छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए अनुभवात्मक प्रशिक्षण
Varanasi (dil India live)। वसन्त कन्या महाविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग द्वारा शहर के विभिन्न महाविद्यालयों की छात्राओं के सृजनात्मक कौशल विकास के लिए द्विदिवसीय अनुभवात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत स्टेन्सिल छपाई और टाई एण्ड डाई का प्रशिक्षण दिया गया। 7 महाविद्यालयों (धीरेन्द्र महिला महाविद्यालय, राजकीय महाविद्यालय, बी.एल.डब्लू, धनष्यामदास पी.जी कालेज, आर्य महिला पी.जी. कालेज, वसंता कॉलेज फॉर वुमेन तथा शीएट) की 163 छात्राओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि अतुल शर्मा, आफिस इंचार्ज निट्रा ने छात्राओं की सराहना करते हुए महाविद्यालय को स्किल ओरिएन्टेड वर्कशाप के लिए बधाई दी। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने आज के समय में वोकेशनल शिक्षा पद्यति के महत्व को इंगित करते हुए बताया कि यह छात्राओं को व्यवसायिक कौशल प्रदान करती है और उन्हें अपने चुने हुए क्षेत्र में सफल होने के लिए तैयार करती है। विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता देवडिया ने कहा कि व्यवसायिक प्रशिक्षण आज के दौर की माँग है और यदि छात्राओं को इसमें दक्ष बना दिया जाय तो घर बैठे ही कला का उपयोग करके विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों से आसानी से आर्थिक उपार्जन किया जा सकता है। डॉ. सुनिता दीक्षित ने बताया की कला के गुर सीखने के बाद छात्राएं यदि आधुनिकता का समागम कर लें तो कौशल को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।
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कौशल प्रशिक्षण छात्राओं को वह अवसर प्रदान करती है। जिससे वे अपने परिवार के साथ रहते हुए आर्थिक उपार्जन के अवसर चुन सकती है। गृह विज्ञान विभाग की कई पुरा छात्राएं आज अपने व्यवसाय स्थापित करके नये मुकाम हासिल कर चुकी हैं। इस बार विभाग ने शहर के अन्य महाविद्यालयों को भी कौशल प्रशिक्षण के इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास किया है ताकि समाज में छात्राएं एक कुशल व्यवसायी बन सकें।
कार्यशाला में शेख सईदा सालेहा, अधीरा अमूल्या, श्वेता राठौर और काजल वर्मा ने प्रशिक्षुओं को स्टेंसिल छपाई और टाई एण्ड डाई की विभिन्न तकनीकों का प्रषिक्षण दिया तथा आधुनिकता के साथ कैसे इन कलाओं का सम्मिश्रण किया जा सकता है यह भी बताया। ये चारो प्रशिक्षक इसी महाविद्यालय की पुरा छात्राएं तथा अपने-अपने क्षेत्र में स्थापित व्यवसायी हैं। महाविद्यालय का यह प्रयास रहता है कि अपने पुरा छात्राओं के साथ सम्बन्ध सदैव सजीव रहे जिससे हम परस्पर उन्नति करते रहे। इस कार्यशाला में प्रो. गरिमा उपाध्याय, डॉ. अंशु शुक्ला, योगिता विश्वकर्मा, पद्मा के साथ वर्तमान छात्राओं का सहयोग रहा।