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बुधवार, 4 मई 2022

पुष्पांजलि से तिल्लाना तक भावपूर्ण मंचन ने किया रोमांचित

‘दीनन के करतार नाथ हे सुन ले मेरी पुकार’... बंदिश से किया मंत्रमुग्ध

- कर्नाटिक गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार डॉ. पी नटराजन और सिद्धहस्थ तबला वादक अनूप बनर्जी को प्रिंटानिया पुरस्कार-2021 

-नवसाधना कला केन्द्र का 23 वाँ दीक्षांत समारोह





Varanasi (dil India live )। संगीत-नृत्य व वादन कला की सर्वाेत्तम अभिव्यक्ति है, यह अंतरात्मा को छूने में सक्षम है। संगीत की राह परमात्मा तक जाती है। यह कहना है मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक के सत्य नारायण का। वह बुधवार को शिवपुर-तरना स्थित नवसाधना कला केन्द्र के 23वें दीक्षांत समारोह में कलासाधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संगीत हमें एक सरल और सच्चा मनुष्य बनाने में सक्षम है। संगीत के कारण ही असीम संवदेना विकसित होती है। दक्षिण के दिल का उत्तर में संगम अद्भुत है।

विशिष्ट अतिथि प्रिंटानिया मुंबई के अध्यक्ष अल्बर्ट डिसूजा ने कहा कि संगीत के कलाकारों  की साधना अद्भुत होती है। संगीत साधना के दम पर ही ज्ञान के सर्वोत्तम स्रोत का अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रिंटानिया द्वारा कलाकारों को सम्मानित करना उनकी तपस्या को सम्मानित करना है।

दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर रहे वाराणसी धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष बिशप डॉ. यूजिन जोसफ ने कहा कि संगीत व नृत्य साधना कलासाधकों की संगीत के प्रति रुचि और उनकी सीखने के प्रति समर्पण पर निर्भर करती है। कहा कि संगीत साधना में गुरु भक्ति और उस पर पूर्ण विश्वास साधक को निरंतर आगे बढ़ाता है।

      अतिथियों का स्वागत करते हुए नवसाधना कला केन्द्र के प्राचार्य डॉ. फादर फ्रांसिस डिसूजा ने कहा कि संगीत तपस्या की तपोभूमि है। इसमें तपने के बाद ही साधक संगीत को लोगों के दिलों तक ले जाता है। सबके दिलों में अपना घर बनाता है। दीप प्रज्ज्वलन, शोभायात्रा के बाद कलासाधकों ने अपनी शिक्षा को अनवरत जारी रखने और इसे निरंतरता प्रदान करने की शपथ लीं।

        अद्धा ताल, राग मालकौंस में बंदिश ‘दीनन के करतार नाथ हे सुन ले मेरी पुकार’ को कुमकुम, शादमानि, अंशिका, सुजाता, निशी, मोनोलिता, मनीष, रंजीत, मोहित, पीयूष अभिषेक, विनोद व लक्ष्मण ने प्रस्तुत कर ढेरों वाहवाही लूटीं। हारमोनियम पर संगत लक्ष्मण मुनि व तबले पर संगत अनंग गुप्त ने और संगीत संयोजन गोविंद कुमार वर्मा ने किया।

       बीपीए चतुर्थ वर्ष के कलासाधकों ने शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम् का प्रारम्भ सभा वंदन नृत्य ‘पुष्पांजलि’ से की। राग गम्भीर नाट्टेइ, ताल आदि में कामिनी मोहन पाण्डेय रचित गीत पर नृत्यांगनाओं ने ईश्वर का गुणगान कर उनसे प्रार्थना की और गुरु व श्रोताओं पर पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद मांगा।

इसके बाद सभी ने नव राग मल्लिका व ताल आदि में ‘वर्णनम्’ प्रस्तुत किया। नृत्यांगनाओं ने पल्लवी, अनुपल्लवी, मुत्तई स्वरम्, चित्तई स्वरम्, चरणम् को प्रस्तुत किया। इसमें त्रिकाल जाति और पूर्वांगम और उत्तरांगम का बखूबी चित्रण किया। भगवान शिव व माता पार्वती के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए नृत्यांगनाओं के पदचाल व अंग संचालन ने सौन्दर्य सृजन करते हुए भावपूर्ण नृत्याभिनय किया। नृत्य के विस्तार में शृंगार, वीर, करुण और शांत रस की प्रमुखता रहीं। नायक व नायिका की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। दण्डायुद्ध वाणी पिल्लई के संगीत पर इस नृत्य का संयोजन रोस्मा रुबा ने किया। इसमें तोड़ी, मोहनम्, वसंता, देवमोहनी, शंकरावर्णनम्, सारंगा, कानड़ा, आरवी के खूबसूरत संयोजन ने सभी को मुग्ध कर दिया।

अगली कड़ी में नृत्यांगनाओं ने राग मल्लिका शणमुख प्रिया, ताल आदि में पुरंदर दास के संगीत में कीर्तनम् द्वारा परमबह्म्र परमात्मा के दशावतार श्रीहरि विष्णु के स्वरुप को प्रस्तुत किया। उनके विविध रुपों से जगत की रक्षा और भक्तों द्वारा उनका गुणगान देख सभी भक्ति प्रवाह में बह चले। इस राग में शृंगार रस के विप्रलंभ तथा उत्तान दोनों रुपों का वादी-संवादी व आरोह-अवरोह के साथ प्रस्तुति ने सबके मन को मोह लिया।

इसके बाद कलासाधकों ने राग कदनकुदुहलम, ताल आदि में बालमुरलीकृष्ण के संगीत में पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम् के साथ पूर्ण ‘तिल्लाना’ प्रस्तुत किया। ताल आदि राग मध्यमावती में ईसा को समर्पित मंगलम नृत्य ने सभी को भावविभोर कर दिया। इसी के साथ सभी देव गुरुजनों और दर्शकों को भावांजलि अर्पित कर नृत्य का समापन हुआ।

 भरतनाट्यम् की प्रस्तुतियों को देख सभी निरंतर तालियां बजाते रहे। नृत्यांगनाओं की भाव भंगिमा व पद संचालन, नृत्य क्षमता की सभी ने सराहना की। पुष्पांजलि से तिल्लाला तक सभी नृत्यों का संयोजन एवं नाट्वंगम् पर संगत रोस्मा रुबा, कर्नाटिक गायन गुरु राजेश बाबू, मृदंगम पर राकेश एडविन और वायलिन पर शारदा प्रसन्न दास ने संगत किया। साधकों में अनुराग, रोशन, अंकिता, अंजना, अस्मिता, एक्सीना, डेविड, फ्रांसिस्का, नैन्सी, निशा, प्रीति, सपना, संध्या, सोनिया, सुप्रिया, तेरेसा, विंशिका, करिश्मा शामिल थीं।

       कर्नाटिक गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार डॉ. पी नटराजन और सिद्धहस्थ तबला वादक अनूप बनर्जी को प्रिंटानिया पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान दोनों कलाकारों को परंपरागत व नव-सर्जनात्मकता के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु प्रदान किया गया। इसे प्रिंटानिया के संस्थापक अल्बर्ट डिसूजा द्वारा प्रदान किया गया।  

