयोग अस्पताल का औचक निरीक्षण किया गया।  निरीक्षण के दौरान कोई भी चिकित्सक वहां नही पाया गया I मात्र एक स्टाफ उपस्थित थी जिन्होंने अपना नाम निशा बताया और यह भी बताया कि डा० टी०एस० उपाध्याय (बी०ए०एम०एस० ) यहा सुबह और शाम बैठते है और डा० एम० के० सिंह काफी समय से बीमार चल रहे है। निरीक्षण के दौरान चिकित्सालय में 2 बेड पड़े थे। एवं एलोपेथिक दवायें तथा इन्जेक्शन रखे थे चिकित्सालय बिना पंजीयन के संचालित किया जा रहा है। दूरभाष पर डा० टी०एस० उपाध्याय को तत्काल प्रभाव से चिकित्सालय बन्द करने के निर्देश दिये गये।  साथ ही आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

Medical :निरीक्षण में चार और अस्पतालों में मिली गड़बड़ी

पंजीयन रद्द फिर भी संचालित हो रहा था अस्पताल

एक झोलाछाप डाक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई




Varanasi (dil india live).जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से अवैध अस्पतालों के खिलाफ  चलाये जा रहे अभियान में चार अन्य अस्पतालों के औचक निरीक्षण में गड़बड़ियां मिली। इनमें एक अस्पताल  ऐसा भी मिला जो पंजीयन रद्‌द होने के बावजूद संचालित किया जा रहा था। इसके अतिरिक्त एक झोलाछाप डाक्टर के खिलाफ भी कार्रवाई की गयी।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि अवैध निजी अस्पतालों के खिलाफ शुरू किये गये अभियान के तहत भुनेश्वर नगर कालोनी स्थित चार चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण कराया गया ।निरीक्षण के दौरान मातेश्री चिल्ड्रेन हास्पिटल ( संचालक डा०ए०के सिंह)  में तीन नवजात सहित 5 बच्चें भर्ती थे। जिनकी देख रेख हेतु कोई भी चिकित्सक एवं पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद नहीं था । वहा उपस्थित स्टाफ को चिकित्सालय बन्द करते हुये भर्ती मरीजों को अन्यत्र भर्ती कराने का निर्देश दिया गया । यह चिकित्सालय  पंजीकृत नही पाया गया। इसके

पास ही सहयोग हास्पिटल एण्ड सर्जिकल सेन्टर तथा वेदांशी हास्पिटल न्यूरो एण्ड ट्रामा सेन्टर का पंजीयन नवीनीकरण नही कराया गया है, परन्तु मरीज भर्ती कर इलाज किया जा रहा था।  उक्त सेंन्टरों के पास फायर सेफ्टी का एन०ओ०सी० भी नहीं मिली।समीप के  नोबल मेडिसिटी हास्पिटल का पंजीयन पूर्व में ही निरस्त किया जा चुका है। परन्तु अभी यह चिकित्सालय संचालित होता मिला। पंजीयन नियमों के उल्लंघन के दृष्टीगत नियमानुसार सभी चिकित्सा प्रतिष्ठानों के खिलाफ कार्यवाही हेतु संबंधित थाने को पत्र लिखें जाने  का निर्देश दिया गया है ।

 *झोलाछाप के खिलाफ भी कार्रवाई* 

इस बीच एक झोलाछाप चिकित्सक के खिलाफ मिली शिकायत   पर  कार्रवाई की गई। चौबेपुर के रजवारी क्षेत्र में एक झोलाछाप चिकित्सक सुभाष सिंह के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई थी।  मौके पर निरीक्षण के दौरान सुभाष सिंह कथित क्लीनिक पर मौजूद मिले । उनके द्वारा अंग्रेजी दवाओं एव इंजेक्शन . का इस्तेमाल किया जा रहा था।   इनके क्लीनिक पर आर०एस० और डी०एन०एस० की खाली बोतलें पायी गयीं, जिससे प्रतीत होता है कि वह मरीज भर्ती करके इलाज करते हैं तथा इनके पास कोई डिग्री एवं पंजीयन नहीं मिला। 

क्लीनिक में उपस्थित तथाकथित डा० सुभाष सिंह को निर्देशित किया गया कि मरीज देखना एवं भर्ती करना तत्काल प्रभाव से बन्द कर दें।

