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मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

Mira Kumar पहुंची रविदास मंदिर राजघाट

सतीश कुमार की तेरहवी में  किया शिरकत, चढ़ाया फूल 

श्री गुरु रविदास मन्दिर राजघाट में हुई श्रद्धांजलि सभा 




Varanasi (dil India live). 03.10.2023. मंगलवार को दी रविदास स्मारक सोसाइटी काशी राजघाट के तत्वाधान में सोसाइटी के सचिव प्रबंधक स्मृतिशेष सतीश कुमार उर्फ फगुनी राम की तेरहवी एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रविदास मंदिर राजघाट वाराणसी में सम्पन्न हुआ. श्रद्धांजलि सभा में काशी, बिहार, मध्य प्रदेश व दिल्ली आदि प्रांतो से बड़ी संख्या में पधारे साधु संत एवं महंतों ने अरदास की. फगुनी राम के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्व लोक सभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहां फगुनी राम श्रद्धा विश्वास आस्था एवं सत्यनिष्ठा के साथ रविदास मंदिर एवं मेरे कुटुम्ब से जीवन भर जुड़े रहे, वे परिवार के अभिन्न अंग थे. उनकी असमय मृत्यु से मुझे गहरा सदमा लगा है वे गुरु जी के अमुर्त रूप के कुशल प्रबंधक थे. राजघाट काशी का रविदास मंदिर सर्वधर्म सम्भाव का प्रतीक है. समता मूलक समाज स्थापना इसका मुख्य उद्देश्य है. श्रद्धांजलि स‌भा को फगुनी राम के बेटे मनोज, विनोद कुमार एवं बेटी अनिता एवं वंदना के साथ-साथ डॉ भगवती सिंह, मदन लाल, भगत प्रो० प्रज्ञा, राजकुमार भारती आदि लोगों ने संबोधित किया सभा का संयोजन धन्यवाद ज्ञापन महाप्रबंधक रतन लाल भगत, संचालन डा. जयशंकर जय ने किया।

सभा में  मुख्य रूप से डा० अंशुल अभिजीत महंत रामेश्वरदास महंत रामविलास दास, डॉ भारत भूषण, महंत फलाहारी बाबा महंत वैभव गिरी, गोरखनाथ यादव, वीरेन्द्र बबलू रमेशगुप्त, डा. उमाशंकर यादव, मदन यादव के साथ पारिवारिक सदस्य गढ़ बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

गुरुवार, 21 सितंबर 2023

Jain mandir's में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया रोक थाम के लिए विशेष पूजन

मंदिरों में मना दशलक्षण पर्व का "उत्तम आर्जव धर्म" 




Varanasi (dil India live). 21.09.2023. पर्युषण पर्व के तीसरे दिन गुरुवार को भी जैन मन्दिरो में प्रातः से विविध धार्मिक कृत्य प्रारंभ हुए. मंत्रोच्चारण के साथ सभी जैन मंदिरो में तीर्थंकरो का जलाभिषेक किया गया. भदैनी स्थित भगवान सुपार्श्वनाथ का जन्म स्थली एवं अन्य जैन मंदिरों में भगवान सुपार्श्वनाथ के गर्भ कल्याणक की विशेष पूजा व्रत के साथ एवं आर्जव धर्म की पूजा की गई. ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में प्रदेश में तेजी से फैल रही बीमारी स्क्रब टायफस, डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के जल्द रोक थाम के लिए विशेष पूजा एवं शान्ती धारा की गई व जैन औषधालयों से दवा वितरित की गई.

श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे अनेक धार्मिक आयोजनो में भगवान पार्श्वनाथ जन्म स्थली भेलूपुर मे विधानाचार्य प्रो: अशोक जैन के निर्देशन में क्षमावाणी विधान बहुत ही भक्ति भाव के साथ किए जा रहे है. ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर में भी क्षमावाणी विधान के माणने पर तीर्थंकर को सिंहासन पर विराजमान कर श्री फल, पुष्प अर्पित कर अर्ध्य चढाये जा रहे है. प्रातः से सारनाथ, चन्द्रपुरी, नरिया, भदैनी, मैदागिन, खोजंवा, हाथीबाजार स्थित मन्दिरो मे भी विविध धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे है.

