शिवाला में मोहर्रम भर गूंजने वाले दर्द भरे नौहों पर लिख डाली किताब
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। स्वीडेन के प्रोफ़ेसर मार्क जे. कार्त्ज़ ने मुगलो और नवाबों के मुहल्ले बनारस के "शिवाला" में करबला के शहीदो के ग़म में पढ़े जाने वाले दर्द भरे नौहो में से 50 चुनिंदा नौहे को अपनी किताब में शामिल किया है। इस किताब को लिखने में प्रोफेसर का साथ दिया है प्रमुख शिया विद्वान सैय्यद आलिम हुसैन ने।
"फिफ्टी सांग फार पीस, फिफ्टी सांग फार सोरो ," शीर्षक से लिखी गई यह किताब शिवाला की उस मिली जुली तहज़ीब की जियारत भी कराती है।जब मोहर्रम पर निकलने वाले क़दीमी जुलूस में अंजुमन नौहाखवानी करती हैं, तो इस अज़ादारी की जियारत करने व दुलदुल को दूध पिलाने दोनों मजहब के लोग जुटते हैं।
सैय्यद आलिम हुसैन खुश हैं कि उनके सहयोग से लिखी गई किताब से शिवाला को वो मुकाम मिलेगा जिसका वो हकदार है। वो कहते है कि मंज़र-ए-आम पर किताब आने से शिवाला में पढ़ा जाने वाला नौहा जग विख्यात हो जाएगा।
इस किताब कि खासियत है कि उर्दू में नौहा लिखा गया है और फिर उनका अंग्रेजी अनुवाद किया गया है। सैय्यद आलिम हुसैन कहते हैं कि अल्लाह प्रोफेसर मार्क की मेहनत का अजर दे की उनकी वजह से ये किताब तमाम देशों में जाएंगी और लोग शिवाला में पढ़े जाने वाले नौहो के बारे में जान पाएंगे।