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मंगलवार, 19 सितंबर 2023

Jain Dharam का पर्वाधिराज 'पर्युषण' शुरू

सबसे पहले जो क्षमा करता है, वो सबसे शक्तिशाली 

  • जिसके पास क्षमा रूपी तलवार है उसका दुर्जन कुछ नहीं कर सकते




Varanasi (dil India live).19.09.2023. भारतीय संस्कृति के पर्वो में जैन धर्म के पर्युषण (दशलक्षण) महापर्व का विशेष महत्व है. श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में आयोजित 14 दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलवार 19 सितंबर को प्रातः से ही नगर के जैन मन्दिरो भेलूपुर, सारनाथ, मैदागिन, खोजंवा, नरिया, ग्वाल दास साहू लेन, चन्द्रपुरी, भदैनी में दशलक्षण पूजन-एवं विविध धार्मिक आयोजन के साथ शुरू हुआ. जैन धर्मावलम्बीयो के लिए यह बहुत ही कठिन आत्मा की आराधना का पर्व है. इन दिनों सभी छोटे बडे व्रत- उपवास, संयम, सामायिक, जप, स्वाध्याय में तल्लीन रहते है. मंगलवार को सभी जैन मंदिरो में तीर्थंकरो का अभिषेक-पूजन प्रक्षाल के साथ पूजन प्रारंभ हुई. भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलूपुर में प्रातः विधानाचार्य डा:पं: अशोक जैन के निर्देशन में संगीतमय दशलक्षण विधान का शुभारंभ हुआ-वही ग्वाल दास लेन स्थित मन्दिर में भी 10 दिवसीय विधान का विधि-विधान से शुभारंभ हुआ.

सायंकाल भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जन्म स्थली पर शास्त्र प्रवचन प्रोः फूल चन्द्र प्रेमी ने दशलक्षण पर्व के प्रथम अध्याय "उत्तम क्षमा धर्म " का अर्थ सहित व्याख्यान करते हुए कहा कि जिसके पास क्षमा रूपी तलवार है उसका दुर्जन भी कुछ नहीं कर सकते. जिस दिन आपके जीवन में क्षमा का आगमन होगा उस दिन आपका जीवन 'पार्श्वनाथ 'के समान हो जायेगा. उन्होंने कहां-जो  पहले क्षमा मांगता है वह सबसे ज्यादा बहादुर है और जो सबसे पहले क्षमा करता है वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली है. 

खोजंवा स्थित जैन मन्दिर में शास्त्र प्रवचन करते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां की जीवन की मिठास का स्वाद लेने के लिए आपके पास अतीत को भूलने की और  दूसरो को क्षमा करने की शक्ति होना चाहिए. 

आत्मविश्वास, आत्म ज्ञान और आत्मसंयम केवल यही तीनों जीवन को परम शक्ति सम्पन्न बना देते है. उन्होंने कहां की समस्त बुराईयो को पी जाने की क्षमता प्रगट होना ही क्षमा धर्म है. क्षमा वही कर सकता है जिसके अंदर निर्मल ज्ञान का सागर है और वह तप तपस्या से ही संभव है. सायंकाल जैन मंदिरो में शास्त्र प्रवचन, जिनवाणी पूजन, तीर्थंकरो, क्षेत्रपाल बाबा, देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की गई. आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, अजीत जैन, विनोद जैन चांदी वाले, सौरभ जैन उपस्थित थे.

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

Jain dharam news:जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन-पूजन

जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म 

पर्युषण पर्व का नौवां दिन-अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार को




Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में गुरुवार को प्रातः जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन एवं पूजन किया गया। पर्व के नौवें दिन मंदिरो मे रत्नत्रय स्थापना, नन्दीशवर दीप पूजन, दशलक्षण बिधान पूजन, सोलह कारण व्रत पूजन, स्वयंभू स्त्रोत पूजा प्रारंभ हुई। 

प्रातः भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर मे ब्रह्मचारी आकाश जैन जी के कुशल निर्देशन में संगीतमय क्षमावाणी महामंडल विधान मे भक्तो ने बढ चढ कर हिस्सा लेकर पूरी श्रद्धा के साथ भाग लिया। गुरुवार को जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर की जन्म स्थली चन्द्रवती, चौबेपुर भगवान के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक भूमि मे चन्द्रप्रभु स्वामी का प्रक्षाल पूजन किया गया। 

पर्युषण पर्व के नौवे अध्याय "उत्तम आकिंचन धर्म "पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे सायंकाल पं सुरेंद्र शास्त्री ने व्याख्यान देते हुए कहा-आकिंचन का अर्थ है-मेरा कुछ भी, किंचित भी नहीं है। 'मै का अर्थ है-आत्मा और मेरा अर्थात आत्मा का क्या?कुछ भी तो नहीं ।

आत्मा तो शरीर को छोड़कर चली जाती है ।शरीर ही जब मेरा नहीं है, तो कुछ मेरा कैसे हो सकता है। यदि आप उत्तम आकिंचन धर्म अपनाना चाहते है, तो धन के लिए धर्म को नहीं ,धर्म के लिए धन को छोडना प्रारंभ कर दो। बाहरी परिग्रह को त्याग कर आत्म-स्वभाव में रमण करना सीख जाओ। सभी का कल्याण हो, सभी धर्म मार्ग पर चलना सीख जाए। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां आकिंचन धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है  किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग परिग्रह न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म। 

सायंकाल सभी जैन मंदिरो मे-भजन, जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, तीर्थंकरो की आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। 

आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, अजित जैन, राज कुमार बागडा उपस्थित थे। 

बुधवार, 7 सितंबर 2022

Jain news: जीवन का उद्धार संग्रह से नही त्याग से

पर्युषण पर्व का अष्टम दिन- रत्नत्रय व्रत पूजा प्रारंभ 



Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व पर बुधवार को सुबह सभी जैन मंदिरो में तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई ।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर सोलह कारण के 32/16 उपवास, दशलक्षण व्रत के 10 उपवास, अठाई के 8 उपवास, रत्नत्रय के 3 उपवास, एकासन एवं किसी भी प्रकार से त्याग-तपस्या कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वियों के उत्कृष्ट साधना के लिए जैन समाज ने कृत कारित अनुमोदना की। यह पर्युषण पर्व सबके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें, ऐसी मंगल कामना की गई। 

