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मंगलवार, 5 जुलाई 2022

कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने को कार्यालयों में गठित हो आंतरिक शिकायत समिति

 कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न रोकने को कार्यालयों में गठित हो आंतरिक शिकायत समिति

- 10 से अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों/कार्यालयों में समिति न गठित होने पर नियोजक पर लग सकता है 50 हजार रुपये का जुर्माना

- 10 से कम कर्मचारियों वाले संगठनों/कार्यालयों की पीड़िता डीएम द्वारा गठित स्थानीय समिति में दर्ज करा सकती हैं शिकायत


Varanasi (dil india live) .शासकीय, अर्धशासकीय कार्यालयों, निजी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, खेलकूद संस्थानों सहित संगठित व असंगठित क्षेत्र के समस्त कार्यालयों आदि में जहाँ भी 10 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, चाहे वे सभी पुरूष ही क्यों न हों, वहां पर आंतरिक परिवाद समिति (इन्टरनल कम्प्लेंट्स कमेटी) का गठन करना अनिवार्य है क्योंकि ऐसे कार्यालयों में कभी भी किसी काम के लिए महिलाएं भी आ सकती हैं और उनके साथ भी कोई घटना हो सकती है। ऐसे में वह कार्यालय में गठित आंतरिक परिवाद समिति को अपनी शिकायत कर सकती हैं। ऐसा न करने वाले नियोजकों पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जा सकता है ।

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय का कहना है कि कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन (निवारण प्रतिशेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 की धारा-4 के अंतर्गत ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, वह आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैं। इसका उद्देश्य महिलाओं को लैंगिक उत्पीड़न सम्बन्धी मामलों में त्वरित और समुचित न्याय दिलाना है। निदेशक द्वारा बताया गया कि पीड़ित महिला कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न से सम्बन्धित शिकायत आन्तरिक परिवाद समिति में दर्ज करा सकती है। समिति का गठन कार्यस्थल पर वरिष्ठ स्तर पर नियोजित महिला की अध्यक्षता में होगा, जिसमें दो सदस्य सम्बन्धित कार्यालय से एवं एक सदस्य गैर सरकारी संगठन से नियोजक द्वारा नामित किये जायेंगे। समिति के कुल सदस्यों में से आधी सदस्य महिलाएं होंगी। ऐसे कार्यस्थल जहां कार्मिकों की संख्या 10 से कम है, वहां की पीड़िता द्वारा लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत प्रत्येक जनपद में जिलाधिकारी द्वारा गठित ‘स्थानीय समिति’ (लोकल कमेटी) में दर्ज करायी जा सकती है। यदि कोई नियोजक कार्यस्थल में नियमानुसार आन्तरिक समिति का गठन न किये जाने पर दोष सिद्ध ठहराया जाता है, तो नियोजक पर 50,000 रुपए तक का अर्थदण्ड लगाया जा सकता है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर पहली दोषसिद्धि पर लगाये गये दण्ड से दोगुना दण्ड नियोजक पर लगाया जा सकता है। निदेशक का कहना है कि विभिन्न विभागों और नियोक्ताओं के साथ ही महिला कर्मचारियों को अभी अधिनियम के बारे में भली-भांति जानकारी नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि उन्हें अधिनियम के बारे में जागरूक किया जाए ताकि वह किसी आपात स्थिति में समिति के सामने अपनी बात रख सकें। महिला कल्याण विभाग भी समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम संचालित करता रहता है किन्तु सभी के सहयोग से ही इसे सही मायने में धरातल पर उतारा जा सकता है।

लैंगिक उत्पीड़न क्या है 

महिला कल्याण विभाग की उप निदेशक अनु सिंह का कहना है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को उनकी इच्छा के विरूद्ध छूना या छूने की कोशिश करना जो महिला के सामने असहज स्थिति पैदा करने वाली हो, उसे लैंगिक उत्पीड़न के दायरे में माना जा सकता है। शारीरिक या लैंगिक सम्बन्ध बनाने की मांग करना या उम्मीद करना भी लैंगिक उत्पीड़न है। इसके आलावा किसी महिला से कार्य स्थल पर अश्लील बातें करना, अश्लील तस्वीरें, फ़िल्में या अन्य सामग्री दिखाना भी लैंगिक उत्पीड़न के दायरे में आ सकता है। उन्होंने बताया कि जनपद के समस्त कार्यालयों में नियमानुसार गठित समिति द्वारा प्राप्त प्रकरणों की सूचना जिलाधिकारी कार्यालय को दी जानी चाहिये तथा जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से प्रत्येक जनपद द्वारा वार्षिक रूप में जनपद के विभिन्न कार्यालयों की संक्षिप्त रिपोर्ट का ब्योरा महिला कल्याण निदेशालय को भी भेजा जाना अनिवार्य है। विभाग द्वारा समस्त जनपदों को इस संबंध में निर्देश जारी किये गये हैं।

घटना के 90 दिनों के भीतर की जा सकती है शिकायत 

अधिनियम के तहत लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत घटना के 90 दिनों के भीतर आंतरिक शिकायत समिति या स्थानीय शिकायत समिति में दर्ज करानी चाहिए। शिकायत लिखित रूप में की जानी चाहिए। यदि किसी कारणवश पीड़िता लिखित रूप में शिकायत करने में सक्षम नहीं है तो समिति के सदस्यों को उनकी मदद करनी चाहिए। यदि शिकायत नियोजक के विरूद्ध है तो वह भी स्थानीय समिति में दर्ज कराई जायेगी। अधिनियम के अनुसार पीडित की पहचान गोपनीय रखी जाना अनिवार्य हैl

 कौन कर सकता है शिकायत  

महिला कल्याण विभाग में कार्यरत राज्य सलाहकार नीरज मिश्रा का कहना है कि - कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन (निवारण प्रतिशेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के अंतर्गत जिस महिला के साथ कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है, वह खुद शिकायत कर सकती है। पीड़िता की शारीरिक या मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह खुद शिकायत कर सके तो रिश्तेदार, मित्र, सह कर्मी, उसके विशेष शिक्षक, मनोचिकित्सक/ मनोवैज्ञानिक, संरक्षक या ऐसा कोई भी व्यक्ति जो उसकी देखभाल कर रहा हो अथवा ऐसा कोई भी व्यक्ति जो घटना के बारे में जानता है और जिसने पीड़िता की सहमति ली है या राष्ट्रीय व राज्य महिला आयोग के अधिकारी शिकायत कर सकते हैं। यदि दुर्भाग्यवश पीड़िता की मृत्यु हो चुकी है तो कोई भी व्यक्ति जिसे घटना के बारे में पूरी तरह जानकारी हो वह पीड़िता के कानूनी उत्तराधिकारी की सहमति से शिकायत दर्ज करा सकता है। कार्य स्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न की ऑनलाइन शिकायत shebox.nic.in के माध्यम से भी की जा सकती है ।

रविवार, 3 जुलाई 2022

हड्डियों में जकड़न और दर्द की न करें अनदेखी, हो सकता है ‘बोन टीबी’

सही समय से उपचार न होने पर अपाहिज होने का भी खतरा

सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त उपचार की सुविधा

क्षय रोगी को हर माह मिलता है 500 रूपये पोषण भत्ता भी



Varanasi (dil india live). पहड़िया की रहने  वाली अर्चना (52 वर्ष) कई वर्ष से हाई शुगर से पीड़ित हैं। इधर छह माह से एक हाथ की कोहनी के पूरा न खुलने को लेकर वह परेशान थीं। उनका वह हाथ ऊपर उठाना भी मुश्किल था। पड़ोसी चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने कुछ दवाएं लिखने के साथ ही उन्हें शुगर कंट्रोल करने की सलाह दी। पर रोग कम होने की बजाय बढ़ता ही गया। जोड़ों में असह दर्द के साथ ही भूख लगना भी बंद हो गया और वजन तेजी से गिरने लगा। पं.दीन दयाल चिकित्सालय में दिखाने और वहां के चिकित्सक की  सलाह पर जब उन्होंने जांच करायी तो पता चला कि उन्हें ‘बोन टीबी’ है। कुछ ऐसा ही हुआ चौकाघाट के रहने वाले 60 वर्षीय राधेश्याम विश्वकर्मा के साथ। उन्हें भी पहले से शुगर था, दोनों घुटनों में अचानक जकड़न भी आ गयी। दर्द इतना की उनका उठना बैठना भी मुश्किल हो गया। उन्हें भी पहले यही लगा कि यह सब शुगर की वजह से है पर जब उन्होंने पं.दीन दयाल चिकित्सालय में जांच कराया तो पता चला कि उन्हें भी ‘बोन टीबी ’ है। 

यह कहानी सिर्फ अर्चना और राधेश्याम की ही नहीं ऐसे तमाम अन्य लोगों की है जो कोहनियों के न खुलने, घुटनों के न मुड़ने अथवा हड्डियों की अन्य समस्या को वह शुगर बढ़ने के कारण मान लेते हैं, जबकि ऐसे लोगों को यह समस्या ‘बोन टीबी’ के कारण भी हो सकती है। सही समय से उपचार न होने से मरीज के अपाहिज होने का खतरा रहता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह बताते हैं कि  वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन कुछ मामलों में यह नाखून व बालों को छोड़कर शरीर के अन्य किसी भी अंग में भी हो सकता है। हड्डियों में होने वाले टीबी को मस्कुलोस्केलेटल टीबी भी कहा जाता है। वह बताते है कि टीबी दो तरह की होती हैं। पहला पल्मोनरी टीबी और दूसरा एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी। जब टीबी फैलता है, तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस (ईपीटीबी) कहा जाता है। ईपीटीबी के ही एक रूप को हड्डी व जोड़ की  टीबी के नाम से भी जाना जाता है। बोन टीबी हाथों के जोड़ों, कोहनियों और कलाई ,रीढ़ की हड्डी, पीठ को भी प्रभावित करता है। 