   अन्त में कलासाधिकाओं द्वारा बाइबिल से दृष्टांत ‘डरो मत’ को भरतनाट्यम शैली में नृत्य नाटिका रुप में प्रस्तुत किया गया। ईसा के द्वारा लोगों में विश्वास को बल प्रदान करने की घटना को सुन्दर ढंग से कलासधिका एंसी, मेरी, सुष्मिता, श्रेया, दयामणि, निशा, शालिनी, प्रीति, रेशमा, रिया, खुशबू, अंजना, एंजेला, शशि, अंकिता व श्वेता ने प्रस्तुत किया। नृत्य संयोजन ए. रॉबिन ने किया।

 नवसाधना की ओर से क्लचरल फ्यूजन भाग-11’ व पांच नाटक व नृत्य नाटिका का एक साथ डिजिटल विमोचन मुख्य अतिथि व वाराणसी धर्मप्रान्त के बिशप ने किया। सभी प्रस्तुतियों का संयोजन और निर्देशन फादर सी.आर. जस्टी ने किया। मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक के सत्य नारायण द्वारा स्नातकों को सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि व सभी गुरुजनों  कलाकारों व  प्रवीणता में अव्वल कलासाधकों को नवसाधना के अध्यक्ष बिशप यूजिन जोसफ ने सम्मानित किया।

मंच संचालन डॉ. राम सुधार सिंह ने किया। कॉलेज लीडर सुप्रिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में सिस्टर रोज़ली, सिस्टर मंजू, सिस्टर लुसी, फादर जैकब, फादर विल्फ्रेड मोरस, फादर रोजलीन राजा, फादर सी.आर. जस्टी, गोविन्द कुमार वर्मा, ए. राबिन, नैन्सी केसरी, रोस्मा रुबा, कामिनी मोहन पाण्डेय, राकेश एडविन, अनंग गुप्त समेत अनेक कलाकार व अभिभावक मौजूद रहे।

सोमवार, 21 मार्च 2022

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई 106 वी जयंती

बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर दरगाह-ए-फातमान पर चढ़े अकीदत के फूल 

वाराणसी 21 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। दरगाह-ए-फातमान में सोमवार को शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 106 वी जयंती मनाई गई। इस मौक़े पर मौजूद उस्ताद के अजीजों, कद्रदानो ने उनकी मजार पर अकीदत के फूल चढ़ाएं और दुआ मांगी। इसके पूर्व उनके मकबरे पर फातिहा पढ़कर लोगों ने रब से मगफिरत की दुआएं मांगी।

कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर व अब्बास मुर्तजा शम्सी ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक व भारत के सच्चे सपूत थे। इतने महान कलाकार होते हुए भी उन्होंने हमेशा फकीरी की जिंदगी गुजारी। बिस्मिल्ला खां का जन्म पैगम्बर खां और मिट्ठन बाई के यहां बिहार के डुमरांव में हुआ था। वह भारत मां के सच्चे सपूत थे। जंयती समरोह के मौके पर उस्ताद की बड़ी बेटी जरीना फातिमा, नतनी कहकशां, पोते परवेज हसन के अलावा आफाक हैदर, जावेद व गाजी अब्बास समेत अन्य कद्रदान मौजूद रहे।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खां का जन्‍म 21 मार्च को बिहार के डुमरांव में एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुआ था। हालांकि, उनके जन्‍म के वर्ष के बारे में मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्‍म 1913 में हुआ था और कुछ 1916 मानते हैं। उनका नाम कमरुद्दीन खान था। वे ईद मनाने मामू के घर बनारस गए थे और उसी के बाद बनारस उनकी कर्मस्थली बन गई। उनके मामू और गुरु अली बख्श साहब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे और वहीं रियाज भी करते थे। यहीं पर उन्‍होंने बिस्मिल्‍लाह खां को शहनाई सिखानी शुरू की थी।

उस्ताद से शहनाई, शहनाई से उस्ताद

कहा जाता है शहनाई और उस्ताद एक दूसरे के पूरक थे। करीब 70 साल तक बिस्मिल्लाह साहब अपनी शहनाई के साथ संगीत की दुनिया पर राज करते रहे। आजादी के दिन लाल किले से और पहले गणतंत्र दिवस पर शहनाई बजाने से लेकर उन्होंने हर बड़ी महफिल में तान छेड़ी। उन्होंने एक हिंदी फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी शहनाई बजाई, लेकिन उन्हें फिल्म का माहौल पसंद नहीं आया। बाद में एक कन्नड़ फिल्म में भी शहनाई बजाई। ज्यादातर बनारसियों की तरह वे इसी शहर में आखिरी सांस लेना चाहते थे। 17 अगस्त 2006 को वे बीमार पड़े। उन्हें वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे 21 अगस्त को दुनिया से रुखसत हो गए।

मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

ग्रामीण महिलाओ ने कबाड़ में उभारा कलात्मक सौन्दर्य

घरो के बेकार वस्तुओ से बने प्रोडक्ट की लगी प्रदर्शनी


वाराणसी 
07 फरवरी (dil India live) | महिलाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और उपयोग कार्यक्रम के अंतर्गत प्रधानमन्त्री जी की परिकल्पना व् सोच को आगे बढ़ाते हुए उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में घरों में पड़े वेस्ट मेटेरियल माध्यम से स्वरोजगार उत्पन्न करने के उद्देश्य से 2 दिवसीय “कबाड़ से जुगाड़” कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी द्वारा महिलाओ के लिए विकास के लिए प्रदेश के पहले रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी में किया गया |

कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए श्री बलदेव पी.जी. कालेज, बडागांव की प्रोफेसर डॉ. अंशु मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओ ने घरो में पड़ी बेकार वस्तुओ एवं पुराने न्यूज़ पेपरो से अपनी कल्पनाशीलता से एक जीवंत प्रतिभा को निखारा है |  इससे ग्रामीण महिलाओ की अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है | निश्चित तौर ग्रामीण महिलाओ को बस मौका मिलने की देरी है |

रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क में 3 घंटे की इस प्रतियोगिता में महिलाओ ने बेकार सामान से सुंदर कलाकृतिय तैयार करने के साथ साथ कागज का हास्पिटल, घडी, शादी के कार्ड से मनमोहक प्रोडक्ट तैयार किया|

    हुनर-ए-बनारस की निदेशिका पूनम तिवारी ने कहा  महिलाओ ने अपनीं कल्पनाशीलता की जोम छाप छोडी है वह काबिले तारीफ है | उक्त प्रतियोगिता में पुराने न्यूज़ पेपर से बने घर में गणेश जी प्रतिमा बनाने वाली राधा वर्मा को प्रथम, शादी के कार्ड से मनमोहक प्रोडक्ट बनाने वाली श्रुति सिंह को दूसरा, कागज से हिन् घड़ी बनाने वाली कुमकुम मिश्रा को तृतीय एवं वैष्णव गुप्ता को सांत्वना पुरस्कार का चयन हुआ | प्रतियोगिता में बिजयी प्रतिभागियों को कल कार्यशाला के समापन अवसर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारणी सदस्य श्री इन्द्रेश कुमार जी के हाथो पुरस्कृत किया जायेगा | अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक अजय सिंह द्वारा किया गया | कार्यक्रम में एस.बी.आई. जनरल इंश्योरेंस कम्पनी व् प्रोत्साहन संस्था का भी सहयोग रहा |

उक्त अवसर पर प्रोजक्ट मैनेजर इन्द्रेस पाण्डेय, कबाड़ से जुगाड़ की कोआर्डिनेटर दीक्षा सिंह, यास्मिन बानो, अनुपमा दुबे, हर्ष सिंह आदि लोग शामिल रहे | 

