चर्च लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चर्च लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

Teliabagh church 167 वर्ष पहले आज ही हुआ था स्थापित






Varanasi (dil India live). सीएनआई चर्च तेलियाबाग का 167 वां तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। आयोजन का आगाज़ बाइबिल पाठ से हुआ। पहले दिन मध्यप्रदेश कटनी से आए मशहूर भक्ति सिंगर पास्टर जय मोसेस ने संगीतमय आराधना करायी। उन्होंने कई मसीही गीतों से लोगों को प्रभु कि भक्ति में लीन कर दिया। 3 दिनों तक चले चर्च के स्थापना दिवस पर चर्च कमेटी के सचिव विशाल न्यूक ने बताया कि 25 जुलाई 1856 को इस चर्च की स्थापना कि गई। तभी से यह आराधना के लिए खुला हुआ है। यह चर्च लंदन मिशनरी सोसायटी की सेवा का परिणाम है।

तेलियाबाग चर्च का इतिहास 

सीएनआई चर्च तेलियाबाग अपने भीतर उस दौर कि यादें समेटे हुए है। यूं तो चर्च का वर्तमान भवन 25.07.1856 से आराधना के लिए शुरू किया गया था मगर चर्च कि बुनियाद का पत्थर तकरीबन तीन दशक पूर्व ही पड़ गया था। कमेटी के सचिव विशाल ल्यूक ने दिल इंडिया लाइव के संपादक अमन से चर्च कि यादें साझा की। विशाल कि माने तो यह चर्च लंदन मिशनरी सोसाइटी की सेवा का परिणाम है, जिनके प्रथम मिशनरी के रूप में रेव्ह० मैथ्यू थॉमसन एडम अगस्त 1820 में बनारस आये, किन्तु यह मात्र एक-डेढ़ वर्ष ही बनारस में रहे। 1826 में रेव्ह० जेम्स राबर्टसन के आगमन के बाद बनारस में लंदन मिशन सोसाइटी का काम आरम्भ हुआ। जिसमें रेव्ह विलियम बायर्स 1832 के आरम्भ में जुड़े, किन्तु 15 माह उपरान्त ही रेव्ह० जेम्स राबर्टसन हैजे के कारण दूर हो गये और रेव्ह० विलियम बायर्स और उनकी पत्नी एलिजाबेथ द्वारा सेवा को आगे बढ़ाया गया। 1834 के आरम्भ में रेव्ह० जे० ऐ० शरमन और रेव्ह० राबर्ट सी० माथर इनसे जुड़ गये, 1838 में रेव्ह डब्लू०पी० लियोन भी इनसे जुड़ गये और सेवा का कार्य सक्रिय रूप से चलने लगा। 1837-38 का अकाल भारत में स्वतंत्रता के पूर्व युग की प्रमुख घटनाओं में एक है। इनके द्वारा इस अकाल से प्रभावित अनाथ बच्चों और उजड़ गये लोगों के लिए खाने रहने, चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था की गयी। इन सेवा कार्यों में श्रीमती बायर्स की भूमिका अग्रणी रहीं जो महिलाओं और अनाथ बच्चियों के आवास भोजन आदि की व्यवस्था में लगी रहीं। इसी मध्य रेव्ह० डब्लू०पी० लियोन अस्वस्थता के कारण बनारस से चले गये। रेव्ह० व श्रीमती बायर्स सेवाकार्य में लगे रहे. 03.09.1857 को गम्भीर डायरिया के कारण श्रीमती बायर्स का निधन हो गया, जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है। 1839 में रेव्ह० जेम्स कैनेडी बनारस आये और अपनी पुस्तक "Life and work in Benares and Kumaon 1839-1877 के तीसरे अध्याय में तेलियाबाग चर्च की सेवा का संक्षिप्त वर्णन मिलता है। 1839 में ही रेव्ह० लियोन बनारस से चले गये। रेव्ह० बायर्स, रेव्ह० शरमन, रेव्ह0 केनेडी व अन्य इस सेवा को उस समय बढ़ाते रहे और इस छोटे चैपल ने 25 जुलाई 1856 को एक चर्च का रूप ले लिया, तत्समय रेव्ह० एम०ए० शैरिंग जो 1852 में बनारस आये, चर्च की सेवा कार्य में लगे थे और चर्च निर्माण में उपस्थित थे। यह एक विद्वान मिशनरी थे और एम०ए० एल०एल०बी० थे, इनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गयीं। जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है, अगस्त 1880 में इनकी मृत्यु हुई। रेव्ह जॉन मुलेट का द्वारा 1882-83 में इस चर्च में सेवा प्रदान किये। 24.11.1970 को 6 चर्चेज के संविलियन के बाद से यह चर्च, चर्च ऑफ नार्थ इण्डिया लखनऊ डायसिस के अधीन अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। वर्तमान में शशि प्रकाश चर्च के पादरी के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले पादरी आदित्य कुमार, पादरी अखिलेश माथुर, पादरी एम.ए. दान भी यहा बतौर पादरी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