बुधवार को जैन मंदिरो में रत्नत्रय व्रत पूजा, भगवनतो की पूजा, अरिहंतो की पूजा एवं अभिषेक व क्षमावाणी महामंडल विधान पूरी भक्ति के साथ संगीतमय वातावरण मे मंत्रोच्चार के साथ किया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है इस दौरान श्रावक भक्तो के मन मे सहज ही त्याग- तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है। 

बुधवार को प्रातः भदैनी स्थित भगवान सुपारस नाथ जी की जन्म स्थली (जैन घाट) मे तीर्थंकर का प्रक्षाल पूजन किया गया। थोडा सा त्याग वीजारोपण की तरह हमेशा करते रहना चाहिए, जिससे भविष्य में पुण्य की फसल लहलहायेगी। उक्त बाते खोजंवा स्थित जैन मंदिर मे पर्व के आठवे दिन "उत्तम त्याग धर्म " पर व्याख्यान देते हुए-डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां- उन्होंने कहा जो समस्त द्रव्यो में मोह छोड़कर संसार शरीर और भोगो से विरक्त होता है, वही सच्चा त्याग धर्म है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर मे व्याख्यान देते हुए प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- समस्त संसार में उत्तम त्याग धर्म श्रेष्ठ कहा गया है। औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, आहार दान-ये तो व्यवहार त्याग के रूप में है। राग और द्वेष का निवारण करना (त्यागना) निश्चय त्याग है। बुद्धिमान लोग दोनों दान (व्यवहार और निश्चय) करते है, दिगम्बर जैन साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते है। 

जिस प्रकार मेघा जल का त्याग, नदी स्वयं का जल नही पीती, पेड़ स्वयं फल नही खाते। इसी प्रकार अधिक धन या वस्तु का संग्रह नही करना चाहिए त्यागने से ही मन एवं चित्त प्रसन्न रहता है। 

सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, प्रतियोगिताए, धर्म पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। 

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, संजय जैन, अरूण जैन, जय कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, सौरभ जैन उपस्थित रहे। 

मंगलवार, 6 सितंबर 2022

Jain dharam news:तप के बिना आत्म शुद्धि नही

पर्युषण पर्व का सातंवा दिन- उत्तम तप धर्म 


Varanasi (dil india live)। दशलक्षण ( पर्युषण पर्व) जैन संस्कृति का महान, पवित्र, आध्यात्मिक पर्व है। आत्मशोधन, पर्यालोचन और आत्म निरिक्षण करके अपने अतित के परित्याग करने में ही इस पर्व की सार्थकता है। मंगलवार को प्रातः से नगर की सभी जैन मंदिरो में पूजन-अर्चन पाठ प्रारंभ हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चन्द्रपुरी चौबेपुर स्थित गंगा किनारे भगवान चन्दा प्रभु का प्रातः सविधि पूजन एवं अभिषेक किया गया। भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर में भगवान पार्श्वनाथ जी का अभिषेक पूजन किया गया। साथ में चल रहे दस दिवसीय क्षमावाणी महामंडल विधान में काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष जोड़ों ने हिस्सा लेकर संस्कृत के श्लोक पढकर श्री जी भगवान को श्री फल अर्पित कर धर्म में सराबोर रहे। वही- सारनाथ, नरिया, खोजंवा, मैदागिन, हाथीबाजार, भदैनी,एवं ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिरों में पूजन- पाठ अभिषेक व शांति धारा की गई। 

मंगलवार की सायंकाल ग्वालदास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में पर्व के सातंवे अध्याय " उत्तम तप धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- तप के बिना आत्म शुद्धि भी नहीं हो सकती। आत्मा को स्वर्ण बनाना है तो इसे तपना पड़ेगा। तप से ही परमार्थीक लक्ष्य प्राप्त हो सकता है। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में व्याख्यान देते हुए- डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - मात्र देह की क्रिया का नाम तप नहीं है अपितु आत्मा में उत्तरोत्तर लीनता ही वास्तविक 'निश्चय तप है। जिस प्रकार अग्नि के माध्यम से पाषाण में से स्वर्ण पृथक किया जाता है वैसे ही हम तप रूपी अग्नि के माध्यम से शरीर से आत्मा को पृथक कर सकते है। 

सायंकाल जैन मंदिरो में जिनवाणी स्तुति, ग्रन्थ पूजन, तीर्थंकर पार्श्वनाथ, क्षेत्रपाल बाबा एवं देवी पद्मावती जी की सामूहिक आरती की ग ई।  

आयोजन मे प्रमुख रूप से श्री दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, ध्रुव कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, विजय जैन उपस्थित थे। 

सोमवार, 5 सितंबर 2022

Jain dharam : पर्युषण पर्व का छठवा दिन

उत्तम सयमं पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता...

जैन मन्दिरो में सुगन्ध दशमी आस्थापूर्वक मनाई गई



Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में सोमवार को जैन मंदिरो में पर्व के छठवे दिन भक्तो ने श्रीफल, चंदन, अक्षत, पुष्प चढाकर तीर्थंकरो का प्रक्षालन किया। सुगन्ध दशमी पर्व पर धूप चढ़ाकर चौबीसी पूजन एवं शान्ति धारा की। 
भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलूपुर में चल रहे दस लक्षण महामंडल विधान के छठवें दिन प्रातः भक्ति संगीत के साथ माढ़ने पर श्रीफल अर्पित किया। 

सोमवार को नगर की सभी जैन मन्दिरों में सुगन्ध दशमी पर ये धूप अनल में खेने से, कर्मो को नही जलायेगी।निज मे निज की शक्ति ज्वाला, जो राग- द्वेष नशायेगी। जय जिनेन्द्र भवतु सवव मंगलमय का पाठ किया। पर्युषण पर्व के छठवे दिन सोमवार को सायंकाल ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर मे "उत्तम संयम धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पंडित सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- उत्तम संयम पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता। मन चंचल है, गलत दिशा में जल्द प्रवृत्त होता है। इन्द्रियां यानी स्पर्श न, जीभ, नाक, आंखे और कान अपने मन को गलत विषयो में लगा देते है। मन को सही दिशा में रखने के लिए संयम रूपी ब्रेक रखना जरुरी है। संयम, नियम, मर्यादा, अनुशासन से जीवन महान बनता है और लक्ष्य हासिल होता है। अतः संयम रत्न की भांति संभाल कर रखना चाहिए। उत्तम संयम धर्म हमें आज यही सन्देश देता है। 