साथ ही चौबेपुर पुलिस से कहा गया कि तथाकथित चिकित्सक सुभाष सिंह, राजवाडी बाजार के विरुद्ध बिना डिग्री एवं पंजीयन के चिकित्सकीय कार्य किये जाने के दृष्टिगत सुसंगत धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करते हुए अवैध रूप से संचालित उक्त प्रतिष्ठान का संचालन तत्काल प्रभाव से बन्द कराया जाय। इसके उपरांत मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में संचालित चिकित्सा प्रतिष्ठान को सील करा दिया गया है ।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

Multi speciality hospital का दस्तावेज निकला फर्जी

फर्जी तरीके से रजिस्ट्रेशन कराने वाले मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल का पंजीयन रद्द

हास्पिटल संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश

अवैध चिकित्सालयों, नर्सिंगहोम संचालकों के खिलाफ कार्रवाई तेज


Varanasi (dil india live). फर्जी दस्तावेजों के सहारे पंजीयन कराकर नर्सिंगहोम संचालित करने का मामला प्रकाश में आया है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कूटरचित दस्तावेजों के सहारे पंजीयन कराने वाले शिवपुर के मां चंद्रिका नगर कालोनी स्थित एसएल मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के साथ ही हास्पिटल संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही जिले में अवैध अस्पताल, नर्सिंगहोम चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गयी है।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि मां चंद्रिका नगर कालोनी, बाबतपुर रोड-शिवपुर स्थित एसएल मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल की ओर से पंजीयन हेतु ऑनलाइन पोर्टल पर सम्बन्धित सभी दस्तावेजों के साथ ही अग्निशमन विभाग की एनओसी उपलब्ध कराये जाने के बाद गत 27 जुलाई को उक्त हास्पिटल का पंजीयन किया गया था। इस बीच एक सितम्बर को  दूरभाष पर शिकायत प्राप्त हुआ कि उक्त हास्पिटल के पंजीयन में लगाये गये अग्निशमन विभाग की एनओसी में गड़बड़ी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस शिकायत पर फौरन कार्रवाई करते हुए मामले की जांच उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी (पंजियन) डा. पीयूष राय को सौंपी गयी। डा. राय ने जांच के दौरान जब अग्निशमन विभाग से संपर्क करते हुए प्राप्त जानकारी के आधार पर  उक्त फायर एनओसी के यूआईडी संख्या की आनलाइन पड़ताल की तो पता चला कि वह श्री साई नर्सिंगहोम के नाम जारी की गयी है। श्री साईं नर्सिंग होम के फायर एनओसी में कूटरचना कर एसएल मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल  के संचालक ने स्वास्थ्य विभाग को गुमराह करते हुए अपने हास्पिटल का पंजीयन कराने में इस्तेमाल किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि यह बेहद ही गंभीर मामला है लिहाजा एसएल मल्टी स्पेशिलिटी हास्पिटल का लाइसेंस रद्द करने के साथ ही नर्सिंगहोम संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।

शनिवार, 27 अगस्त 2022

Private hospitals माह के अंत तक करा लें पंजीकरण व नवीनीकरण: डीएम

उपचार से पहले पता कर लें कि hospital पंजीकृत है या नहीं : सीएमओ

जनपदवसियों से की अपील पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही करायें उपचार



Varanasi (dil india live)। जिले में अवैध रूप से संचालित निजी चिकित्सालयों, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी सेंटर पर जिला प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए हैं। इसी क्रम में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने समस्त निजी चिकित्सालयों को निर्देशित किया कि वह इस माह के अंत तक हर हालत में पंजीकरण व नवीनीकरण करा लें। साथ ही जनपदवासियों से अपील की है कि सरकारी चिकित्सालयों अथवा पंजीकृत निजी चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही उपचार कराएं।

  जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि जनपद के ऐसे संचालक प्रबन्धक जिन्होंने अभी तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में चिकित्सा प्रतिष्ठान का नवीनीकरण या पंजीकरण नहीं कराया है, तो वह 31 अगस्त 2022 तक समस्त आवश्यक मानकों के प्रपत्रों सहित ऑनलाईन आवेदन करते हुये नवीनीकरण या पंजीकरण अवश्य करा लें। निर्धारित अवधि तक नवीनीकृत/पंजीकरण न कराये गये चिकित्सा प्रतिष्ठानों को निर्देशित किया जाता है कि चिकित्सा प्रतिष्ठान में भर्ती मरीजों को मानवीय एवं चिकित्सीय दृष्टिकोण के आधार पर अन्य वैध चिकित्सा प्रतिष्ठान में भर्ती व संदर्भित करने के साथ ही चिकित्सा प्रतिष्ठान का संचालन भी बन्द कर दें। सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत/नवीनीकृत कराये गये चिकित्सा प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त अवैध रूप से चिकित्सा प्रतिष्ठानों का संचालन पाये जाने पर उनके विरुद्ध आवश्यक विधिक कार्रवाई की जायेगी। 

  सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि नागरिकों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा पंजीकृत व योग्य चिकित्सकों से मिले इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों की सूची तैयार की गई है। जिले में कुल 582 चिकित्सा प्रतिष्ठान पंजीकृत हैं । इनमें शहरी क्षेत्र में 370 एवं ग्रामीण क्षेत्र में 212 चिकित्सा प्रतिष्ठान शामिल हैं। इसमें 50 बेड या उससे अधिक क्षमता वाले 35 निजी चिकित्सालय सम्मिलित हैं। 

  सीएमओ ने कहा कि वैसे तो सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सा की निःशुल्क व्यवस्था है। इसके बावजूद यदि कोई व्यक्ति निजी चिकित्सालय में अपना उपचार अथवा जांच कराना चाहता है तो उसे इसके लिए पंजीकृत चिकित्सा प्रतिष्ठानों में ही जाना चाहिए। उपचार कराने के लिए जाने से पहले सभी को यह देखना चाहिए कि वह जहां उपचार कराने जा रहे हैं वह पंजीकृत है अथवा नहीं। चिकित्सा प्रतिष्ठान यदि पंजीकृत नहीं है तो वहां उपचार कराने से बचना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति किसी बिना पंजीकृत चिकित्सा संस्थान में अपना इलाज कराता है तो किसी प्रकार की अनहोनी होने पर शासन-प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा।

शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

जन्मजात टेढ़े-मेढ़े पैर वाले बच्चों का नि:शुल्क इलाज

 जिला अस्पताल में अब तक 23 बच्चों का हुआ इलाज 

  • दो वर्ष तक के बच्चों के निःशुल्क इलाज की सुविधा



हिमांशु राय

गाज़ीपुर 11 नवंबर(dil india live)।प्रत्येक मां बाप का सपना होता है कि उसका बच्चा स्वस्थ हो। उसके आने वाले जीवन में किसी भी तरह का संकट ना हो। लेकिन गाजीपुर के जखनिया ब्लॉक के खरनजी हरिहर गांव के रहने वाले वीरेंद्र के छह माह के पुत्र शिवम का जब जन्म हुआ तो वह उसके टेढ़े-मेढ़े पैर देखकर बहुत चिंतित हो गए थे। क्योंकि उन्हें पहले लगा कि उनका बच्चा पोलियो का शिकार है। लेकिन जब अपने पास के स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाया तो डॉक्टरों ने पोलियो नहीं होने की बात कही ।  जब वीरेंद्र को जिला अस्पताल में टेढ़े-मेढ़े  पैरों के नि:शुल्क इलाज कराने की जानकारी मिली तो वे बहुत खुश हुए। और जिला अस्पताल आकर बच्चे के पैर का इलाज कराना शुरू कर दिया । कुछ इसी तरह की कहानी लाल दरवाजा के निवासी हनीफ के 8 माह के पुत्र  हम्ज़ा रहमान की है। हनीफ ने बताया कि हमारा बच्चा जब पैदा हुआ तो हम खुश होने की वजह अत्यधिक चिंतित थे। क्योंकि यह उनका पहला बेटा था और जब उन लोगों ने उसके पैरों पर ध्यान दिया तो उन्हें उसका पैर टेढ़ा होना महसूस हुआ। जिसके लिए उन्होंने पहले प्राइवेट डॉक्टरों को दिखाया। लेकिन डॉक्टरों ने इसके इलाज में अधिक खर्च होने की बात कही इस दौरान मोहल्ले के ही कुछ लोगों ने जिला अस्पताल में दिखाने की बात कही। जिला अस्पताल में पता करवाया तो पता चला कि ऐसे बच्चों का इलाज प्रत्येक बुधवार को हो रहा है, तो हम वहाँ गए, डाक्टर को दिखाने के बाद वहाँ से हमारे बच्चे के पैर में सुधार दिखना शुरू हो गया और iअब मेरे बच्चे का पैर एकदम ठीक है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मिरेकल फीट इंडिया के सहयोग से बच्चों के जन्मजात टेढ़े पंजे (क्लबफुट) का निःशुल्क इलाज मिल रहा है। इस योजना के तहत इस वर्ष अब तक 17 बच्चों का नि:शुल्क इलाज किया जा चुका है। जिला अस्पताल में 17 में से दो बच्चों की टेनोटामी (ऑपरेशन) डॉ० तपिश कुमार व डॉ० कृष्ण कुमार यादव द्वारा सफलतापूर्वक की जा चुकी है। वर्तमान में चार बच्चे प्लास्टर (पोंसेटी मेथड) पर चल रहे हैं। डॉ० तपिश कुमार ने बताया कि जल्द ही इन दोनों बच्चों का टेनोटॉमी की जाएगी। इसके बाद ब्रेस (विशेष प्रकार के जूते) पहनाए जाएंगे।