 बोन टीबी के कारण

किसी क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बोन टीबी हो सकता है। टीबी हवा से माध्यम से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से हड्डियों, रीढ़ या जोड़ों में जा सकता है।

 बोन टीबी के लक्षण

बोन टीबी के लक्षण शुरुआती दौर  में नजर नहीं आते हैं। शुरुआत में इसमें दर्द नहीं होता है लेकिन जब व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता है, तो उसमें इसके लक्षण दिखाई देने लगते है। इनमें जोड़ों का दर्द, थकान, बुखार, रात में पसीना, भूख न लगना, वजन का कम होना आदि शामिल हैं।

 बोन टीबी का उपचार

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह कहते हैं बोन टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है। इसका निःशुल्क उपचार किया जाता है और दवाएं भी सभी सरकारी चिकित्सालयों में मुफ्त दी जाती हैं। इतना ही नहीं निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे स्थानान्तरित किये जाते हैं। दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से बोन टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है।

मंगलवार, 21 जून 2022

परिवार नियोजन की सही फरमाईश, मदद करेगी 'बास्केट ऑफ च्वाइस'

स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन काउंसलर दे रहे निःशुल्क परामर्श


Varanasi (dil indialive). मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और बेहतर मातृत्व स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शादी के दो साल बाद ही पहले बच्चे के जन्म की योजना बनायी जाए और दूसरे बच्चे के जन्म में कम से कम तीन साल का अंतर जरूर रखा जाए। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने बहुत कारगर और सुरक्षित साधनों से युक्त ‘बास्केट ऑफ़ च्वाइस’ मुहैया करा रखी है। इसके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किसको, कब और कौन सा साधन अपनाना श्रेयस्कर होगा। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का । उन्होने कहा कि बास्केट ऑफ़ च्वाइस में परिवार नियोजन के लिए नौ साधनों को शामिल किया गया है। इस बारे में उचित सलाह के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक, परिवार नियोजन काउंसलर, आशा कार्यकर्ता और एएनएम की मदद ली जा सकती है ।

  अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ राजेश प्रसाद का कहना है कि जिले में 185 स्वास्थ्य इकाइयों पर परिवार नियोजन काउंसलर व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) की मदद से ‘बॉस्केट ऑफ च्वाइस’ के बारे में लाभार्थी की स्थिति के अऩुसार सही परामर्श दिया जाता  है । प्रत्येक माह की 21 तारीख को आयोजित होने वाले खुशहाल परिवार दिवस, प्रत्येक गुरूवार को आयोजित होने वाले अंतराल दिवस एवं प्रत्येक माह की नौ तारीख को आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर  भी इस बारे में जानकारी दी जाती है । पुरुष और  महिला नसबंदी, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, माला एन, कंडोम, छाया और ईसीपी की गोलियां बॉस्केट ऑफ च्वाइस का हिस्सा हैं ।

  सेवापुरी ब्लॉक निवासी शमा बताती हैं कि वह अनचाहे गर्भ से राहत के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अंतरा तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन का लाभ ले रही हैं। इसमें उन्हें और उनके परिवार को कोई परेशानी नहीं है। वहीं अंजुम बताती हैं कि अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रहने के लिए वह छाया साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली का सेवन कर रही हैं और समय-समय पर चिकित्सक व एएनएम से परामर्श भी ले रही हैं।

  डॉ प्रसाद बताते हैं कि परिवार नियोजन का साधन हर लाभार्थी अपनी जरूरत और पसंद के हिसाब से अपनाता है, लेकिन काउंसलर और चिकित्सकों को दिशा-निर्देश है कि वह लाभार्थी के उन पहलुओं की भी जानकारी जुटाएं  जिनमें कोई साधन विशेष उनके लिए उपयुक्त है या नहीं ।

परिवार नियोजन में जिले की स्थिति 

 वित्तीय वर्ष 2021-22 में पुरुष नसबंदी 37,  महिला नसबंदी 10605,  कॉपर-टी (आईयूसीडी/पीपीआईयूसीडी) 21418, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन 7085, माला एन (ओरल पिल्स) 79854, कंडोम 7.2 लाख, छाया 26507 और ईसीपी 14377 के लाभार्थी जिले में परिवार नियोजन सेवा प्राप्त करने के लिए आगे आए हैं । इस वर्ष अप्रैल से अभी तक पुरुष नसबंदी 10,  महिला नसबंदी 414, कॉपर-टी (आईयूसीडी/पीपीआईयूसीडी) 3043, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन 2750, माला एन (ओरल पिल्स) 12209, कंडोम 1.24 लाख, छाया 4408 और ईसीपी 2026 के लाभार्थी सेवा ले चुके हैं। 

साधनों को चुनते समय यह भी रखें ध्यान 

-- उन पुरुषों को नसबंदी की सेवा अपनानी  चाहिए जो शादी-शुदा हों और जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम हो । उनके पास कम से कम एक बच्चा होना चाहिए जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो । पुरुष नसबंदी तभी करवानी चाहिए  जब  पत्नी ने नसबंदी न करवाई हो । पुरुष नसबंदी कभी भी करवाई जा सकती है ।

-महिला नसबंदी प्रसव के सात दिन के भीतर, माहवारी शुरू होने के सात दिन के भीतर और गर्भपात होने के  तुरंत बाद या सात दिन के अंदर करवाई जा सकती है । वह महिलाएं इस साधन को अपना सकती हैं जिनकी उम्र 22 वर्ष से अधिक और 49 वर्ष से कम हो । दम्पति  के पास कम से कम एक बच्चा हो जिसकी उम्र एक वर्ष से अधिक हो । पति ने पहले नसबंदी न करवाई हो और सुनिश्चित कर लें कि महिला गर्भवती न हो और प्रजनन तंत्र में संक्रमण न हो ।

--आईयूसीडी को माहवारी के शुरू होने के 12 दिन के अंदर या असुरक्षित यौन संबंध के पांच दिन के अंदर अपना सकते हैं । यदि लाभार्थी के पेडू में सूजन, एड्स या यौन संचारित संक्रमण का खतरा हो, यौनि से असामान्य रक्तस्राव हो, ग्रीवा, गर्भाशय या अंडाशय का कैंसर हो तो यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए ।

-प्रसव के बाद पीपीआईयूसीडी 48 घंटे के अंदर या प्रसव के छह सप्ताह बाद लगवायी जा सकती है । पानी की थैली (झिल्ली) फट जाने के 18 घंटे बाद प्रसव होने की स्थिति में, प्रसव पश्चार बुखार एवं पेटदर्द होने पर, योनि से बदबूदार स्राव या प्रसव के पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव होने पर यह साधन नहीं अपनाया जाना चाहिए । गर्भपात होने के बाद तुरंत या 12 दिन के अंदर इसे अपना सकते हैं, बशर्ते आईयूसीडी संक्रमण या चोट न लगा हो ।

-त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन प्रसव के छह सप्ताह बाद, तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने के सात दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत बाद या सात दिन के अंदर लगवाया जा सकता है । यह इंजेक्शन उच्च रक्तचाप (160 या 100 से अधिक), अकारण योनि से रक्तस्राव, प्रसव के छह सप्ताह के भीतर, स्ट्रोक या मधुमेह की बीमारी, स्तन कैंसर (पहले या बाद में) और लीवर की बीमारी की स्थिति में नहीं अपनायी जानी चाहिए । इसे चिकित्सक की परामर्श से ही अपनाना है ।

-साप्ताहिक छाया गोली प्रसव के तुरंत बाद, माहवारी शुरू होने से पहले, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं । जिन महिलाओं के अंडाशय में सिस्ट, बच्चेदानी के मुंह में बदलाव, पीलिया या लीवर के बीमारी का इतिहास, किसी भी प्रकार की एलर्जी और टीबी या गुर्दे जैसी कोई गंभीर बीमारी हो तो वह इस साधन को न अपनाएं ।

-कंडोम का इस्तेमाल पुरुष कभी भी कर सकते हैं । यह अनचाहे गर्भ के अलावा यौन संक्रमण और एचआईवी या एड्स से भी बचाता है ।

-गर्भनिरोधक गोली माला एन प्रसव के छह महीने बाद (केवल स्तनपान की स्थिति में), प्रसव के तीन सप्ताह बाद, माहवारी शुरू होने के पांच दिन के अंदर, गर्भपात होने के तुरंत या सात दिन के अंदर अपना सकते हैं। यह गोली पीलिया होने या पीलिया का इतिहास होने पर, स्ट्रोक, लकवा या ह्रदय रोग, 35 वर्ष से अधिक उम्र की  धूम्रपान करने वाली महिलाओं, उच्च रक्तचाप (140 या 90 से अधिक) या माइग्रेन की स्थिति में नहीं लेनी है ।

शनिवार, 18 जून 2022

स्वस्थ्य समाज से ही स्वस्थ्य राष्ट्र के निर्माण की परिकल्पना संभव: मुफ्ती-ए-बनारस