खोजवां स्थित जैन मंदिर में डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- संयम के बिना मोक्ष मार्ग पाना कठिन है।  हिंसा आदि पापो से अगर बचना है तो, संयम का सहारा लेना ही पड़गा। बिना संयम के ये जीवन अधूरा है। सम्यक प्रकार के विकृत संस्कारो को मिटा देना मन और संस्कारो को स्वस्थ रखकर इन्द्रियों को शांत रखकर अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे। अपने क्रोध का त्याग कर पांचो इन्द्रियो के विषय को जीत कर संयम धर्म अपनाया जा सकता है। 

सायंकाल जैन मन्दिरो में तीर्थस्थलीयो पर प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिनवाणी पूजन एवं तीर्थंकरों की महाआरती की गई। आयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, ललित पोद्दार, आलोक जैन, कमलेश चन्द जैन, आदीश जैन, विनोद जैन आदि उपस्थित थे।

रविवार, 4 सितंबर 2022

Jain news : असत्य को उपयोग में नही लाना ही Satya Dharm

 




Varanasi (dil india live). यह पर्युषण पर्व आपके लिए सुख-समृद्धि लेकर आए। हम सभी आत्म शुद्धि और उत्थान प्राप्त करे। अपने व्यावहारिक जीवन में दस सार्वभौमिक गुणो का सफलतापूर्वक पालन करे, पर्युषण पर्व मंगलमय हो ऐसी कामना के साथ भक्तो ने कठिन उपवास रखकर मन्दिरों में पूजन-अर्चन प्रारम्भ किया। रविवार को प्रातः से ही जैन मंदिरो मे पूरे भक्ति भाव के साथ भक्तों का विभिन्न धार्मिक आयोजनो मे सम्मलित होना शुरु हुआ। 

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में रविवार को पुष्पदतं भगवान के मोक्ष कल्याण के अवसर पर उनका जहां अभिषेक पूजन किया गया वहीं खोजवां स्थित जैन मन्दिर में तीर्थंकरो का प्रक्षाल किया गया। 

भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि भेलूपुर में चल रहे 10 दिवसीय दशलक्षण विधान के पांचवे दिन संगीतमय बिधान बह्मचारी आकाश जी के निर्देशन में सम्पन्न हुआ 

विधान के माणने पर भक्तों द्वारा श्री फल चढाया गया। नृत्य, संगीत के साथ भगवान को चवर डोला कर पूरी भक्ति से सराबोर रहे भक्तगण। सायंकाल खोजवां जैन मंदिर मे पांचवे अध्याय " उत्तम सत्य धर्म " पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - सत्य बोलने का नाम सत्य व्रत नहीं है, बल्कि झूठ बोलने के त्याग का नाम सत्य व्रत है। असत्य को उपयोग में नही लाना ही सत्य धर्म है। जिसकी वाणी व जीवन मे सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, उसकी संसार से मुक्ति निश्चित है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- सत्य बोले बिना काम चल सकता है, लेकिन सत्य जाने बिना काम नही चल सकता। अपने अतरं में विद्यमान ज्ञानदं स्वभाव से उत्पन्न हुआ ज्ञान, श्रध्दान एवं वीतराग परिणति ही उत्तम धर्म है और वही मोक्ष का कारण है। 

सायंकाल जिनवाणी, ग्रन्थ, शास्त्र पूजन, भगवनतो की आरती, प्रश्नोत्तरी अनेक कार्यक्रम हुए। आयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विनय जैन, आलोक जैन, चन्दा जैन, किशोर जैन, मनोज जैन, तरूण जैन, रत्नेश जैन, प्रमिला सांवरिया, शकुन्तला जैन उपस्थित रही।

शनिवार, 3 सितंबर 2022

Jain dharam news: उत्तम शौच धर्म में प्रवेश के जानिए कौन हैं तीन द्वार

जैन मंदिरों में दान, प्रेम और करुणा पर हुई चर्चा 

  • जैन धर्म के पर्युषण पर्व का चौथा दिन 






Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे चल रहे दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को धर्मावलम्बी दस वृत्तियो का व्रत लेकर- उपवास, साधना, पूजा इत्यादि में रहकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने मे तल्लीन है। इस परवाधिराज पर्व मे सभी जैन श्रावक-श्राविकाए अत्यंत भक्ति पूर्वक जिनेन्द्र प्रभु की आराधना में लीन है।

प्रातः नरिया स्थित जैन मन्दिर में भगवान महावीर की दिव्य पद्मासन प्रतिमा का आज भक्तो ने जलाभिषेक एवं सविधि पूजन व पाठ किया तो वहीं भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि पावन तीर्थ क्षेत्र मे वृहद क्षमावाणी विधान में पूरे भक्ति संगीत भजन के साथ महिलाओं एवं पुरुषों ने पूरी भक्ति से आयोजन में भाग लेकर माढने में श्री फल अर्पित विभिन्न धार्मिक आयोजन किये।

सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पर्व के चौथे अध्याय "उत्तम शौच धर्म "पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- शौच शौच धर्म मे प्रवेश करने के तीन द्वार है- दान, प्रेम और करुणा। दान की कुंजी से ही शौच धर्म मे प्रवेश करने का ताला खोल सकते है। मन पवित्र हो तो शरीर पवित्र हो ही जाता है। ब्रह्म अशुचिता सागर के जल से भी धोओ तो भी कोई महत्व नही, भीतरी शुचिता के अभाव में। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर में प. सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- चित्त की मलीनता का मूल कारण लोभ लालच है। प्रत्येक आत्मा में निर्मल होने की शक्ति है। लोभ का आभाव ही पवित्रता है।

सायंकाल सभी जैन मन्दिरो मे जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जिनेन्द्र भगवान की आरती की गईआयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विजय कुमार जैन, निशांत जैन, आनंद जैन, तरूण जैन, डा: जे के सांवरिया उपस्थित थे।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2022

Uttama aarjav Dharm :जैन मंदिरों में हुआ पंचाभिषेक

सुख और शांति बाहर नहीं, अपने ही अंदर है :ब्रह्मचारी





Varanasi (dil india live)। छल कपट के कारण आदमी सोचता कुछ और कहता कुछ और है, करता कुछ और है। सुख और शांति कहीं बाहर नहीं, अपने ही अंदर है। सरल बनाने की कला सिखाता है "उत्तम आर्जव धर्म "।