दिखा उल्लास और उत्सव 

चर्च स्थापना के 167 वर्ष पर मसीही समाज ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की और तीन दिनों तक उल्लास और उत्सव मनाया। इस दौरान यहां आराधना व स्तुति गीत प्रस्तुत किये गये। मुख्य वक्ता जय मोसेस द्वारा खूबसूरत गीतों से समां बांध दिया और यीशु मसीह के शान्ति प्रेम व भाईचारे के संदेश को प्रसारित किया। कार्यक्रम का संचालन सचिव विशाल ल्यूक द्वारा किया गया, कार्यक्रम में विजय दयाल, पादरी संजय दान, कुशल प्रकाश, पृथ्वीराज सिंह, लाजर लाल, निर्मय स्वरूप, सुदेश प्रकाश, श्वेता पाठक, संगीता ल्यूक, एकता रोजारियो, कंचन ल्यूक, अनुराग, खुशी, श्रेया, विरल, अभिषेक, सनी, रवि, सना, शालोम, नेहा डेविड ने अपना सहयोग प्रदान किया।

शुक्रवार, 7 अप्रैल 2023

Good Friday2023: ईसा के क्रूस पर दिए वचनों को फिर दोहराया गया

पुण्य शुक्रवार, यीशु के बलिदान को किया याद 









Varanasi (dil India live)। हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में अर्पण करता हूं...।

हे पिता इनको क्षमा कर, क्योंकि यह नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं...। गुड फ्राइडे पर शुक्रवार को प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए ऐसे ही सात वचन जब फिज़ा में गूंज उठे तो मसीही समुदाय के लोगों की पलकें भींग गई। जहां प्रोटेस्टेंट वर्ग की ओर से पुण्य शुक्रवार को विशेष आराधना के साथ ही क्रूस पर दिए ईसा मसीह के अंतिम सात वचनों को दोहराया गया वहीं उसे अपनी जिंदगी में उतारने कि सभी न प्रतिज्ञा की। वाराणसी धर्म प्रान्त कि ओर से प्रभु यीशु के बलिदान को याद करने के लिए गुड फ्राइडे पर क्रूस मार्ग की यात्रा निकाली गई।

पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी इस पवित्र मौत का आज मसीही समुदाय स्मरण कर अपनी आंखें नम करता दिखा। 

कैंटोंमेंट स्थित सेंट मेरीज कैथड्रल में क्रूस यात्रा निकाली गई जिसमें प्रभु यीशु को मौत के पूर्व दी गई कठोर सजा व क्रूस पर चढ़ाए जाने का नाट्य द्वारा प्रदर्शन किया गया। यीशु को जो अमानवीय यातनाएं दी गईं थी उसका संजीव चित्रण देख लोग सहम उठे। वहां मौजूद हर शख्स की आंख से आंसू छलक उठा। शांति और प्रेम के लिए प्रभु यीशु के बलिदान को मसीही समुदाय ने गुड फ्राइडे के तौर पर याद किया। वाराणसी के बिशप यूजीन जोसेफ ने इससे पहले विशेष प्रार्थना की।  

सजा से मरण तक कि झांकी 

कैथोलिक ईसाई समुदाय की ओर से सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप की अगुवाई में प्रभु यीशु मसीह के क्रूस मरण की गाथा का मंचन किया गया। इस दौरान उन्हें सजा दिए जाने से लेकर क्रूस मरण तक का सजीव नाट्य कलाकारों ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन पल्ली पुरोहित ने किया। इस दौरान मसीही समुदाय का हुजूम वहां जुटा हुआ था।

सुबह से ही जुटने लगे क्रिश्चियन 

 सुबह से ही गुड फ्राइडे पर चर्चेज में लोगों के पहुंचने का दौर शुरू हो गया था। सुबह प्रोटेस्टेंट मसीही समुदाय की आराधना शुरू हुई। इस दौरान पादरियों ने क्रूस पर दिए प्रभु के सात दिव्य वचन पढ़े, जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। 

यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लिया। पादरी सैम जोशुआ व पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

चर्च आफ बनारस के पादरी बेनजॉन, रामकटोरा चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे।

ऐसे ही लाल गिरजा में पादरी संजय दान, बेटेल फुल गास्पल चर्च में पादरी एंड्रू थामस, सीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी अजय कुमार व पास्टर एसपी सिंह ने प्रार्थना सभा को संबोधित करते हुए प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए सात वचन पढ़े।

रविवार, 25 दिसंबर 2022

Cristmas 2022:आराधना के बाद cristmas के जश्न में डूबा हुजूम

 






Varanasi  (dil india live)। प्रभु yeshu के जन्म दिन cristmas पर आराधना संग जश्न और उल्लास में समूचे मसीही Sunday को डूबे नज़र आये। लोगों ने गिरजाघरों में Aman के Rajkumar प्रभु yeshu masih की जहां आराधना की वहीं चर्चेज़ में अमन, एकता और देश की तरक्की व सौहार्द के लिए प्रार्थना हुई। मसीही घरों व कालोनियों में जश्न का माहौल दिखाई देने लगा। इस दौरान क्रिसमस गीत, तेरा हो अभिषेक aman के Rajkumar, आज हमारे दिल में जन्म ले हे प्रभु yeshu महान..,फिज़ा में गूंज रहा था। दुनिया भर के चर्च और गिरजाघर मुक्तिदाता ईसा मसीह के जन्म के गीत से gunj रहे थे। यूं तो yeshu birthday की विशेष आराधना मध्य रात्रि में ही शुरु गई थी  मगर बड़े दिन की पहली सुबह ईसा मसीह को मानने वालों ने आराधना करके जहां अपनी आस्था प्रकट की। वहीं देश दुनिया में कोविड से मुक्ति के साथ ही अमन और सौहार्द के लिए दुआएं मांगी। Cristmas  कि पहली सुबह संडे होने कि वजह से इस बार cristmas का जश्न का मजा दुगना हो गया था।

Morning से ही शुरू हुई आराधना


धर्म कि नगरी Varanasi में सबसे पहले कैंट स्थित सेंट मेरीज कैथड्रल (महा गिरजाघर) में yeshu masih की आराधना सुबह 8.30 बजे hindi व 9.30 बजे English में हुई। एक-एक घंटे की इस आराधना में बाइबिल का पाठ, ईसा जन्म का दर्शन बताया गया। प्रार्थना सभा में फादर थामस सी.फादर  सेबस्टियन, सिस्टर एन वीटा, सिस्टर ज्योति, सिस्टर ट्रीसा, सिस्टर अलफोनजा, सिस्टर रानी, सिस्टर अंजू समेत चर्च में काफी लोग मौजूद थे। क्रिसमस डे सर्विस के तहत रामकटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार की अगुवाई में प्रार्थना सभा का आयोजन किया। पादरी ने कहा कि हमें बुराईयोें व पापो से मुक्ति दिलाने जग के rajkumar एक बालक के रूप में इस दुनिया में आये। आज उन्हीं की वजह से हम सभी उस aman के rajkumar की जयंती मना रहे हैं। हम प्रार्थना करे कि देश में अच्छे और विकास के काम हो, हमारा देश, हमारा मुल्क और हमारी कलीसिया शांति और तरक्की के रास्ते पर चले। इस पर लोगों ने एक स्वर से कहा, आमीन..। तत्पश्चात् क्रिसमस गीत फिज़ा में गूंज उठे..उठो आंखे खोलो मन फिराओ, मुक्तिदाता के दर्शन जो चाहो, व ..चलो जल्दी करो वैरी निंदिया न सोओ, कहीं तारा ओझल न हो जाये..। प्रार्थना सभा के बाद यहां लोगों ने एक दूसरे को केक खिला कर cristmas wish किया। सेंट पॉल चर्च सिगरा में पादरी सैम जोशुआ सिंह ने विशेष आराधना करायी। इस मौके पर पूरे चर्च से अमन, मिल्लत और सौहार्द की सदाएं कैरोल सिंगिंग के दौरान गूंजती रही। पादरी ने कहा कि हमें आज वचन लेना होगा कि हम पूरे साल बुराईयों से बचे और अच्छाईयों के साथ अपना रिश्ता जोड़े। तभी सच्चे अर्थो में हम cristmas का लुत्फ उठा पायेंगे, क्यों कि cristmas हमारे उद्धार का दिन है। लाल चर्च में पादरी संजय दान की अगुवाई में cristmas मिलन व विशेष आराधना सभा का आयोजन किया गया। सबसे पहले यहां आराधना हुई उसके बाद बधाइयों का दौर शुरू हो गया। 

cristmas मिलन में लोगों ने एक दूसरे को गले लगाया व चुम्मन का आदान प्रदान कर cristmas की बधाइयां दी। यहां  सैकड़ों लोगों ने एक दूसरे में केक का आदान-प्रदान किया। 


