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गुरुवार, 7 सितंबर 2023

गूंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं...

इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों का मना चेहल्लुम 

निकला जुलूस, दर्द भरे नौहों के गूंजे बोल, हुआ मातम 

उलेमा बोले: हुसैन किसी एक मज़हब के नहीं 






Varanasi (dil India live). 07.09.2023. इमाम हसन, इमाम हुसैन समेत कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम जुमेरात को अकीदत के साथ मनाया गया. इस मौके पर  जहां अंजुमन इमामिया के संयोजन में चेहल्लुम का जुलुस का आगाज़ अर्दली बाजार में मौलाना गुलज़ार मौलाई की मजलिस से हुआ वहीं बाद मजलिस अलम, ताबूत, दुलदुल व हज़रत अली असगर का झूला उठाया गया. इस मौके पर अमारी की अकीदतमंदों ने नम आंखों से जियारत कर कर्बला के शहीदों को याद किया. जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ उल्फत बीबी कम्पांड, सब्जी मंडी, डिठोरी महाल होते हुए पुनः उल्फत बीबी कम्पाउंड में आकर समाप्त हुआ.

मौलाना बाकर रजा बलियाबी की निजामत में निकले जुलूस में जफर अब्बास रिज़वी, हाजी एसएम जाफर, दिलकश रिज़वी, फसाहत हुसैन बाबू, इरशाद हुसैन, हसन मेंहदी कब्बन, सुजात हुसैन, रियासत हुसैन, विक्की जाफरी, रोमान हुसैन, राहिल नक़वी, सबील हैदर, गुलरेज़ टाइगर, अलमदार हुसैन, अमन मेहदी, ताबिर, नज़फ हैपी व्यवस्था संभाले हुए थे. 

जुलूस अर्दली बाज़ार मुख्य सड़क पर पहुंचने पर मौलाना तौसीफ अली इमामे जुमा अर्दली बाजार ने तकरीर करते हुए कहा कि हुसैन किसी एक मज़हब का नाम नहीं है बल्कि हुसैन पूरी कायनात के लिए आए और पूरी कायनात को दिखा दिया कि अगर इंसानियत और हक की बात आए तो अपनी जान की भी परवाह मत करना. जुलूस के साथ-साथ शहर की मशहूर अंजुमन अंसारे हुसैनी रजिस्टर्ड, अंजुमन जादे आखिरत, अंजुमन कासिमिया अब्बासिया, अंजुमन सदाये अब्बास, अंजुमन हुसैनिया, अंजुमन अंसारे हुसैनिया अवामी, अंजुमन पैगामें हुसैनी, अंजुमन मकदुमिया (गाज़ीपूर) के अलावा अन्य अंजुमन नौहाख्वानी व मातम करते हुए चल रही थी. क्षेत्रीय पार्षद व स्थानीय सभी वर्ग के लोग जुलूस में शामिल हुए.

उधर वक्फ मस्जिद व इमामबाडा मौलाना मीर इमाम अली व मेहदी बेगम गोविन्दपुरा कला, छत्तातले से चेहल्लुम का जुलूस मुतवल्ली सै• मुनाजिर हुसैनी मंजू के जेरे इन्तेजाम उठा. जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खेताब फरमाते हुए मौलाना ने कर्बला का वाक्या पेश किया. जुलूस उठने पर शुजाअत अली खां कब्बन मिर्जा व साथियों ने सवारी पढी " जब गोरे गरीबाँ से वतन में हरम आए…" जुलूस धीरे-धीरे छत्तातला,  गुदड़ी बाजार होते हुए दालमंडी हकीम काजमी के अजाखाने पहुंचा जहां से शबीहे जुलजनाह बरामद हुआ और अंजुमन हैदरी चौक ने नौहाख्वानी व मातम शुरू किया." ऐ अहले अजा बैठे क्या हो फरजंदे नबी का चेहलुम है ".जुलूस नई सडक काली महल पितरकुण्डा होते हुए लल्लापुरा स्थिति फात्मान पहुंचकर इकतेदाम पदीर हुआ. ऐसे ही इमामबाड़ा कच्चीसराय, दालमंडी से सैयद इकबाल हुसैन, लाडले हसन की देखरेख में जुलूस उठाया गया. जुलूस की देखरेख अंजुमन जव्वादिया ने की. जुलूस दालमंडी, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल होकर दरगाहे फातमान पहुंचा. इस दौरान, दर्द भरा नौहा गूंजी है कर्बला में सदा मैं हुसैन हूं, नाना मेरे रसूले खुदा मैं हुसैन हूं…पढ़ा.

