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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

Medical news:विशेष टीकाकरण अभियान में 30,424 बच्चों को लगा टीका

टीकाकरण का 24 फरवरी तक चलेगा दूसरा चरण

प्रथम चरण में टीकाकरण से आच्छादित हुए 73 प्रतिशत बच्चे




Varanasi (dil india live). जनपद में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए 13 फरवरी से शुरू हुआ विशेष टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण 24 फरवरी तक चलेगा। अभियान के तहत अब तक 30,424 बच्चों को प्रतिरक्षित किया जा चुका है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि पहला चरण 9 से 20 जनवरी तक चला था जिसमें लक्षित 28,388 बच्चों के सापेक्ष 73 प्रतिशत बच्चों को आच्छादित किया जा चुका है। दूसरे चरण का उद्देश्य शत-प्रतिशत बच्चों को नियमित टीकाकरण से आच्छादित करना है। सीएमओ ने अपील की है कि बच्चों को उम्र के अनुसार सभी टीके समय से जरूर लगवाएँ। टीकाकरण से ही बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाया जा सकता है। सभी टीके पूरी तरह से सुरक्षित है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के सहयोग से जनपद में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह अभियान तीन चरणों में चलेगा जिसका प्रथम चरण 9 से 20 जनवरी तक चलाया गया। दूसरा चरण 13 फरवरी से शुरू होकर 24 फरवरी तक चलेगा। अभियान का तीसरा और आखिरी चरण 13 मार्च से 24 मार्च तक चलेगा। उन्होंने बताया कि नियमित टीकाकरण को लेकर समुदाय में फैली भ्रांतियों को दूर करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है और टीकाकरण के प्रति उदासीन परिवार को जागरूक कर उनके बच्चों को टीका लगाया जा रहा है।    

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (टीकाकरण प्रभारी) डॉ एके पाण्डेय ने बताया कि बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है। शिशु के जन्म पर बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी, ओपीवी, छठे हफ्ते पर बीओपीवी-1, पेंटावेलेंट-1, एफ़आई पीवी-1, रोटा-1, पीसीवी-1, 10वें सप्ताह पर बीओपीवी-2, पेंटावेलेंट-2 और रोटा-2, 14वें सप्ताह पर बीओपीवी-3, पेंटावालेंट-3, एफ़आईपीवी-2, रोटा-3 और पीसीवी-2, नौ से 12वें माह पर एमआर-1, पीसीवी बूस्टर, एफ़आईपीवी-3 व विटामिन-ए की पहला खुराक, इसके बाद 16 से 24 माह पर एमआर-2, डीपीटी बूस्टर 1, बीओपीवी बूस्टर और विटामिन-ए की दूसरी खुराक, 5 से 6 वर्ष पर डीपीटी बूस्टर 2 और 10 व 16 वर्ष पर टीडी का टीका लगता है। 

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ यतीश भुवन पाठक ने बताया कि बच्चों के जन्म से पांच वर्ष की आयु तक सात बार नियमित टीकाकरण आवश्यक है । यह टीके 11 विभिन्न गंभीर बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। अगर किसी बच्चे का टीकाकरण छूट गया है तो उसके अभिभावक आशा कार्यकर्ता और एएनएम से सम्पर्क कर छूटा हुआ टीका लगवा सकते हैं । इसी उद्देश्य विशेष टीकाकरण अभियान चल रहा है ।

गुरुवार, 10 नवंबर 2022

COVID में माता-पिता को खोने वाले बच्चों का CDO ने जाना हाल

बच्चों से बोले CDO: समस्या होने पर कभी भी कर सकते है कॉल

Varanasi (dil india live). मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने कोरोना काल में माता-पिता दोनों को खो देने वाले बच्चों  से गुरुवार को  विकास भवन सभागार में मुलाकात कर उनका हाल जाना। ये सभी बच्चे पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन  स्कीम के तहत लाभान्वित हो रहे हैं। इस दौरान जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे, बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी नम्रता श्रीवास्तव, मंडलीय बाल संरक्षण सलाहकार रिजवाना परवीन, राजकुमार तथा विजय उपस्थित रहे।

जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर शरण पांडे ने  मुख्य विकास अधिकारी को अवगत कराया कि जनपद में पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन योजना के तहत कुल 8 बच्चे लाभान्वित किए जा रहे, सभी बच्चों के खाते में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दस लाख  रुपए जमा हुए हैं। जोकि उन्हें 23 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात मिलेंगे तथा 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने पर बच्चों को स्टाइपेंड मिलना शुरू हो जाएगा। जनपद के दो बच्चे जिन्होंने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर लिया है उनको 5500 रुपए प्रतिमाह मिलना शुरू हो गया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार द्वारा कक्षा 12 तक की शिक्षा प्राप्त कर रहे सभी बच्चों को ₹20000 वार्षिक धनराशि उनके खाते में भेजी जा रही है। जिससे वह अपने लिए यूनिफॉर्म ,जूते ,बैग इत्यादि क्रय कर सकें।भारत सरकार से सभी बच्चो  को आयुष्मान हेल्थ कार्ड प्राप्त हुआ है जिससे वे 5 लाख तक का इलाज करा सकते हैं,साथ ही  उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत कक्षा 12 तक की शिक्षा प्राप्त कर रहे 6 बच्चो को 4000 प्रतिमाह की धनराशि उनकी शिक्षा हेतु  भेजी जा रही हैं दो बच्चे जिन्होंने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है उन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना सामान्य के तहत 2500 रूपए प्रतिमाह से लाभान्वित किया जा रहा है। 5 बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत लैपटॉप दिया गया है। राजस्व विभाग द्वारा अहेतुक सहायता 6 बच्चो को 50000 तथा 2 बच्चो को 1 लाख रुपए की धनराशि उनके खाते में भेजी गई है।

मुख्य विकास अधिकारी ने सभी बच्चो से  बात किया । उन्होंने उनकी रुचि ,स्वास्थ्य परिवार के बारे में जाना, बच्चो के पैतृक संपत्ति में उनका नामांतरण करवाने हेतु संबंधित विभाग को पत्र प्रेषित करने, सुरक्षा के दृष्टिगत संबंधित थाने तथा चिकित्सा संबंधी आकस्मिक आवश्यकता हेतु नजदीकी  स्वास्थ्य केंद्र को पत्र प्रेषित करने हेतु निर्देशित किया गया।इसके साथ ही अगर बच्चो को  किसी प्रकार की कोई समस्या होने पर  स्वयं का व्यक्तिगत नंबर  भी उपलब्ध कराया गया  और  आश्वासन दिया गया कि अगर उन्हें किसी भी प्रकार की कोई समस्या होती है तो कभी भी उनके व्यक्तिगत नंबर पर बात कर सकते हैं।  मुख्य विकास अधिकारी ने एक अभिभावक की भूमिका निभाते हुए सभी बच्चों को प्रत्येक माह  के द्वितीय शनिवार को अपने घर पर  साथ में लंच करने के लिए आमंत्रित किया।

शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

treatment : बारिश के मौसम में रहें सतर्क,बच्चों की करें खास देखभाल

मच्छरदानी का करें प्रयोग,घर के पास रखें साफ–सफाई 

उल्टी-दस्त से बचाव के लिए पिलाएं साफ पानी व ओआरएस

बुखार होने पर डॉक्टर के उचित परामर्शानुसार दवा खिलायें


Varanasi (dil india live). बारिश के मौसम में बच्चों की परवरिश पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह बीमार पड़ सकते हैं। इस मौसम में बच्चों को तीन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, पहला- सर्दी, खांसी, जुकाम एवं बुखार, दूसरा- उल्टी दस्त और बुखार तथा तीसरा- डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया तथा मच्छरजनित रोग। यह कहना है कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एस.पी. सिंह का। 

          उन्होंने बताया कि सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार से बचाव के लिए बच्चों को बारिश के पानी से दूर रखें। अक्सर बच्चे बारिश में भीग जाते हैं जिससे ये बीमारियाँ पैदा होती हैं। उल्टी तथा दस्त से बचाव के लिए उन्होने बताया कि साफ पीने के पानी का प्रयोग करें तथा घर का बना हुआ ताजा खाना खिलायें, बासी खाना खिलाने से परहेज करें। बच्चे को बाजार की कोई भी खुली हुई चीज बिलकुल न खिलायें। छोटे बच्चे पर विशेष ध्यान देना है कि वह जमीन पर गिरी हुई कोई भी खाद्य सामग्री उठाकर न खाएं तथा बच्चों को खेलने के लिए ऐसे खिलौने दें, जो धुलकर साफ किया जा सके। 