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

रोज़ डे के साथ शुरु होगा वेलेन्टाईन वीक

आइये जाने कब है कौन सा डे, क्या है तैयारियां


वाराणसी ६ फरवरी (dil India live)। इंतेज़ार की घड़ी जल्द खत्म होने वाली है। 7 फरवरी से वैलेंटाइन वीक का आगाज़ हो जाएगा। प्यार के पक्षी अभी से ही अपने युवा साथियों के साथ उड़ान भरते दिखाई दे रहे हैं। कोरोना काल के बाद इस बार इस पर्व को लेकर लोगों में खास उत्साह रहने की उम्मीद है। कोई प्रेमी के लिए गिफ्ट खरीद रहा है तो कोई किमती चाकलेट। प्रेमी प्रेमिकाओं का उत्‍सव जो आने वाला है। वेलेन्टाईन डे का क्रेज विदेशों से ज्यादा अब भारतीय लोगों में भी दिखाई देता है। दरअसल सात फरवरी को रोज डे, आठ फरवरी को प्रपोज डे, नौ फरवरी को चॉकलेट डे, दस को टेडी डे, ग्यारह फरवरी को प्रॉमिस डे, बारह फरवरी को किस डे, तेरह फरवरी को हग डे और चौदह फरवरी को वैलेंटाइन डे देश दुनिया में मनाया जाएगा। 

14 फरवरी वैलेंटाइन डे का वो खास दिन होता है, जिस दिन आशिक और माशुक अपने प्यार का इजहार करते है। प्यार और मोहब्बत के इस खास दिन को देखते हुए दुनिया भर का बड़ा छोटा बाजार भी इसे भूनाने में लगा जाता है। तरह तरह के गिफ्ट आइटम प्यार के जोड़ो को केन्द्र करके बाजार में उतारा गया है। छोटी गली कूचों की दुकानों से लेकर बड़े माल व फूलों की दुकान तक पर रेड रोज, यलो और व्हाईट रोज़ से लेकर गुलदस्‍तों तक की डिमांड शुरू हो जाती है। फूलों के कारोबारी इस सीजन में लग्न न होने से वैलेंटाइन डे पर फूलों का कारोबार कर युवओं को आकर्षित करने में जुटे हैं। रेड रोज की कीमत दस रुपये से लेकर बीस और चेरी रेड तक पचीस रुपये प्रति पीस से लेकर छोटा बुके सौ रुपये से लेकर हजारों रुपये तक पैकेज में उपलब्ध है। कारोबारी बता रहे हैं कि ग्राहक अभी खरीदारी तो नहीं कर रहे हैं मगर पूछताछ और बुकिंग का दौर शुरू हो चुका है। उम्मीद है कि रोज़ डे की पूर्व संध्या पर यह कारोबार अपने शबाब पर होगा।

लता मंगेशकर अलविदा...

 बनारस घराने से लता मंगेशकर का था गहरा रिश्ता

  • सुर संगम फिल्म में राजन, साजन मिश्र के साथ किया था पार्श्व गायन
  • सिद्देश्वरी देवी के आवास पर कभी ठहरी थी लता मंगेशकर
  • स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से सदमें में है काशी  




अमन

वाराणसी ०६ फरवरी (dil India live)।  28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का दुनिया को अलविदा कहना कला और सांस्कृतिक नगरी काशी के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। लता मंगेशकर का काशी संगीत घराने से गहरा लगाव था। खासकर ठुमरी गायिका सिद्देश्वरी देवी के घर वो कई बार आयी थीं।  ठुमारी सम्राट पं. महादेव प्रसाद मिश्र से उन्होंने ठुमरी की बारीकी सीखी थी। बिस्मिल्लाह खां की वो बहुत बड़ी फैन थीं। यही नहीं फिल्म सुर संगम में राजन मिश्र व साजन मिश्र के साथ लता मंगेशकर ने भी पार्श्व गायन पेश किया था। एक कलाकार के रूप में लता मंगेशकर का बनारस संगीत घराने से गहरा लगाव था।  पं. साजन मिश्र कहते हैं कि लता जी का उनके परिवार से गहरा और नज़दीकी रिश्ता था। 1982 में लता जी ने पं. दीनानाथ जी की स्मृति में कार्यक्रम रखा था तो उसमें बनारस घराने से सितारा देवी का डांस हुआ था और हम दोनों भाईयों का गायन था, वो उनसे पहली मुलाकात थी। उन्होंने इतनी इज्ज़त दी थी कि लग ही नहीं रहा था कि उनसे पहली बार मिले हैं। उसके बाद 1983 में सुर संगम के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज़ दी।  इसके बाद तो उनका काशी के संगीत घरानों से उनका गहरा लगाव हो गया था। ऐसी गायिका शायद ही कभी धरती पर आये।

पं. किशन महाराज के शिष्य अमित मिश्रा कहते हैं कि पं. किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र जब भी मुम्बई जाते थे तो वो लता मंगेशकर के घर पर ही ठहरते थे। बनारस से गए कलाकारों का वो दिल से स्वागत करती थी। ठुमरी सम्राट महादेव प्रसाद मिश्र कला संस्थान के पं. गणेश मिश्रा की माने तो वो बतौर एक कलाकार बनारस वालों की बहुत कद्र करती थी। बड़े गुलाम अली खां की शिष्या लता मंगेशकर के बारे में कहा गया है कि वो इतना मीठा गायन पेश करती थी कि उनके उस्ताद बड़े गुलाम अली भी कह उठते थे कि ई इतना सुर में गावे ली कि कभी डाटो ना खावेली...जब सब्हे सही हव ता का डाटी...।  पं. किशन महाराज की पुत्री अंजलि मिश्रा कहती है कि उनके घर से उनका गहरा रिश्ता था। यही वजह है कि वो स्वस्थ्य हो इसके लिए पूरे देश के साथ ही बनारस संगीत घराने के लोग भी प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने 30 हजार से भी ज्यादा गाना गाया था। यह किसी कलाकार के लिए बहुत बड़ी बात है। काशी की गलियों से संघर्ष करते हुए बालीवुड में अपनी पहचान बनाने वाली सुरभि सिंह कहती है कि अकसर उनसे मुलाकात होती थी मगर कभी लगा ही नहीं कि वो इतने बड़े कद की मलिका हैं। बेहद साधारण था उनका व्यवहार। गरीबी से लेकर धनी बनने तक कभी उनके व्यवहार में बदलाव नहीं आया।  

दरअसल 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। उनके शुरुआती गुरु उनके पिता ही थे, बाद में बड़े गुलाम अली से उन्होंने गायन की शिक्षा ली। उनका काशी से गहरा लगाव था भले ही वो काशी कम आयी मगर यहां के संगीत घराने की वो बड़ी कद्रदान थीं। बिस्मिल्लाह खां, सिद्देश्वरी देवी, पं. महादेव प्रसाद मिश्र, सितारा देवी, किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र से उनका गहरा लगाव था।