जामिया अस्पताल में कैंसर सरवाइवर्स डे का आयोजन


Varanasi (dil india live). जामिया अस्पताल, पीली कोठी में कैंसर सरवाइवर्स डे का आयोजन किया गया जिसमें कैंसर पर विजय पाने बाले 88 मरीजों को प्रमाण पत्र वितरित कर उनके उज्जवल भविष्य हेतु शुभकामनाएं दी गई तथा अस्पताल की वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉक्टर ईशा पाई को प्रशस्ति पत्र एवं शॉल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि मुफ्तिये बनारस मौलाना अब्दुल बानि नोमानी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में शिक्षा के साथ उसम स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार भी अत्यंत आवश्यक है क्योंकि स्वस्थ्य समाज से ही स्वस्थ्य राष्ट्र की परिकल्पना साकार की जा सकती है। इस दृष्टिकोण से हमारे अस्पताल हमारे समाज की जीवन रेखा है। उन्होंने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग को हर संभव रियायत के साथ बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना मौजूदा दौर का सबसे बड़ा चैलेंज है और यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि जामिया अस्पताल 1971 में अपनी स्थापना के दिन से आज तक समाज के वंचित वर्ग को हर सभव किफायती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है यहां तक की कैंसर जैसे गंभीर रोग के निदान की भी संपूर्ण सुविधाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सीएमओ डॉक्टर संदीप चौधरी ने कैंसर से संबंधित सरकारी  योजनाओं से अवगत कराया।

'अपने संबोधन में अस्पताल की वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉक्टर ईशा पाई ने लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक किया और उन्होंने स्वयं को सम्मानित किए जाने पर अस्पताल प्रबंधन का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जामिया अस्पताल के अध्यक्ष हाजी अखलाक अहमद ने की। कार्यक्रम का आरंभ जहां कारी अताउल गफ्फार कासमी ने पाक कुरान की तेलावत से किया तो संचालन इशरत उसमानी ने व स्वागत जनरल सेक्रेटरी हाजी बदरूदीन अंसारी ने किया। अंत में धन्यवद ज्ञापन अस्पताल के ऑडिटर हाजी अब्दुल सलाम ने किया।

 इस अवसर पर मौलाना अब्दुल बाकी हानी जमील अहमद, हाजी अब्दुल सलाम, हाजी सफी अहमान, हाजी मकबूल हसन, डॉक्टर शफीक हैदर, डॉक्टर जसीम अहमद, डॉक्टर सौरभ वाही, डॉक्टर हर्षित जैन, डॉ जिवेक सिंह, डो रुचि सिन्हा, डॉ तबस्सुम हैदर, डॉक्टर जुनैद अहमद आदि उपस्थित रहे।

रविवार, 12 जून 2022

टीबी चैंपियन हुए प्रशिक्षित समुदाय को करेंगे जागरूक

प्रचार सामग्री के जरिये क्षय उन्मूलन की जगाएंगे अलख 

वाराणसी, चंदौली व सोनभद्र के 32 चैंपियन की समीक्षा के साथ आईईसी का अनावरण
Varanasi (dil India live)। वर्ष 2025 तक देश को क्षय उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में अब टीबी चैम्पियन जिले में क्षय रोग के प्रति जागरूकता लाने और भ्रांतियों को दूर करने में विभाग की मदद करेंगे| इसके लिए वह सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) सामग्री जैसे पोस्टर, पंपलेट, बैज, टैटू आदि का सहारा लेंगे |

     इस संबंध में *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन एवं जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राहुल सिंह* की अध्यक्षता में वाराणसी (13 टीबी चैंपियन) सहित चंदौली और सोनभद्र जिले के 32 टीबी चैंपियन के समीक्षा कार्यक्रम के दौरान आईईसी मैटेरियल का अनावरण भी किया गया । इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन भोजुबीर स्थित एक होटल में वर्ल्ड विजन इंडिया, एफआईएनडी और रीच संस्था द्वारा यूनाइट टू एक्ट प्रोजेक्ट के तहत किया गया।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि सभी टीबी चैंपियन टीबी मरीजों को उपचार और भावनात्मक सहयोग के साथ समुदाय को भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। टीबी मरीजों को संबल प्रदान कर उनकी हर तरह से मदद में जुटे टीबी चैंपियन प्रशिक्षण प्राप्तकर डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर (डीटीसी), टीबी यूनिट (टीयू) और प्रभावशाली लोगों के बीच इन आईईसी मैटेरियल के सहारे संवेदीकरण करेंगे । समीक्षा बैठक में बताया गया है कि टीबी मरीजों को प्रेरित करें कि वह बीच में दवा न बंद करें। दवा बंद करने से टीबी बिगड़ सकती है यानि एमडीआर का रूप ले लेती है और कई बार एक्सडीआर टीबी भी बन जाती है जिसमें जटिलताएं बढ़ जाती हैं । टीबी की दवा तब तक खानी है जब तक कि चिकित्सक द्वारा बंद करने की सलाह न दी जाए। इसी प्रकार टीबी के प्रत्येक निकटवर्ती व्यक्ति की (जो अत्यंत निकट रहा हो) टीबी जांच आवश्यक है और साथ ही उसके संपर्क में आने वाले लोगों को टीबी प्रिंवेटिव थेरेपी के तहत बचाव के लिए दवा अनिवार्य रूप से खिलानी है। यह सभी संदेश समुदाय तक पहुंचाने के लिए टीबी चैंपियन से कहा गया है। उन्होंने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पताल सहित ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर निःशुल्क जांच एवं उपचार की सुविधा मौजूद है। इसके साथ निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को छह माह तक 500 प्रति माह पोषण के लिए धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है। इस कार्यक्रम में डीपीसी संजय चौधरी, डीपीपीएम नमन गुप्ता एवं वर्ड विजन इऺडिया के डीसीसी सतीश सिंह, शशांक श्रीवास्तव, कमलेश एवं अन्य लोग शामिल रहे। 

आईईसी से देंगे ऐसे संदेश

टीबी एक संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया के कारण होता है और इसका पूरी तरह से इलाज संभव है।

बालों और नाखूनों को छोड़ कर टीबी शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है।

फेफड़ों की टीबी को पल्मोनरी, जबकि शरीर के अन्य अंगों की टीबी को एक्स्ट्रा पल्मोनरी कहते हैं।

केवल फेफड़े की टीबी ही संक्रामक है।

जब टीबी ग्रसित व्यक्ति असुरक्षित तरीके से खांसता या बोलता है तो हवा के माध्यम से दूसरे को संक्रमण होता है।

लक्षण दिखे तो कराएं जांच

अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी डीएमसी या टीयू पर टीबी जांच निःशुल्क करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है।

सोमवार, 6 जून 2022

Covid-19:अभियान चलाकर 24 जून तक छूटे लोगों को लगेगी दूसरी डोज़

हर घर दस्तक 2.0 अभियान में फिर तेजी की कवायद 

घर-घर दस्तक देकर खोजे जाएंगे कोविड की दूसरी डोज़ से छूटे व बचे हुये लाभार्थी

स्वास्थ्य विभाग ने की अपील - दूसरी डोज़ नहीं लगी है तो जल्द लगवा लें

घर के नजदीक टीकाकरण केंद्र व स्वास्थ्य केंद्र पर लगवा सकते हैं टीका


Varanasi (dil India live). जनपद में सोमवार से कोविड टीके की दूसरी डोज से छूटे हुए लोगों का शत-प्रतिशत कोविड टीकाकरण किए जाने को लेकर ‘हर घर दस्तक 2.0’ अभियान शुरू हो गया है। यह अभियान 24 जून तक चलेगा । इसको लेकर सोमवार को एनआईसी में हुई राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में निर्देशित किया गया कि जनपद में जिन लाभार्थियों ने दूसरी डोज़ का टीका नहीं लगवाया है, उन्हें घर-घर खोजकर चिन्हित कर शत-प्रतिशत दूसरी डोज़ का टीका लगाया जाए।

शासन से प्राप्त निर्देशानुसार मंडलीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ शशिकांत उपाध्याय एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि दूसरी डोज़ का टीकाकरण शत-प्रतिशत करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाए। प्रतिदिन का लक्ष्य निर्धारित कर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उस लक्ष्य को प्रतिदिन के अनुसार अपडेशन का कार्य पूरा किया जाए। शाम को प्रभारी चिकित्सा अधिकारी समस्त टीम के साथ मॉनिटरिंग भी करें।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) व एसीएमओ डॉ वीएस राय ने बताया कि अभियान के लिए दूसरी डोज के कम कवरेज वाले लक्षित भौगौलिक क्षेत्र के अनुसार कार्ययोजना बनाई गई है। नियमित टीकाकरण के दिन बुधवार और शनिवार को नियमित टीकाकरण वाले गांवों में नियमित टीकाकरण के साथ ही कोविड टीकाकरण भी किया जायेगा। दूसरी डोज के कम कवरेज वाले गांवों में घर के नजदीक कोविड वैक्सीनेशन सेंटर (सीवीसी) स्थापित कर दूसरी डोज के शेष पात्र लाभार्थियों का टीकाकरण किया जायेगा। द्वितीय डोज के बचे हुये लाभार्थियों की सूची कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है। इसके आधार पर आशा एवं अन्य फ्रंटलाइन वर्कर लाभार्थियों के घर-घर दस्तक देकर मोबलाइज करेंगी।

