सलाम और कलाम पढ़ता फातमान पहुंचा काफिला
Varanasi (dil india live). ग्यारहवीं मोहर्रम पर बुधवार को दालमंडी से लुटे हुए काफिले का जुलूस पूरी अकीदत के साथ चुप का डंका बजाते हुए निकला। यह कदीमी जुलूस हकीम मोहम्मद काजिम के दालमंडी स्थित निवास से निकाला गया। इससे पूर्व उलेमा ने नूरानी तकरीर पेश की। तकरीर में जब उन्होंने लुटे हुए काफिले का मंजर बयान किया तो लोग जारोकतार रो पड़े। जुलूस का संयोजन अंजुमन हैदरी के सदस्य डा. मुज्तबा जाफरी ने किया।
नई सड़क चौराहे पर सैयद फरमान हैदर ने सैकड़ों की भीड़ में कलाम पेश किया ...अशरे को भी शब्बीर का जो गम नहीं करते, वो पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत हो तो महशर में पयंबर से भी कहना, हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते। जुलूस नई सड़क से आगे बढ़ा। काफिले सलाम और कलाम पढ़ता हुआ दरगाहें फातमान पहुंचा।
दरअसल हज़रत इमाम हुसैन की शहादत के बाद यजीदियों ने काफिले लूट लिए थे। खेमे जला दिए गए थे। यही नहीं जो लोग बच गए थे उन्हें कैदी बना लिया गया था। इसी की याद में ग्यारहवीं मोहर्रम को निकलने वाले जुलूस को लुटे हुए काफिले का जुलूस कहते हैं।
ख्वातीन की हुई मजलिस
दुलदुल और अलम का जुलूस उठने के बाद हकीम मोहम्मद काजिम के इमामबाड़े में ही ख्वातीन की मजलिस हुई। यहां खिताब करते हुए नुजहत फातमा ने कहा कि ये मजलिसें जनाबे जैनब की यादगार हैं, इमाम हुसैन का पैगाम है, करबला के शहीदों की याद है और इंसानियत के लिए बहुत बड़ा तोहफा है। दुनिया की हर ख्वातीन को जनाबे जैनब से सीख लेकर जुल्म का सामना करना चाहिए।
शहीदों का तीजा कल
इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों का गुरुवार को तीजा मनाया जाएगा। घरों में और इमाम चौक पर तीजे की फातिहा दिलाई जाएगी और मजलिसें भी होंगी। सभी इमाम चौक से अलम सद्दे का जुलूस उठेगा।