मच्छरों से बचाएं 

डॉ एस.पी. सिंह ने बताया कि घर के आस-पास साफ–सफाई रखें तथा कहीं भी (कूलर, छत पर पड़े टायर, गमले, नारियल के खोल, टीन के डिब्बों आदि में) पानी न इकट्ठा होने दें, जिससे उसमें लार्वा न पनप सकें। बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएँ एवं कमरे में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छर से बचने के लिए अन्य साधनों का भी उपयोग कर सकते हैं।   

उल्टी-दस्त से करें बचाव

 डॉ सिंह ने कहा कि घर में ओआरएस का पैकेट जरूर रखें, जिससे उल्टी-दस्त होने पर बच्चों को डिहाइड्रेशन से बचाया जा सके। उल्टी होने पर ओआरएस का घोल या अन्य पेय पदार्थ जैसे दाल का पानी, पतली दलिया तथा मांड थोड़ी-थोड़ी मात्रा में जल्दी-जल्दी देना सुनिश्चित करें, यदि बच्चा उल्टी करता भी है तो थोड़ा-थोड़ा ओआरएस का घोल तथा पेय पदार्थ देते रहें। ओआरएस के पैकेट दो तरह के होते हैं -  छोटा पैकेट 200 मिलीलीटर (एक गिलास) पानी में घोलना होता है तथा बड़ा पैकेट एक लीटर पानी में घोलना होता है। घोल बनाते समय, सही संयोजन आवश्यक है अन्यथा यह हानिकारक भी हो सकता है।   

विशेषज्ञ-चिकित्सक से लें सलाह

डॉ सिंह ने कहा कि बच्चे को बुखार होने पर डॉक्टर की उचित परामर्श के अनुसार दवा खिलायें। यदि घर में बुखार की दवा न हो तो बुखार आने पर सूती गीले कपड़े से शरीर को पोंछना, बुखार उतारने का एक उपयोगी तरीका है। कुछ बच्चों को बुखार आने पर कभी-कभी हल्का मिर्गी की तरह का दौरा पड  सकता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को सुविधानुसार करवट पर लिटा दें और उसकी गर्दन को सीधा रखें। बुखार उतारने के लिए भीगे कपड़े से शरीर को पोंछे और चिकित्सक से उचित परामर्श लें। 

अगर ठंड देकर बुखार आ रहा है मलेरिया हो सकता है, तो खून की जांच करायें तथा यथाशीघ्र इलाज करना सुनिश्चित करें। डेंगू बुखार में कुछ बच्चों की प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं, ऐसे में प्लेटलेट्स की जल्दी-जल्दी जांच कराना जरूरी होता है। जनपद के कबीरचौरा स्थित एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय में प्लेटलेट्स चढ़ाने की व्यवस्था है।

सोमवार, 1 अगस्त 2022

School: पुस्तक पाकर बच्चे हुए प्रसन्न


Varanasi (dil india live)। चिरईगांव विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय गौराकलां में निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण का आयोजन इंचार्ज प्रिंसिपल वन्दना पाण्डेय के नेतृत्व में किया गया। इस अवसर पर प्रबंध समिति की अध्यक्ष अनीता देवी ने छात्र एवं छात्राओं को निःशुल्क पुस्तक वितरण किया।

       आयोजन में" अटेवा " पेंशन बचाओ मंच के जिला उपाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष बच्चों तक निःशुल्क पुस्तक वितरित की जा रही है ताकि उनका भविष्य अंधकार मय न हो, छात्र एवं छात्राएं निःशुल्क पुस्तक पाकर बड़े ही प्रसन्न हुए। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति की अध्यक्ष श्रीमती अनीता देवी ने कहा कि सरकार की ओर से सरकारी स्कूल में कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं बच्चों को निशुल्क पुस्तकें, निशुल्क ड्रेस, निशुल्क बैग, निशुल्क जूता व मोजा और एमडीएम की व्यवस्था की गई है, सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में प्रवेश कराएं, सरकारी स्कूल में प्रशिक्षित शिक्षकों के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।

इंचार्ज प्रधानाध्यापिका वन्दना पाण्डेय ने कहा कि अपने बच्चों को घरों पर भी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। डी बी टी के माध्यम से अभिभावक के खाता में सरकार की ओर से बच्चों के लिए ड्रेस बैग जूता मोज़ा कॉपी स्टेशनरी के लिए पैसा भेजा जा रहा है। आपलोग उसका सदुपयोग करें और साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। इस अवसर पर वंदना पांडे, एहतेशामूल हक, सादिया तबस्सुम, अनीता सिंह, प्रमिला सिंह, त्रिलोकी प्रसाद गुप्त, रीता, सोनी, आशा इत्यादि थीं।