स्कूल खुलने पर लगेंगे कैंप

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ सुरेश सिंह एवं वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (टीकाकरण) डॉ एके पांडे ने बताया कि वैक्सीनेशन टीम जरूरत पड़ने पर कार्यदिवस सुबह नौ से शाम चार बजे के पहले या बाद में भी टीकाकरण करेगी, घर के नजदीक वैक्सीनेशन सेंटर आदि व्यवस्थाओं की योजना बनाकर छूटे एवं बचे हुये लाभार्थियों का शत-प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण करेगी। डॉ एके पांडे ने बताया कि गर्मी की छुट्टी के बाद 20 जून से सभी स्कूल खुल रहे हैं। उस समय वैक्सीनेशन टीम स्कूलों में कैम्प लगाकर शेष छूटे हुए 12 से 14 वर्ष तथा 15 से 17 वर्ष आयुवर्ग के किशोर-किशोरियों का कोविड टीकाकरण कराएगी। कॉल सेंटर के जरिये लक्षित लाभार्थियों को फोन कर कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जायेगा। उनके टीकाकरण की स्थिति के संबंध में सूचना इकट्ठा की जायेगी। जिन लाभार्थियों का टीकाकरण हो चुका है लेकिन कोविन पोर्टल पर नहीं चढ़ा है, उसका सत्यापन कराते हुए डीआईओ पोर्टल पर चढ़वाएंगे।

स्वास्थ्य विभाग ने की अपील

 अभियान के संबंध में स्थानीय प्लेटफार्मों, स्कूलों के वाट्सएप ग्रुप, स्थानीय शासन, जनप्रतिनिधि, मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार कराया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि जिनको कोविड से बचाव की दूसरी डोज नहीं लगी है, वह जल्द से जल्द नजदीकी टीकाकरण केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अवश्य लगवा लें।

Varanasi में कोविड टीकाकरण की स्थिति

कुल डोज़ – 63,84,943

पहली डोज़ – 34,73,241 (102.6%)

दूसरी डोज़ – 28,25,407 (83.5%)

12 से 15 वर्ष के बच्चों में पहली डोज़ 1,28,944 (82.8%) एवं दूसरी डोज़ 47,902 (30.8%) लग चुकी हैं।

15 से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों में पहली डोज़ 2,34,242 (90.8%) तथा दूसरी डोज़ 1,76,444 (68.4%) लग चुकी है।

18 से 45 वर्ष आयुवर्ग में 20,94,121 (104.2%) लोगों को पहली डोज तथा 16,87,994 (84%) लोगों को दूसरी डोज लग चुकी है।

45 से 60 वर्ष की आयुवर्ग में 6,09,615 (104.5%) लोगों को पहली डोज तथा 5,34,793 (91.7%) लोगों को दूसरी डोज का टीका लग चुका है।

60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में 3,30,135 (87.3%) लोगों को पहली डोज, 3,01,474 (79.8%) लोगों को दूसरी डोज तथा 34,605 (9.2%) लोगों को एहतियाती डोज लग चुकी है।

सोमवार, 30 मई 2022

एडवांस हस्ताक्षर कर गैर हाजिर मिले प्रभारी चिकित्सा अधिकारी

सीएमओ ने एपीएचसी कादीपुर का किया औचक निरीक्षण

वार्ड व्वाय व फार्मासिस्ट के अलावा अन्य कर्मचारी भी रहे गैरहाजिर


Varanasi (dil India live)। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने सोमवार को पीएचसी कादीपुर का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान वहां भारी गड़बड़ियां मिली। निरीक्षण में पता चला कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी एक दिन का एडवांस हस्ताक्षर कर गैर हाजिर है। यहीं नहीं एक वार्ड व्वाय व एक फार्मासिस्ट के अलावा अन्य कर्मचारी भी गैरहाजिर मिले।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी सोमवार की सुबह 8ः25 बजे अतिरिक्त प्रा०स्वा०केन्द्र कादीपुर पहुंचे। निरीक्षण के समय राजेन्द्र प्रसाद फार्मासिस्ट तथा धनंजय सिंह वार्डव्वाय को छोड़ अन्य सभी कर्मचारी अनुपस्थित पाये गये। उन्होंने अनुपस्थित कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही उनका उक्त दिवस का वेतन अदेय करने का निर्देश दिया। निरीक्षण में पता चला कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. अभिमन्यु सिंह उपस्थित पंजिका में एक दिन पूर्व ही हस्ताक्षर किये थे और ड्यूटी पर भी मौजूद नहीं थे। यह देख सीएमओं ने नाराजगी जतायी और कहा कि यह शासकीय नियमो का घोर उल्लधंन एवं अपने कर्तव्यों की प्रति उदासीनता हैं। उन्होंने इस मामले में उनसे जवाब तलब किया है। निरीक्षण के दौरान लेवर रूम का टेबिल टूटा मिला और सभी सामान अव्यवस्थित थें जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि वहां पर प्रसव का कार्य सम्पादित नहीं किया जाता। सीएमओं ने निर्देशित किया कि तत्काल लेबर रूम का टेबल का मरम्मत कराये तथा सभी सामान व्यवस्थित कर प्रसव का कार्य सम्पादित करायें। दवा काउन्टर पर फार्मासिस्ट द्वारा सभी दवाये अव्यवस्थित रूप से रखा हुआ था उसे व्यवस्थित रखने हेतु निर्देशित किया गया। लैब में सभी समान पूरी तरह से अव्यवस्थित था और सफाई संतोषजनक नहीं था तथा कोई भी रजिस्टर नहीं बनाया गया था जिससे कि यह देखा जा सके कि कौन सी जाँच कब की गयी हैं और कौन का सैम्पल कब का हैं। इस सम्बंध में एल०ए०को निर्देशित किया जाय कि लैंब को साफ रखें तथा एक रजिस्टर बनाकर उसमे प्रतिदिन क्या-क्या जाँच हुई और किसका सैम्पल लिया गया, उसका सही अंकन करें ।

मंगलवार, 24 मई 2022

Ghazipur news: किराए पर चलने वाले उपकेंद्र को जल्द मिलेगा अपना भवन


Himanshu rai

Ghazipur (dil India live). उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा गांव के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा देने के लिए ग्रामीण इलाकों में उप केंद्र बनाए गए हैं। यहां पर एएनएम के माध्यम से टीकाकरण व अन्य कार्यक्रम चलाए जाते हैं। लेकिन जनपद में बहुत सारे उपकेंद्र ऐसे भी हैं जो किराए के मकान में सालों से चल रहे हैं। ऐसे ही उपकेंद्रों में से 24 उपकेंद्र को बनवाने के लिए उनके जमीन की स्वीकृति व बजट का आवंटन कर दिया गया है। जिसका निर्माण कई संस्थाओं के द्वारा जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।

एसीएमओ डॉ केके वर्मा ने बताया कि इसके अलावा 20 और नए उपकेंद्र की मांग शासन से की गई है। जिसका लिस्ट शासन को भेजा जा चुका है। जिसके जमीन का चिन्हांकन आने वाले दिनों में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि केंद्रों पर परिवार कल्याण के कार्यक्रम,प्रसव, फैमिली प्लानिंग, टीकाकरण, गर्भवती महिलाओं की जांच एवं अन्य कार्य निशुल्क किए जाते हैं।

24 किराए पर चलने वाले उपकेंद्र जिनके लिए जमीन चिन्हित कर लिया गया है उनमें बाराचवर ब्लॉक का माटा, कटारिया मोहम्मदाबाद ब्लाक का परसा, शाहबाज कुली ,रेवतीपुर ब्लॉक का सुहवल पश्चिमी, तेजमल राय पट्टी ,सादात ब्लाक में बहरियाबाद, रायपुर, भीमापार, करंडा ब्लॉक का सहेडी, कासिमाबाद ब्लाक का दुधौड़ा, बरेसर, सुभाकरपुर का सकरा ,फतेहपुर अटवा, जमानिया ब्लॉक का भागीरथपुर, ढढ़नी भानुमलराय, देवकली ब्लाक का कुर्बान सराय ,तराव ,सैदपुर ब्लॉक का डहरा कला, बिशुनपुर मथुरा ,बिरनो ब्लॉक का हरखपुर, हरिहरपुर और मनिहारी ब्लॉक का टड़वा गांव शामिल है।

इसके अलावा अन्य 20  उपकेंद्र के लिए जो शासन को लिस्ट भेजी गई है। जिनका आने वाले दिनों में जमीनों का चिन्हांकन होगा। उसमें बाराचवर ब्लॉक का नारायणपुर ,डेहमा, भदौरा ब्लाक का दिलदारनगर टू, देवकली ब्लाक का पौटा, जेवल, गोड़उर का अमरुपुर ,लौवाडीह, अवथही, पलिया, जखनिया ब्लॉक का हरदासपुर कला, सोनहरा, खेताबपुर, खानपुर रघुवर ,करंडा ब्लॉक का पुरैना, मरदह ब्लाक का बरेंदा, मोहम्मदाबाद ब्लाक का नवापुरा ,ब्रह्मदासपुर, हरिहरपुर कोठिया, गौरा गांव शामिल है।

गुरुवार, 12 मई 2022

एएनएम मनोरमा के काम से प्रभावित होकर स्टेट टीम ने किया ट्वीट

मनोरमा की तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से किया ट्वीट



Himanshu rai
Ghazipur (dil India live)। स्वास्थ्य विभाग में नवजात शिशु से लेकर गर्भवती को समय-समय पर टीकाकरण करने वाली एएनएम जो स्वास्थ्य विभाग की निचली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। ऐसी ही एक एएनएम को डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ ने उसके कार्यों से प्रभावित होकर उसकी तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है। साथ ही एनएचएम यूपी,डिजिटल इंडिया एवं आयुष्मान डीएचएम को टैग भी किया है। और इस ट्वीट को मिशन निदेशक अपर्णा यू ने रिट्वीट करते हुए लिखा है जब गाजीपुर की एएनएम  कर सकती है तो अन्य क्यों नहीं।