सेंट थामस चर्च गौदोलिया में पादरी न्यूटन स्टीवंस, चर्च ऑफ बनारस में पास्टर बेन जॉन, सेंट बेटलफुल गॉस्पल चर्च में पास्टर एंड्रू थामस, ईसीआई चर्च में पास्टर नवीन ज्वाय, पास्टर दशरथ पवार, सेंट जांस महरौली चर्च में फादर हैनरी, सेंट जांस लेढूपुर चर्च में फादर सुसाई राज, वाराणसी मिशन चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रेयर हाउस में पास्टर लालकुमा, विजेता प्रेयर मिनिस्ट्रीज में पास्टर अजय कुमार, पास्टर एसपी सिंह ने आराधना कराते प्रभु ईसा मसीह के रास्ते पर चलने की लोगों को हिदायत दी। यहां सिस्टर रेाज़ी, विशाल राय, पास्टर कैनथ चतरी, सिस्टर नीरजा आदि मौजूद थीं।

Cristmas पर दिखी yeshu जन्म की झांकी


वाराणसी में यीशु मसीह के जन्म का पर्व क्रिसमस उल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान विभिन्न चर्चेज़ में आराधना के बाद लोग मस्ती करते दिखाई दिये इस दौरान कही यीशु जन्म की झांकी दिखी तो कहीं लोग सेल्फी लेकर मस्ती करते दिखे। चर्च ऑफ बनारस छावनी में ईसा मसीह जन्मोत्सव पादरी बेन जॉन की अगुवाई में धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान प्रार्थना और आराधना के साथ ही yeshu जन्म पर आधारित ड्रामा व पंजाबी भांगड़े के साथ ही वेस्टर्न डांस का आयोजन किया गया जिसमें ऐशर, आराधना, एंड्रू, ममता, एस्तेर जॉय, सिलवीया, पूनम, विनीता और हेमंत व अखिलेश मसीह व विकास आदि व्यवस्था संभाले हुए थे। कार्यक्रम के बाद लोगों ने एक दूसरों से गले मिलकर cristmas की बधाईयां दी। आयोजन का आन लाईन भी प्रसारण किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन बेन जॉन व सू जॉन ने दिया।

शनिवार, 24 दिसंबर 2022

Cristmas tree में केरोल सुन झूमे मसीही




Varanasi (dil india live). 23 दिसंबर की शाम 5:00 बजे बेतेल फुल गॉस्पल चर्च, महमूरगंज में क्रिसमस ट्री का भव्य आयोजन पास्टर बी. थॉमस एवं एंड्रयू थॉमस के नेतृत्व में किया गया है। इस कार्यक्रम में मधुर केरल गीतों की प्रस्तुति की गई अथवा विशेष नृत्य भी प्रस्तुत किया गया जो कि अत्यंत मनमोहक रहा। इस कार्यक्रम में नोएल, अमन, आकाश, सुनील, सनी, रोहित, श्रेया, ज्योति, प्रीति, कृति, शिवानी, हिमांशु, प्रियांशु एवं करन की प्रस्तुति ने सभी को हर्षित कर दिया।

पास्टर एंड्रू थामस ने कहा कि प्रभु यीशु मसीह प्रेम, शांति, भाईचारा एवं क्षमा करने का संदेश लेकर इस दुनिया में आए| ईश्वर होकर भी उन्होंने मानव रूप धारण किया और दीन दुखीयारों की सेवा का संदेश सबको दिया| क्रिसमस के पावन अवसर पर जरूरी है कि हम सब प्रभु यीशु मसीह के प्रेम को सभी लोगों के साथ बांटे अथवा उनके संदेशों को व्यक्तिगत जीवन में अनुशरण करें।

