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मंगलवार, 28 मार्च 2023

Ramadan Mubarak-5

कसरत इबादत की, इस महीने कि यही तो है खूबी



Varanasi (dil india live )। कसरत इबादत की जिस महीने में होती है उस माहे मुबारक को रमजान कहते हैं।इस महीने कि यही तो खूबी है कि बंदा रब कि रज़ा के लिए कसरत से इबादत करता है। एक रिपोर्ट....

रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।

             डा. साजिद अत्तारी

(वरिष्ठ दंत चिकित्सक, बड़ी बाजार वाराणसी)

शनिवार, 5 मार्च 2022

शबे बरात 17 मार्च को

मोमिनीन अदा करेंगे खास नमाज़

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) शबे बरात की अज़ीम रात १७ मार्च को है, इस बाबरकत रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार की इबादत में मशगुल रहेंगे सारी रात मोमिनीन खास नमाज़ अदा करेंगे शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करते हैं, घरों में रोशनी की जाती है। इस दौरान घरों में शिरनी की फातेहा होती हैं

घरो में लौटती है पुरखों की रूह 

शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगाकिसकी जिंदगी खत्म होगीकिसके लिये साल कैसा होगापूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये इसी रात लिखा जाता है साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं।
मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैंशबे बरात पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पिछली बार चहल-पहल नही दिखाई दी थी वजह लाक डाउन जो था मगर इस बार हालात सुधरे हुए हैं  
 

लाकडाउन में नही हुआ था चिरागा  

पिछ्ली बार लाकडाउन था उस साल न तो मज़ारों पर चिरागा हुआ था और न ही रमज़ान और ईद कि नमाज़े ही अदा की जा सकी थी, मगर बुज़ुर्गो के नाम पर घर में ही शबे बरात पर शमां जलाया गया था और फातेहा पढ़ कर उनकी मगफिरत की दुआएं मांगी गई थीऔर उन पर सवाब पहुंचाया गया था

बनारस में यहाँ लगाई जाती है हाज़िरी

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुरहुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंजबहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरीबजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तानजक्खा कब्रिस्तानसोनपटिया कब्रिस्तानबेनियाबाग स्थित रहीमशाहदरगाहे फातमानचौकाघाटरेवड़ीतालाबसरैयाजलालीपुराराजघाट समेत बड़ी बाजारपीलीकोठीपठानीटोलापिपलानी कटराबादशाहबागफुलवरियालोहताबड़ागांवरामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग हर साल पहुच कर शमां रौशन करते हैं, फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते हैं 

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...