शनिवार, 2 जुलाई 2022

बच्चों को दी स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक

भद्रासी आयुष चिकित्सालय में स्वर्णप्राशन शिविर आयोजित

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अभियान

Varanasi (dil india live) . बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद विभाग अभियान चला रहा है। इसके तहत शनिवार को भद्रासी स्थित एकीकृत आयुर्वेद अस्पताल में स्वर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 216 बच्चों को स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक दी गयी।

शिविर का उद्घाटन राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डा. शशि सिंह ने एक बच्चे को स्वर्णप्राशन की खुराक देकर किया। क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डा. भावना द्विवेदी ने बताया कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से चलाये जा रहे अभियान के तहत हर माह स्वर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया जाता है। शिविर में बच्चों को स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक दी जाती है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद से जुड़े हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन तैयार किया था जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है। इसे शुद्ध स्वर्णभस्म के निश्चित अनुपात में गाय के घी व शहद के साथ ड्रॉप के रूप में तैयार किया जाता है। स्वर्णप्रशान बच्चों के लिए बेहद ही लाभदायक होता है। यह उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार होता है।  इस बात को ध्यान में रखकर ही विभाग की ओर से आज इस शिविर का आयोजन किया गया था ताकि क्षेत्र के अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकें।  शिविर में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. नरेन्द्र कुमार सिंह, डा. जितेन्द्र कुमार पाल, डा. सनातन राय, डा. आनंद कुमार यादव, डा. देवानंद पाण्डेय समेत अन्य चिकित्सक मौजूद थे। शिविर में अपने सात वर्षीय बेटे पंकज का स्वर्णप्रशन कराने आये गोविन्दपुर निवासी संतोष शर्मा ने बताया कि लगातार तीसरे माह उन्होंने बेटे का स्वर्णप्राशन कराया है। इससे उसे काफी लाभ है।

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

एचआईवी नहीं रहा अब मातृत्व के लिए अभिशापएड्सदिवस


तीन वर्ष में 50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म


गर्भवती का समय पर हो उपचार तो संक्रमण से बच सकता है गर्भस्थ शिशु


इस वर्ष की थीम है “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें”

वाराणसी01दिसंबर(dil india live)। विमला (परिवर्तित नाम) जब पहली बार गर्भवती हुई तो उन्होने अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान खून की जांच करायी तो उन्हें एचआईवी पॉजीटिव होने का पता लगा। डाक्टर ने जब इस बारे में उसे बताया तो ऐसा लगा कि उसपर जैसे वज्रपात हो गया हो। लगा जैसे मां बनने की सारी खुशियां किसी ने पलभर में छीन ली हों। पेट में पल रहे दो माह के बच्चे, लम्बी जिंदगी के साथ ही घर-गृहस्थी और समाज की चिंता भी उसे सताने लगी। तब उसके हौसले और एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर से मिले चिकित्सीय सलाह ने उसे एक नई जिंदगी दी। समय से शुरू हुए उपचार का नतीजा रहा कि एचआइवी पाजीटिव होते हुए भी उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अब वह एक खुशहाल जिंदगी जी रही है। यह कहानी सिर्फ विमला की ही नहीं है पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर में उपचार कराकर एचआईवी संक्रमित 50 महिलाएं तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दे चुकी हैं।

प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला एचआईवी/एड्स अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी/एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी/एड्स मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें” निर्धारित की गयी है। 

डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है। बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए। गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है। 

150 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म 

एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि वर्ष  2019 में 18,  2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर में दावा लेने आई सुनीता (35 वर्ष) ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है। तब माँ बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की माँ है। 

उपचार के साथ ही सलाह भी 

एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती का विशेष ख्याल रखा जाता है। साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दियजाता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है। समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है। 

क्या है एचआईवी वायरस डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस स्थिति को एड्स कहते हैं। उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है। अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है

एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण     

- लगातार वजन का घटना        


- लगातार दस्त होना        


- लगातार बुखार होना        


- शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना       


- मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...