दरअसल जनपद में चल रहे सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तीसरे चरण का स्थलीय निरीक्षण करने स्टेट से डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ और डॉ विजय अग्रवाल यूनिसेफ लखनऊ ने गाजीपुर का दौरा 9 मई को किया। जनपद के कई स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही कोल्ड चैन के रखरखाव की बहुत ही बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान यह टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनो के भड़सर उपकेंद्र पर पहुंचा जहां पर एएनएम मनोरमा के द्वारा टीकाकरण का कार्य किया जा रहा था। उसके कार्य करने का तरीका देखकर निरीक्षण करने वाली टीम काफी प्रभावित हुई। क्योंकि मनोरमा टीकाकरण करने के साथ ही ऑफलाइन रिकॉर्ड मेंटेन के साथ ही ई कवच पोर्टल पर तत्काल ऑनलाइन भी कर रही थी। जो निरीक्षण करने वाली टीम को पूरे जनपद में यही मिली। जिससे प्रभावित होकर टीम ने एएनएम मनोरमा की फोटो अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया।

इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट कोल्ड चैन का भी निरीक्षण किया और वहां के रखरखाव और व्यवस्था से प्रभावित हर।साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद पर भी टीम गई। जहां पर कम जगह होने के बाद भी कोल्ड चैन रूम को अच्छे तरीके से रखने का प्रबंध किया गया था। और इनके फील्ड की एएनएम प्रीति गुप्ता का प्रदर्शन ठीक भी रहा। जिसे टीम ने सराहा।

जीवन में आये तूफान से भी नहीं रुके सेवा भाव के कदम

अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष


 • हौसलों के उड़ान की मिसाल हैं   नर्सिंग सेवा में जुटीं यह  महिलाएं

 • मरीजों को परिवार का सदस्य मानकर सेवा करना है इनके जीवन का लक्ष्य





Varanasi (dil India live)। रात के अंधेरे में लालटेन लेकर घायलों की सेवा करने के साथ-साथ महिलाओं को नर्सिंग की ट्रेनिंग देने वाली फ्लोरेंस  नाइटेंगल को भला कौन नहीं जानता। क्रीमिया युद्ध में घायल सैनिकों के उपचार में अहम भूमिका निभाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल को ‘लेडी विद द लैम्प’ के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष उनकी याद में 12 मई  को ‘अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया जाता है। फ्लोरेंस  नाइटेंगल तो अब इस दुनिया  में नहीं हैं  लेकिन उनके पदचिन्हों पर चलते हुए नर्सिंग सेवा कर रहीं  महिलाओं की संख्या अनगिनत है।  आध्यात्मिक नगरी काशी में भी नर्सिंग सेवा में जुटी ऐसी ही महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बना रखी है।

 *फिर भी नहीं रुके कदम-* 

मरीजों की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना चुकीं  सुनीता के जीवन में आये तमाम तूफान भी उनके कदमों को रोक न सके। कोविड काल में अपनी जान पर खेल कर मरीजों के लिए किये गये योगदान को जहां एक नजीर के तांैर पर देखा जाता है वहीं किसी भी मरीज की अपने परिवार के सदस्य की तरह सेवा करना सुनीता को औरों से अलग पहचान दिलाता है। मण्डलीय चिकित्सालय में नर्स सुनीता बताती हैं कि बचपन से ही उनके मन में मरीजों की सेवा करने का भाव था। यही कारण था कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई  की ताकि अपने सपनों को वह साकार कर सकें। उनका सपना सच होता भी नजर आया जब उन्हें नर्स की नौकरी मिल गयी। ड्यूटी को वह पूजा मान मरीजों की सेवा में जुट गयीं । शेष समय वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने में गुजार देती थी। सबकुछ अच्छा चल रहा था। परिवार में बेटा निशांत और बेटी तृप्ति के साथ वह खुशहाल जीवन गुजार रही थी। तभी उनके जीवन में अचानक तूफान आ गया। वर्ष 2013 में उनके पति आशीष सिंह की हार्ट अटैक से हुई मौत ने उनका सारा  सुख-चैन छीन लिया। इस हादसे से वह काफी दिनों तक सदमें में रहीं। लगा कि सबकुछ छिन गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने हिम्मत जुटाई और जीवन को पटरी पर धीरे-धीरे लाने का प्रयास करने के साथ ही पुनः मरीजों की सेवा में जुट गयी। मरीजों की सेवा वह इस भावना के साथ करती है, जैसे वह उनके परिवार का ही सदस्य हो।

 *मरीजों की सेवा ही जीवन का लक्ष्य-* 

गाजीपुर जिले की रहने वाली पूनम चौरसिया राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स है। पूनम बताती हैं कि पढ़ार्इ में वह शुरू से ही अव्वल रहीं। उनके सामने अन्य क्षेत्रों में भी कार्य करने के अवसर थे पर बचपन से ही उन्होंने नर्स बनने का सपना देख रखा था। इन्सान की सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म मानने वाली पूनम बताती है कि नर्स की नौकरी पाने के बाद यह सपना साकार हो गया। वह जिला महिला चिकित्सालय के सर्जरी वार्ड में ड्यूटी करती हैं। आपरेशन के बाद दर्द से कराहती प्रसूताओं की सेवा करने से उन्हें एक अलग तरह का सुख मिलता है। वह बताती है कि कभी-कभी ऐसी भी प्रसूताएं उनके वार्ड में भर्ती होती है, जिनके परिवार में कोर्इ भी नहीं होता। तब उनकी जिम्मेदारी और भी बढ जाती है। ऐसे मरीजों का उन्हें अलग से ख्याल रखना होता है। मरीज और नर्स के बीच शुरू हुआ ऐसा रिश्ता बाद में ऐसे आत्मीय रिश्ते में बदल जाता है कि अस्पताल से घर जाने के बाद भी मरीज और उसके परिवार के लोग उनके सम्पर्क में रहते हैं।

 परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ समाज सेवा भी 

 सुनीता शादमान राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स हैं। उनकी डयूटी अधिकांशतः आपरेशन थियेटर में रहती है। वह बताती है कि यही एक ऐसी नौकरी है जिसमें परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ समाज सेवा का भी भरपूर अवसर मिलता है। सुनीता शादमान कहती है कि यही वजह थी कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और इस सेवा में जुट गयी। वह बताती है कि आपरेशन थियेटर में घबरा रही महिलाओं को ढांढस देना। वहां उन्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा माहौल देकर उसकी पीड़ा को कम करने का प्रयास करती है। उनकी पूरी कोशिश होती है कि मरीज उनके सेवा व समर्पण भाव को याद रखे।

मंगलवार, 10 मई 2022

छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध दें, और कुछ नहीं

सीडीओ ने किया ‘पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान’ की शुरुआत 

30 जून तक चलेगा अभियान

सभी कंवर्जेंस विभागों के सहयोग से सफलतापूर्वक संचालित हो अभियान - सीडीओ

कहा - आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समुदाय को जागरूक करने में निभाएं अहम भूमिका 



Varanasi (dil India live)। आयुक्त सभागार में मंगलवार को 'पानी नहीं, केवल स्तनपान' अभियान का शुभारंभ मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने किया । अभियान के प्रथम दिन जनपद के समस्त विकास खंडों की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) एवं सुपरवाइजर का अभिमुखीकरण किया गया । इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ एके मौर्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह एवं यूनीसेफ के मंडल समन्वयक अंजनी कुमार राय ने ' छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध' के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।

      मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि अभियान के दौरान प्रत्येक ग्राम में सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ भ्रमण का गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को स्तनपान के संबंध में प्रशिक्षित करें । इस अवसर पर पोस्टर का प्रारूप भी जारी किया गया । उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के क्रम में अभियान के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग विभिन्न बैठकों में अभियान की कार्य योजना बनाए और व्यापक रूप से प्रचार - प्रसार करे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग संस्थागत प्रसव के प्रत्येक मामले में शिशु जन्म के बाद लाभार्थी परिवार को केवल स्तनपान पर अनिवार्य परामर्श दिया जाए। आशा कार्यकर्ता अधिक से अधिक लाभार्थी परिवारों तक परामर्श देने का प्रयास करें। ग्राम विकास विभाग स्वयं सहायता समूह की मासिक बैठकों में अभियान के संदेशों को प्रचारित करने में मदद करे। पंचायती राज विभाग लक्षित लाभार्थियों के यहां गृह भ्रमण कर अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार कराए। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों में अध्यापकों द्वारा अभियान के संदेशों को विद्यार्थियों के माध्यम से प्रचारित कराने में सहयोग करे। खाद्य एवं रसद विभाग कोटेदारों के सहयोग से अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार तथा लक्षित लाभार्थियों को परामर्श दिया जाए। डेवलपमेंट पार्टनर्स चिह्नित कार्य क्षेत्र में आईसीडीएस विभाग को प्रचार-प्रसार में सहयोग करे। सूचना, शिक्षा तथा संचार माध्यमों के प्रयोग से अभियान में सहभागी बनेंगे। 

       एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने कहा कि शिशु की छह माह की आयु तक "केवल स्तनपान" उसके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन जागरूकता की कमी से समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण छह माह तक "केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी, शहद, चीनी का घोल, पानी आदि का सेवन करा दिया जाता है, जिसके कारण शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं, जोकि शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है। शिशु के प्यासा रहने की आशंका मे उसे पानी देने का प्रचलन गर्मियों में बढ़ जाता है। माँ के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है और शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है। अतः शिशु को छः माह तक, ऊपर से पानी देने की बिलकुल आवश्यकता नहीं होती है। ऊपर से पानी देने से शिशुओं में संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

      डीपीओ डीके सिंह ने बताया कि यह अभियान 30 जून तक चलेगा। अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय में छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित करना है। इसके साथ समुदाय में व्याप्त मिथक एवं भ्रांतियों को भी दूर किया जाएगा।

सोमवार, 9 मई 2022

जब टूट गयी थी आस, आयुष्मान कार्ड ने दिया साथ

कुल्हे का मुफ्त प्रत्यारोपण हुआ ही गृहस्थी भी बर्बाद होने से बची

१ लाखवें लाभार्थी ने कहा: आयुष्मान योजना गरीबों के लिए है वरदान  



Varanasi (dil India live) दोनों कुल्हे के जवाब देने  के साथ ही अचानक आयी मुसीबत से उन्हें अपनी जिंदगी की आस भी खत्म होती नजर आ रही थी। एक तो बुढापा दूसरे बीमारी से शरीर की हालत भी ऐसी हो गयी थी कि बिना सहारा चार कदम भी चलना मुश्किल था। लगता था कि जब तक सांस चलेगी, तब तक इस लाचारी को झेलना ही पड़ेगा। पास में जमा-पूंजी भी इतनी नहीं थी कि वह इतना महंगा उपचार कराकर अपने कुल्हे का प्रत्यारोपण करा सकें। कहीं से आर्थिक मदद की भी उम्मीद नहीं थी। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में साथ दिया ‘आयुष्मान कार्ड’ ने। यह कहना है जिले में आयुष्मान कार्ड योजना के एक लाखवें लाभार्थी बने गौरीशंकर गुप्त का।

आयुष्मान कार्ड के जरिये संकट से उबरने की कहानी बयां करते हुए बुजुर्ग गौरीशंकर गुप्त की आंखों से आंसू छलक उठते है। पं. दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के आयुष्मान वार्ड में भर्ती गौरीशंकर बताते हैं कि एक फर्म में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करते हुए वह अपनी गृहस्थी की गाड़ी किसी तरह खींच रहे थे। परिवार में आर्थिक तंगी जरूर थी पर सब खुशहाल थे। दो बेटियों सपना व निशा का वह व्याह भी कर चुके है, जबकि एक और बेटी एकता की शादी करनी शेष है। इकलौते बेटे आकाश को वह पढ़ा रहे थे ताकि अपने पैरों पर खड़ा होकर भविष्य में परिवार की जिम्मेदारियों को संभाल सके। सबकुछ ठीकठाक चल रहा था। तभी उनके कुल्हे के खराब होने से उनकी जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया जिसने उनके सारे सपने को तोड़ दिया। नौकरी तो छूटी तो परिवार का आर्थिक संकट से उबारना मुश्किल नजर आने लगा। ऐसे में अपना कुल्हा प्रत्यारोपण कराने के मंहगे इलाज के बारे में भला कैसे उम्मीद करते। इस मुसीबत में जब सब तरफ से रास्ते बंद नजर आये तभी उन्हें एक दिन अचानक आयुष्मान कार्ड का ख्याल आया। फिर तो उन्हें लगा कि यह कार्ड उन्हें सभी मुसीबतों से छुटकारा दिला देगा। मुफ्त में उनका उपचार तो होगा ही ठीक होने के बाद वह फिर से अपनी जिंदगी अच्छी तरह से जी सकेंगे और कामधाम कर पुनः गृहस्थी भी चला सकेंगे। गौरीशंकर बताते हैं  उनके दोनों कुल्हों के प्रत्यारोपण के बाद उन्हें अपना सपना सच होता नजर आ रहा है। वह कहते हैं  कि आयुष्मान कार्ड योजना की जितनी भी सराहना की जाए  कम है क्योंकि यह न सिर्फ हम जैसे गरीबों का मुफ्त में उपचार करा रहा है बल्कि उनकी गृहस्थी बर्बाद होने से भी बचा रहा है। अस्पताल से छुट्टी पाकर वह एक बार फिर नये सिरे से जिंदगी शुरू करेंगे। बेटे को पढाएंगे, सबसे छोटी बेटी की शादी  करेंगे और शेष जिंदगी खुशियों के साथ गुजारेंगे।

गुरुवार, 5 मई 2022

प्रसव सुविधाओं का हो रहा सुदृढ़ीकरण

दुर्गाकुंड, चौकाघाट में सिजेरियन प्रसव की भी सुविधा

दुर्गाकुंड में हुए तीन सिजेरियन प्रसव, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ



Varanasi (dil India live)। जिले में प्रसव संबंधी सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जनपद के शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) दुर्गाकुंड में सामान्य के साथ सिजेरियन प्रसव की सुविधा पूर्ण रूप से सक्रिय हो गई है। यहां नगरीय इलाके की तीन गर्भवती का सफल ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया।  

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा के विशेष दिशा-निर्देश पर प्रसव की सुविधाओं को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है। उन्होने कहा कि जनपद के तीन राजकीय चिकित्सालयों व दो एमसीएच विंग समेत दो ग्रामीण सीएचसी, छह ग्रामीण पीएचसी एवं 115 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर 24 घंटे प्रसव की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके साथ ही शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड समेत चौकाघाट व शिवपुर पर भी सामान्य व सिजेरियन प्रसव की सुविधा मौजूद है। बुधवार को दुर्गाकुंड सीएचसी पर ऑपरेशन से तीन सफलतापूर्वक प्रसव कराये गए। इसके साथ ही गुरुवार को चौकाघाट सीएचसी पर भी एक सिजेरियन प्रसव कराया गया ।

सीएचसी दुर्गाकुंड के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ सारिका रायने बताया कि सामने घाट महादेव नगर निवासी पूजा कुमारी (23), खोजवां सरायनन्दन निवासी सोनी कुमार (20) एवं नरिया साकेत नगर निवासी तन्नु (22) का मंगलवार को प्रसव पीड़ा बढ़ने पर भर्ती कराया गया। काफी प्रयास के बाद भी सामान्य प्रसव संभव नहीं हुआ तब उनका आपरेशन कर प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हैं।उन्होने बताया कि दुर्गाकुंड सीएचसी में इस साल अब तक 19 सामान्य एवं पांच सिजेरियन प्रसव किए जा चुके हैं। 

सीएचसी चौकाघाट के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ मनमोहन ने बताया कि चौकाघाट सीएचसी पर पिछले वर्ष 595 सामान्य प्रसव हुएजबकि एक सिजेरियन प्रसव। वहीं इस साल अब तक 47 सामान्य एवं तीन सिजेरियन प्रसव कराये जा चुके हैं। 

यहां 24 घंटे प्रसव की निःशुल्क सुविधा

- जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा

- एमसीएच विंग, जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा

- एमसीएच विंग, पं. डीडीयू चिकित्सालय पाण्डेयपुर

- एसवीएम चिकित्सालय, भेलूपुर

- एलबीएस चिकित्सालय, रामनगर

- शहरी सीएचसी चौकाघाट

- शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड

- शहरी सीएचसी शिवपुर

- ग्रामीण सीएचसी अराजीलाइन

- सीएचसी चोलापुर

- पीएचसी बड़ागांव

- पीएचसी चिरईगांव

- पीएचसी पिंडरा

- पीएचसी हरहुआ

- पीएचसी सेवापुरी

- पीएचसी काशी विद्यापीठ

- अन्य 115 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों

शनिवार, 30 अप्रैल 2022

बाल विवाह रोकथाम के लिए निकाली जन जागरूकता रैली


हिमांशु राय
Ghazipur (dil India live )। मिशन शक्ति 4.0 के तहत महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को बाल विवाह रोकथाम को लेकर ब्लॉक स्तर पर स्कूली बच्चों के साथ प्रभात फेरी करने और जागरूकता रैली निकालने के लिए शासन से निर्देश आया था। जिस के क्रम में जनपद के 6 ब्लॉक मरदह, बिरनो, जखनिया, मनिहारी, सदर और देवकली में जागरूकता रैली के लिए विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।

जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार ने बताया कि अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह करने की परंपरा सालों से चली आ रही है। इसी परंपरा को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए इस तरह के आयोजन का शासन से निर्देश मिला था। जिस के क्रम में सुनीता सिंह मरदह, सुशील मिश्रा एवं मनीष राय बिरनो, चाइल्ड हेल्पलाइन गाजीपुर जखनिया, प्रियंका प्रजापति प्रभारी सेंटर मैनेजर मनिहारी, नेहा राय महिला कल्याण अधिकारी सदर, गीता श्रीवास्तव संरक्षण अधिकारी देवकली में ड्यूटी लगाई गई थी। इन सभी लोगों ने सुबह 8 बजे बीआरसी पर तैनात खंड शिक्षा अधिकारी के देखरेख में जागरूकता रैली निकाली।

