तख़्तों ताज के लिए नहीं हुई थी कर्बला की जंग
सब्र और शहादत की मिसाल हैं इमाम हुसैन
Sarfaraz Ahmad/Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live)। Hazrat imam Hussain (हज़रत इमाम हुसैन रजि.) ने इंसानियत की हिफाजत के लिए अपने 71 साथियों के साथ सन 61 हिजरी को ईराक में कर्बला के मैदान में शहादत दे दी थी। कर्बला की जंग किसी साम्राज्य के विस्तार या तख्तों ताज के लिए नहीं हुई बल्कि नाना हज़रत मुहम्मद (से.) के दीने इस्लाम को जिंदा करने के लिए हुई। सब्र और शहादत की कर्बला से बड़ी मिसाल पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलती।
मुहर्रम की दस तारीख हमें पैगाम देती है कि सब्र का दामन हर दौर में पकड़े रहो, एक दूसरे से भाईचारे और मोहब्बत के साथ रहो। मस्जिद टकटकपुर के इमामे ईदैन मौलाना अजहरुल कादरी कहते हैं कि इस महीने में कर्बला की धरती से मजहबे इस्लाम के गुलशन तथा ईमान व कुरान की हिफाजत के लिए पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने अपने 72 अजीजों को कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा कि इंसानियत की हिफाजत, लोगों की मदद तथा सब्र का पैगाम कर्बला से हमको मिला है। कर्बला की सरजमीं पर हक और बातिल की जंग हुई जिसमें इमाम आली मकाम ने बातिल के आगे सर को न झुकाया बल्कि हक और इस्लाम को जिंदा रखने के लिए न सिर्फ अपने आपको बल्कि अपने 71 अजीजों के साथ खुद भी शहीद हो गए मगर ज़ालिम यजीद के सामने सिर नहीं झुकाया। यही वजह है कि आज पूरी कायनात में इस्लाम का डंका बज रहा है।
मौलाना हाफिज शफी अहमद कहते हैं ढोल, नगाड़े, नाच गाने की इस्लाम में कोई जगह नहीं है। आज लोग जुलूस निकाल रहे हैं मगर नमाज नहीं अदा कर रहे हैं। इमाम हुसैन से मोहब्बत करते हो तो सबसे पहले नमाज पढ़ो, तभी तुम सच्चे हुसैनी कहलाओगे। कर्बला की सरजमीं में जंग जारी थी मगर इमाम हुसैन और उनके साथियों ने नमाज नहीं छोड़ी। आज हम छोटी छोटी बातों पर नमाज छोड़ दें रहे हैं। मौलाना अमरुलहोदा कहते हैं इमाम हुसैन तुम्हारी नमाज, तुम्हारे मोहर्रम के रोज़े और इस्लाम के बताए रास्ते पर तुम्हारे चलने से खुश होंगे। तुम इमाम को खुश करना चाहते हो तो बेहयाई, मक्कारी, गीबत, बूरे काम छोड़कर नमाज़ी बन जाओ।
हाफिज कारी शाहबुद्दीन इस्लाम की रौशनी में कहते हैं कि अपने अजीजों, पड़ोसियों, जरुरतमंदों का ख्याल रखो, उनकी मदद करो, उन्हें नीचा न दिखाओ, उनकी बातों को अनसुनी न करों वरना जिस दिन रब ने जो ताकत दी है दौलत और सेहत दी वो उसे वापस ले लेगा तो तुम किसी काम के नहीं रहोगे। यजीद कर्बला में इमाम हुसैन को शहीद करने के बाद भी जंग हार गया। ऐसे ही आप समझ लें कि यजीद था और इमाम हुसैन हैं।परवरदिगार हम सभी को नबी के नवासों ने जो कर्बला की जमीं से पैगाम दिया उस पर अमल करने की तौफीक अता फरमाएं (आमीन)।