उक्त बातें श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन शुक्रवार को भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भेलूपुर में सायं काल ब्रह्मचारी आकाश जी ने कही उन्होंने तृतीय अध्याय उत्तम आर्जव धर्म पर व्याख्यान देते हुए कहा कि आर्जव का अर्थ है भाव की शुद्धता है , जो सोचना सो कहना और जो कहना सो करना। हमेशा सरलता को अपनाकर जिंदगी को खुशहाल एवं मैत्रीपूर्ण बनाना चाहिए। आर्जव धर्म उज्जवल इता एवं सहिष्णुता की जननी है । अच्छे कर्म करते रहिए परिणाम सामने अवश्य आएगा उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व को जैन भाषा में परवा धीराज अथवा महापर्व भी कहा गया है इस कारण इस पर्व की अध्यात्म मुखी की दृष्टि है।

ग्वाल दास साहू लेने स्थित श्री दिगंबर  जैन पंचायती मंदिर में प्रातः विविध धार्मिक कृत्य प्रारंभ हुए। प्रारंभ में योग, ध्यान , सामाजिक, मंत्र जाप के साथ भगवंती का जलाभिषेक किया गया। सारनाथ स्थित 11 वे तीर्थंकर की जन्मस्थली पर शुक्रवार को भगवान श्रेयांसनाथ जी की 11 फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा का भक्तों द्वारा पूजन पाठ एवं पंचाभिषेक किया गया। नरिया, खोजवा, भदैनी, मैदागिन , चंद्रपुरी स्थित मंदिरों में भी विविध धार्मिक अनुष्ठान किए गए।

भेलूपुर एवं वलदास साहूलेन स्थित जैन मंदिरों में चल रहे 10 लक्षण विधान के तीसरे दिन भी फल अर्पित कर पूजन पाठ किया गया। सायंकाल सभी अन्य जैन मंदिरों में  भगवंतो की आरती ,शास्त्र प्रवचन ,जिनवाणी पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। 


आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन ,सौमित्र जैन ,जीवन जैन ,राजेश भूषण जैन ,रतन जैन संजय गर्ग ,पंडित अशोक जैन ,प्रोफ़ेसर कमलेश कुमार जैन आदि उपस्थित थे।

गुरुवार, 1 सितंबर 2022

Jain dharam: निर्मल स्वभाव से होते है सारे काम

पर्युषण पर्व का दूसरा दिन- उत्तम मारदव धर्म 


Varanasi (dil india live). जैन धर्म का पर्युषण पर्व क्या है- संसार के सभी जीवो में इन्सान सर्वश्रेष्ठ जीव है। उसे अपनी श्रेष्ठता बनाये रखने के लिए पर्युषण पर्व तोहफे के रूप मे मिला है। दुनिया भर के जैन लोग इन दिनों भादो मास में अपनी इन्द्रियो एवं प्राणी संयम रखते है। विशेष रूप से समस्त संसारिक क्रियाए छोड़कर त्याग, आत्मभावना, धर्म ग्रंथो का अध्ययन और सभी प्राणियो की सुख शान्ति की कामना करते है। क्षमा, मृदुता, सरलता, सत्य, संयम, तप,त्याग और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अपने मन को पवित्र व निर्मल करते है जिससे तन- मन स्वस्थ रहे।

इसी के अन्तर्गत पर्व के दूसरे दिन गुरुवार को प्रातः से श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली तीर्थ क्षेत्र भेलूपुर मे क्षमावाणी विधान किया जा रहा है जिसमें काफी संख्या में महिलाए एवं पुरुष भक्त भाग ले रहे है। प्रातः तीर्थंकर पार्श्वनाथ का प्रक्षाल एवं पूजन किया गया।

नगर के अन्य मन्दिरो मे प्रातः से श्रद्धालु भक्तो द्वारा पूजन-पाठ-अभिषेक व अन्य धार्मिक आयोजन किये जा रहे है। गुरुवार को प्रातः ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर मे भक्तो द्वारा प्रक्षाल के उपरांत दैविक आपदाओ को रोकने की कामना से वृहद शान्ति धारा की गई।

सायंकाल पर्व के दूसरे अध्याय-उत्तम मारदव पर व्याख्यान करते हुए -पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- जो अज्ञानी होता है वह मान में जीता है, जो ज्ञानी होता है वह मारदव (विनय भाव) में जीता है।

इसलिए जीवन मे पीछे देखो तो अनुभव मिलेगा। आगे देखो तो "आशा " मिलेगी। बाये-दाये देखो तो "सत्य " मिलेगा! स्वयम के अन्दर देखो तो "परमात्मा " और आत्म विश्वास मिलेगा। मारदव का अर्थ है मृदुता, कोमलता, विनम्रता, झुकना, नमस्कार करना ही धर्म है। जय जिनेन्द्र करने का धर्म है। मान का मर्दन करने वाला वीर माना जाता है, वही बाद मे हमारे सामने महावीर बनके आता है! 

सायंकाल जैन मंदिरो मे चौबीसो तीर्थंकरो की आरती, शास्त्र पूजन एवं स्तुति की गई। आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, रतनेश जैन, विनोद जैन चांदी वाले, सौरभ जैन आदि शामिल थेl

बुधवार, 31 अगस्त 2022

Jain dharam का महापर्व पर्युषण शुरू

9 सितंबर जैन मंदिरों में होंगे अनेक आयोजन

जैन घरों में 10 सितंबर से 18 सितंबर तक मनाया जाएगा खास उत्सव


Varanasi (dil india live)। भारतीय संस्कृति के पर्वों में जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व पर्युषण दसलक्षण महापर्व का आज विधिवत शुभारंभ हो गया। यह महापर्व 18 सितंबर तक आस्था के साथ मनाया जाएगा।

श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में आयोजित 18 दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत बुधवार को प्रातः बेला से ही नगर की जैन मंदिरों में भेलूपुर , सारनाथ , मैदागिन ,  खोजवा , नरिया , चंद्रपुरी एवं ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में व्रत, पूजन, अभिषेक के साथ दसलक्षण पर्व का प्रारंभ हो गया। जैन समाज के उपाध्यक्ष राजेश जैन ने बताया कि भेलूपुर स्थित मंदिर में प्रातः काल 7:45 से अभिषेक किया गया। संध्या 7:00 बजे आरती तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा। 