सायंकाल भेलूपुर स्थित तीर्थ क्षेत्र पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक भूमि पर 10 धर्मो के तृतीय अध्याय "उत्तम आर्जव धर्म " पर व्याख्यान देते हुए प्रो: फूल चन्द जैन प्रेमी ने कंहा कि मायाचारी (कुटिलता) को छोड़कर निर्मल ह्रदय होना, स्वभाव में सरलता होना ही आर्जव धर्म है. मायाचारी पुण्य को नष्ट करती है, पाप को बढाती है, सत्य को निरस्त करती है. खोजंवा स्थित अजित नाथ जैन मन्दिर में प्रवचन करते हुए डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कंहा- आर्जव का अर्थ है- श्रृजुता,सीधापन, सुगमता, सरलता, स्पष्टवादिता, ईमानदारी। कुटिलता का अभाव ही आर्जव धर्म है। ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर में शास्त्र प्रवचन करते हुए पं सुरेंद्र शास्त्री ने कंहा- माया की छाया जिसकी काया पर पड जाए, उसके जीवन का सफाया हो जाता है, याद रखना जिसे किसी ने नहीं देखा, उसे उसे आपने स्वयं ने देखा है, आपने किया कपट औरो को नही स्वयं को ही छला है. उन्होंने कहां कि जीवन के प्रसन्नता के रथ पर सवार हो, खुशियो का दामन ना छोड़े, इसके लिए दशलक्षण का तीसरा कदम उत्तम आर्जव धर्म अपनाना अत्यंत आवश्यक है. सायंकाल शास्त्र प्रवचन, जिनवाणी पूजन, देवो की आरती व भजन किए गये. आयोजन में प्रमुख रूप से सभापति दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, संजय जैन, आर सी जैन, प्रधानमन्त्री अरूण जैन, समाज मन्त्री तरूण जैन, रत्नेश जैन, विनोद जैन, विजय जैन, सौरभ जैन उपस्थित थे.

शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

Sant Ravidas ka anokha Mandir




Varanasi (dil india live)। मजहबी शहर बनारस गंगा जमुनी तहजीब के लिए देश दुनिया में विख्यात है। यहां मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर व गुरुद्वारों के ऐतिहासिक दस्तावेज पग पग पर मौजूद है। यही वजह है कि इनके दर्शन के लिए देश दुनिया से भक्त खींचे चले आते हैं। ऐसा ही ऐतिहासिक और अनूठा आस्था का एक केन्द्र है, राजघाट पर स्थित संत रविदास मंदिर। यह मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है। यह मंदिर जहां श्रम साधना का संदेश देता है वहीं सर्वधर्म समभाव की एक शानदार मिसाल भी है।

संत रविदास सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे। इसका अंदाजा उनकी स्मृति में राजघाट में बनाए गए मंदिर को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। यह मंदिर संत रविदास के संदेशों के अनुकूल बनाया गया है। राजघाट स्थित संत रविदास का मंदिर सर्वधर्म समभाव का इकलौता ऐसा प्रतीक है जहां पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के दर्शन होते हैं। सभी धर्मों के प्रतीक चिन्ह को मंदिर के गुंबद पर स्थान दिया गया है।

दी रविदास स्मारक सोसायटी के महासचिव सतीश कुमार उर्फ फगुनी राम ने बताया कि मंदिर का शिलान्यास 12 अप्रैल 1979 में हुआ और 1986 में बनकर जब तैयार हुआ तो सभी देखते रह गए। मंदिर पर पांच गुंबद हैं जिन पर हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एवं बौद्ध धर्म के मंगल चिह्न अंकित हैं। इस मंदिर का निर्माण देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम ने कराया था। उन्होंने बताया कि संत रविदास मानवता, समता व समरसता के पोषक थे। इसी भावना को केंद्र में रखकर बाबू जगजीवन राम ने इस मंदिर की स्थापना की। यह मंदिर सभी जाति एवं धर्म के लोगों के लिए सदैव खुला रहता है। मंदिर के सुनहरे गुंबद से जब सूर्य की रोशनी टकराती है तो मंदिर की छटा और बढ़ जाती है। बेहद खूबसूरत एवं भव्य मंदिर की चमक दूर से ही दिखाई देने लगती है।


