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सोमवार, 27 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -4

Ramadan हमें हक़ की जिन्दगी जीने की दिखाता है राह


Varanasi (dil india live)। रमजान हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना है। रमजान वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है। अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे, इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा देता है।

सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने कि तौफीक अता कर... आमीन।

                 मौलाना हसीन अहमद हबीबी 

(शाही इमाम, मुगलिया मस्जिद, बादशाह बाग, वाराणसी)

शुक्रवार, 24 मार्च 2023

Ramadan Mubarak -1

यह महीना ही है नेकी, सवाब और बरकत वाला 


Varanasi (dil india live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। 
रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

      मौलाना शफी अहमद

{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...