पंचायती मंदिर ग्वालदास साहुलेन में सामूहिक अभिषेक प्रातः  8:30 बजे हुआ। संध्या आरती रात्रि 8:00 बजे से होगी।भगवान श्रेयांसनाथ की जन्मस्थली सारनाथ में श्रेयांश वाटिका में बड़ी प्रतिमा का अभिषेक प्रातः 7:00 बजे एवं मंदिर में अभिषेक पूजन प्रातः 7:30 बजे से होगा। नरिया स्थित मंदिर जी में सामूहिक अभिषेक प्रातः 7:30 बजे से होगा । खोजवा में स्थित जैन मंदिर जी में अभिषेक पूजन प्रातः 7:00 बजे से , संध्या आरती 7:30 बजे से तत्पश्चात शास्त्र प्रवचन होगा । समस्त मंदिरों में यह कार्यक्रम 31 अगस्त से 9 सितंबर तक चलेगा। अष्टमी पूजन  रविवार ४/९/२०२२ को मनाई जाएगी , सुगंध दशमी ५/९/२०२२ सोमवार को प्रातः से समस्त जैन मंदिरों में मनाई जाएगी। 

अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर ग्वालदास साहूलेने स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जी में 9 सितंबर शुक्रवार को शाम 4:00 बजे अनंतनाथ भगवान एवं भगवान पार्श्वनाथ जी की बड़ी मूलनायक प्रतिमा जी का सामूहिक महा मस्तकाभिषेक वृहद् आयोजन होगा । १० सितम्बर शनिवार को पंचायती जैन मंदिर ग्वालदास साहुलेन में  सायंकाल भजन संध्या आयोजित है। 

 ११ सितम्बर रविवार को भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्तलि श्री दिगंबर जैन मंदिर भेलुपूर में दोपहर १ बजे से पूजन- अभिषेक , जयमाल , धार्मिक कृत्य के पश्यात सायं ५ बजे से विश्वमैत्री  क्षमावाणी का कार्यक्रम आयोजित है । १२ सितम्बर सोमवार को मैदागिन स्थित श्री बिहारी लाल दिगम्बर जैन  मंदिर में रात्रि ८ बजे से भजन संध्या जागरण आयोजित है । १३ सितम्बर से १७ सितम्बर तक भिन्न जैन मंदिरो में महिलाओं द्वारा कई धार्मिक , सांस्कृत कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। १८ सितम्बर रविवार को ग्वालदास साहुलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में प्रातः ८ बजे से सायं ५ बजे तक नमोकर महामंत्र का पाठ कर आयोजन सम्पन्न होगा।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

चांद के दीदार संग रमज़ान का हुआ आगाज़

बनारस में चांद देखने उमड़ा लोगों का हुजुम 

  • रहमतों का महीना है रमज़ान


वाराणसी २ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। इंतजार का वक्त खत्म हो गया है। रहमत, बरकत और मगफिरत के महीने रमजान का आगाज़ चांद के दीदार संग हो गया। चांद के दीदार के साथ ही मस्जिदों में नमाजे तरावीह अदा की गई। इतवार को मुस्लिम पहला रोजा रखेंगे। इससे पहले २९ वीं शाबान के चांद के दीदार के लिए लोगों का हुजूम घरों, मस्जिदों व मैदानों में उमड़ा। लोगों ने चांद के दीदार संग अमन, मिल्लत व तरक्की की जहां रब से दुआएं मांगी वहीं सभी ने रमजान मुबारक का मैसेज एक दूसरे को भेज कर बधाईयां दी। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा।

रमज़ान के पहले रोज़े की तैयारियां देर रात तक चलती रही। रमज़ान महीने को काफी खास और पाक माना जाता है। इस पूरे महीने लोग अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। माना जाता है कि इसी महीने में पैगंबर मुहम्मद (स.) के सामने इस्लाम की पवित्र किताब कुरान नाज़िल हुई थी। दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के लोगों को इस पाक महीने का इंतजार रहता है। रमज़ान के बाद ईद मनाई जाती है।

शनिवार, 19 मार्च 2022

शबे बरात की इबादत संग रखा नफिल रोज़ा

कई जगहों पर इज्तेमा, पूरी रात मोमिनीन ने की इबादत




वाराणसी १९ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। शब-ए-बारात पर पूरी रात जागकर मोमिनीन ने इबादत की व अलसहर सहरी खाकर नफिल रोज़ा रखा। इससे पहले अकीदतमंद दिन भर शबे बरात की तैयारियों में जुटे रहे। मस्जिदों व कब्रिस्तानों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई। शाम होते ही हर तरफ मस्जिदों व कब्रिस्तान विद्युतीय रोशनी से जगमगा उठा। अकीदतमंदों ने रात भर इबादत कर रब से अपने अज़ीज़ो व पुरखों के लिए मगफिरत की दुआएं मांगी।

वाराणसी में दावते इस्लामी की ओर से विभिन्न मस्जिदों व मदरसों में इज्तेमा का एहतमाम किया गया था, जिसमें पूरी रात जहां नबी की सुन्नतों पर उलेमा ने रोशनी डाली वहीं शबे बरात की खास नमाज़े अदा की गई। इबादत का दौर शाम से पूरी रात भर चला। दावते इस्लामी से जुड़े डॉ साजिद ने बताया कि हिजरी कैलेंडर के आठवें महीने की 15 वीं रात को अकीदतमंदों ने रात भर इबादत में गुजारा। रात की इबादत को देखते हुए मस्जिदों व कब्रिस्तानों में रौशनी किया गया था। शाम होते ही इबादतगुजार की संख्या बढ़ने लगी। इशा की नमाज के बाद से शुरू हुई इबादत सुबह नमाज के बाद खत्म हुई। इस दौरान अकीदतमंदों ने नमाज, नवफिल, कुरान पाक की तिलावत, तसबीह के साथ अन्य इबादत किया। इबादत व मगफिरत की इस रात में इबादत कर लोगों ने अपनी व अपने अज़ीज़ो, वालिदैन के लिए मगफिरत की दुआएं की। इस दौरान जहन्नुम से निजात के साथ जन्नत की रब से दुआ मांगी। उलेमाओं का कहना है कि इस रात अल्लाह पाक हर दुआ को कुबुल कर लेता है। हर इंसान की गुनाहों को माफ़ कर देता है।