संत शिरोमणि गुरु रविदास जयंती कि तैयारी पूरी 

संत रविदास की जयंती को मनाने के लिए मंदिर में तैयारियां पूरी हो गई हैं।  रविदास जयंती पर दर्शनार्थियों का मंदिर में तांता लगा रहता है। खासकर पंजाब से तो जत्थे में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचते हैं। जगजीवन राम की बेटी व पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार हर साल मंदिर में मत्था टेकने आती हैं। इस बार भी वो यहां आ चुकी हैं।

गुरुवार, 3 नवंबर 2022

Dev dipawali पर काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने रेत पर होगी ग्रीन आतिशबाजी

वाराणसी के चेत सिंह घाट पर होगा 3D प्रोजेक्शन मैपिंग व लेज़र शो



Varanasi (dil india live)। देव दीपावली पर काशी में पहली बार लाइव चरित्रों पर आधारित 20 लेजर प्रोजेक्टर्स द्वारा 3D प्रोजेक्शन मैपिंग शो होने जा रहा है। इस शो का आयोजन उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्रालय के द्वारा किया जा रहा है। इस शो की विशेषता यह है कि इसे माँ गंगा के ऐतिहासिक चेतसिंह घाट की दीवारों पर 3D प्रोजेक्शन मैपिंग के द्वारा माँ गंगा के अवतरण की यात्रा को दिखाया जाएगा। इतिहास के पात्रों को फिर से बनाया गया और इसमें विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए संगीत और ध्वनि के साथ ऐसा वातावरण बनेगा। जहां दर्शक को लगेगा कि वह कहानी का हिस्सा है और ये शो दर्शकों के मानस पटल पर अमिट स्मृति छोड़ेगा। टेक्नॉलजिय का यह मेल कथा और चरित्रों को सजिवन्त करता है। इसके साथ ही लेजर और लाईट मल्टीमिडिया शो भी है जो टाइम कोड द्वारा प्रसारित किया जाएगा।

इसमें संगीत की ध्वनि के साथ लेज़र और लाइट्स का एक अनूठा तालमेल देखने को मिलेगा जो वह उपस्थित लोगो मंत्रमुग्ध कर देगा। इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर के सामने रेत पर ग्रीन आतिशबाजी की जाएगी।

रविवार, 11 सितंबर 2022

Jain dharam news: क्षमा कायरों का नहीं वीरों का धर्म

भगवान पार्श्वनाथ जन्मस्थली पर बही मैत्री, प्रेम  की गंगा 

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर पूरे विश्व के लिए दिया गया प्रेम का सन्देश 





Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर रविवार को क्षमावाणी पूजन, तीर्थंकरो का प्रक्षाल नमन, विद्वत जनो का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर भारी संख्या में लोगों ने एक दूसरे से क्षमायाचना व क्षमा का सन्देश पूरे विश्व के लिए हुआ। प्रारंभ में अपराह्न 1 बजे से क्षमावाणी पूजन एवंदेवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ का अभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ सायं तक चला। 
विश्व शांति के लिए शान्ती धारा की गई। 

राजेश जैन ने बताया कि यह वो दिन है जिस दिन बैर विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव प्रकट किया जाता है। शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत एवं निरबैर बनाने का प्रयत्न करते हैं। अनजाने में बिन चाहे भी भूल किसी से हो सकती है, ऐसे उन अंजान पलों की भूल हमारी माफ करें। 

