अहंकार का त्याग ही सम्यक त्याग धर्म: मुनि विशद सागर
वाराणसी 17 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। जिस प्रकार बिना मेघ के वर्षा नहीं होती , बिना बीज के अन्न उत्पन्न नहीं होता , उसी प्रकार बिना त्याग के सुख भी प्राप्त नहीं होता। उक्त बातें श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण (10 लक्षण) पर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि भेलूपुर में उत्तम त्याग धर्म विषय पर बोलते हुए भक्तों को प्रवचन देते हुए कहीं।
मुनिश्री ने कहा-“ आमतौर पर दान करने को ही त्याग कहा और समझा जाता है , लेकिन त्याग और दान में अंतर है। दान परोपकार किसी उद्देश्य के लिए किया जाता है, और त्याग संयम के लिए। कषायो का मोह, राग, द्वेष का, अहंकार का त्याग करने से आत्मा को बल मिलता है।”
मुनिश्री ने कहा - “ त्याग शब्द त्यज धातु से बना है , जिसका अर्थ है छोड़ना, परित्याग करना, मुक्त होना, दान करना इत्यादि । परिग्रह से मनुष्य अपनी जीवन रूपी नौका को घोर अंधकार रूपी नर्क में पटक देता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में दान धर्म करते रहना चाहिए। रोगी दुखी जीव को औषधि एवं जीवनदान, गरीब एवं जरूरतमंद को अन्न एवं वस्त्रों का दान , अज्ञानी को ज्ञान का दान-पुस्तकों का दान, निर्धन को धन का दान एवं पशु-पक्षी के प्रति करुणा दया से युक्त होकर रक्षा करनी चाहिए । किसी के कष्टों को दूर करना दान कहलाता है ।ऋग्वेद और यजुर्वेद में तीर्थंकर आदिनाथ के दिगंबर होने का स्पष्ट उल्लेख मिलता है । दिगंबर साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते हैं।”शांति ग्रहण में नहीं वरन त्याग में ही है, आत्मा की शांति के लिए त्याग की बहुत आवश्यकता होती है। जिस प्रकार मेघ जल का त्याग कर देते है, नदी स्वयं जल नहीं पीती, पेड़ स्वयं फल नहीं खाते उसी प्रकार अधिक धन या किसी भी वस्तु का संग्रह नहीं करना चाहिए। त्यागने से ही मन एवं चित्त में सदा प्रसन्नता बनी रहती है ।
पर्युषण महापर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः नगर की समस्त जैन मंदिरों में भगवन्तो का पूजन, अरिहंतो का पूजन, एवं तीर्थंकरों का अभिषेक एवं विधान किया गया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है। इस दौरान समस्त श्रावक भक्तों के मन में सहज ही त्याग-तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक क्रियाएं की भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है । उसी क्रम में सायंकाल जिनेंद्र भगवान की आरती, जिनवाणी पूजन , देवी पद्मावती माता का शृंगार किया गया। शाम में भेलूपुर जैन मंदिर जी में अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला मंडल द्वारा 1 मिनट - अंत-अक्षर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।
धार्मिक आयोजनों में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरुण जैन, विशाल जैन, जिवेंद्र जैन, डॉक्टर जे.के. सांवरिया, तरुण जैन, राकेश जैन, वी.के. जैन, श्रीमती प्रमिला सांवरिया , मंजू जैन , शोभा रानी जैन उपस्थित थे।