अकीदतमंदों ने बनाया विशेष पकवान

शब-ए-बारात के मौके पर लोगों ने घरों में पकवान बनाया। घरों में महिलाओं ने चने, सूजी व अन्य प्रकार का हलवा बनाया। इस विशेष पकवान को लोगों ने फातेहा के बाद एक दूसरे को बतौर तबर्रुक खिलाया। शबे बरात पर लोगों ने शाम के समय गरीबों को खाना खिलाया, सदाका निकला, दिल खोल कर खैरात दिया। 

मजारों व कबिगस्तानों पर भीड़

शब-ए-बारात के मौके पर मजारों व कब्रिस्तान को झालरों से सजाया गया था। कब्रिस्तान की सजावट किया गया था। इस दौरान अकीदतमंदों ने कब्रिस्तान व मजार पर पहुंचकर फतिहा पढ़ीं।

15 दिन बाद शुरू होगा माह-ए-रमजान

जौनपुर के मौलाना करामत अली ने बताया कि शब-ए-बारात, माह-ए-रमजान आने की खबर करता है। शब-ए-बारात के 15 दिन बाद मुसलमानों के लिए मुकद्दस महीना माह-ए-रमाजान शुरू होगा। उन्होंने बताया कि रमजान चांद पर आधारित है। यही कारण है कि रमजान कब से है कुछ कहा नहीं जा सकता। हां तीन अप्रैल से रमजान सम्भावित है। 

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

सुबह होली का रंग जमा, शाम में शबे बरात पर शुरू हुई खास इबादत

बजता रहा होली पर डीजे, मोमिनीन अदा करते रहे शबे बरात की खास नमाज़े


वाराणसी १८ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। काशी में सुबह होली का रंग जमा, हिंदू भाइयों ने होली खेली तो मुस्लिम जुमे की नमाज अदा करते दिखे। शाम में शबे बरात पर खास इबादत शुरू हुई। एक तरफ होली का डीजे बज रहा था तो वहीं मुस्लिम शबे बरात की खास इबादत में मशगूल दिखें। 
शुक्रवार को काशी कुछ ऐसी ही गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करती दिखाई थी। हर तरफ सौहार्द के फूल बिखरे नज़र आएं। जैसे जैसे रात होती गई शबे बरात पर रात की खास इबादत शुरू हो गई है। मुस्लिम इबादत में मशगूल हो गए हैं। कोई फातेहा पढ़ रहा है तो कोई नफल नमाजें अदा कर रहा है। यही नहीं विरान रहने वाली कब्रिस्तानों में भी जैसे मेला लगा हो। फूल, मालों की दुकान सजी हुईं हैं। जियारत करने वाले अकीदतमंदों का हुजूम जनसैलाब की तरह उमड़ा हुआ है।

यहां हाज़िरी लगाते दिखे जायरीन

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग पहुच कर शमां रौशन करते दिखाई दिए। इस दौरान सभी फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते दिखे।

दरअसल शबे बरात वो अज़ीम रात जिस इस रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार की इबादत में मशगुल रहते हैं। सारी रात मोमिनीन खास नमाज़ अदा करेंगे। शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करेंगे। घरों में साफ़ सफाई के साथ ही रोशनी की गई है।

घरों में हुई शिरनी की फातेहा

शब बरात पर घरों में शिरनी की फातिहा मोमिनीन कराते हैं। इस दौरान ग़रीबो और मिसकीनों को खाना खिलाया जाता है। पास पड़ोस में रहने वालों को तबर्रुक तक्सीम किया जाता है।

घरो में लौटती है पुरखों की रूह

शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी, किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। ये इसी रात लिखा जाता है, साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं। मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैं। 


मंगलवार, 8 फ़रवरी 2022

ख्वाजा गरीब नवाब के उर्स में छठी का कुल शरीफ

ख्वाज़ा के उर्स पर काशी में सजी महफिले हुई फातेहा

अकीदत का मरकज़ है हजरत गरीब नवाज का दर 

वाराणसी 08 फरवरी (dil India live)। ख्वाजा मेरे ख्वाजा, दिल में समा जा...व, ऐसा सुनहरा दर है, अजमेर के ख्वाजा का..., जन्नती दरवाज़ा है अजमेर के ख्वाजा का...। कुछ ऐसे ही कलाम से काशी की सड़क से लेकर घर तक आज गूंज रहा है। दरअसल अजमेर में चल रहे दुनिया के मशहूर सूफी संत हिन्दलवली हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह, (सरकार गरीब नवाज) के उस पर जो लोग काशी से वहां नहीं जा सके हैं वो लोग बनारस में ही ख्वाजा का उर्स मना रहे हैं। यही वजह है ख्वाजा का उर्स अजमेर में होता है मगर उसकी धमक दुनिा के हर कोने में रहती है। जो लोग अज़मेर नहीं जा पाते हैं वो देश-दुनिया में जहां भी होते हैं वहीं से ख्वाजा को याद करते हैं, उनका कुल शरीफ कराते हैं, गरीबों को खाना खिलाते हैं और खैरात देते हैं। काशी से अजमेर हज़ारों लोग जत्थे के रुप में उर्स में रवाना हुए हैं हर बनारसी उर्स में नहीं सकता हैं, इसलिए बनारस के अर्दली बाज़ार, पुलिस लाइन, दालमंडी, नईसड़क, लल्लापुरा, हबीबपुरा, गौरीगंज, शिवाला, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, रामापुरा, बजरडीहा, कोयला बाजार, जलालीपुरा, पठानी टोला, पीलीकोठी, सरैया, बड़ी बाज़ार आदि इलाकों में ख्वाजा के उर्स पर फातेहा, मिलाद, कुरानख्वानी का जहां एहतमाम किया गया वहीं दूसरी ओर जगह-जगह ख्वाज़ा की याद में राहगीरों को मीठा शर्बत, पानी व अन्य तबर्रक बांटा जा रहा था। अर्दली बाज़ार में ख्वाजा के उर्स में इस्लामी परचम के साथ ही देश की शान तिरंगा भी लहराता नज़र आया। इसकी वजह लोगों ने बताया कि ख्वाजा हिन्दल वली हैं, उन्होंने हमेशा हिन्दुस्तान और इस देश से मोहब्बत का पैग़ाम दिय। इसलिए जो सूफिज्म के हिमायती हैं वो देश से मोहब्बत करते हैं।

