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शनिवार, 3 सितंबर 2022

Jain dharam news: उत्तम शौच धर्म में प्रवेश के जानिए कौन हैं तीन द्वार

जैन मंदिरों में दान, प्रेम और करुणा पर हुई चर्चा 

  • जैन धर्म के पर्युषण पर्व का चौथा दिन 






Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे चल रहे दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को धर्मावलम्बी दस वृत्तियो का व्रत लेकर- उपवास, साधना, पूजा इत्यादि में रहकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने मे तल्लीन है। इस परवाधिराज पर्व मे सभी जैन श्रावक-श्राविकाए अत्यंत भक्ति पूर्वक जिनेन्द्र प्रभु की आराधना में लीन है।

प्रातः नरिया स्थित जैन मन्दिर में भगवान महावीर की दिव्य पद्मासन प्रतिमा का आज भक्तो ने जलाभिषेक एवं सविधि पूजन व पाठ किया तो वहीं भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि पावन तीर्थ क्षेत्र मे वृहद क्षमावाणी विधान में पूरे भक्ति संगीत भजन के साथ महिलाओं एवं पुरुषों ने पूरी भक्ति से आयोजन में भाग लेकर माढने में श्री फल अर्पित विभिन्न धार्मिक आयोजन किये।

सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पर्व के चौथे अध्याय "उत्तम शौच धर्म "पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- शौच शौच धर्म मे प्रवेश करने के तीन द्वार है- दान, प्रेम और करुणा। दान की कुंजी से ही शौच धर्म मे प्रवेश करने का ताला खोल सकते है। मन पवित्र हो तो शरीर पवित्र हो ही जाता है। ब्रह्म अशुचिता सागर के जल से भी धोओ तो भी कोई महत्व नही, भीतरी शुचिता के अभाव में। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर में प. सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- चित्त की मलीनता का मूल कारण लोभ लालच है। प्रत्येक आत्मा में निर्मल होने की शक्ति है। लोभ का आभाव ही पवित्रता है।

सायंकाल सभी जैन मन्दिरो मे जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जिनेन्द्र भगवान की आरती की गईआयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विजय कुमार जैन, निशांत जैन, आनंद जैन, तरूण जैन, डा: जे के सांवरिया उपस्थित थे।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

Uttama aarjav Dharm :जैन मंदिरों में हुआ पंचाभिषेक

सुख और शांति बाहर नहीं, अपने ही अंदर है :ब्रह्मचारी





Varanasi (dil india live)। छल कपट के कारण आदमी सोचता कुछ और कहता कुछ और है, करता कुछ और है। सुख और शांति कहीं बाहर नहीं, अपने ही अंदर है। सरल बनाने की कला सिखाता है "उत्तम आर्जव धर्म "।

उक्त बातें श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भेलूपुर में सायं काल ब्रह्मचारी आकाश जी ने कही उन्होंने तृतीय अध्याय उत्तम आर्जव धर्म पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आर्जव का अर्थ है भाव की शुद्धता है , जो सोचना सो कहना और जो कहना सो करना। हमेशा सरलता को अपनाकर जिंदगी को खुशहाल एवं मैत्रीपूर्ण बनाना चाहिए। आर्जव धर्म उज्जवल इता एवं सहिष्णुता की जननी है । अच्छे कर्म करते रहिए परिणाम सामने अवश्य आएगा उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व को जैन भाषा में परवा धीराज अथवा महापर्व भी कहा गया है इस कारण इस पर्व की अध्यात्म मुखी की दृष्टि है।

ग्वाल दास साहू लेने स्थित श्री दिगंबर  जैन पंचायती मंदिर में प्रातः विविध धार्मिक कृत्य प्रारंभ हुए। प्रारंभ में योग, ध्यान , सामाजिक, मंत्र जाप के साथ भगवंती का जलाभिषेक किया गया। सारनाथ स्थित 11 वे तीर्थंकर की जन्मस्थली पर शुक्रवार को भगवान श्रेयांसनाथ जी की 11 फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा का भक्तों द्वारा पूजन पाठ एवं पंचाभिषेक किया गया। नरिया, खोजवा, भदैनी, मैदागिन , चंद्रपुरी स्थित मंदिरों में भी विविध धार्मिक अनुष्ठान किए गए।

भेलूपुर एवं वलदास साहूलेन स्थित जैन मंदिरों में चल रहे 10 लक्षण विधान के तीसरे दिन भी फल अर्पित कर पूजन पाठ किया गया। सायंकाल सभी अन्य जैन मंदिरों में  भगवंतो की आरती ,शास्त्र प्रवचन ,जिनवाणी पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। 


आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन ,सौमित्र जैन ,जीवन जैन ,राजेश भूषण जैन ,रतन जैन संजय गर्ग ,पंडित अशोक जैन ,प्रोफ़ेसर कमलेश कुमार जैन आदि उपस्थित थे।

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