‘दीनन के करतार नाथ हे सुन ले मेरी पुकार’... बंदिश से किया मंत्रमुग्ध
- कर्नाटिक गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार डॉ. पी नटराजन और सिद्धहस्थ तबला वादक अनूप बनर्जी को प्रिंटानिया पुरस्कार-2021
-नवसाधना कला केन्द्र का 23 वाँ दीक्षांत समारोह
Varanasi (dil India live )। संगीत-नृत्य व वादन कला की सर्वाेत्तम अभिव्यक्ति है, यह अंतरात्मा को छूने में सक्षम है। संगीत की राह परमात्मा तक जाती है। यह कहना है मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक के सत्य नारायण का। वह बुधवार को शिवपुर-तरना स्थित नवसाधना कला केन्द्र के 23वें दीक्षांत समारोह में कलासाधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संगीत हमें एक सरल और सच्चा मनुष्य बनाने में सक्षम है। संगीत के कारण ही असीम संवदेना विकसित होती है। दक्षिण के दिल का उत्तर में संगम अद्भुत है।
विशिष्ट अतिथि प्रिंटानिया मुंबई के अध्यक्ष अल्बर्ट डिसूजा ने कहा कि संगीत के कलाकारों की साधना अद्भुत होती है। संगीत साधना के दम पर ही ज्ञान के सर्वोत्तम स्रोत का अनुभव किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रिंटानिया द्वारा कलाकारों को सम्मानित करना उनकी तपस्या को सम्मानित करना है।
दीक्षान्त समारोह की अध्यक्षता कर रहे वाराणसी धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष बिशप डॉ. यूजिन जोसफ ने कहा कि संगीत व नृत्य साधना कलासाधकों की संगीत के प्रति रुचि और उनकी सीखने के प्रति समर्पण पर निर्भर करती है। कहा कि संगीत साधना में गुरु भक्ति और उस पर पूर्ण विश्वास साधक को निरंतर आगे बढ़ाता है।
अतिथियों का स्वागत करते हुए नवसाधना कला केन्द्र के प्राचार्य डॉ. फादर फ्रांसिस डिसूजा ने कहा कि संगीत तपस्या की तपोभूमि है। इसमें तपने के बाद ही साधक संगीत को लोगों के दिलों तक ले जाता है। सबके दिलों में अपना घर बनाता है। दीप प्रज्ज्वलन, शोभायात्रा के बाद कलासाधकों ने अपनी शिक्षा को अनवरत जारी रखने और इसे निरंतरता प्रदान करने की शपथ लीं।
अद्धा ताल, राग मालकौंस में बंदिश ‘दीनन के करतार नाथ हे सुन ले मेरी पुकार’ को कुमकुम, शादमानि, अंशिका, सुजाता, निशी, मोनोलिता, मनीष, रंजीत, मोहित, पीयूष अभिषेक, विनोद व लक्ष्मण ने प्रस्तुत कर ढेरों वाहवाही लूटीं। हारमोनियम पर संगत लक्ष्मण मुनि व तबले पर संगत अनंग गुप्त ने और संगीत संयोजन गोविंद कुमार वर्मा ने किया।
बीपीए चतुर्थ वर्ष के कलासाधकों ने शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम् का प्रारम्भ सभा वंदन नृत्य ‘पुष्पांजलि’ से की। राग गम्भीर नाट्टेइ, ताल आदि में कामिनी मोहन पाण्डेय रचित गीत पर नृत्यांगनाओं ने ईश्वर का गुणगान कर उनसे प्रार्थना की और गुरु व श्रोताओं पर पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद मांगा।
इसके बाद सभी ने नव राग मल्लिका व ताल आदि में ‘वर्णनम्’ प्रस्तुत किया। नृत्यांगनाओं ने पल्लवी, अनुपल्लवी, मुत्तई स्वरम्, चित्तई स्वरम्, चरणम् को प्रस्तुत किया। इसमें त्रिकाल जाति और पूर्वांगम और उत्तरांगम का बखूबी चित्रण किया। भगवान शिव व माता पार्वती के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए नृत्यांगनाओं के पदचाल व अंग संचालन ने सौन्दर्य सृजन करते हुए भावपूर्ण नृत्याभिनय किया। नृत्य के विस्तार में शृंगार, वीर, करुण और शांत रस की प्रमुखता रहीं। नायक व नायिका की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। दण्डायुद्ध वाणी पिल्लई के संगीत पर इस नृत्य का संयोजन रोस्मा रुबा ने किया। इसमें तोड़ी, मोहनम्, वसंता, देवमोहनी, शंकरावर्णनम्, सारंगा, कानड़ा, आरवी के खूबसूरत संयोजन ने सभी को मुग्ध कर दिया।