बनारस से उर्स में अजमेर गए मो. इम्तेयाज़ ने बताया कि आज ख्वाजा का 810 वां सालाना उर्स अकीदत के साथ मनाया जा रहा है। अकीदतमंदों ने कुल को देखते हुए दरगाह परिसर के बाहर की दीवारों को गुलाब जल, ईत्र और केवड़े से धोकर कुल के छीटें लगाये गये थे। कोरोना नियमों में सरकार की ओर से शीथिलता के बाद दरगाह परिसर चौबीस घंटे से जायरीन से आबाद है और उर्स की रौनक न केवल दरगाह क्षेत्र में बल्कि दरगाह के चारों तरफ फैली हुई है। आज रात को दरगाह दीवान और ख्वाजा साहब के सज्जादानशीन सैयद जैनुअल आबेदीन अली खान की सदारत में दरगाह परिसर के महफिलखाने में उर्स की छठी व अंतिम शाही महफिल हो रही है। जो जायरीन आज नहीं आ पाएंगे वे ग्यारह फरवरी को नवी के कुल की रस्म अदायगी में हिस्सा लेंगे। उसके बाद सरकार गरीब नवाज का 810 वां सालाना उर्स अगले साल तक के लिए संपन्न हो जाएगा। 

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

मीरा कुमार लेंगी रविदास जयंती में हिस्सा

संत रविदास मंदिर में चार दिवसीय जयंती 14 से

मुख्य कार्यक्रम 16 को, तैयारी अंतिम चरण में पहुँची

वाराणसी (dil India live) I संत रविदास जयंती समारोह के अवसर पर राजघाट स्थित रविदास मंदिर में चार दिवसीय कार्यक्रम 14 से 16 फरवरी तक चलेगा। मुख्य कार्यक्रम 16 फरवरी आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार सपरिवार उपस्थित रहेगी। इस संबंध में दी रविदास स्मारक सोसाइटी के महासचिव श्री सतीश  कुमार उर्फ फागुनी राम ने बताया कि संत शिरोमणि रविदास की जयंती समारोह धूमधाम से मनाया जाएगा। समारोह की तैयारी जोर शोर से की जा रही है। मंदिर परिसर का रंग रोगन एवं साफ सफाई में दर्जनों कारीगर लगे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर को विद्युत झालरों एवं आकर्षण लाइटों से सजावट की जाएगी। सोसायटी के महासचिव फागुनी राम ने बताया कि चार दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिदिन भजन कीर्तन का कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और मंदिर दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि समारोह में भारत सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पूर्ण पालन किया जाएगा।

गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

ख्वाजा के दर पर चढ़ेगी काशी की तिरंगा चादर


वाराणसी ०३ फरवरी (dil India live)। काशी से ख्वाज़ा गरीब नवाज़ के दर पर तिरंगा चादर चढाने के लिए वकील अहमद के नेतृत्व में पिछले 28 साल से अकीदतमंद वाराणसी से निकलते है । 04 फरवरी को कैंट स्टेशन से मरुधर ट्रेन से ये जत्था रवाना होगी। उसी तिरंगे चादर को आज 03 फरवरी को लाट सरैय्या स्थित मस्ज़िद मखदूम शाह के आस्ताने पर अकीदतमन्दो के लिए खोली गयी। जिस में मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पार्षद हाजी ओकास अंसारी शामिल हुए। इस मौके पर हाजी ओकास अंसारी ने बताया की वकील अहमद के नेतृत्व में ख्वाज़ा गरीब नवाज़ साहब को ये तिरंगा चादर पिछले 28 सालो से तमाम अकीदत मंदो के साथ एक जत्थे के साथ वाराणसी से ट्रेन से रवाना होती और ख्वाज़ा साहब को बड़ी शिद्दत के साथ इस तिरंगे चादर को चढ़ाते है, और वहा तीनो कुल करके ख्वाज़ा साहब के दरबार में मुल्क की तरक्की, लोगो के रोजगार में बरकत और मुल्क में अमन के लिए दुआ करते हैैं। हम अकीदतमन्दो  का चादर चढाने का ये सिलसिला लगातार चलता रहा है। आज इस मौके पर मौजूद हाजी ओकास अंसारी, दुर्गा प्रसाद गुप्ता, वकील , शेख रमजान, वर्मा, वसीम अकरम, बेलाल अहमद, , रमजान , रेशमा, मक़सूद, नुरूल, बाबू, तौफ़ीक़, अफज़ल शमसुद्दीन, मतीन आदि लोग मौजूद थे। 

अजमेर में ख्वाजा का उर्स शुरू

काशी से रवाना होगी तिरंगा चादर

वाराणसी 03 फरवरी (dil India live)।  हिन्दल वली सरकार मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी सरकार गरीब नवाज़ का उर्स अजमेर में शुरू हो गया है। 6 दिनों तक चलने वाले उर्स में शिरकत करने उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में जत्थे रवाना होना शुरू हो गए हैं, हालांकि उर्स कोरोना गाइड लाइन से ही मनाया जायेगा। 

उर्स को लेकर कई तरह की हिदायतें दी गई है। अजमेर के एडीएम सिटी राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कोरोना प्रोटोकाल के तहत ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स आयोजित करने को लेकर तैयारी की गई है। सभी जिम्मेदार विभागों के प्रमुखों को उर्स के संबंध में विशेष दिशा निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले 25 जनवरी को झंडे की रस्म अदा की गई थी। उर्स का आगाज  बुधवार को हो गया। उर्स का आगाज़ होते ही ज़ायरीन वहां पहुंचने लगे हैं। काशी के लाट सरैया में ख्वाज़ा गरीब नवाज़ की चादर पार्षद हाजी ओकास अंसारी की अगुवाई में निकाली गई। इस दौरान तिरंगा चादर की ज़ियारत करने सभी मज़हब के लोग जुटे हुए थे। यह चादर विभिन्न रास्तों और शहरों से होते हुए अजमेर शरीफ पहुंचेंगी। ख्वाज़ा का उर्स छह दिनों तक हिन्दू-मुस्लिम दोनों की आस्था और अक़ीदत के साथ मनाया जाता है।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