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

संभावना कला मंच के इस चित्रकार को जानिये क्या मिला एवार्ड



राजीव "स्टार गोल्डेन अवार्ड-2021" से सम्मानित

गाज़ीपुर 21 जनवरी (dil india live)। सम्भावना कला मंच के ख्यातिलब्ध चित्रकार व एम.जे.आर.पी. पब्लिक स्कूल, गाज़ीपुर के कला शिक्षक राजीव कुमार गुप्ता को कला के क्षेत्र में विशेष योगदान व उपलब्धियों के लिए 'सुमन आर्ट थियेटर सोसायटी, हैदराबाद' के द्वारा "स्टार गोल्डन अवार्ड-2021" से पुरस्कृत किया गया है। इसमें राजीव को गोल्डेन स्टार ट्रॉफी व सम्मान पत्र देकर पुरस्कृत किया गया है। सु मन आर्ट थियेटर की तरफ से बीते 15 अगस्त 2021 को कला का अमृत महोत्सव के तहत पूरे भारतवर्ष से ललित कला के सभी क्षेत्र से कलाकारों का पोर्टफोलियो आमंत्रित किया गया था। इस अमृत महोत्सव में राजीव गुप्ता की भी पोर्टफोलियो चयनित हुई जिसमें कला के क्षेत्र में विशेष योगदान व उपलब्धियों पर राजीव को यह पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार भारतीय डाक द्वारा कल ही मिला है। राजीव कुमार गुप्ता ने इस पुरस्कार का श्रेय अपने गुरुजनों के कुशल मार्गदर्शन को दिया जिसकी वजह से आज ये इन उपलब्धियों को हासिल कर पा रहे हैं। इस पुरस्कार को राजीव गुप्ता अपने कला गुरु डॉ. राज कुमार सिंह के हाथों प्राप्त कर खुशी जाहिर की है। इनके इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए प्रख्यात चित्रकार व कला गुरु डॉ. राज कुमार सिंह का कहना है कि सम्भावना कला मंच के कलाकार आज पूरे विश्व में अपनी कला के जनपक्षीय रुप को विस्तारित कर रहे हैं। राजीव ने अपनी कला के साथ साथ नवकलाकारों को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं जिससे कला के प्रति आम जन में धारणा बदली है। राजीव कुमार गुप्ता अपनी कलाकृति व अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज करा चुके हैं। 
इससे पहले भी इनको राजा रवि वर्मा पुरस्कार, इंटरनेशनल आइकॉन अवॉर्ड, रिसर्च एक्सीलेंस अवॉर्ड, रेड डायमंड एचीवर अवॉर्ड, कलारत्नम पुरस्कार आदि प्राप्त हो चुका है व इनके चित्र देश, विदेश के कई जगहों पर प्रदर्शित हो चुकी है। इनके इस उपलब्धि पर एम.जे.आर.पी. स्कूल के चेयरमैन व पूर्व सांसद जगदीश कुशवाहा, प्रबंधक राजेश कुशवाहा, पूर्व ब्लाक प्रमुख रामायण सिंह यादव, सूर्यनाथ पाण्डेय, दिनेश वर्मा, राम जी गिरी, साहित्य चेतना समाज के संस्थापक अमर नाथ तिवारी 'अमर', सम्भावना के संरक्षक आलोक श्रीवास्तव, प्रभाकर त्रिपाठी, आनन्दी त्रिपाठी, गोपाल जी यादव, राजेश गुप्ता, 'पवनसुत' विशाल गुप्ता, संदीप गुप्ता 'दीपू', सभासद संगीता गुप्ता, पंकज शर्मा, सुधीर सिंह आदि क्षेत्र वासियों ने बधाई व शुभकामनाएं दी।

सोमवार, 17 जनवरी 2022

कथक सम्राट पं.बिरजू महाराज का जाना

निधन की खबर से बनारस संगीत घराना शोक में डूबा 

काशी में शोक, संकट मोचन संगीत समारोह, ध्रुपद मेले में लगाते थे हाजिरी

सीएम योगी सहित कई ख्यातिलब्ध लोगों ने दी श्रद्धाजंलि



वाराणसी 17 जनवरी (dil india live)। मशहूर कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। पद्म विभूषण से सम्मानित बिरजू महाराज (83 ) ने रविवार और सोमवार की दरमियानी रात अंतिम सांस ली। उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी दी। गायक अदनान सामी ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन की खबर मिलते ही सीएम योगी ने शोक जताया।

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। इनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। ये कथक नर्तक होने के साथ साथ शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी मशहूर कथक नर्तक थे। बिरजू महाराज ने देवदास, डेढ़ इश्किया, उमराव जान और बाजी राव मस्तानी जैसी फिल्मों के लिए डांस कोरियोग्राफ किया था। इसके अलावा इन्होंने सत्यजीत राय की फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी' में म्यूजिक भी दिया था।

 पंडित बिरजू महाराज का भले ही लखनऊ के कालिका-बिन्दादिन घराने से रिश्ता रहा हो, लेकिन धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था।पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया। यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है। धर्म और संगीत की नगरी बनारस से उनका संगीत के अलावा पारिवारिक रिश्ता भी था। पहले ससुराल फिर समधियाना दोनों उन्होंने बनारस में ही बनाया।यही वजह है कि उनके निधन की खबर से बनारस स्तब्ध है।कथक सम्राट बिरजू महाराज के आंखों की मुद्रा से राधा-रानी की कलाओं की पेशकश हो या फिर तबले की थाप संग पैरों की जुगलबंदी, इसका जैसा अद्भुत मिलन पंडित जी के नृत्य में देखने को मिलता था, वो खुद में बेहद खास था।गिरिजा देवी के गुरु पंडित श्रीचंद्र मिश्र की बेटी अन्नपूर्णा देवी बिरजू महाराज की पत्नी थीं. कबीरचौरा की संगीत घराने वाली गली में पंडित जी का ससुराल है।वहीं, ख्यात सारंगीवादक पंडित हनुमान प्रसाद मिश्र के पुत्र पंडित साजन मिश्र के साथ बिरजू महाराज जी की बेटी कविता का विवाह हुआ है।वहीं उनके एक भाई ने बनारस घराने के ख्यात पंडित रामसहाय जी की शागिर्दी में तबला वादन सीखा था। पंडित जी का खुद बनारस से बहुत गहरा जुड़ाव था।बनारस के अस्सी घाट पर होने वाले कार्यक्रम हो या फिर देशभर के संगीतकारों की जुटान का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण संकट मोचन संगीत समारोह. इन आयोजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पंडित बिरजू महाराज बनारस जरूर पहुंचते थे।काशी में होने वाले ध्रुपद मेले में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहता था।

सोमवार, 3 जनवरी 2022

पियुष जैन पर बनेगी फिल्म रेड 2

सिंघम स्टार अजय देवगन होंगे फिल्म के हीरो


Mumbai 03 जनवरी (dil india live) बॉलीवुड के सिंघम स्टार अजय देगवन सुपरहिट फिल्म रेड के सीक्वल में काम करते जल्द नजर आयेंगे। अजय देवगन ने वर्ष 2018 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म रेड में काम किया था। फिल्मकार कुमार मंगत फिल्म रेड का सीक्वल रेड 2 बनाने जा रहे हैं। रेड 2 में अजय देवगन की मुख्य भूमिका होगी। कहा जा रहा है कि यह फिल्म कन्नौज के रहने वाले इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पड़े छापों से प्रेरित होगी।
कुमार मंगत ने बताया कि ‘रेड 2 वास्तविक जीवन के व्यक्ति पर आधारित होगी, यह छापे की कई कहानियों से प्रेरित है। फिल्म की स्क्रिप्ट लगभग तैयार हो चुकी है।”