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

Cristmas news: Sunday के कंधे पर बैठ कर आएगा crismas व new year 2023

Cristmas tree में गूंजे कैरोल, झूमे मसीही 



Varanasi (dil india live)। संडे के कंधे पर बैठ कर इस बार क्रिसमस और नया साल 2023 आएगा। जी हां क्रिसमस का ग्लोबल पर्व 25 दिसंबर इस बार संडे को पड़ रहा है। नया साल भी इतवार को ही पड़ेगा। इससे मसीही समुदाय में खास उत्साह है। 
दरअसल पादरी आदित्य कुमार कि माने तो मसीही समुदाय में संडे का खास महत्व है। मसीही समुदाय में संडे न सिर्फ आराधना और प्रार्थना का दिन है बल्कि इसे जीत का दिन भी कहते हैं। पास्टर एंड्रू थामस बताते हैं कि संडे यीशु मसीह का दिन है, दुनिया इसे छुट्टी के दिन के नाम से भी जानती है। पादरी बेन जान कि माने तो संडे को जीत का दिन इसलिए कहा गया है कि संडे को प्रभु यीशु मसीह मौत को मात दे कर कब्र से जी उठे थे और तब ईस्टर कि खुशी मनाई गई थी। तभी से संडे छुट्टी और प्रार्थना का दिन हो गया। पादरी नवीन ज्वाय वह पास्टर दशरथ पवार कहते हैं कि संडे का मसीही समुदाय में खास महत्व है। लम्बे समय के बाद क्रिसमस और नया वर्ष इतवार को पड़ रहा है। इससे लोगों में उत्साह ज्यादा है।

चर्च आफ बनारस में cristmas 

चर्च आफ बनारस में cristmas tree का आयोजन किया गया। यहां पादरी बेन जान ने आराधना कराते हुए कहा कि हम मसीही है इसका हमें गर्व है, हमें अपने सांसारिक जीवन पर चिंतन-मनन कर यह आकलन करना हैं कि मसीही होने के नाते हमने अब तक के जीवन में प्रभु यीशु के आदर्शों पर कितना अमल किया। उन्होंने कहा कि हम आभारी है प्रभु यीशु के। हमारा फर्ज हैं कि हम भी प्रभु यीशु की सदा स्तूति करें।

इस अवसर पर Vikas Mishra, Akhilesh, Andrew, Ashish, Alok, aradhna, Asher john, Riddkant, Chandrashekhar Dogra आदि मौजूद थे।

बेटल फुल गास्पल चर्च में cristmas 

crismas सीजन के तमाम आयोजन सभी गिरजाघरों में हर शाम हो रहे हैं। इस दौरान गिरजाघरों में प्रभु यीशु की स्तूति के गीत गूंज रहें हैं।, आराधना और प्रार्थना का दौर अलग अलग चर्चेज में सुबह से शाम तक चलता रहा। शुक्रवार को शाम में बेटल फुल गास्पल चर्च में क्रिसमस ट्री का आयोजन होगा। कार्यक्रम कि अगुवाई पास्टर एंड्रू थामस करेंगे। 

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

गुड फ्राइडे: ईसा मसीह की शहादत का दिन

गिरजाघरों में पढ़ा जाएगा यीशु के साथ वचन



वाराणसी १३ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। पुण्य शुक्रवार या गुड फ्राइडे 
वो दिन है जिस दिन प्रभु यीशु मसीह को गोल्गथा नामक पहाड़ पर, जो कलवारी नमक स्थान पर स्थित है, क्रुस पर चद़ाया गया था। इस घटना से पूर्व प्रभु यीशु मसीह को रोमी सैनिकों एवं धर्मगुरुओं द्वारा अत्यंत वेदनाओं एवं दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा और अंत में क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने प्राण त्याग दिए। उनकी पवित्र मौत को सभी हर साल गुड फ्राइडे के रुप में मनाते हैं। 

क्रूस पर दिए प्रभु ने सात वचन

क्रूस पर से यीशु ने सात दिव्य वचन कहे जिनको की गुड फ्राइडे के दिन प्रार्थना सभाओं में स्मरण किया जाता है। यीशु मसीह के मानने वाले इन वचनों को आत्मसाध कर जीवन मैं अपनाने का संकल्प लेते हैं। मौत के दिन को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्यूंकि इसी दिन प्रभु यीशु ने समस्त मानव जाति को उनके पापों से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए और सभी को उद्धार का अवसर प्रदान किया।