क्षमावाणी पर्व पर हमें क्षमा का दान करे, मुझे गले से लगाकर मेरे ऊपर उपकार करें ,कलुष ह्रदय को साफ करें । तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय भूमि क्षेत्र में विश्व का यह अनूठा कार्यक्रम वाराणसी के भेलूपुर स्थित जैन मन्दिर में आयोजित हुआ। जहां बहती रही सिर्फ प्रेम, मैत्री एवं क्षमा की गंगा। इस पर्व पर सभी छोटे- बडे का भेदभाव मिटाकर महिलाए, बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले से गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे। 

तन-मन एवं आत्मा की शुद्धी पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश देता है। 

परस्परोप ग्रहो जीवानाम् की भावना एक -दूसरे के प्रति सभी के ह्रदय में प्रेम गहरा और प्रगाढ होता रहे। यही मैत्री के क्षमावाणी पर्व का मुख्य उद्देश्य है। यही सन्देश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है।क्षमावाणी सन्देश में प्रोः अशोक जैन ने कहां क्षमा अमृत है, क्षमा ज्योति पुंज है, आत्मनुभव का वास्तविक रूप है। प्रोः कमलेश जैन ने कहां-क्षमा श्रमण जो होता है विष को अमृत करता है। 

ब्रह्मचारी आकाश जैन ने कहां - क्षमा कायरो का नहीं वीरों का धर्म है। क्षमाशील आत्म पुरूषार्थ करते है। 

डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - क्षमा प्राणी मात्र का धर्म है। इसे किसी जाति, सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा जा सकता। 

पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- क्षमा आत्मा का स्वभाविक गुण है। क्षमा मोक्ष महल की आधार शिला है। 

धर्म प्रचारक राजेश जैन ने कहां-संस्कृत में पृथ्वी का एक नाम क्षमा, अचला, स्थिरा भी है, विवेकी व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के समान अचल और आचरण में हमेशा स्थिर होना चाहिए। इसलिए कहां गया है क्षमा वीरसय् भूषणम् ।यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व मे गुंजायमान करता है। 

यह पर्व प्रेम, करूणा, वात्सल्य और नैतिकता के भाव जागृत करता है। 

विद्वानो ने क्षमावाणी पर्व को विश्व मैत्री बताते हुए इसकी तुलना अंहिसा दिवस से की। पर्व पर जैन साधको ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों ,इष्ट मित्र, व्यापारी, शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ई मेल, एस एम एस द्वारा सन्देश देकर शुभकामना दी। 

विद्वानो में प्रोः अशोक जैन, प्रोः कमलेश जैन, डाः मुन्नी पुष्पा जैन, ब्रह्मचारी आकाश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री, पं मनीष जैन एवं 16 दिन से 3 दिनो का निर्जला व्रत करने वालो में श्री मति मोना काला (16)दिन, आलोक जैन (10)दिन, अर्पित जैन (10)दिन श्रीमति मंजू जैन (10)दिन, किशोर जैन (10)दिन, रजनी जैन, संध्या जैन, शोभा जैन, श्वेता जैन, नीति जैन, मनीषा जैन, इन सभी व्रत तपस्वीयों का सम्मान समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मन्त्री अरूण जैन, विनय जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, प्रमिला सांवरिया, शोभारानी जैन ने किया। 

आयोजन में प्रमुख रूप से आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, रत्नेश जैन, सौरभ जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।

गुरुवार, 8 सितंबर 2022

Ananta chaturdashi पर्व पर होगा 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक




Varanasi (dil india live)। नगर के विभिन्न जैन मंदिरो में शुक्रवार 9 सितम्बर को विविध धार्मिक आयोजन होगे। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में शुक्रवार 9-9-2022 को दशलक्षण (पर्युषण महापर्व) के अन्तिम दिन नगर के सभी जैन मंदिरो मे परिक्रमा पूजन, अभिषेक, प्रभात फेरी कर धर्मावलम्बी प्रातः बेला से ही करेंगे। 

