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शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

treatment : बारिश के मौसम में रहें सतर्क,बच्चों की करें खास देखभाल

मच्छरदानी का करें प्रयोग,घर के पास रखें साफ–सफाई 

उल्टी-दस्त से बचाव के लिए पिलाएं साफ पानी व ओआरएस

बुखार होने पर डॉक्टर के उचित परामर्शानुसार दवा खिलायें


Varanasi (dil india live). बारिश के मौसम में बच्चों की परवरिश पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह बीमार पड़ सकते हैं। इस मौसम में बच्चों को तीन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पहला- सर्दी, खांसी, जुकाम एवं बुखार, दूसरा- उल्टी दस्त और बुखार तथा तीसरा- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया तथा मच्छरजनित रोग। यह कहना है कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एस.पी. सिंह का। 

          उन्होंने बताया कि सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार से बचाव के लिए बच्चों को बारिश के पानी से दूर रखें। अक्सर बच्चे बारिश में भीग जाते हैं जिससे ये बीमारियाँ पैदा होती हैं। उल्टी तथा दस्त से बचाव के लिए उन्होने बताया कि साफ पीने के पानी का प्रयोग करें तथा घर का बना हुआ ताजा खाना खिलायें, बासी खाना खिलाने से परहेज करें। बच्चे को बाजार की कोई भी खुली हुई चीज बिलकुल न खिलायें। छोटे बच्चे पर विशेष ध्यान देना है कि वह जमीन पर गिरी हुई कोई भी खाद्य सामग्री उठाकर न खाएं तथा बच्चों को खेलने के लिए ऐसे खिलौने दें, जो धुलकर साफ किया जा सके। 

मच्छरों से बचाएं 

डॉ एस.पी. सिंह ने बताया कि घर के आस-पास साफ–सफाई रखें तथा कहीं भी (कूलर, छत पर पड़े टायर, गमले, नारियल के खोल, टीन के डिब्बों आदि में) पानी न इकट्ठा होने दें, जिससे उसमें लार्वा न पनप सकें। बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएँ एवं कमरे में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छर से बचने के लिए अन्य साधनों का भी उपयोग कर सकते हैं।   

उल्टी-दस्त से करें बचाव

 डॉ सिंह ने कहा कि घर में ओआरएस का पैकेट जरूर रखें, जिससे उल्टी-दस्त होने पर बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके। उल्टी होने पर ओआरएस का घोल या अन्य पेय पदार्थ जैसे दाल का पानी, पतली दलिया तथा मांड थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जल्दी-जल्दी देना सुनिश्चित करें, यदि बच्चा उल्टी करता भी है तो थोड़ा-थोड़ा ओआरएस का घोल तथा पेय पदार्थ देते रहें। ओआरएस के पैकेट दो तरह के होते हैं -  छोटा पैकेट 200 मिलीलीटर (एक गिलास) पानी में घोलना होता है तथा बड़ा पैकेट एक लीटर पानी में घोलना होता है। घोल बनाते समय, सही संयोजन आवश्यक है अन्यथा यह हानिकारक भी हो सकता है।   

विशेषज्ञ-चिकित्सक से लें सलाह

डॉ सिंह ने कहा कि बच्चे को बुखार होने पर डॉक्टर की उचित परामर्श के अनुसार दवा खिलायें। यदि घर में बुखार की दवा न हो तो बुखार आने पर सूती गीले कपड़े से शरीर को पोंछना, बुखार उतारने का एक उपयोगी तरीका है। कुछ बच्चों को बुखार आने पर कभी-कभी हल्का मिर्गी की तरह का दौरा पड  सकता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को सुविधानुसार करवट पर लिटा दें और उसकी गर्दन को सीधा रखें। बुखार उतारने के लिए भीगे कपड़े से शरीर को पोंछे और चिकित्सक से उचित परामर्श लें। 

अगर ठंड देकर बुखार आ रहा है मलेरिया हो सकता है, तो खून की जांच करायें तथा यथाशीघ्र इलाज करना सुनिश्चित करें। डेंगू बुखार में कुछ बच्चों की प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं, ऐसे में प्लेटलेट्स की जल्दी-जल्दी जांच कराना जरूरी होता है। जनपद के कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय में प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था है।

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