चर्च आफ बनारस के पादरी बेनजॉन व रामकटोरा चर्च के पादरी आदित्य कुमार ने बताया कि यीशु मसीह को घोर यातना दी गई, और क्रूस पर उन्हे चढ़ाया गया। क्रूस पर उनकी पवित्र मौत की खबर से कि कलवारी में ईसा शहीद हुए धरती रो पड़ी मगर चमत्कार तीसरे ही दिन हुआ जब ईसा मसीह पुनः जीवित हो उठे।

बुधवार, 24 नवंबर 2021

इस क्रिसमस पर नया आकार ले रहा है गिरजाघर

 142 साल बाद लाल गिरजा में फिर आया निखार

  • 1879 में ब्रिटिश पादरी ने बनवाया था लाल गिरजाघर






वाराणसी (dil india live)। छावनी स्थित मसीही समुदाय की आस्था का केन्द्र सीएनआई लाल गिरजाघर को 142 साल बाद निखार आया है। समूचा चर्च नया आकार ले चुका है। क्रिसमस आते-आते समूचे चर्च का रंग-रुप पूरी तरह से बदल चुका होगा। कोरोना काल में दो साल तक क्रिसमस का जश्न नहीं मना था मगर इस दौरान सबसे खास यह हुआ कि प्राचीन चर्च के पुन: निर्माण की शुरुआत फरवरी में कर दी गई थी। चर्च के सेक्रेटरी विजय दयाल बताते हैं कि क्रिसमस तक पूरी काम हो जायेगा। अब तक तकरीबन 40 लाख रुपये चर्च निर्माण में खर्च किये जा चुके हैं। दिन रात की मेहनत के बाद चर्च का पूरा कलेवर ही पूराने नकशे के अनुरुप बदल दिया गया है। चर्च की गैलरी को भी चर्च में शामिल कर दिया गया है इससे तकरीबन दो सौ लोगों के बैठने की जगह पहले से और बढ़ जायेगी। 

लाल चर्च का इतिहास 

अपने नाम के अनुरूप ही इस गिरजाघर का रंग लाल है। पूर्व पादरी सैम जोशुआ सिंह ने चर्च की कहानी बेहद सरल लफ्जों में शेयर किया। उन्होंने बताया कि  ब्रिटिश पादरी एलवर्ट फ्रेंटीमैन ने ही लाल चर्च की नींव 1879 में अंग्रेजी हुकूमत के निर्देष पर रखी थी। फ्रेंटीमैन की देखरेख में ही इस चर्च का निर्माण हुआ। चर्च जब बनकर तैयार हुआ तो उन्हें ही सरकार ने  इस चर्च का पहला पादरी बनाया। वर्तमान में संजय दान चर्च के पादरी है तो विजय दयाल सचिव। 

 ईसा मसीह की शहादत की याद करता है ताज़ा 

लाल गिरजाघर का रंग शहादत का प्रतीक है। ईसा मसीह की शहादत की याद में ही वाराणसी के छावनी स्थित इस चर्च को लाल रंग और शांति के प्रतीक सफेद रंग से सजाया गया है। यह चर्च देश की मिली जुली संस्कृति की मिसाल है। यहां सभी मज़हब के लोग समय-समय पर आते हैं। इतवार को विशेष प्रार्थना सुबह 9.30 बजे से होती है तो क्रिसमस के दौरान यहां शाम में भी चर्च सर्विस होती है। हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी के साथ ही यहां भोजपुरी में भी प्रभु यीशु की स्तुति की जाती है।

28 से शुरू होगा प्रभु यीशु आगमन काल

क्रिसमस सीजन की शुरुआत इस बार 28 नवंबर से शुरू हो जायेगी। क्रिसमस के पूर्व पड़ने वाले चार इतवार को आगमन काल माना जाता है। उसके बाद क्रिसमस आता है। इस बार 28 नंबर को पहला इतवार है। इसी दिन चर्चेज़ में क्रिसमस का आगाज़ हो जायेगा। इसके बाद यूं तो हर दिन चर्चेज़ में कैरोल सिंगिंग व प्रार्थना सभा होगी मगर संड़े कुछ खास ही होगा। आगमन का दूसरा इतवार 5 दिसंबर, तीसरा 12 दिसंबर व चौथा इतवार 19 दिसंबर को पड़ेगा। इसके बाद क्रिसमस आयेगा। क्रिसमस में दो साल बाद फिर उल्लास और उत्साह दिखाई देगा।

Christmas celebrations में पहुंचे वेटिकन राजदूत महाधर्माध्यक्ष लियोपोस्दो जिरोली

बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...