मुख्य आयोजन-:अनंत चतुर्दशी पर्व पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर जी में पूजन के साथ सकल जैन समाज की उपस्थिती में (केंद्रीय कार्यक्रम)ठीक सायं 4 बजे से श्री 1008 अनंत नाथ भगवान एवं चिंतामणि पार्श्वनाथ जी (मूलनायक) पद्मासन विशाल बडी प्रतिमा जी का 108 रजत कलशो से महामस्तकाभिषेक का आयोजन होगा। भगवंतो की आरती के उपरांत प्रवचन का कार्यक्रम होगा।

Jain dharam news:जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन-पूजन

जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म 

पर्युषण पर्व का नौवां दिन-अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार को




Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में गुरुवार को प्रातः जैन मंदिरो में चौबीसो तीर्थंकरो का प्रक्षालन एवं पूजन किया गया। पर्व के नौवें दिन मंदिरो मे रत्नत्रय स्थापना, नन्दीशवर दीप पूजन, दशलक्षण बिधान पूजन, सोलह कारण व्रत पूजन, स्वयंभू स्त्रोत पूजा प्रारंभ हुई। 

प्रातः भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म भूमि भेलूपुर मे ब्रह्मचारी आकाश जैन जी के कुशल निर्देशन में संगीतमय क्षमावाणी महामंडल विधान मे भक्तो ने बढ चढ कर हिस्सा लेकर पूरी श्रद्धा के साथ भाग लिया। गुरुवार को जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर की जन्म स्थली चन्द्रवती, चौबेपुर भगवान के गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक भूमि मे चन्द्रप्रभु स्वामी का प्रक्षाल पूजन किया गया। 

पर्युषण पर्व के नौवे अध्याय "उत्तम आकिंचन धर्म "पर ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मन्दिर मे सायंकाल पं सुरेंद्र शास्त्री ने व्याख्यान देते हुए कहा-आकिंचन का अर्थ है-मेरा कुछ भी, किंचित भी नहीं है। 'मै का अर्थ है-आत्मा और मेरा अर्थात आत्मा का क्या?कुछ भी तो नहीं ।

आत्मा तो शरीर को छोड़कर चली जाती है ।शरीर ही जब मेरा नहीं है, तो कुछ मेरा कैसे हो सकता है। यदि आप उत्तम आकिंचन धर्म अपनाना चाहते है, तो धन के लिए धर्म को नहीं ,धर्म के लिए धन को छोडना प्रारंभ कर दो। बाहरी परिग्रह को त्याग कर आत्म-स्वभाव में रमण करना सीख जाओ। सभी का कल्याण हो, सभी धर्म मार्ग पर चलना सीख जाए। 

खोजंवा स्थित जैन मंदिर में डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां आकिंचन धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है  किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है। जहां पर किंचित मात्र भी अंतरंग और बहिरंग परिग्रह न हो उसे कहते है आकिंचन धर्म। 

सायंकाल सभी जैन मंदिरो मे-भजन, जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, तीर्थंकरो की आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। 

आयोजन मे प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, विनोद जैन, अरूण जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, अजित जैन, राज कुमार बागडा उपस्थित थे। 

बुधवार, 7 सितंबर 2022

Jain news: जीवन का उद्धार संग्रह से नही त्याग से

पर्युषण पर्व का अष्टम दिन- रत्नत्रय व्रत पूजा प्रारंभ 



Varanasi (dil india live)। श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व पर बुधवार को सुबह सभी जैन मंदिरो में तपस्वियों के तप की अनुमोदना की गई ।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पावन अवसर पर सोलह कारण के 32/16 उपवास, दशलक्षण व्रत के 10 उपवास, अठाई के 8 उपवास, रत्नत्रय के 3 उपवास, एकासन एवं किसी भी प्रकार से त्याग-तपस्या कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वियों के उत्कृष्ट साधना के लिए जैन समाज ने कृत कारित अनुमोदना की। यह पर्युषण पर्व सबके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करें, ऐसी मंगल कामना की गई। 

