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मंगलवार, 19 अगस्त 2025

UP Main Chandauli K मुशायरे में गूंजा बेहतरीन कलाम

दुनिया में हम रहें न रहें, पर वतन रहे...

मुशायरा व कवि सम्मेलन में पहुंचे दोहा कतर से भी शायर




Mohd Rizwan 

Chandauli (dil India live)। स्प्रिंग स्काई होटल मुगलसराय में उर्दू शिक्षक चंदौली व मीरास फाउंडेशन लखनऊ के सौजन्य से महफिले मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। आयोजन की अध्यक्षता मशहूर उस्ताद शायर आबिद हाशमी ने तो मंच संचालन डॉ अज़हर साईद (डायट लेक्चरर उर्दू) ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर अदीब श्री अतीक़ अंज़र (दोहा क़तर) की उपस्थिति ने मुशायरा और कवि सम्मेलन को अंतरराष्ट्रीय बना दिया। विशिष्ट अतिथि प्रो. नसीम अहमद (पूर्व विभाग अध्यक्ष उर्दू विभाग ,काशी हिंदू विश्वविद्यालय) ने स्वागत भाषण देते हुए स्वतंत्रता आंदोलन के संक्षिप्त इतिहास पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उनकी दो प्रमुख पुस्तकों इंतखाब ए ग़ज़लियत ए सौदा, मुसहफ़फ़ी का दीवान ए हशतुम और मसानवी बहररात मोहब्बत का विमोचन भी मुख्य अतिथि अतीक अंजर एवं अध्यक्ष आबिद हाशमी के हाथों किया गया। इस दौरान, 





दुनिया में हम रहें न रहें, पर वतन रहे,

मरने के बाद प्यारा तिरंगा कफ़न रहे...। जैसा कलाम मशहूर शायर अहमद आज़मी ने पेश किया तो मौजूद तमाम लोग देश भक्ति के रंग में रंगते चले गए। इस दौरान मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में मुख्य रूप से स्वतंत्रता आंदोलन के वीर सपूतों के बलिदानों को याद करते हुए वर्तमान राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों एवं हिंदू मुस्लिम एकता पर शायरी और कविताएं  डॉ. शाद मशरिकी, जमजम रामनगरी, सुहैल उसमानी, आलम बनारसी, आकाश मिश्रा, सुरेश अकेला, डॉ नवीन, इशरत जहां, ज़िया अहसानी, गौहर बनारसी, अशफ़ाक़ुर रहमान शरर, कासीमुद्दीन, दानिश इकबाल तथा शफ़ाअत अली शकूराबादी ने भी प्रस्तुत की। 




इस मौके पर धन्यवाद ज्ञापन अक्षर रोमानी द्वारा किया गया। इस अवसर पर बनारस, जौनपुर, भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर एवं चंदौली आदि के श्रोताओं ने शायरी और काव्य पाठ का लुत्फ उठाया।










रविवार, 27 जुलाई 2025

UP के Varanasi Main मनी भारत रत्न APJ Abdul Kalam की पुण्यतिथि

मिसाइलमैन अब्दुल कलाम को पुष्प अर्पित कर दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि

Varanasi (dil India live). भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर मरहूम एपीजे अब्दुल कलाम की दसवीं बरसी (पुण्य तिथि) वाराणसी के जलालीपुरा, सरैया में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस दौरान मौजूद लोगों ने मिसाइलमैन अब्दुल कलाम को पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता  साहित्यकार डॉक्टर जयशंकर जय ने कहा कलाम साहब आधुनिक भारत के कुशल शिल्पी थे। उन्होंने जीवन की अंतिम सांस तक देश की सेवा की।वह सच्चे राष्ट्र रन थे। उनका इरादा फौलादी कार्य  इंकलाबी था।


     महतो मोहम्मद अहमद ने कहा कलाम साहब का पूरा जीवन त्याग बलिदान का प्रतीक है। वह भारत के दूरदृष्टा थे। आयोजन में अशफाक अहमद, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद घनश्याम, जैनुल आबेदीन ने भी अपने विचार व्यक्त किया। रमजान अंसारी, सफरूउद्दीन, शहाबुद्दीन सरदार, मोहम्मद अशफाक, सलाउद्दीन व रमजान सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन हाजी ओकास अंसारी ने किया।



शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

Kavita kalam -परवीन शाकिर

...ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ

  • परवीन शाकिर के चुनिंदा कलाम 


1.मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूट बोलेगा और ला-जवाब कर देगा।
2.पलट कर फिर यहीं आ जाएंगे हम
वो देखे तो हमें आज़ाद कर के।
3.ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार
मेरे रिसते हुए ज़ख़्मों के हिसाबों की तरह।
4.तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ।
5.बोझ उठाते हुए फिरती है हमारा अब तक
ऐ ज़मीं माँ तिरी ये उम्र तो आराम की थी।
6.बंद कर के मिरी आँखें वो शरारत से हँसे
बूझे जाने का मैं हर रोज़ तमाशा देखूँ।
7.ये हवा कैसे उड़ा ले गई आँचल मेरा
यूँ सताने की तो आदत मिरे घनश्याम की थी।
8.तितलियाँ पकड़ने में दूर तक निकल जाना
कितना अच्छा लगता है फूल जैसे बच्चों पर।
9.यूँ देखना उस को कि कोई और न देखे
इनाम तो अच्छा था मगर शर्त कड़ी थी।
10.अपनी रुस्वाई तिरे नाम का चर्चा देखूँ
इक ज़रा शेर कहूँ और मैं क्या क्या देखूँ।

(प्रस्तुतकर्ता मोहम्मद रिजवान)