जिला अस्पताल में कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ० तपिश कुमार ने बताया कि जन्म के समय जिन बच्चों के पैर का पंजा अंदर की ओर मुड़ा होता है। उन बच्चों का इलाज पोंसेटी मेथड के द्वारा सही किया जा सकता है। उन बच्चों को पहले प्लास्टर लगाया जाता है तथा फिर उन बच्चों के टेंडेंट को रिलीज करने के लिए टेनोटोमी की जाती है। इसके बाद बच्चों को विशेष प्रकार के जूते पहनाए जाते हैं जोकि मिरेकल फीट इंडिया के द्वारा नि:शुल्क दिया जाता है। 

जिला अस्पताल में कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ० कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि क्लब-फुट जन्म के समय से ही बच्चों के पैर का पंजा मुड़ा हुआ होता है। पोंसेटी तकनीकी के सहयोग से क्लब-फुट का उपचार संभव है। इसमें धीरे-धीरे बच्चे के पैर को बेहतर स्थिति में लाया जाता है और फिर इस पर एक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है, जिसे कास्ट कहा जाता है। यह हर सप्ताह 5 से 8 सप्ताह तक के लिए दोहराया जाता है। आखिरी कास्ट पूरा होने के बाद, अधिकांश बच्चों के टेंडन को ढीला करने के लिए एक मामूली ऑपरेशन की आवश्यकता होती है। यह बच्चे के पैर को और अधिक प्राकृतिक स्थिति में लाने में मदद करता है। जिससे पैर अपनी मूल स्थिति पर वापस न आ जाये।

जिला अस्पताल में कार्यरत हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. चंद्रशेखर आजाद ने बताया कि बच्चों के इस जन्मजात विकृति का इलाज ठीक समय पर नहीं किया गया तो यह आगे चलकर विकलांग हो जाएंगे। इलाज के प्रक्रिया का अहम हिस्सा है कि माता पिता बच्चे को ब्रेस (विशेष प्रकार का जूता) अवश्य पहनाए । कभी-कभी इस प्रक्रिया के काम नहीं करने का मुख्य कारण यह होता है कि ब्रेसिज़ (विशेष प्रकार के जूते) लगातार उपयोग नहीं किये जाते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आपका बच्चा लंबे समय तक विशेष जूते और ब्रेसिज़ आमतौर पर तीन महीने के लिए पूरे समय और फिर रात में भी पहनाने होते हैं।

  मिरेकल फीट इंडिया के प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव आनंद कुमार ने बताया कि प्रत्येक बुधवार को  जिला अस्पताल में जन्म से दो साल तक के बच्चे नि:शुल्क लाभ ले सकते है । संस्था द्वारा बच्चों के प्लास्टर में लगने वाला जिप्सोना तथा और ब्रेस ( विशेष प्रकार का जूता ) नि: शुल्क प्रदान किया जाता है।

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