बुधवार को जैन मंदिरो में रत्नत्रय व्रत पूजा, भगवनतो की पूजा, अरिहंतो की पूजा एवं अभिषेक व क्षमावाणी महामंडल विधान पूरी भक्ति के साथ संगीतमय वातावरण मे मंत्रोच्चार के साथ किया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है इस दौरान श्रावक भक्तो के मन मे सहज ही त्याग- तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है। 

बुधवार को प्रातः भदैनी स्थित भगवान सुपारस नाथ जी की जन्म स्थली (जैन घाट) मे तीर्थंकर का प्रक्षाल पूजन किया गया। थोडा सा त्याग वीजारोपण की तरह हमेशा करते रहना चाहिए, जिससे भविष्य में पुण्य की फसल लहलहायेगी। उक्त बाते खोजंवा स्थित जैन मंदिर मे पर्व के आठवे दिन "उत्तम त्याग धर्म " पर व्याख्यान देते हुए-डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां- उन्होंने कहा जो समस्त द्रव्यो में मोह छोड़कर संसार शरीर और भोगो से विरक्त होता है, वही सच्चा त्याग धर्म है। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित मन्दिर मे व्याख्यान देते हुए प: सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- समस्त संसार में उत्तम त्याग धर्म श्रेष्ठ कहा गया है। औषधि दान, शास्त्र दान, अभय दान, आहार दान-ये तो व्यवहार त्याग के रूप में है। राग और द्वेष का निवारण करना (त्यागना) निश्चय त्याग है। बुद्धिमान लोग दोनों दान (व्यवहार और निश्चय) करते है, दिगम्बर जैन साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते है। 

जिस प्रकार मेघा जल का त्याग, नदी स्वयं का जल नही पीती, पेड़ स्वयं फल नही खाते। इसी प्रकार अधिक धन या वस्तु का संग्रह नही करना चाहिए त्यागने से ही मन एवं चित्त प्रसन्न रहता है। 

सायंकाल जिनेन्द्र भगवान की आरती, प्रतियोगिताए, धर्म पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गए। 

आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, संजय जैन, अरूण जैन, जय कुमार जैन, रत्नेश जैन, तरूण जैन, सौरभ जैन उपस्थित रहे। 

सोमवार, 5 सितंबर 2022

Jain dharam : पर्युषण पर्व का छठवा दिन

उत्तम सयमं पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता...

जैन मन्दिरो में सुगन्ध दशमी आस्थापूर्वक मनाई गई



Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान में सोमवार को जैन मंदिरो में पर्व के छठवे दिन भक्तो ने श्रीफल, चंदन, अक्षत, पुष्प चढाकर तीर्थंकरो का प्रक्षालन किया। सुगन्ध दशमी पर्व पर धूप चढ़ाकर चौबीसी पूजन एवं शान्ति धारा की। 
भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलूपुर में चल रहे दस लक्षण महामंडल विधान के छठवें दिन प्रातः भक्ति संगीत के साथ माढ़ने पर श्रीफल अर्पित किया। 

सोमवार को नगर की सभी जैन मन्दिरों में सुगन्ध दशमी पर ये धूप अनल में खेने से, कर्मो को नही जलायेगी।निज मे निज की शक्ति ज्वाला, जो राग- द्वेष नशायेगी। जय जिनेन्द्र भवतु सवव मंगलमय का पाठ किया। पर्युषण पर्व के छठवे दिन सोमवार को सायंकाल ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर मे "उत्तम संयम धर्म " पर व्याख्यान देते हुए पंडित सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- उत्तम संयम पाले ज्ञाता, नरभव सफल करे ले साता। मन चंचल है, गलत दिशा में जल्द प्रवृत्त होता है। इन्द्रियां यानी स्पर्श न, जीभ, नाक, आंखे और कान अपने मन को गलत विषयो में लगा देते है। मन को सही दिशा में रखने के लिए संयम रूपी ब्रेक रखना जरुरी है। संयम, नियम, मर्यादा, अनुशासन से जीवन महान बनता है और लक्ष्य हासिल होता है। अतः संयम रत्न की भांति संभाल कर रखना चाहिए। उत्तम संयम धर्म हमें आज यही सन्देश देता है। 

