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शनिवार, 14 मई 2022

Baba hardev singh ko kiya naman

संत निरंकारी मण्डल ने मनाया बाबा  हरदेव सिंह को समर्पित समर्पण दिवस



Varanasi (dil India live)। युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह का दिव्य सर्वप्रिय स्वभाव व उनकी विशाल अलौंकिक सोच मानव कल्याण के लिए समर्पित थी। उन्होंने पूर्ण समर्पण सहनशीलता एव विशालता वाले भावो से युक्त होकर ब्रह्मज्ञान रूपी सत्य के संदेश को जन जन तक पहुंचाया और विश्व बंधुत्व की परिकल्पना को वास्तविक रूप प्रदान किया। उक्त बातें समर्पण दिवस के अवसर पर वाराणसी जोन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने संबोधित करते हुए कही। सत्संग की सारी व्यवस्था सेवादल के अधिकारियों के देख रेख में सेवादल के जवानों एव बहनों ने किया। संत निरंकारी सत्संग भवन मलदहिया वाराणसी पर जिलास्तरीय विशाल सत्संग में सैकड़ों निरंकारी भक्तों ने बाबा हरदेव सिंह महाराज के प्रेरक संदेश की कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो, दीवार रहित संसार, एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ आदि संदेशों से प्रेरणा लेते हुए सत्संग का आनन्द प्राप्त किया।

वक्ताओं ने कहा कि बाबा ने मानवता का दिव्य स्वरूप बनाने निरंकारी संत समागमों की अविरल श्रृंखला को निरंतर आगे बढ़ाया, जिसमें उन्होंने सभी को ज्ञानरुपी धागे में पिरोकर प्रेम एव नम्रता जैसे दिव्य गुणों से परिपूर्ण किया। इंसानियत ही मेरा धर्म है इस कथन को चरितार्थ करते हुए संत निरंकारी मिशन की शिक्षा को छोटे छोटे कस्बों से लेकर दूर देशों तक बाबा जी ने विस्तृत किया। उन्होंने सदैव यही समझाया कि भक्ति की धारा जीवन में निरंतर बहती रहनी चाहिए।

         बाबा हरदेव सिंह जी को मानव मात्र की सेवाओं में अपना उत्कृष्ट योगदान देने के लिए देश विदेश में सम्मानित भी किया गया। उन्हें 27यूरोपीय देशों की पार्लियामेंट ने विशेष तौर पर सम्मानित किया और मिशन को सयुक्त राष्ट्र यूएन का मुख्य सलाहकार भी बनाया गया। साथ ही विश्व में शांति स्थापित करने हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया।

          सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज बाबा हरदेव सिंह की सिखलाइयो का जिक्र करते हुए कहती है की बाबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन ही मानव मात्र की सेवा में अर्पित कर दिया। मिशन का 36 वर्षो तक नेतृत्व करते हुए उन्होंने प्रत्येक भक्त को मानवता का पाठ पढ़ाकर उनका कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। सतगुरु माता जी अक्सर कहते है की हम अपने कर्म रूप में एक सच्चे इंसान बनकर प्रतिपल समर्पित भाव से अपना जीवन जिए यही सही मायने में बाबा जी के प्रति हमारा सबसे बड़ा समर्पण होगा, और उनके शिक्षाओं पर चलते हुए हम उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते है।

         

गुरुवार, 12 मई 2022

13 may को दुनिया को अलविदा कह गए थे बाबा

ऐसे थे निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह

नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा चाहते थे बाबा



Aman 

Varanasi (dil India live)।नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा हो, लोग एक दूसरे से प्यार करें, अहिंसा का अंत हो। यह मिशन था संत निरंकारी मिशन प्रमुख बाबा हरदेव सिंह महाराज का। वो निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख थे। इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में पिता गुरबचन सिंह (बाबा जी) व माता कुलवंत कौर (राज माता) के यहां हुआ। इनका विवाह सविंदर कौर (सतगुरु माता) के साथ हुआ। बचपन से ही ये माता-पिता के साथ देश-विदेश की आध्यात्मिक यात्राएं किया करते थे।

24 अप्रैल, 1980 को बाबा गुरबचन सिंह के बलिदान के बाद इन्होंने मिशन की बागडोर संभाली और अपने पहले प्रवचनों में ही संगतों को नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारे की भावना को फैलाने के लिए यत्न करने को कहा। युवाओं को अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित करने के लिए इन्होंने रक्तदान शिविरों की शुरूआत की और नारा दिया ‘खून नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए।’ 24 अप्रैल 1986 से लगातार हर वर्ष देश-विदेश में रक्तदान शिविर लगने लगे जो आज भी जारी हैं और निरंकारी मिशन के नाम पर रक्तदान का वल्र्ड रिकार्ड बना। इन्होंने जात-पात, नशों के सेवन और दाज दहेज के नाम पर समाज में व्याप्त बुराइयों को अपने उपदेशों द्वारा मानव जीवन से निकालने का भरपूर प्रयास किया।

इन्होंने 36 वर्ष तक मिशन का नेतृत्व किया और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिए अपने अनुयाइयों को वृक्षारोपण करने का आदेश दिया। इनके जन्म दिवस पर इनके अनुयायी सड़कों, सरकारी अस्पतालों, स्कूलों, रेलवे स्टेशनों आदि पर बड़े स्तर पर सफाई करते तथा वृक्ष भी लगाते हैं। इसके साथ ही मिशन द्वारा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के आने पर राहत कार्य भी किए जाते हैं। इन्होंने अपना सारा जीवन मानवता की भलाई में काम करते हुए विश्व में अमन, चैन, शांति व भाइचारे की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया।

13 मई को दुर्घटना में हुआ था निधन

13 मई 2016 की सुबह बाबा हरदेव सिंह महाराज पंचतत्व शरीर को छोड़ कर बिछोड़ा दे गए। उनका निधन एक दुर्घटना में हुआ था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 13 मई को विश्व भर में मिशन के श्रद्धालुओं द्वारा समर्पण दिवस के तौर पर मना कर उनकी सराहनीय देन को याद किया जाएगा।

मानव सेवा ही मिशन

बाबा के देवलोग गमन के बाद सतगुरु माता सुदीक्षा मानवता की सेवा में जुटी हैं। समूचे विश्व में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाऊन जब लगा था, उस कठिन समय में माता सुदीक्षा के आदेश पर निरंकारी मिशन के सभी भक्त पूरे भारत में जरूरतमंदों की मदद को आगे आए थे।


माता सुदीक्षा ने पंजाब के निरंकारी भवनों को शेल्टर होम्स के रूप में उपयोग करने की पेशकश की थी। इसके अलावा पूरे विश्व में निरंकारी मिशन के स्वयं सेवकों द्वारा लॉकडाऊन के दौरान प्रशासन के दिशनिर्देशों के तहत जरूरतमंदों को राशन, लंगर, मास्क, सैनीटाइजर, दस्ताने, पी.पी. ई किट्स व हैड शील्ड किट्स आदि दान किया गया था।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...