महिला कल्याण अधिकारी नेहा राय ने सदर में खंड शिक्षा अधिकारी नगर अशोक गौतम के देखरेख में जागरूकता रैली निकाली। जो प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज से होते हुए मिश्र बाजार के साथ ही अन्य इलाकों में भ्रमण करते हुए और बाल विवाह पर रोकथाम के लिए लोगों को संदेश देते हुए वापस प्राथमिक विद्यालय विशेश्वरगंज पर आकर खत्म हुई। इस दौरान खंड शिक्षा अधिकारी नगर अशोक गौतम ने बताया कि आज के रैली का 2 महत्व है। पहला तो बाल विवाह पर रोकथाम के लिए जन जागरूकता करना। साथ ही स्कूल चलो अभियान के तहत बालिकाओं को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना।

मच्छर जनित बीमारियों पर सीधा होगा वार

वेक्टर सर्विलान्स टीम का किया गया गठन 

  • संक्रामक व आउटब्रेक की स्थिति में पूरे क्षेत्र का करेंगे भ्रमण व निगरानी

  •  मलेरिया विभाग के स्वास्थ्यकर्मियों की एक दिवसीय कार्यशाला




Varanasi (dil India live )। संचारी रोगों पर काबू पाने के लिए विभाग प्रत्येक स्तर पर प्रयास कर रहा है। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत शनिवार को मुख्य चिकिसा अधिकारी कार्यालय सभागार में सीएमओ डॉ संदीप चौधरी के निर्देशन में मलेरिया विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की एक दिवसीय एंटोंमोलॉजिकल (कीट वैज्ञानिक) कार्यशाला व प्रशिक्षण का आयोजन किया गया | इसके साथ ही जनपद स्तरीय वेक्टर सर्विलान्स टीम का गठन किया गया, जो संक्रामक एवं आउटब्रेक की स्थिति में मंडलीय टीम के साथ उस क्षेत्र का भ्रमण कर निगरानी का कार्य करेगी। 

   कार्यशाला में सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बेसिक हेल्थ वर्कर (बीएचडबल्यू), स्वास्थ्य पर्यवेक्षक तथा मलेरिया विभाग के अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे एवं वाराणसी मंडल के जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट व बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह ने मच्छरजनित बीमारियों से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने इनके प्रकार, पहचान, जीवन चक्र, हाउस इंडेक्स, कंटेनर इंडेक्स, मच्छरों का घनत्व, लार्वा का घनत्व निकालने के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इसके साथ ही मच्छर पनपने वाले स्रोतों की खोज तथा उनका निवारण कर लोगों को इन बीमारियों से बचाव के बारे में भी समझाया | 

   वाराणसी व आजमगढ़ मण्डल के लिए मंडलीय टीम का गठन जोनल एंटोंमोलॉजिस्ट व बायोलोजिस्ट डॉ. अमित कुमार सिंह के नेतृत्व में किया गया है। प्रत्येक जनपद स्तरीय टीम में एक मलेरिया/फाइलेरिया निरीक्षक, एक कीट संग्रहकर्ता और एक स्वास्थ्य पर्यवेक्षक को शामिल किया गया है। डॉ अमित ने बताया कि वेक्टर जनित रोगों का संचरण काल इसी मौसम में होता है जिससे विभिन्न प्रकार के संचारी व मच्छर जनित रोगों का प्रसार होता है। संचरण काल में अधिकांश रोगी ग्रामों एवं नगरीय क्षेत्रों से सूचित होते हैं जिनके पर्यवेक्षण एवं सघन निरीक्षण की आवश्यकता होती है। बुखार के रोगियों का समय से पर्यवेक्षण, सघन निरीक्षण एवं सतत निगरानी द्वारा ही वेक्टर जनित रोगों के आउट ब्रेक की स्थिति को रोका जा सकता है।    

  इस दौरान जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि मलेरिया, डेंगू, फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया के कारण, लक्षण आदि के बारे में विस्तार से बताया। इसके साथ ही टीम को मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए संबंधित विभागों और सामुदायिक योगदान के बारे में बताया। उन्होने बताया कि मच्छरजनित बीमारियों से बचने का सबसे बेहतर उपाय है कि पूरे बांह के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, मच्छररोधी क्रीम लगाएं, घर में मच्छररोधी अगरबत्ती का इस्तेमाल करें । घरों में कीटनाशकों का छिड़काव करें, खुली नालियों में मिट्टी का तेल डालें जिससे मच्छरों के लार्वा न पनपने पाएं। मच्छरों के काटने के समय शाम व रात को घरों और खिड़कियों के दरवाजे बंद कर लें। हर शनिवार व रविवार को लार्वा पनपने वाले स्रोतों का निवारण करें। इन उपायों के बावजूद अगर लक्षण दिखें तो मलेरिया की जांच करवा कर इलाज करवाएं। सभी ग्रामीण व शहरी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों, हेल्थ वेलनेस सेंटर व चिकित्सालयों पर निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा मौजूद है।

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी और पीएचसी पर भी अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा

  • डिप्टी सीएम के निर्देश पर सीएमओ ने शुरू कराई व्यवस्था 

  • सीएचसी हाथी बाजार में भोर में भर्ती हुई डायरिया पीड़ित मरीजश

  • हर के चार सीएचसी पर पहले से जारी है रात्रिकालीन सेवाश

  • हर के 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी सांध्य कालीन सेवाएं  उपलब्ध



वाराणसी 27 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर जनपद के ग्रामीण क्षेत्र  के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इसके मद्देनजर मंगलवार की देर रात सामुदायकि स्वास्थ्य केन्द्र हाथी बाजार, सेवापुरी में डायरिया पीड़ित ईट -भट्ठा पर काम करने वाली महिला मजदूर धानमती देवी (60 वर्ष) को भर्ती कर उपचार किया गया। अब उसके हालत में काफी सुधार है।

 *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* ने बताया कि आम नागरिकों की चिकित्सा सेवाओं में कहीं कोई कमी  न रह जाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तत्पर है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने गत दिनों वाराणसी दौरे के दौरान ग्रामीण इलाके  के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा शुरू करने का  निर्देश दिया था ताकि आमजन रात्रि में किसी आपात स्थिति में निःशुल्क चिकित्सकीय सेवा प्राप्त कर सके। 

सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्देश के अनुपालन में ग्रामीण इलाके के सभी सीएचसी व पीएचसी पर रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इनमें सीएचसी नरपतपुर,  चोलापुर,  पुआरीकला,  विरांवकोट,  गंगापुर,  हाथी बाजार, आराजीलाइन, मिसिरपुर के अलावा ब्लाक सीएचसी चोलापुर, ब्लाक सीएचसी आराजीलाइन और ब्लाक पीएचसी चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ, बड़ागांव, पिण्डरा, सेवापुरी, काशीविद्यापीठ में भी 24 घंटे आपातकालीन चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध रहेंगी।

 डा. संदीप चौधरी ने बताया कि शहर के चार सामुदायिक स्वास्थ्य  केन्द्र शिवपुर, चौकाघाट, भेलूपुर, दुर्गाकुण्ड में पहले से ही 24 घंटे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त 12 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सांध्य कालीन सेवाएं भी दी जा रही हैं । इनमें शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आनंदमयी, पाण्डेयपुर, कोनिया, मदनपुरा, सेवासदन, जैतपुरा, बेनिया, अर्दलीबाजार, भेलूपुर, लल्लापुरा, राजघाट व टाउनहाल शामिल हैं, जो अपनी प्रातःकालीन सेवाओं के साथ ही सायं कालीन सेवाएं भी दे रहे है। यह  सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रातः नौ बजे से रात्रि आठ बजे तक खोले जाने के निर्देश दिए गये हैं ।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

पहल : आशा घर-घर जाकर करेंगी मलेरिया के मरीजों की पहचान

विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) पर विशेष

जागरूकता और मच्छरों पर नियंत्रण से ही मलेरिया से बचाव सम्भव : सीएमओ

मच्छर पनपने वाले स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग भी बेहद जरूरी
वाराणसी 24 अप्रैल (dil India live )। देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का। सीएमओ ने बताया कि मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 

सीएमओ ने कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “मलेरिया रोग के बोझ को कम करना और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करना” है। इस थीम का उद्देश्य वैश्विक उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने में नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना है। सीएमओ ने कहा कि इस वर्ष मलेरिया पर नियंत्रण करने के लिए खास रणनीति बनाई गयी है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की समस्त आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किट के माध्यम से मलेरिया की जांच करेंगी। पॉज़िटिव आने पर उनका जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाएगा।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडे* ने बताया कि मलेरिया दिवस पर समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन जागरूकता स्वास्थ्य कैंप का आयोजन किया जाएगा। वह बताते हैं कि आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा लोग मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी  जा रही है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। बुखार ग्रसित सभी रोगियों की जांच के लिए सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है जिससे समय पर मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जा सके। 

कहां-कहां है सुविधा 

डीएमओ ने बताया कि मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी/पीएचसी पर उपलब्ध है। शासन के निर्देशानुसार अब आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर रोगी की पहचान कर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट से त्वरित जांच करेंगी। इसके लिए समस्त आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर जल्द से जल्द रोगी का नि:शुल्क पूर्ण उपचार किया जाएगा।   

कैसे होता है मलेरिया

मलेरिया मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आता है और बुखार छोड़ते वक्त पसीना होता है। समय पर दवा न मिलने पर रोगी अत्यधिक कमजोर हो जाता है।

कैसे करें बचाव

मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास दूषित  पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