खोजवां स्थित जैन मंदिर में डाः मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- संयम के बिना मोक्ष मार्ग पाना कठिन है।  हिंसा आदि पापो से अगर बचना है तो, संयम का सहारा लेना ही पड़गा। बिना संयम के ये जीवन अधूरा है। सम्यक प्रकार के विकृत संस्कारो को मिटा देना मन और संस्कारो को स्वस्थ रखकर इन्द्रियों को शांत रखकर अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे। अपने क्रोध का त्याग कर पांचो इन्द्रियो के विषय को जीत कर संयम धर्म अपनाया जा सकता है। 

सायंकाल जैन मन्दिरो में तीर्थस्थलीयो पर प्रतियोगिताए, सांस्कृतिक कार्यक्रम, जिनवाणी पूजन एवं तीर्थंकरों की महाआरती की गई। आयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, ललित पोद्दार, आलोक जैन, कमलेश चन्द जैन, आदीश जैन, विनोद जैन आदि उपस्थित थे।

शनिवार, 3 सितंबर 2022

Jain dharam news: उत्तम शौच धर्म में प्रवेश के जानिए कौन हैं तीन द्वार

जैन मंदिरों में दान, प्रेम और करुणा पर हुई चर्चा 

  • जैन धर्म के पर्युषण पर्व का चौथा दिन 






Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी के तत्वावधान मे चल रहे दस दिवसीय पर्युषण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को धर्मावलम्बी दस वृत्तियो का व्रत लेकर- उपवास, साधना, पूजा इत्यादि में रहकर अपनी आत्मा को शुद्ध करने मे तल्लीन है। इस परवाधिराज पर्व मे सभी जैन श्रावक-श्राविकाए अत्यंत भक्ति पूर्वक जिनेन्द्र प्रभु की आराधना में लीन है।

प्रातः नरिया स्थित जैन मन्दिर में भगवान महावीर की दिव्य पद्मासन प्रतिमा का आज भक्तो ने जलाभिषेक एवं सविधि पूजन व पाठ किया तो वहीं भगवान पार्श्वनाथ की जन्म भूमि पावन तीर्थ क्षेत्र मे वृहद क्षमावाणी विधान में पूरे भक्ति संगीत भजन के साथ महिलाओं एवं पुरुषों ने पूरी भक्ति से आयोजन में भाग लेकर माढने में श्री फल अर्पित विभिन्न धार्मिक आयोजन किये।

सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में पर्व के चौथे अध्याय "उत्तम शौच धर्म "पर व्याख्यान देते हुए डा: मुन्नी पुष्पा जैन ने कहा- शौच शौच धर्म मे प्रवेश करने के तीन द्वार है- दान, प्रेम और करुणा। दान की कुंजी से ही शौच धर्म मे प्रवेश करने का ताला खोल सकते है। मन पवित्र हो तो शरीर पवित्र हो ही जाता है। ब्रह्म अशुचिता सागर के जल से भी धोओ तो भी कोई महत्व नही, भीतरी शुचिता के अभाव में। 

ग्वाल दास साहू लेन स्थित जैन मंदिर में प. सुरेंद्र शास्त्री ने कहा- चित्त की मलीनता का मूल कारण लोभ लालच है। प्रत्येक आत्मा में निर्मल होने की शक्ति है। लोभ का आभाव ही पवित्रता है।

सायंकाल सभी जैन मन्दिरो मे जिनवाणी पूजन, शास्त्र प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जिनेन्द्र भगवान की आरती की गईआयोजन मे प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरूण जैन, विजय कुमार जैन, निशांत जैन, आनंद जैन, तरूण जैन, डा: जे के सांवरिया उपस्थित थे।

सोमवार, 29 अगस्त 2022

Mandir पर अतिक्रमण के चलते दर्शानार्थी हो रहे परेशान




Varanasi (dil india live)। शहर के हृदय स्थल गोदौलिया चौराहे से चंद क़दम दूर स्थित अतिप्राचीन काशीराज काली मंदिर परिसर में तबेला चलाया जा रहा है जिसके चलते यहां दर्शन करने आने वाले दर्शनार्थियों और पर्यटकों को झमेलों से दो-चार होना पड़ रहा है। अवैध तरीके से तबेला चलाने वाले ने यहां गायों को रखा हुआ है जिससे मंदिर परिसर में गंदगी और बदबू फैली हुई है ।