सोमवार, 27 दिसंबर 2021

नवोदय रत्न से पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ' सम्मानित

सम्मानजनक उपलब्धियों के लिए हुए सम्मानित 

वाराणसी 27 दिसंबर (dil india live) परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव को नवोदय की प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि एवं सम्मानजनक उपलब्धियों के लिए 'नवोदय रत्न' सम्मान से अलंकृत किया गया। जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर, आजमगढ़ में आयोजित सिल्वर जुबली एल्मुनाई मीट में पूर्व प्राचार्य श्री आई.पी सिंह सेंगर, वर्तमान प्राचार्य श्री एस.के राय एवं जिला विद्यालय निरीक्षक मऊ श्री आर.पी यादव ने उन्हें सम्मान-पत्र व स्मृति चिन्ह के साथ शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। 

बतौर मुख्य अतिथि जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य श्री आई.पी सिंह सेंगर ने कहा कि नवोदय विद्यालय की प्रतिभाएँ विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम फहरा रही हैं और अपनी उपलब्धियों से नई पीढ़ी हेतु प्रेरणास्रोत का कार्य भी कर रहे हैं। नवोदय विद्यालय, आजमगढ़ को यह श्रेय प्राप्त है कि यहीं के विद्यार्थी रहे कृष्ण कुमार यादव ने अपने प्रथम प्रयास में ही संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर उत्तर प्रदेश से सिविल सेवाओं में सफल प्रथम नवोदयी विद्यार्थी बनने का गौरव प्राप्त किया। 

नवोदय एल्मुनाई  वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव डॉ. अभय यादव ने प्रशस्ति-वाचन करते हुए कहा कि, श्री कृष्ण कुमार यादव लोकप्रिय प्रशासक के साथ ही सामाजिक, साहित्यिक और समसामयिक मुद्दों से सम्बंधित विषयों पर प्रमुखता से लेखन करने वाले साहित्यकार, विचारक और ब्लॉगर भी हैं। विभिन्न विधाओं में आपकी सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और जीवन पर भी एक पुस्तक "बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव" प्रकाशित हो चुकी है। देश-विदेश में विभिन्न प्रतिष्ठित सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु आपको शताधिक सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त हैं। उ.प्र. के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा जी न्यूज का ’’अवध सम्मान’’, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी द्वारा ’’साहित्य-सम्मान’’, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री शेखर दत्त द्वारा ’’विज्ञान परिषद शताब्दी सम्मान’’ से विभूषित आपको अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित किया जा चुका है। विभागीय दायित्वों और हिन्दी के प्रचार-प्रसार के क्रम में अब तक श्री यादव  लंदन, फ़्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं। आपके परिवार को यह गौरव प्राप्त है कि साहित्य में तीन पीढ़ियाँ सक्रिय हैं। आपके पिताजी श्री राम शिव मूर्ति यादव के साथ-साथ आपकी पत्नी श्रीमती आकांक्षा भी चर्चित ब्लॉगर और साहित्यकार हैं, वहीं बड़ी बेटी अक्षिता (पाखी) अपनी उपलब्धियों हेतु भारत सरकार द्वारा सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित हैं।

कार्यक्रम में श्री कृष्ण कुमार यादव के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत सर्वश्री गणेश चंद्र यादव, विपिन मिश्रा, आनंद कुमार पाण्डेय, डॉ. संतोष शंकर रे, डॉ. उमेश चंद्र, डॉ. अवनीश राय, प्रो. सत्यपाल शर्मा, श्याम कन्हैया सिंह, राम दरश यादव, मदन मोहन राय, धर्मेंद्र यादव, आशुतोष तिवारी, संघर्ष वंघई और  शशिकला यादव सहित कुल 15 लोगों को 'नवोदय रत्न' से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वर्ष 1995 और 1996 बैच के पास आउट छात्र-छात्राओं का भी अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संयोजन नवोदय एल्मुनाई वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मिथिलेश मिश्रा आई.ए.एस, संचालन डॉ. अभय यादव और आभार हरिलाल ने किया। इस दौरान उप प्रधानाचार्य जया भारती, केएस यादव, नन्दलाल प्रजापति, अपर जिलाधिकारी (वित्त व राजस्व) आजाद भगत सिंह, सिविल जज जुवेनाइल मनीष राना, संजीत कुमार, सूर्य प्रकाश यादव, सोमेश, प्रदीप विमल सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

रविवार, 26 दिसंबर 2021

जानिए कौन बना मिसेज इंडिया






डा. अनीता राय बनी मिसेज इंडिया इंटरनेशनल

वाराणसी 26 दिसंबर (dil india live)। नगर की प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अनीता राय के सिर मिसेज इंडिया इंटरनेशनल का ताज सजा है। यह खिताब जीत कर डा. अनीता ने अपने साथ ही साथ पूर्वांचल और खासकर बनारस का नाम रौशन किया है। इस आयोजन में देश भर के चुनिंदा16 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कड़े मुकाबले में डा. अनीता राय विजेता घोषित हुई। यह आयोजन लखनऊ सीतापुर मार्ग के विद्या पीठ्म रिसोर्ट में सम्पन्न हुआ। आयोजन में कई हास्तियां मौजूद थी।

बुधवार, 22 दिसंबर 2021

ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम


वाराणसी 22 दिसंबर (dil india live)। श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता नगर संसाधन केंद् कबीरचौरा प्रांगण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ नगर खंड शिक्षा अधिकारी श्री नारायण मिश्र ने किया। कार्यक्रम में नगर क्षेत्र एवं न्याय पंचायत स्तर पर रामनगर के विद्यालय के साथ कुल 250 छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। इस कार्यक्रम में वाद विवाद ,निबंध ,चित्रकला ,फैंसी ड्रेस ,रंगोली इश्लोक वाचन, नुक्कड़ नाटक, अंताक्षरी इत्यादि प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। 

कार्यक्रम का शुभारंभ इश्लोक वाचन  तथा शिव बारात के साथ किया गया। कार्यक्रम के अन्त में नगर खंड शिक्षा अधिकारी श्री नारायण मिश्र ने प्रतिभागी छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन किया तथा साथ ही साथ उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।कार्यक्रम का समापन जितेंद्र गौड़ ने किया। कार्यक्रम में राजीव कुमार, रहमत अली, रमेश सिंह, प्रमोद मिश्र, संजय पांडे,उमेश त्रिपाठी,अतुल गुप्ता, तपन पांडे, संतोष पांडे, मधु सिंह, सत्येंद्र सुमन, उषा देवी आदि शिक्षक शिक्षिकाओं ने शिरकत किया।

सोमवार, 13 दिसंबर 2021

हरनाज संधू ने 21 साल बाद रचा इतिहास, जीता दिल





वाराणसी 13 दिसंबर (dil india live)। अभिनेत्री-मॉडल हरनाज संधू (Harnaaz Sandhu) ने सोमवार को इतिहास रच सभी का दिल जीत लिया। संधू ने मिस यूनिवर्स 2021 का खिताब जीता और उन्हें इसका ताज (Miss Universe 2021) पहनाया गया। उन्होंने 80 देशों के प्रतियोगियों को पछाड़ते हुए 21 साल बाद भारत ने  खिताब अपने नाम किया। संधू से पहले केवल दो भारतीयों  साल 1994 में अभिनेता सुष्मिता सेन (Sushmita Sen) और साल 2000 में लारा दत्ता (Lara Dutta) ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता है। इस आयोजन का 70वां संस्करण इज़राइल के इलियट में आयोजित किया गया था, जहां 21 वर्षीय ने प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीती।