अगली कड़ी में नृत्यांगनाओं ने राग मल्लिका शणमुख प्रिया, ताल आदि में पुरंदर दास के संगीत में कीर्तनम् द्वारा परमबह्म्र परमात्मा के दशावतार श्रीहरि विष्णु के स्वरुप को प्रस्तुत किया। उनके विविध रुपों से जगत की रक्षा और भक्तों द्वारा उनका गुणगान देख सभी भक्ति प्रवाह में बह चले। इस राग में शृंगार रस के विप्रलंभ तथा उत्तान दोनों रुपों का वादी-संवादी व आरोह-अवरोह के साथ प्रस्तुति ने सबके मन को मोह लिया।
इसके बाद कलासाधकों ने राग कदनकुदुहलम, ताल आदि में बालमुरलीकृष्ण के संगीत में पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम् के साथ पूर्ण ‘तिल्लाना’ प्रस्तुत किया। ताल आदि राग मध्यमावती में ईसा को समर्पित मंगलम नृत्य ने सभी को भावविभोर कर दिया। इसी के साथ सभी देव गुरुजनों और दर्शकों को भावांजलि अर्पित कर नृत्य का समापन हुआ।
भरतनाट्यम् की प्रस्तुतियों को देख सभी निरंतर तालियां बजाते रहे। नृत्यांगनाओं की भाव भंगिमा व पद संचालन, नृत्य क्षमता की सभी ने सराहना की। पुष्पांजलि से तिल्लाला तक सभी नृत्यों का संयोजन एवं नाट्वंगम् पर संगत रोस्मा रुबा, कर्नाटिक गायन गुरु राजेश बाबू, मृदंगम पर राकेश एडविन और वायलिन पर शारदा प्रसन्न दास ने संगत किया। साधकों में अनुराग, रोशन, अंकिता, अंजना, अस्मिता, एक्सीना, डेविड, फ्रांसिस्का, नैन्सी, निशा, प्रीति, सपना, संध्या, सोनिया, सुप्रिया, तेरेसा, विंशिका, करिश्मा शामिल थीं।
कर्नाटिक गायन के सुप्रसिद्ध कलाकार डॉ. पी नटराजन और सिद्धहस्थ तबला वादक अनूप बनर्जी को प्रिंटानिया पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान दोनों कलाकारों को परंपरागत व नव-सर्जनात्मकता के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु प्रदान किया गया। इसे प्रिंटानिया के संस्थापक अल्बर्ट डिसूजा द्वारा प्रदान किया गया।
अन्त में कलासाधिकाओं द्वारा बाइबिल से दृष्टांत ‘डरो मत’ को भरतनाट्यम शैली में नृत्य नाटिका रुप में प्रस्तुत किया गया। ईसा के द्वारा लोगों में विश्वास को बल प्रदान करने की घटना को सुन्दर ढंग से कलासधिका एंसी, मेरी, सुष्मिता, श्रेया, दयामणि, निशा, शालिनी, प्रीति, रेशमा, रिया, खुशबू, अंजना, एंजेला, शशि, अंकिता व श्वेता ने प्रस्तुत किया। नृत्य संयोजन ए. रॉबिन ने किया।
नवसाधना की ओर से क्लचरल फ्यूजन भाग-11’ व पांच नाटक व नृत्य नाटिका का एक साथ डिजिटल विमोचन मुख्य अतिथि व वाराणसी धर्मप्रान्त के बिशप ने किया। सभी प्रस्तुतियों का संयोजन और निर्देशन फादर सी.आर. जस्टी ने किया। मुख्य अतिथि पुलिस महानिरीक्षक के सत्य नारायण द्वारा स्नातकों को सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि व सभी गुरुजनों कलाकारों व प्रवीणता में अव्वल कलासाधकों को नवसाधना के अध्यक्ष बिशप यूजिन जोसफ ने सम्मानित किया।
मंच संचालन डॉ. राम सुधार सिंह ने किया। कॉलेज लीडर सुप्रिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में सिस्टर रोज़ली, सिस्टर मंजू, सिस्टर लुसी, फादर जैकब, फादर विल्फ्रेड मोरस, फादर रोजलीन राजा, फादर सी.आर. जस्टी, गोविन्द कुमार वर्मा, ए. राबिन, नैन्सी केसरी, रोस्मा रुबा, कामिनी मोहन पाण्डेय, राकेश एडविन, अनंग गुप्त समेत अनेक कलाकार व अभिभावक मौजूद रहे।