शनिवार, 17 सितंबर 2022

Chehhellum की पूर्व संध्या पर दर्द भरे नौहों संग निकला जुलूस





Varanasi (dil india live). चेहल्लुम इतवार को मनाया जाएगा। चेहल्लुम की पूर्व संध्या पर वाराणसी में इमाम हसन, इमाम हुसैन और शहीदाने कर्बला की याद में अलग-अलग जुलूस उठे। इस दौरान जुलूस मार्ग दर्द भरे नोहों और मातम की सदाओं से गूंज रहा था। इस मौके पर हजारों लोगों ने सड़क पर उतरकर मातम का नजराना पेश किया। इस दौरान उलेमा ने मजलिस में कर्बला में शहीद हुए लोगों को सच्चा मोमिन बताया। कहा कि कर्बला में हुसैनियों ने अपना सिर कटा दिया मगर नाना के दीन को बचा लिया। उसे डूबने नहीं दिया। यही वजह है कि कायनात में केवल कर्बला के शहीद ही ऐसे मोमिन हैं जिनका चेहल्लुम 1400 साल से लगातार मनाया जाता है।

इससे पहलेेेेेे जुलूस की शुरुआत शायर ऋषि बनारसी के शिवाला स्थित इमामबाड़े से हुआ। इसमे अंजुमन क़सीमिया अब्बासिया ने नोहाखवानी व मातम किया। इस जुलूस में ताज़िया अलम ताबूत दुलदुल की ज़ियारत के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे थे। जुलूस से पहले मौलाना मेराज आबिदी ने मजलिस को खिताब किया। क़ासिम अली जानी ने सोज़ख़्वानी की। साहब, प्रिंनस और नासिर रजा ने नोहा पढ़ा।

नोहा और मातम की सदाओं संग जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ शिवाला घाट पर जाकर खत्म हो गया। वहीं, उसके बाद स्वर्गीय सलीम के निवास से अमारी, दुलदुल, आदि का जुलूस उठा। इसकी निगरानी अंजुमन आबिदिया चौहट्टा लाल ख्वां ने की। यह जुलुस सदर इमामबाड़े पर आकर समाप्त हुआ। उसी क्षेत्र से एक जुलूस मुकीमगंज से नवाब एहतेशाम के संयोजन में निकला गया। इसमें अंजुमन नासीरुल मोमेनीन ने नोहा मातम किया। जुलूस भी अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़े लाठ सरैया गया। अंतिम जुलूस शिवाला में डिप्टी जाफर बख्त के सामने स्वर्गीय हैदर बख्त के निवास से उठाया गया। जुलूस में अंजुमन क़सीमिया अब्बासिया गौरीगंज नोहा पैन किया जिस पर लोग मातम करते हुए चल रहे थे। वाराणसी में काली महाल में मज़ाहिर हुसैन रिज़वी के निवास पर कदीमी ताबूत उठाया गया। दालमंडी में ऐजाज़ हुसैन के निवास पर ताबूत उठाए गए। शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर ने बताया कि दुनिया से 12 करोड़ लोग इमाम के रौज़े कर्बला में मौजूद हैं। इसमे भारत से भी लाखों लोग पहुंचे हैं। इमाम का 40 रविवार 18 सितंबर यानि 20 सफर के 9 पर मनाया जाएगा।

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बोले, सभी धर्म का उद्देश्य विश्व मानवता का कल्याण एवं आशा का संदेश देना Varanasi (dil India live). आज वैज्ञानिक सुविधाओं से संपन्न मानव धरती...