चंडीगढ़ निवासी मॉडल, जो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए की पढ़ाई कर रही हैं। उनको पिछले साल की मिस यूनिवर्स मेक्सिको की एंड्रिया मेजा ने ताज पहनाया। पराग्वे की 22 वर्षीय नादिया फरेरा (Paraguay’s Nadia Ferreira) दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि दक्षिण अफ्रीका की 24 वर्षीय लालेला मसवाने (South Africa’s Lalela Mswane) तीसरे स्थान पर रहीं. अंतिम क्वेश्चन-आंसन सेशन के दौरान, संधू से पूछा गया कि वह युवा महिलाओं को क्या सलाह देंगी कि वे आज जिस दबाव का सामना कर रही हैं, उससे कैसे निपटें।

संधू का था यह जवाब

इसके जवाब में संधू ने कहा- ‘आज का युवा जिस सबसे बड़े दबाव का सामना कर रहा है, वह है खुद पर विश्वास करना। अपनी तुलना दूसरों से करना बंद करें और दुनिया भर में हो रही अधिक महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बात करें. अपने लिए बोलो क्योंकि तुम अपने जीवन के लीडर हो, तुम अपनी आवाज हो। मुझे खुद पर विश्वास था और इसलिए मैं आज यहां खड़ी हूं।’

संधू ने  साल  2017 में टाइम्स फ्रेश फेस जीता, 17 साल की उम्र में चंडीगढ़ का प्रतिनिधित्व किया. बाद में उन्होंने LIVA मिस दिवा यूनिवर्स 2021 का खिताब जीता। संधू ने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है. समारोह की मेजबानी स्टीव हार्वे ने की और अमेरिकी गायक जोजो की प्रस्तुति भी हुई।चयन समिति में अभिनेता और मिस यूनिवर्स इंडिया 2015 उर्वशी रौतेला, अदामारी लेपेज़, एड्रियाना लीमा, चेस्ली क्रिस्ट, आइरिस मित्तनेरे, लोरी हार्वे, मैरियन रिवेरा और रेना सोफ़र शामिल थे।


शनिवार, 27 नवंबर 2021

कचरा भी आय का बन सकता है ज़रिया: पूनम तिवारी



वाराणसी 26 नवम्बर (dil india live) आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनकी परिकल्पना वेस्ट को वेल्थ में बदलने के क्रम में एसबी जनरल इंश्योरेंस कम्पनी के सहयोग एवं साई इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी के तत्वाधान में रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी में घरेलू महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम का समापन करते हुए हुनर-ए-बनारस की निदेशिका पूनम तिवारी ने कहा कि मंदिरों पर अर्पित फूलो से महिलाओ को रोजगारपरक प्रशिक्षण देकर के आत्मनिर्भर बनाना ही आजादी का अमृत महोत्सव है | हमारा कचरा भी आय का एक जरिया बन सकता है। यही बात लोगो के मन में बैठाना है कि कोई भी चीज बेकार नहीं है, बशर्ते हम उसका सही इस्तेमाल करना जाने। इस सेंटर पर कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम एक सराहनीय कार्यक्रम है। जिससे तमाम महिलाये जुडकर के लाभ उठा रही है | कार्यक्रम के आईटी व् उद्यमिता एक्सपर्ट प्रशांत दुबे ने महिलाओ को खुद का उद्यम लगाने, ऑनलाइन मार्केटिंग व् ब्रांडिंग के बारे में बिस्तृत रूप चर्चा की। ताकि महिलाओ को घर बैठे उन्हें एक ग्लोबल मार्किट मिल सके।

कार्यक्रम के संयोजक व् साई इंस्टिट्यूट के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि वाराणसी के मंदिरों पर चढ़ाए जाने वाले भारी मात्रा में चढ़ाये गए श्रद्धा  के फूलों से “सीमैप सी.एस.आई.आर. लखनऊ के तकनीकी सहयोग से महिलाओ को प्राकृतिक अगरबत्ती, धुप, हर्बल गुलाल, आदि सामग्री बनाने का न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जा रहा है बल्कि उन्हें हुनर-ए-बनारस के पोर्टल से ऑनलाइन मार्केटिंग का हुनर बताया जा रहा है। यहाँ पर महिलाओं के सेल्फ-हेल्प ग्रुप की महिलाओ को भी 15-15 दिवसीय प्रशिक्षण दिया रहा है। जिससे घर बैठे अपनी आर्थिक स्तिथि को बढ़ा सकने में सक्षम हो सके | उक्त अवसर पर दीक्षा सिंह, दिलीप कुमार सिंह, हर्ष सिंह, राजेश कुमार, यास्मिन सहित प्रशिक्षण लेने वाली महिलाये उपस्तिथ रही |

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

‘महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल’ का आगाज़

संगीत प्रवाह से कबीरमय हुई फिज़ा

  • कबीर के शहर में हुआ कबीर उत्सव का स्वागत
  • उत्सव की पहली संध्या में पंडित अनूप मिश्रा और अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह की प्रस्तुतिया 
  • 27 और 28 नवंबर को प्रातःकालीन एवं सांध्यकालीन संगीत सत्रों के साथ ही कबीर आधारित वार्ता, सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट ‘कबीरा नौका-विहार’, स्थानीय बनारसी व्यंजन का स्वाद, गंगाघाट-भ्रमण के साथ ही विश्वप्रसिद्ध अलौकिक गंगा-आरती का आनन्द महोत्सव का आकर्षण रहेगा


वाराणसी(dil india live) महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  का पांचवां संस्करण, पूरे एक वर्ष के अन्तराल के बाद, 26 नवंबर 2021 को गुलेरिया घाट पर भव्य संगीत समारोह के साथ शुरू हुआ। उद्घाटन सत्र में सर्वत्र कबीर का दर्शन उपस्थित थे, जिस सकारात्मक प्रभाव सभी अपने भीतर तक महसूस कर रहे थे। कबीर की वाणी को चहुँ ओर प्रसारित करती संगीत, साहित्य और कला की बेजोड़ प्रस्तुतियाँ सारे बाहरी कोलाहल से बहुत दूर, सबके हृदय को गहन आत्मिक शांति और स्थिरता की अनुभूति करा रही थी और इस सत्य को उजागर कर रही थीं कि हर मनुष्य के भीतर का संसार कहीं किसी अदृश्य धागे से बंधा हुआ है। हम सब उसी अनंत का अंश हैं।