वेक्टर जनित (संक्रामक) रोग

मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय  लगता है। इस वजह से ही सप्ताह में एक बार एंटीलार्वा का छिड़काव किया जाता है। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है।

पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया की स्थिति 

बात करें जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की तो वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2022 में 46, वर्ष 2021 में 164 और वर्ष 2022 में अब तक कुल 32 मलेरिया रोगी पाये गए हैं ।

रविवार, 24 अप्रैल 2022

भारत में 265 स्थानों पर एक साथ लगा रक्तदान शिविर

रक्तदान के लिए उत्साहित दिखे निरंकारी भक्त

निरंकारी मिशन ने मनाया मानव एकता दिवस 


वाराणसी २४ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)।  संपूर्ण मानवता को समर्पित संत निरंकारी मिशन के तत्वाधान में आज पूर्व निरंकारी बाबा गुरबचन सिंह महाराज के बलिदान को मानव एकता दिवस के रूप में याद करते हुए एक महा रक्तदान शिविर मलदहिया स्थित संत निरंकारी भवन पर आयोजित किया गया। इसमें 300 यूनिट से ऊपर रक्त मिलकर एकत्र किया गया जिसमें सर सुंदरलाल चिकित्सालय, शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय, पंडित दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय ने मिलकर रक्त एकत्रित किया। सैकड़ों की संख्या में निरंकारी भक्तों ने ब्लड ब्लड ब्लड नामांकन के बाद ब्लड बैग लेकर अपनी अपनी बारी का इंतजार करते रहे। भक्तों के साथ वाराणसी के एडीएम सिटी गुलाबचंद ने रक्तदान किया। 


शिविर का उद्घाटन वर्चुअल रूप में 12:00 बजे निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा ने दिल्ली से किया। पूरे भारत रत में 265 स्थानों पर रक्तदान शिविर निरंकारी मिशन द्वारा एक साथ आयोजित किया गया। संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन के दिशा निर्देशन में भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज इस रूप में मानव एकता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है जिसका एकमात्र मकसद मानव और मानव के बीच एकता स्थापित करना है। रक्तदान के माध्यम से सत्य और सात्विकता को मानव के रग में प्रवाहित करना है क्योंकि निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का नारा है कि खून नाड़ियों में बहना चाहिए नालियों में नहीं। इस रक्तदान महा शिविर के साथ-साथ निरंकारी मिशन में एक भव्य सत्संग का भी आयोजन किया गया जिसमें निरंकारी मिशन के तीसरे सद्गुरु बाबा गुरबचन सिंह जी और उनके अनन्य भक्त चाचा प्रताप सिंह के बलिदान को हृदय से याद किया गया। वो मानव एकता की रक्षा करते करते 24 अप्रैल 1980 को कुर्बान हो गए और तब से सतगुरु बाबा हरदेव सिंह के दिव्य आदेश से यह रक्तदान शिविर लगातार आयोजित किया जा रहा है। आज वर्तमान सतगुरु माता सुदीक्षा की रहनुमाई प्राप्त है।

इस अवसर पर निरंकारी भवन पर लंगर प्रसाद का वितरण  चलता रहा। निरंकारी साहित्य का भी स्टॉल लगाया गया इस पूरे कार्यक्रम को निरंकारी सेवादल के सदस्यों ने संभाला। इस अवसर पर निरंकारी सत्संग में एकत्र सैकड़ों भक्तों को जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने संबोधित किया। कार्यक्रम में एपेक्स हॉस्पिटल के निदेशक डॉक्टर एस के सिंह भी उपस्थित रहे।

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022

स्वास्थ्य प्रोजेक्ट में धन की कमी आने नहीं दूंगा: मस्त

सांसद वीरेंद्र मस्त ने किया स्वास्थ मेले का शुभारंभ


हिमांशु राय

ग़ाज़ीपुर 22 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)।आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मरदह पर  ब्लाक स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि बलिया के सांसद विरेंद्र सिंह मस्त ने किया।कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि ब्लाक प्रमुख मरदह सीता सिंह थे।

            कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा कि हमारे लोकसभा के सबसे पिछड़े इलाकों में मरदह की गिनती होती है, यहां पर शिक्षा के क्षेत्र में तो काफी विकास हुआ है लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभी बहुत कुछ करना शेष है। उन्होंने प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक सुविधाओं का एक व्यापक प्रोजेक्ट तैयार करें और उसे मेरे सामने प्रस्तुत करें। किसी भी स्तर से धन की कमी आने में नहीं दूंगा

           कार्यक्रम के बीच में है जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मटेंहूँ में बिजली की व्यवस्था नो होने का मुद्दा उठाया गया जिसको सांसद महोदय ने ब्लाक प्रमुख को संज्ञान लेने को बोला , ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि द्वारा तत्काल बिजली विभाग के जे.ई. से फोन पर वार्ता किया गया और  कनेक्शन कराने का निर्देश दिया गया ।

           मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह मस्त  द्वारा बाल विकास पुष्टाहार के सौजन्य से 2 गर्भवती महिलाओं माधुरी पत्नी कृष्णा तथा पूजा पत्नी अखिलेश की गोद भराई की गई तथा शुशीला पत्नी आनंद के बच्चे का अन्ना प्राशन किया गया।

        स्वास्थ्य मेले में लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रजनन,बाल स्वास्थ्य सेवा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, एड्स और कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरूक किया गया तथा सुविधाएं दी गई। संचारी रोगों से संबंधित जानकारी, कुष्ठ रोग नियंत्रण, टी0वी0 नियंत्रण, मलेरिया, त्वचा की देखभाल, आंखों की देखभाल, मोतियाबिंद के जांच और निशुल्क दवाओं की व्यवस्था की गई थी, साथ ही आयुष्मान भारत ई- कार्ड मौके पर ही जारी किया गया। साथ ही कोविड वैक्सीनेशन भी किया गया। होम्योपैथी आयुर्वेदिक यूनानी कृषि विभाग शिक्षा विभाग एवं स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा कैंप लगाकर के स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता के लिए प्रोत्साहन किया गया नव युवक मंगल दल के सदस्यों ने कुछ लोगों को खेल का सामान वितरित किया

           ब्लॉक मेला में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के सरफराज आलम, डा. अशोक सिंह,  बी.पी.एम. प्रेम प्रकाश राय, ए.आर.ओ. आर. एस. गोप बी.सी.पी.एम. रेयाज सुल्तान, फार्मासिष्ट वी.के. सिंह, भगवान सिंह , रामकेवल, रमेश, लैब सहायक आर.पी. सिंह, दिनेश यादव  नेत्र सहायक छाँगर राम, रामलखन सिंह,लल्लन राम,  शैलकुमारी रानी, नीलम, सीमा मिश्रा, लालसा यादव, अरविंद,  सी.एच.ओ. नीलम मिश्रा सरोज संजू पूनम भारती शिव शांत धनंजय पांडे स्वामीनाथ मनोज अरविंद चौहान आदि लोग उपस्थित थे

गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

स्वास्थ्य मेले में 250 लोगों ने लिया स्वास्थ्य मेले का लाभ



ग़ाज़ीपुर, 21 अप्रैल (dil India live )। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा आमजन को निशुल्क स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए 18 से 23 अप्रैल तक आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिस के क्रम में गुरुवार को रेवतीपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर स्वास्थ्य मेले का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ ब्लाक प्रमुख अजिताभ राय के द्वारा दीप प्रज्वलन व फीता काटकर किया गया। इस दौरान उन्होंने अन्य विभागों के द्वारा लगाए गए विभागीय स्टॉल का भी निरीक्षण किया। आज के इस स्वास्थ्य मेले में करीब 250 लोगों का स्वास्थ्य जांच एवं दवा वितरण का किया गया।

निरीक्षण के उपरांत आए हुए लोगों को संबोधित करते हुए ब्लाक प्रमुख अजिताभ राय ने विभाग के कार्यक्रमों की उपलब्धि पर समस्त कर्मचारियों की प्रशंसा करते हुए भविष्य में बेहतर कार्य करने एवं अच्छा कार्य करने की शुभकामनाएं दी। साथ ही भविष्य में अपने स्तर से यहां पर कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए जो भी मदद संभव होगा उसे वह जरूर करेंगे। साथ ही उन्होंने बताया कि इस तरह के आयोजन से सरकार के द्वारा चलने वाली सभी योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम भी है।

बीपीएम बबीता सिंह ने बताया कि इस स्वास्थ्य मेले में महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा गर्भवती की गोद भराई एवं 5 साल से कम उम्र के बच्चों का अन्नप्राशन कार्यक्रम भी किया गया। इसके अलावा टीकाकरण ,आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभार्थियों का कार्ड बनाया जाना, कोविड-19 टीकाकरण ,कोविड-19 जांच के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य के रखरखाव संबंधित जानकारी भी लोगों को दी गई।

इस कार्यक्रम में कार्यक्रम के नोडल अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज कुमार सिंह, डॉ मनीष कुमार चिकित्सा अधीक्षक, डॉ अनिल कुमार, डॉ आर के सिंह, डॉ संजय कुमार चिकित्सा अधिकारी, बीसीपीएम सुनील कुमार, आनंद कुमार ,आशुतोष कुमार सिंह, अभिषेक उपाध्याय, अखिलेश कुमार ,रवि शेखर गौतम, श्री राम चंद्र गौड़ के साथ ही ब्लॉक की समस्त एएनएम,आशा संगिनी एवं आशा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...