इस परिसर में गौतमेश्वर महादेव का भी मंदिर स्थित है लगभग दो सौ साल पुराना ये मंदिर शिल्प कला की दृष्टि से बेजोड़ है पत्थरों पर की गई जालीदार नक्काशी देखने लायक है यहां आने वाले बस इसे देखते रह जाते है हेरीटेज सिटी के लहजे से देखें तो ये मंदिर शहर को एक पहचान देती है लेकिन परिसर में अवैध रूप से किए जा रहे पशुपालन के चलते मंदिर की गरिमा धूमिल हो रही है। 

मंदिर में सूचना भी लगायी गई है जिसके तहत मंदिर परिसर में पशुपालन को अवैध माना गया है लेकिन सारे नियमों को किनारे रखकर यहां तबेला चलाया जा रहा है।

कहने को प्रदेश सरकार अवैध अतिक्रमण को लेकर बेहद सख्त है। अवैध अतिक्रमण कानून के तहत मठ-मंदिरों में कब्जा या अतिक्रमण करने वाले के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश देने के साथ ही स्पष्ट रूप से अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए कहा गया है लेकिन यहां अवैध तरीके से तबेला चलाया जा रहा है। देखना ये है कब प्रशासन की नजर इधर पड़ती है और अपने स्थापत्य कला में बेजोड़ सैकड़ों साल पुराना यह मंदिर अवैध अतिक्रमण से मुक्त होता है।

शनिवार, 20 अगस्त 2022

Krishna Janmashtami की रही हर तरफ धूम





Varanasi (dil india live). शहर भर में धूमधाम से जन्माष्टमी पर्व मनाया गया। इस पर्व पर मध्य रात्रि को भगवान श्री कृष्ण केे जन्म का उत्सव देखते ही बन रहा था। खासकर दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर  विविध आयोजनों से चहकता रहा। जन्मोत्सव पर मणि मंदिर में प्रातः काल से ही  पूजन अर्चन प्रारंभ रहा। सर्वप्रथम ठाकुर जी का विशिष्ट श्रृंगार किया गया। उसके पश्चात विशाल नर्वदेश्वर शिवलिंग का भी श्रृंगार किया गया। सायंकाल स्थानीय कलाकारों द्वारा सोहर एवं बधाई गीतों का आयोजन किया गया। इसके अलावा स्थानीय विद्यालयों की छात्राओं द्वारा भी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गयी। राजकीय बालिका इंटर कालेज की छात्राओं ने सर्वप्रथम सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। गोपिराधा बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं ने आजादी के अमृत महोत्सव एवं कृष्ण रास पर आधारित नृत्य नाटिका की मनमोहक प्रस्तुतियां दी। इसके अलावा दुर्गाचरण बालिका इंटर कॉलेज, अग्रसेन कन्या इंटर कॉलेज की छात्राओं ने भी प्रस्तुतियां दी।
इस अवसर पर सम्पूर्ण धर्मसंघ परिसर में फूल मालाओं से भव्य सजावट की गई थी। रात्रि में वृंदावन से आयी मण्डली द्वारा रासलीला भी प्रस्तुत किया गया। धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज ने सभी को आशीर्वचन दिया। पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने कलाकारों का स्वागत किया। संचालन नवीन दुबे ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजमंगल पाण्डेय, शशि प्रभा पाण्डेय आदि शामिल रहे।

तुलसी विवाह पर भजनों से चहकी शेर वाली कोठी

Varanasi (dil India live)। प्रबोधिनी एकादशी के पावन अवसर पर ठठेरी बाजार स्थित शेर वाली कोठी में तुलसी विवाह महोत्सव का आयोजन किया गया। श्री ...