पाँच सालों से वाराणसी ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कबीर-प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बना चुके इस अद्भुत उत्सव के आयोजकद्वय ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ ने खुले दिल और बाहों से आमंत्रित अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत किया। इस अवसर पर घाट और आसपास का आयोजन-स्थल प्रज्ज्वलित दीपों से जगमग कर रहा था। पतितपावनी गंगा की धार पर जगमग तैरती अनगिनत मोमबत्तियों के प्रकाश ने वातावरण को अलौकिक बना दिया था। 'महिंद्रा कबीर उत्सव' की पहली सन्ध्या गुलेरिया घाट पर बनारस की परम्परानुसार दिव्य गंगा आरती के साथ आरम्भ हुई। प्रद्युम्न, पीयूष और साक्षी ने मुख्य मंच से गंगा आरती गायन किया। पाँच बटुकों ने विधिवत पूजन-अर्चन के साथ आरती को सम्पन्न किया।कबीर के इस उत्सव की आध्यात्मिक यात्रा पंडित अनूप मिश्रा के शास्त्रीय/उपशास्त्रीय गायन, तत्पश्चात अनिरुद्ध वर्मा और उनके समूह की प्रस्तुति ‘कहत कबीर’ के साथ आरम्भ हुई। इन लुभावनी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उल्लेखनीय है कि ‘टीमवर्क आर्ट्स’ और ‘महिंद्रा ग्रुप’ दुनिया भर में होने वाले अनेक लोकप्रिय उत्सवों के भी निर्माता हैं जिनका उद्देश्य है सांस्कृतिक सद्भावना को कला एवं संगीत के माध्यम से और भी प्रगाढ़ करना। 

पंडित अनूप मिश्रा ने ख्याल और कुछ विशिष्ट शास्त्रीय प्रस्तुतियों के पश्चात् इस फेस्टिवल को एक साल के अन्तराल के बाद वाराणसी के घाटों पर फिर से आरम्भ करने के लिए आयोजकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश और विशेष रूप से कलाकार समुदाय के लिए इस कठिन समय में महिंद्रा कबीरा ने विभिन्न कलाकारों के लिए आत्मविश्वास और आशा जगाई है जो अनुकरणीय है। उन्होंने अपने चाचा और बनारस घराने के ख्यातिलब्ध शास्त्रीय गायक पद्मभूषण स्वर्गीय पंडित राजन मिश्रा को भी याद किया, जिन्होंने कबीर-उत्सव के पिछले संस्करण में प्रस्तुति दी थी. इस महान कलाकार को हमने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में खो दिया था जो एक अपूरणीय क्षति है।

अनिरुद्ध वर्मा ने कबीर के प्रति श्रद्धा और प्रेम की गहरी भावना प्रस्तुति ‘कहत कबीत' के माध्यम से व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कबीर प्रेम का पर्याय हैं. कबीर के दर्शन में व्याप्त प्रेम और अध्यात्मिक एकता का भाव  सभी कलाकारों, संगीतकारों के साथ ही श्रोताओं को एकजुट करता है। अनिरुद्ध वर्मा एवं समूह ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में निबद्ध ‘नैहरवा’, ‘घट-घट में पंछी बोलता’, ‘कौन ठगवा’, ‘राम निरंजन आया रे’ और ‘उड जाएगा हंस अकेला’ की अनूठी प्रस्तुति दी।

महिंद्रा ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट हेड - कल्चरल आउटरीच, जय शाह ने उद्घाटन शाम को अपने विचार साझा करते हुए कहा, "महिंद्रा ग्रुप इस वर्ष फिर से  बहुत लोकप्रिय  महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल को वापस लाने के लिए उत्साहित है। वाराणसी शुरू से ही इस भावपूर्ण आयोजन का सही स्थान रहा है और हम आशा करते हैं कि यह शुभ शुरुआत हम सभी के लिए बेहतर समय की शुरुआत करेगी । श्रोता  एक स्वच्छ  और सुरक्षित वातावरण में दो दिनों  के इस उत्सव का लुत्फ़ उठाएंगे।  जो लोग इसबार यहां नही आ सके वे भी ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग के तहत  फेस्टिवल को देख सकेंगे।”

फेस्टिवल के शानदार उद्घाटन पर, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजय के. रॉय ने कहा, “जैसे  कि दुनिया को अब तक की सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, यह समय फिर से पवित्र गंगा के तट पर रुकने का है। वाराणसी का यह  अनंत शहर इस शानदार उत्सव में आप सभी का स्वागत करता है!"

ऐसे वक़्त में जब सारे विश्व ने एक महामारी रुपी बड़ी आपदा का सामना एक साथ किया है, कबीर के दर्शन में गुंथी इन संगीत प्रस्तुतियों ने एक बार फिर सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि सचमुच ‘दुनिया दो दिन का है मेला’. सबने फिर से महसूस किया कि कैसे इस बड़ी आपदा के बाद हम सबको ही, पहले से कहीं अधिक प्रेम और करुणा की जरूरत है। इस अनंत ब्रम्हाण्ड में मानवता के अस्तित्व का एक बड़ा लक्ष्य है जिसे पाने के लिए कबीर के दर्शन में छिपे सहानुभूति, दया, सरलता, समानता और समावेश के आदर्शों का अर्थ अब और गहरा हो चुका है। कोविड के बाद की दुनिया में जीवन की नश्वरता और आपसी सद्भाव के प्रसार के लिए कबीर से बड़ा गुरु कोई और नहीं हो सकता।

तीन दिन चलने वाले महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल  में प्रस्तुत होने वाले कार्यक्रमों की सूची, इसमें सम्मिलित होने वाले हर व्यक्ति को आत्मिक रूप से समृद्ध करेगी। शास्त्रीय, उपशास्त्रीय और लोक संगीत, कबीर साहित्य वार्ता, कबीर आधारित सजीव कला प्रदर्शन, विशिष्ट नौका विहार के साथ ही सुस्वादु बनारसी व्यंजन से भरे हुए अनुभवों को विश्व प्रसिद्ध मनोहारी गंगा आरती का दर्शन और भी विशिष्ट बनाएगा।

‘महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल’ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है। ‘शून्य अपशिष्ट लक्ष्य’ के लिए सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग उत्सव स्थल और आसपास के लिए वर्जित होगा। कोविड प्रोटोकोल का सौ प्रतिशत पालन किया जायेगा। बिना मास्क समारोह स्थल पर प्रवेश नहीं दिया जायेगा। सैनेटाइज़र और तापमान निरीक्षण की व्यवस्था भी होगी जिसका पालन अनिवार्य होगा। सस्टेनेबिलिटी पार्टनर स्क्रैपशाला के साथ, ‘महिंद्रा कबीरा उत्सव' ने अपने पिछले सभी उत्सवों और उनके विभिन्न संस्करणों में भी व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन को लागू किया है ताकि 90% से अधिक कचरे का निस्तारण सही तरीक़े से किया जा सके।

सोमवार, 22 नवंबर 2021

महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल 2021 : 26 से 28 नवंबर तक

विश्व प्रसिद्ध कलाकारों की होगी लाइव प्रस्तुति







वाराणसी  22 नवंबर(dil india live)| पूरे एक साल के इंतज़ार के बाद, महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल 2021 एक बार फिर से श्रोताओं और कला प्रेमियों का स्वागत करने के लिए तैयार है। वैक्सीन का डबल डोज लगवा चुके श्रोताओं के साथ, ऐतिहासिक नगरी बनारस में, समयातीत नदी गंगा के किनारे, हम सब मिलकर फिर से संगीत, साहित्य और आख्यान के माध्यम से 15वीं सदी के रहस्यवादी कवि कबीर को याद करेंगे

