उत्तर/प्रदेश लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
उत्तर/प्रदेश लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

लता मंगेशकर अलविदा...

 बनारस घराने से लता मंगेशकर का था गहरा रिश्ता

  • सुर संगम फिल्म में राजन, साजन मिश्र के साथ किया था पार्श्व गायन
  • सिद्देश्वरी देवी के आवास पर कभी ठहरी थी लता मंगेशकर
  • स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से सदमें में है काशी  




अमन

वाराणसी ०६ फरवरी (dil India live)।  28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का दुनिया को अलविदा कहना कला और सांस्कृतिक नगरी काशी के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। लता मंगेशकर का काशी संगीत घराने से गहरा लगाव था। खासकर ठुमरी गायिका सिद्देश्वरी देवी के घर वो कई बार आयी थीं।  ठुमारी सम्राट पं. महादेव प्रसाद मिश्र से उन्होंने ठुमरी की बारीकी सीखी थी। बिस्मिल्लाह खां की वो बहुत बड़ी फैन थीं। यही नहीं फिल्म सुर संगम में राजन मिश्र व साजन मिश्र के साथ लता मंगेशकर ने भी पार्श्व गायन पेश किया था। एक कलाकार के रूप में लता मंगेशकर का बनारस संगीत घराने से गहरा लगाव था।  पं. साजन मिश्र कहते हैं कि लता जी का उनके परिवार से गहरा और नज़दीकी रिश्ता था। 1982 में लता जी ने पं. दीनानाथ जी की स्मृति में कार्यक्रम रखा था तो उसमें बनारस घराने से सितारा देवी का डांस हुआ था और हम दोनों भाईयों का गायन था, वो उनसे पहली मुलाकात थी। उन्होंने इतनी इज्ज़त दी थी कि लग ही नहीं रहा था कि उनसे पहली बार मिले हैं। उसके बाद 1983 में सुर संगम के लिए भी उन्होंने अपनी आवाज़ दी।  इसके बाद तो उनका काशी के संगीत घरानों से उनका गहरा लगाव हो गया था। ऐसी गायिका शायद ही कभी धरती पर आये।

पं. किशन महाराज के शिष्य अमित मिश्रा कहते हैं कि पं. किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र जब भी मुम्बई जाते थे तो वो लता मंगेशकर के घर पर ही ठहरते थे। बनारस से गए कलाकारों का वो दिल से स्वागत करती थी। ठुमरी सम्राट महादेव प्रसाद मिश्र कला संस्थान के पं. गणेश मिश्रा की माने तो वो बतौर एक कलाकार बनारस वालों की बहुत कद्र करती थी। बड़े गुलाम अली खां की शिष्या लता मंगेशकर के बारे में कहा गया है कि वो इतना मीठा गायन पेश करती थी कि उनके उस्ताद बड़े गुलाम अली भी कह उठते थे कि ई इतना सुर में गावे ली कि कभी डाटो ना खावेली...जब सब्हे सही हव ता का डाटी...।  पं. किशन महाराज की पुत्री अंजलि मिश्रा कहती है कि उनके घर से उनका गहरा रिश्ता था। यही वजह है कि वो स्वस्थ्य हो इसके लिए पूरे देश के साथ ही बनारस संगीत घराने के लोग भी प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने 30 हजार से भी ज्यादा गाना गाया था। यह किसी कलाकार के लिए बहुत बड़ी बात है। काशी की गलियों से संघर्ष करते हुए बालीवुड में अपनी पहचान बनाने वाली सुरभि सिंह कहती है कि अकसर उनसे मुलाकात होती थी मगर कभी लगा ही नहीं कि वो इतने बड़े कद की मलिका हैं। बेहद साधारण था उनका व्यवहार। गरीबी से लेकर धनी बनने तक कभी उनके व्यवहार में बदलाव नहीं आया।  

दरअसल 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के घर जन्मी लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था। उनके शुरुआती गुरु उनके पिता ही थे, बाद में बड़े गुलाम अली से उन्होंने गायन की शिक्षा ली। उनका काशी से गहरा लगाव था भले ही वो काशी कम आयी मगर यहां के संगीत घराने की वो बड़ी कद्रदान थीं। बिस्मिल्लाह खां, सिद्देश्वरी देवी, पं. महादेव प्रसाद मिश्र, सितारा देवी, किशन महाराज, राजन-साजन मिश्र से उनका गहरा लगाव था।

बुधवार, 1 दिसंबर 2021

जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है एचआईवी/एड्स

जिले में एड्स मरीजों के मुफ्त इलाज की सुविधा  

मिथक,भ्रांतियों को तोड़ना जरूरी 

Himanshu rai

गाजीपुर 1 दिसम्बर (dil india live)। विश्व एड्स दिवस पर बुधवार को राइफल क्लब में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में जन जागरूकता  गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया  गया । जिलाधिकारी ने हस्ताक्षर कर इस अभियान को आगे बढ़ाया। इस दिवस का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता को बढाना है । 

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार, स्वास्थ्य विभाग, ग़ैर सरकारी संगठन और अन्य समाजसेवी एड्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन संगोष्ठी तक सीमित नहीं रखना चाहिए,  बल्कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन उन जगहों पर होना चाहिए जहां पर मरीजों की संख्या अधिक हो जिससे जन जागरूकता के माध्यम से लोगों को एड्स से बचाव व पहचान के बारे में बताया जाए और जागरूकता के माध्यम से मिथक  व भ्रांतियों  को तोड़ा जा सके। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने बताया कि विश्व एड्स दिवस को मनाने का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना है । शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था,  जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम  यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है। 

जनपद गाजीपुर में एचआईवी के 1704 मरीजों  का जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर में निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। एड्स के मरीजों के नाम और पहचान सार्वजनिक नहीं की जा सकती | इसके अलावा टीबी के साथ एचआईवी के मरीजों की संख्या 28 है जिनका निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में भेजा जा रहा है। क्षय रोग विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक मिथिलेश सिंह ने बताया कि जनपद गाजीपुर में सबसे अधिक एड्स के मरीज जनपद के बिरनो ब्लॉक का गांव है जहाँ मतिजो की संख्या करीब 78 है और सभी लोगों का नि:शुल्क इलाज चल रहा है। इसके साथ वहाँ लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में डॉक्टर के के वर्मा, डॉ डीपी सिन्हा, डॉ एसडी वर्मा ,डॉ मनोज सिंह डॉ उमेश कुमार के साथ ही एआरटी सेंटर, क्षय रोग विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...