स्वामी विमलानंद सरस्वती जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन


वाराणसी 15 जनवरी(dil india live)। राज गुरु मठ वाराणसी में दंडी स्वामी विमलानंद सरस्वती जी महाराज के जन्म शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया।उत्तर प्रदेश एवं बिहार, दिल्ली, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।वाराणसी से विधायक रोहनिया सुरेंद्र सिंह, विधायक कैंट सौरभ श्रीवास्तव, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय व अन्य राजनेता आदि ने हवन पूजन प्रीतिभोज (दही चूड़ा) भी एवं चिंतन सभा में भाग लिया। इस पुण्य तिथि पर आयोजित भोजपुरी कवि सम्मेलन जिसके मुख्य आयोजन कर्ता किंनवार वंश के युवा दिनकर संजीव कुमार त्यागी थे, उनके नेतृत्व में पुर्वांचल के कवियों  ने आध्यत्म  साहित्य में अपनी संगीतमयी प्रस्तुति से रस एवं माधुर्य की त्रिवेणी बहा दी। गाज़ीपुर के वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु राय समेत कई प्रतिभाओ का उत्कृष्ट योगदान देने के लिए मंच द्वारा संम्मानित भी किया गया। 

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

Happy new year: न्यू ईयर का वेलकम, चर्चेज़ में होगी आराधना

नववर्ष का अभिनंदन करने को शहर तैयार


वाराणसी 31 दिसंबर (dil india live)। नववर्ष की आगवानी व पुराने साल को अलविदा कहने के लिए 31 दिसम्बर की रात्रि महागिरजा समेत तमाम चर्चो में प्रार्थना सभा का आयेजन किया जाएगा। यूं तो प्रार्थना सभा कोविड प्रोटोकाल के चलते शाम में ही हो जायेगी मगर उल्लास व बधाईयों का दौर, मैसेज का आदान प्रदान पहले ही शुरु हो गया। गिरजाघरों में प्रार्थना सभा सम्पन्न होते ही  फिज़ा में गूंजेगा... हैप्पी न्यू ईयर। शहर के गिरजाघर व चर्च सजधज कर पहले से ही तैयार हैं। इस दौरान केक काटे जायेंगे और कैरोल सिंगिंग की गूंज फ़िजा में बुलंद हो उठेगी।

नववर्ष के पहले दिन हुआ था यीशु का नामकरण

पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि क्रिसमस के दिन जग के राजा ईसा मसीह धरती पर जन्मे थे और नया साल का पहला दिन प्रभु यीशु मसीह के नामकरण का दिन है। प्रभु यीशु बाल रूप में धरती पर आये थे। इसलिए भी नव वर्ष का बड़ा महत्व है।

शाम से ही शुरु होगी आराधना

नव वर्ष की पूर्व संध्या से ही नववर्ष की आराधना शुरु हो जयेगी। बुराईयों का प्रतीक पुतला भी जलाया जायेगा। सेंट मेरीज़ महागिरजा में बिशप यूज़ीन जोसेफ जहां आराधना करायेंगे तो सीएनआई चर्च रामकटोरा में पादरी आदित्य कुमार, सेंट पॉल चर्च सिगरा में पादरी सैम जोशुआ सिंह, चर्च ऑफ बनारस में पास्टर बेनजान, लालचर्च में पादरी संजय दान, सेंट बेटल फुल गॉस्पल चर्च में पास्टर एंड्रू थामस, विजेता प्रेयर मिनिस्ट्रीज में पास्टर अजय कुमार नववर्ष के स्वागत में आराधना करेंगे। सेंट जांस महरौली में फादर हेनरी, सेंट जांस लेढूपुर में फादर सुसाई राज, यीशु माता चर्च शिवपुर में फादर रोज़लीन राजा आराधना करायेंगे। सेंट जोसफ चर्च लोहता, फातेमा चर्च मवैया में भी नववर्ष की तैयारियां पूरी हो गयी हैं। प्रार्थना पूरी होते ही चर्चेज़ व मसीही घरो व कालोनियों में एक साथ फिज़ा में गूंजेगा हैप्पी न्यू ईयर...।

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

विश्वमैत्री क्षमावाणी पर विशेष


साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से कर देते हैं नष्ट

  • राजेश जैन 

वाराणसी 21 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। “कषायभाव हमारे जीवन से समाप्त हो जावें , इसीलिए यह क्षमावाणी का त्योहार  मनाया जा रहा है - राष्ट्रसंत संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं - क्षमाभाव को आत्मसात करने का आनंद अद्भुत ही हुआ करता है । आप लोग क्षमा धर्म का अभ्यास करो | “  साधु क्रोध रूपी शत्रु को क्षमा रूपी तलवार से नष्ट कर देते हैं | क्षमा कल्पवृक्ष के समान है, क्षमा के समान कोई धर्म नहीं है |“ क्षमा ऐसी वस्तु है जिससे सारी जलन शीलता समाप्त हो जाती है एवं चारों ओर हरियाली का वातावरण दिखाई देने लगता है “ क्रोध में उपयोग नहीं रहता और उपयोग क्रोध में नहीं रहता| इसका तात्पर्य यह है कि क्रोध के समय उपयोग क्रोध रूपी परिणत हो जाता है  | “ कषायों के वातावरण के साथ तो अनंत समय बिताया है , अब आत्मीयता के (वातावरण के)  साथ जियो | “


“ मतभेद और मनभेद को समाप्त करके एक हो जाओ , भगवान के मत की ओर आ जाओ फिर सारे संघर्ष समाप्त हो जाएंगे |” “ जो क्षमा के अवतार होते हैं , उससे क्षमा मांगने और क्षमा करने की बात ही नहीं क्योंकि उनके पास क्षमा हमेशा रहती है |”

क्षमा और प्रतिक्रमण के आंसू से साधु अपना सारा अपराध बहा देता है , धो लेता है फिर स्वयं क्षमा की मूर्ति बन जाता है | 

“ क्षमा मांगना नहीं क्षमामय बनना चाहिए | “

जिसके जीवन में क्षमा अवतरित हो जाती है, वह पूज्य बन जाता है | 

“ क्षमा मांगने जैसा पवित्र भाव और दुनिया में कोई भाव नहीं हो सकता |” 

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...