26 से 28 नवंबर 2021 को आयोजित होने वाले फेस्टिवल में सीमित संख्या में केवल वही डेलीगेट और क्रू हिस्सा ले सकेंगे, जिनकी वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं, और वहां कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया जायेगा। प्रोग्राम में शास्त्रीय और लोकसंगीत के साथ ही वार्ता, लाइव-आर्ट डेमोंस्ट्रेशन, कबीर के जीवन से जुड़ी जगह दिखातीं नौका की सैर, स्थानीय लजीज व्यंजन की बहार और सम्मोहित कर लेने वाली गंगा आरती प्रमुख होंगेद्य शहर के ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण की व्यवस्था सिर्फ ‘सेफ’ होने की स्थिति में ही कराई जाएगी, लेकिन फिर भी हमारी कोशिश रहेगी कि आप इस ऐतिहासिक नगर को इसकी समग्रता में महसूस कर सकें।

महिन्द्रा ग्रुप के वाईस प्रेसिडेंट, हेड-कल्चरल आउटरीच, जय शाह ने फेस्टिवल के बारे में बात करते हुए कहा, “महिन्द्रा कबीरा फेस्टिवल 2021 आशा और उम्मीद के वादे के साथ वापस हाज़िर हैद्य ये बदलती हुई दुनिया में एक नई शुरुआत को दर्शाता है, वो दुनिया जिसे हम किसी भी तरह नज़रंदाज नहीं कर सकते। ऐसा संसार जो सहानुभूति और प्रेम से परिपूर्ण है, वो संसार जो कबीर के मन के करीब था। हमारी वापसी लचीलेपन और आगे बढ़ने पर जोर देती है, ये दोनों ही भावनाएं महिन्द्रा ग्रुप का सार हैं। प्राचीन ज्ञान व कला की नगरी, वाराणसी में लाइव परफोर्मेंस पेश करते हुए हम बेहद खुश हैं। वाराणसी महिन्द्रा कबीरा की पहचान है। हम अपने डेलीगेट्स और कलाकारों का स्वागत करते हैं, और एक सुरक्षित फेस्टिवल की उम्मीद करते हैं।”

फेस्टिवल में शामिल होने वाले विशिष्ट कलाकारों में शामिल हैंः सुप्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी अवस्थी; हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली; हरदिल अजीज गायिका निराली कार्तिक; हिंदुस्तानी सितार वादक पुरबायन चटर्जी; मलयालम प्लेबेक सिंगर गायत्री असोकन; कार्नाटिक सुर व वायलिन की बेमिसाल जोड़ी रंजनी गायत्री; हिन्दुस्तान के सबसे अजीज लोककवि जुम्मा खान; नायाब दास्तानगो और मुहर्रम (सोज़-ख्वानी) कला के इकलौते कलाकार अस्करी नकवी; हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की जानी-मानी शैली बनारस घराना के पंडित अनूप मिश्राद्य फेस्टिवल में जाने-माने थियेटर आर्टिस्ट, अदाकार और सांस्कृतिक कार्यकर्त्ता एम.के. रैना के सदाबहार नाटक “कबीरा खड़ा बाज़ार में” को आधुनिक रूप में प्रस्तुत किया जायेगा। इस नाटक को लिखा था भीष्म साहनी ने, जिसे अनेक दशकों से सराहा गया है। अनिर्बान घोष (बान जी) द्वारा प्रस्तुत और दास्तान लाइव द्वारा अभिनीत, इस संगीतमय रचना में एम.के. रैना के गीत और कबीर के काव्य का संयोजन देखने को मिलेगा। इनके अलावा फेस्टिवल को और जीवंत करने आ रहे हैं संगीतकार-कहानीकार-लेखक-फ़िल्मकार रमण अय्यर और शिक्षाविद, अध्यात्मिक मार्गदर्शक व शोधकर्ता उमेश कबीर। द आह्वान प्रोजेक्ट के कलाकार कबीर के विचारों पर एक फ्यूज़न कोलेब्रेटिव प्रस्तुत करेंगे। फेस्टिवल में कुछ युवा और प्रतिभाशाली कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे जैसे संतूर-वादक दिव्यांश श्रीवास्तव; संगीतकार और गायिका चिन्मयी त्रिपाठी; बहुमुखी प्रतिभा के धनी जोएल मुखर्जी; दिल्ली के पियानोवादक, गीतकार व निर्माता अनिरुद्ध वर्मा और अन्य।     वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर प्रसिद्ध कलाकारों के म्यूजिक सत्र, शहर की रोमांचक गलियों का भ्रमण, चर्चाएँ और संवाद, समयातीत नदी में नौका की मंत्रमुग्ध कर देने वाली सैर, वाराणसी की प्राचीन परम्पराओं से जुड़े लजीज व्यंजन का स्वाद आपको एक बेमिसाल अनुभव प्रदान करेगा।   


शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई को दी संगीतांजली

जयंती पर निकली शोभायात्रा, शामिल हुई झांकी

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का हुआ शुभारंभ


वाराणसी 19 नवम्बर(dil india live)। काशी की बेटी महारानी लक्ष्मी बाई जिनका बचपन का नाम मनु था। मनु को उनकी जयंती पर काशी के प्रबुद्ध जनों ने एक अलग ही तरह से श्रद्धांजलि अर्पित की। विख्यात संगीतकार सितार वादक पंडित देवब्रत मिश्र ने सितार पर वंदेमातरम की धुन प्रस्तुत कर उनके श्री चरणों में नमन किया। अवसर था अमृत महोत्सव आयोजन समिति, मानस नगर, काशी द्वारा शुरू किए गए स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के प्रथम चरण के शुभारंभ का। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ शुक्रवार को अस्सी स्थित महारानी लक्ष्मी बाई की जन्मस्थली से हुआ जिसमें विविध सांस्कृतिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर आयोजित संगीत सभा में  ख्यातिलब्ध सितारविद पंडित देवब्रत मिश्र ने राग भटियार में  निबद्ध वंदे मातरम की अत्यंत मनमोहक धुन प्रस्तुत कर वीरांगना के चरणों में नमन किया। उनके साथ तबले पर रहे प्रशांत मिश्र ने तबले पर घोड़े के टापो की आवाज निकाल कर सबको अचंभित कर दिया। उनके साथ कृष्णा मिश्रा सितार पर रहे।  इस अवसर पर आयोजित विद्वत सभा में नगर के कई गणमान्य विद्वानों ने विचार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक के निदेशक त्रिलोक शुक्ला ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के जरिये हम राष्ट्र के उन उन्नायकों के बारे में भी आने वाली पीढ़ियों से अवगत करा पा रहे है जिन्होंने स्वातंत्र संघर्ष में अपना बलिदान दिया। इसके अलावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र एवं दिनेश पाठक ने भी विचार व्यक्त किया।

इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवं रानी लक्ष्मीबाई के प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। अंत मे विशाल शोभायात्रा भी निकाली गई जो विभिन्न मार्गों से होते हुए दुर्गाकुण्ड पहुँच कर समाप्त हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर कविता शाह ने क़िया।  कार्यक्रम का संयोजन केशव जालान, स्वागत डॉ. रजनीश उपाध्याय, संचालन प्रीतेश आचार्य तथा धन्यवाद ज्ञापन नवीन श्रीवास्तव ने दिया। इस मौके पर मोहिनी झँवर, बी.एस. सुब्रह्मण्यम मणि, भाऊ आचार्य तोड़पे, सीए आलोक मिश्र, राजमंगल पाण्डेय, सुबोध, ज्ञानेश्वर, हरीश वालिया, पवन शर्मा, जेपी सिंह, मांधाता मिश्र, गोविंद, जगन्नाथ ओझा आदि प्रबुद्ध जन शामिल रहे।

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